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gastrointestinal mucosa in hindi , आमाशय आंत्रीय श्लेष्मिका क्या है , कार्य , प्रकार

आमाशय आंत्रीय श्लेष्मिका क्या है , कार्य , प्रकार gastrointestinal mucosa in hindi ?

 (III) आमाशय आन्त्रीय श्लेष्मिका (Gastro-intestinal mucosa)

कशेरूकी जंतुओं की जठरान्त्रीय श्लेस्मिका में कुछ कोशिकाएँ विशिष्ट प्रकार के स्रवण उत्पन्न करती है जो अन्तःस्रावी स्रवण या हारमोन्स होते हैं। इस प्रकार के हारमोन्स ग्रेस्टिन, सिक्रिटिन, मालेस्टोमाइनिन, पेन्क्रिओजाइमिक, एन्टेरोगेस्ट्रोन, एन्टेरोकाइनिन, कमोटलिन, काइमोडेनिन, बल्बोगेस्ट्रिनं आदि हैं। ये सभी हॉरमोन्स विभिन्न पचक रखों को सम्बन्धित ग्रन्थियों से निकाल भोजन के पाचन में सहायता करते हैं।

(i) ग्रेस्ट्रिन (Gastrin ) — आमाशय की G कोशिकाओं से स्रावित यह हारमोन पाइलोरिक श्लेष्मा को HCI के या भोज्य पदार्थों द्वारा उद्दीप्त किये जाने पर उत्पन्न होते हैं। यह रक्त के साथ मिलकर जठर ग्रन्थियों की पेराटाइल कोशिकाओं को उत्तेजित कर HCI युक्त पाचक रस स्रावित कराता है। ग्रेस्ट्रिन हारमोन ग्रेस्ट्रिल I तथा ग्रेस्ट्रिन II दो प्रकार का पाया गया है जो 17 अमीनों अम्ल युक्त पॉलीपेप्टाइड होता है। प्रोटीन युक्त भोजन एवं ग्लाइसिन द्वारा यह अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। ग्रेस्ट्रिन के द्वारा अग्नाशयी आर्बुद D कोशिकाओं के द्वारा बन जाते हैं। इसका अमीनों अम्ल युक्त भाग ग्लूकागोन के समान होता है अतः लाइपोलाइसिस (lipolysis) व जठरीय उत्पादन में वृद्धि हो जाती है। यह अग्नाशय को बाइकार्बोनेट युक्त जलीय रस के स्रवण हेतु उत्तेजित करता है ।

(ii) कोलेस्टोकाइनिन पेन्क्रि ओजाइमिन (Cholestokinin pancre-ozymin)— यह एक ही हारमोन है जो पॉलीपेप्टाइड प्रकृति का होता है तथा 33 अमीनों अम्ल से बना होता है। यह अग्नाशय को उत्तेजित कर अग्नाशयी पाचक रसों का स्रवण करता है। इसके द्वारा पित्ताशय (gall bladder) का संकुचन भी होता है। यह ग्रेस्ट्रिन तथा सिक्रिट्रिन के समान कार्य करता है। अग्नाशय से इन्सुलिन व ग्लूकागोन हारमोन स्रावण कराने का प्रभाव भी इसके द्वारा उत्पन्न किया जाता है। (iv) ऐन्टेरोगेस्ट्रोन (Enterogastrone ) — यह पाचक रसों के स्रवण को संदमित ( inhibit) करता है।

(v) एन्टेरोग्लूकागोन (Enteroglucagon ) — ग्लाइकोजिनोलाइसिस (glycogenolysis) क्रिया को उद्दीप्त करता है।

(vi) मोटालिन (Motin) — यह जठरीय पेशियों को उद्दीप्त करता है।

(vii) काइमोडेनिन (Chymodenin ) — अग्नाशय से मोट्रिप्सिन ( motripsin) स्रवण को उत्तेजित करता है।

(viii) बल्कोग्रेस्ट्रिन (Bulbogastrin ) – ग्रहणीय कन्द भाग से स्रावित होता है तथ जठरीय (HCI) स्रवण को संदमित करता है ।

(ix) जठरीय संदमक पॉलीपेप्टाइड (Gastric inhibitory plypeptide ) – जठरीय HCI स्रवण को संदमिक करता है ।

(x) वासोएक्टिव आन्न्रीय पॉलीपेप्टाइड (Vasoactive intestinal plypeptide or VIP) – यह क्षुद्रान्ध्र एवं वृहदान्त्र की श्लेस्मिका से स्रावित होता है। यह जठरीय स्रवणों को संदमित करता है तथा जठर एवं पित्ताशय के संकुचन को संदमित करता है। यह अग्नाशयी एवं आन्त्रीय स्रवणों को उत्तेजित करता है।

(IV) वृक्क (Kidney)

गोल्डस्ट (Goldblatt) एवं इसके साथियों ने अपने प्राणियों के दौरान पाया कि वृक्क को धमनी द्वारा लाये रक्त सम्भरण को यदि रोका जाता है तो वृक्क का वल्कुट (cortex) भाग रेनिन (renin) नामक प्रोटीन प्रकृति के किवण्क का स्रवण करता है। इसी प्रकार के परिणाम परानिस्पदन (ultrafiltration) की दर के होने पर सामने आये हैं। वल्कुट भाग में उपस्थित जक्स्ट्रा मेड्यूलरी घुण्डियाँ (juxtra-medullary complexes) रेनिन का स्रवण करती है।

8.55 : वृक्क द्वारा रेनिन से चलित श्रृंखला अनुक्रिया रक्त में एन्जिओटेन्सिनोजन (angiotensinogen) उपस्थित होता है जो यकृत द्वारा स्रावित किया जाता है। रेनिन इस पर क्रिया कर इसे एन्जिओटोन्सिन । में परिवर्तित कर देता है । यह पुन: एक अन्य एंजाइम द्वारा एन्जिओटेन्सिन II में परिवतर्तित किया जाता है जो फेफड़ों में उत्पन्न होता है ये एन्जिओटेन्सिन II नाएपिनेफ्रीन की अपेक्षा 200 गुना शक्तिशाली दाब वर्धक (pressor) पदार्थ है जो धमनिकाओं का एवं पेशियों का संकुचन कर रक्त की मात्रा में वृद्धि कराता है । एन्जिओटेन्सिन I भी इसी प्रकार का दाब वर्धक किन्तु क्षीण प्रकृति का रसायन है । वृक्क से काइनेनोजन (kinenogen) नामक कारक भी स्रावित होता है। इसके द्वारा आतितनाव को संदमित करने का प्रभाव उत्पन्न होता है। वृक्क से ही इरिथ्रोपॉइटिन ( erythroprointin) एवं एरिब्रोजेनिन (erythrogenin) नामक दो हॉरमोन स्रावित होते हैं। जो अस्थि मज्जा (bone marrow) रक्ताणुओं के उत्पादन को उत्तेजित करते हैं। विटामिन (D) को सक्रिय बनाने हेतु भी एक विशिष्ट कारक वृक्क द्वारा स्रावित होता है। वृक्क द्वारा कुछ हॉरमोन्स जैसे इन्सुलिन, ग्लूकागोन एवं एल्डोस्टिरॉन को निष्क्रिय बनाने हेतु एंजाइम्स पाये जाते हैं।

(V) त्वचा (Skin)

त्वचा पर पराबैंगनी किरणों (ultravilet rays) के प्रभाव से अरगास्ट्रॉल (erygasrol) एवं कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) नामक दो स्टिरॉयड पदार्थ स्रावित होते हैं। ये विटामिन D द्वारा क्रमशः • अरगोकेल्सिफेरॉल (ergocalciferol) तथा कॉलीकैल्सिफेरॉल ‘ (cholecalciferol) में परिवर्तित हो जाते हैं। ये दोनों घटका आन्त्र में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस के अवशोषण को अत्यधिक बढ़ाकर अस्थि निर्माण हेतु प्रेरित करते हैं। विटमिन D की अनुपस्थिति में उपरोक्त क्रिया नहीं हो पाती है तथा बच्चों में रिकेट्स (rickets) नामक रोग उत्पन्न हो जाता है।

प्रश्न (Questions)

प्र. 1. निम्नलिखित प्रश्नों के लघु उत्तर दीजिए-

(i) अन्तःस्रावी एवं बहिस्रावी ग्रन्थियों की तुलना कीजिए ।

(ii) मनुष्य के शरीर में पाये जाने वाली ऐसी ग्रन्थियों के नाम बताइये जो अन्तःस्रावी व बाह्यस्रावी दोनों कार्य करती है।

(iii) मनुष्य में थाइरॉइड ग्रन्थि का महत्व समझाइये |

(iv) हॉरमोन एवं एंजाइम में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।

(v) मानव शरीर में इन्सुलिन का क्या कार्य है।

(vi) एक बच्चा अपी माँ का दूध पी रहा है उस समय कौन सा हॉरमोन दूध का स्रावण कर रहा है।

(vii) लैंगर हैंस की द्विपीकायें कार्य करना बन्द कर दें तो क्या होगा ?

(viii) बच्चे के जन्म के तुरन्त बाद थाइरॉइड ग्रन्थि नष्ट कर दें तो क्या होगा ?

(ix) किसी व्यक्ति में ADH की कमी हो जाये तो क्या होगा ?

(x) एड्रीनल कॉर्टेक्स द्वारा हॉरमोन्स का अधिक स्राव होने पर क्या होगा?

(xi) किसी अन्त:स्रावी ग्रंथि के निकाल देने से टैडपोल मेंढ़क में परिवर्तित नहीं हो पाता । उस ग्रन्थि की विशेषताओं का वर्णन करो।

(xii) थाइरॉक्सिन तथा कोशिकाओं की उत्पत्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

(xii) कौन-सा हॉरमोन कोशिकाओं में ग्लूकोज का उपयोग करने की क्षमता करेंगे?

(xiv) पीयूष ग्रन्थि के उस हॉरमोन का नाम लिखिये जो थायरॉइड ग्रन्थि को सक्रिय करता है?

(xv) उन हॉरमोन्स के नाम लिखिये जो मनुष्य में निम्न क्रियाओं को प्रभावित करते हैं- (i) प्रसव (ii) अण्डाणु की वृद्धि (iii) दुग्ध स्रावण (iv) सगर्भता अनुरक्षण। (xvi) निम्न हॉरमोन्स से स्रोत एवं कार्य लिखिये-

(i) इन्सुलिन (ii) एड्रिनेलीन (iii) एस्ट्रोजन (iv) थायरॉक्सिन

(xvii) पीनियल ग्रन्थि के हॉरमोन्स के कार्य लिखिये ।

(xviii) पेराथॉरमोन से सम्बन्धिन विकारों के नाम बताइये ।

(xix) वृद्धि हॉरमोन्स के अल्प स्रावण से होने वाले रोग एवं उनके लक्षण बताइये ।

(xx ) हॉरमोन्स की क्रियाविधि समझाइये।

(xxi) क्या कारण है कि तराई क्षेत्र में लोगों में घेंघा ( goitre) रोग अधिक होता है। (xxii) क्या कारण है कि कुछ स्त्रियों में पुरपोचित लक्षण होते हैं।

(xxiii) क्या कारण है कि कुछ पुरुषों में पुरुषोचित लक्षणों का अभाव होता है। (xxiv) शरीर में ADH की कमी होने से क्या प्रभाव पड़ेगा ?

(xxv) किसी व्यक्ति के अग्नाशय में लैंगर हैंस की दीपिकाएँ नष्ट हो जायें तो इसके शरीर में कार्बोहाइड्रेट उपापचय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

प्र. 2. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये- (Write short notes on the following)

 

(i) न्यूरोहॉर्मोन्स

(ii) फीरोहॉर्मोन्स

(iii) काइनिन्स

(iv) विपत्ति प्रतिक्रिया

(v) हॉरमोन्स के स्रावण का पुनर्निवेशन (vi) हॉरमोन्स का महत्व

(vii) थाइरॉइड के रोग

(viii) मास्टर ग्रन्थि

(ix) थाइमस ग्रन्थि

(x) इन्सुलिन घा

(xi) थाइरॉक्सिन का संश्लेषण

(xii) एडिसन का रोग

(xiii) ओस्टिओपोरोसिस

(xiv) कुशिंग का रोग

(xv) ग्रेवीज का रोग

(xvi) पेराहॉरमोन्स

(xvii) लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ

प्र. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिये ।

(Write short answer of the following questions)

(i) हमारे शरीर में मास्टर ग्रन्थि किसे कहते हैं? यह कहाँ पायी जाती है? इसके द्वारा स्रावित हॉरमोन्स का वर्णन कीजिये ।

(ii) अन्तःस्रावी ग्रन्थि किसे कहते हैं? स्तनियों में ऐसी ग्रन्थियों तथा इनके स्रावित हॉरमोन्स के नाम लिखिये। किसी एक ग्रन्थि के हॉरमोन्स के शरीर पर प्रभाव का वर्णन कीजिए। (iii) हॉरमोन किसी कहते हैं ? शरीर में इनका क्या महत्त्व है? ये एंजाइमों से कैसे भिन्न हैं? थायरॉक्सिन का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता हैं ? स्पष्ट कीजिए। –

(iv) मानव शरीर में पाये जाने वाली अन्त:स्रावि ग्रन्थियों की स्थिति को सरल चित्र द्वारा समझाइये। किन्हीं दो ग्रन्थियों के कार्यों का उल्लेख कीजिये ।

(v) अन्तःस्रावी विज्ञान का जनक कौन है? हॉरमोन्स का रासायनिक स्वभव क्या है? एक उपयुक्त तालिका द्वारा पीयूष ग्रन्थि से स्रावित विभिन्न हॉरमोनों के नाम एवं उनके कार्यों का उल्लेख कीजिये।

(vi) अन्तःस्रावी तथा बहिःस्रावी ग्रन्थियों के प्रमुख अन्तर बताइये। मनुष्य की विभिन्न अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का उल्लेख कीजिये और इनकी स्थिति बताइये |

(vii)अन्त:स्रावी प्रणाली को शरीर के लिये क्या उपयोगिता है । थाइरॉइड ग्रन्थि कहाँ पाई जाती है ? इससे स्रावित हॉरमोन का नाम बताइये। इस हॉरमोन का स्रावण कम हो जाये तो शरीर पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

(viii) एड्रीनल ग्रन्थि की संरचना एवं इसके द्वारा स्रावित हॉरमोन्स पर विस्तृत लेख लिखिये | (ix) पीयूष ग्रन्थि का न्यूरोहाइपोफाइसिस एवं एडिनोहाइपोफाइसिस भाग से किस प्रकार भिन्न है ? विस्तार से समझाइये |

(x) लैंगरहेन्स द्वीपिकाएँ किन हार्मोन्स का स्रावण करती है एवं उनके कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।

(xi) पेराथायरॉइड ग्रन्थि की संरचना एवं इसके द्वारा स्रावित हॉरमोन्स का वर्णन कीजिये ।

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