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कवक क्या है , (Fungi in hindi) उदाहरण , प्रकार , कवक किसे कहते है ? फुंगी की खोज किसने की थी
(Fungi in hindi) कवक क्या है , उदाहरण , प्रकार , कवक किसे कहते है ? फुंगी की खोज किसने की थी ? meaning in English
प्रोटोजोआ : प्रोटिस्टा में रखे गये ये जीव परपोषी होते है , गति करने के आधार पर ये चार प्रकार के होते है।
1. अमीबीय प्रोटोजोआ : ये स्वच्छ जल , समुद्री जल व नम मृदा में पाये जाते है। कुटपाडो की सहायता से गमन व शिकार करते है , इनके कुछ सदस्य परजीवी होते है।
उदाहरण : अमीबा
2. कशायी प्रॉटोजोआ : ये स्वतंत्र या परजीवी होते है , इनमे गति करने के लिए कशाय पाये जाते है। इनके कुछ सदस्य निद्रालुरोग उत्पन्न करते है।
जैसे : टिपैनोसीमा।
3. पक्ष्मायी प्रोटोजोआ : ये जलीय व तीव्र गति करने वाले जीव है , इनके शरीर पर हजारों की संख्या में पक्ष्माय पाये जाते है , जिनकी सहायता से ये गति व भोजन प्राप्त करते है।
जैसे : पैरामिशियम
4. स्पोरोजोआ : ये संक्रमणकारी प्रोटोजोआ होते है , इनमे गमन के लिए कोई अक्ष नहीं होते है , ये अपना जीवन चक्र कम से कम दो परपोषीयों में पूरा करते है , ये अधिकांशत रोग जनक होते है।
जैसे : प्लाज मेडियम (मलेरिया परजीवी )
कवक (Fungi ) (Fungi in hindi)
विषाणु
विषाणु की खोज दमित्री इवानोवस्की ने की। इसके अस्तित्व के बारे में अभी भी विरोधाभास है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह सजीव है जबकि कुछ अन्य इसे निर्जीव मानते हैं।
ऽ वायरस प्रोटीन एवं डीएनए या आरएनए से मिलकर बनता है।
ऽ लुई पाश्चर और बीजरिंक ने इसको जीवित तरल संक्रामक माना।
ऽ एड्स के विषाणु को 1986 में मानव इम्यूनो वायरस (भ्प्ट) नाम दिया गया।
जीवाणु
जीवाणु की खोज सर्वप्रथम लीवेनहाक द्वारा की गई थी। जबकि बैक्टीरिया द्वारा रोग उत्पन्न करने वाले लक्षण की खोज रॉबर्ट कॉच ने की। इसको सर्वव्यापी भी कहा जाता है। लाभदायक बैक्टिीरिया भूमि की उर्वरता में वृद्धि, दूध का दही में परिवर्तन, सिरका बनाने, तम्बाकू की पत्ती का स्वाद बढ़ाने, रेशों के रेटिंग में, चाय की पत्तियों की क्यूरिंग में, प्रतिजैविकी औषधियों के निर्माण आदि में उपयोगी किए जाते हैं।
कवक
कवक हरितलवक रहित, संकेंद्रीय, संवहन ऊतक रहित थैलोफाइटा है। पर्णहरित विहीन होने के कारा कवक अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते हैं। इसमें संचित भोजन ग्लाइकोजेन के रूप में रहता है। कवक संसार में उन सभी भागों में पाये जाते हैं जहां जीवित अथवा मृत कार्बनिक पदार्थ पाये जाते हैं। ये जंतुओं एवं पौधों के अवशेषों को विघटित कर देते हैं। यीस्ट का उपयोग ऐल्कोहल उद्योग में होता है। इनसे कई प्रकार के एंजाइम प्राप्त किये जाते हैं।
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