फलन किसे कहते हैं , फलन और इसके प्रकार क्या है उदाहरण सहित समझाइए function in mathematics in hindi

function in mathematics in hindi फलन किसे कहते हैं , फलन और इसके प्रकार क्या है उदाहरण सहित समझाइए ?

फलन

भूमिका ( Introduction)

फलन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपयोगिता गणित के साथ ही अध्ययन की अन्य शाखाओं में भी है। पिछली कक्षा में फलन की परिभाषा के साथ ही साथ कुछ विशेष फलनों का अध्ययन किया जा चुका है, जिनमें तत्समक फलन, अचर फलन, बहुपद फलन, परिमेय फलन, वर्गमूल फलन, मापांक फलन तथा चिह्न फलन आदि सम्मिलित हैं । फलनों के ऊपर गणितीय संक्रियाओं का भी प्रयोग पिछली कक्षा में किया जा चुका है; जैसे फलनों का योग, अन्तर, गुणा तथा भाग । प्रस्तुत अध्याय में विभिन्न प्रकार के फलनों का अध्ययन किया जायेगा ।

व्यापक रूप में फलन को निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं :

परिभाषा : यदि किसी समुच्चय A के प्रत्येक अवयव को किसी सम्बन्ध द्वारा समुच्चय B के किसी विशिष्ट अर्थात् अद्वितीय (unique) अवयव से सम्बन्धित किया जाये तो इस सम्बन्ध को फलन (Function) या प्रतिचित्रण (Map- ping) कहते हैं। यदि फलन को प्रतीक से निरूपित करें तो प्रतीकात्मक भाषा में इसे f: AB लिखते हैं। इसे फलन f, A से B (Function f from A to B) पढ़ते हैं। यदि फलन के अन्तर्गत 4 के अवयव x के संगत B का अवयव y हो, तो इस तथ्य को सूक्ष्म भाषा में y = f (x) से प्रदर्शित किया जाता है और y को x का प्रतिबिम्ब (f-image) कहते हैं।

[ टिप्पणी : फलन (Function) को इस प्रकार भी परिभाषित किया जाता है: वास्तविक अथवा अधिकल्पित संख्याओं के समुच्चय ( अथवा वास्तविक उपसमुच्चय) से वास्तविक अथवा अधिकल्पित संख्याओं के समुच्चय पर किया गया प्रतिचित्रण फलन कहलाता है ।]

डोमेन, सहडोमेन तथा परिसर (Domain Co-domain and Range)

फलन f : A -> B के समुच्चय A. का डोमेन 1 (Domain) तथा समुच्चय Bf का सहडोमेन (Co-do- main) कहलाता है। समुच्चय B के उन अवयवों का समुच्चय जो A के अवयवों का प्रतिविम्ब है, f का परिसर (Range) कहलाता है। इसे [A] से निरूपित करते हैं।

समुच्चय की भाषा में [A] = { f (x) x ∈ A ) f[A] : A} स्पष्ट है कि [A] ⊆ B अर्थात् [A] = B अथवा [A] CB फलन के लिए सामान्यतः प्रतीक f g h … का प्रयोग किया जाता है।

टिप्पणी: f : A : B के लिए

(i) यह आवश्यक है कि डोमेन A के प्रत्येक अवयव के संगत सहडोमेन B का एक अवयव प्राप्त हो परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि B का प्रत्येक अवयव A के किसी अवयव का प्रतिबिम्ब हो ।

(ii) A के प्रत्येक अवयव का प्रतिबिम्ब B का एक अद्वितीय (एक और एक ही ) अवयव होना चाहिए ।

क्रमित युग्मों द्वारा प्रतिचित्रण की व्याख्या : माना A और B दो समुच्चय हैं और f, A से B में कोई सम्बन्ध है अर्थात् f⊆ A × B

यह सम्बन्ध, समुच्चय A से B में प्रतिचित्रण कहलायेगा, यदि निम्न नियमों को सन्तुष्ट करता है :

(i) x ∈ A, (a, b) Ef, जबकि b ∈ B (अर्थात् fका डोमेन सम्पूर्ण समुच्चय A हो । )

(ii) (a, b) e f तथा (a, b1 ) ef b = b1 ( अर्थात् A के प्रत्येक अवयव के लिए B में एक विशिष्ट अवयव हो । )

टिप्पणी : (1) प्रत्येक प्रतिचित्रण ( फलन) एक सम्बन्ध है परन्तु प्रत्येक सम्बन्ध फलन (प्रतिचित्रण) नहीं है।

उदाहरण: यदि A ( a, b, c } तथा B = – { a, b, c } तथा B = {1, 2, 3, 4} तथा सम्बन्ध f: A -> B इस प्रकार है कि :

f (a) = 2, f (b) = 1 तथा f (c) = 4, तो

A का f-प्रतिबिम्ब 2,

b का f-प्रतिबिम्ब 1,

c का f- प्रतिबिम्ब 4 है।

अतः फलन का परिसर f[A] = {1, 2, 4} स्पष्ट है कि f[A] उचित उपसमुच्चय है अर्थात् f[A] CB क्रमित यग्म के रूप में, f = {(a, 2), (b, 1), (c, 4)} .

उदाहरण : यदि ∫: 1→ I E I के लिए f(x) = x2 अर्थात् सम्बन्ध पूर्णांकों के समुच्चय से पूर्णांकों पर एक I  प्रतिचित्रण (फलन) है जिसमें / के किसी अवयव x का प्रतिबिम्ब f(x) सूत्र f(x) = x 2 से किया गया है।

हल: सूत्र के आधार पर,

0 का प्रतिबिम्ब (02 अर्थात् f(0) = 0

1 का प्रतिबिम्ब (1)2 अर्थात्_f(1) = 1

2 का प्रतिबिम्ब (2)2 अर्थात् /(2) = 4

– 2 का प्रतिबिम्ब (-2)2 अर्थात् f( – 2) = 4

इसी प्रकार,

A e I का प्रतिबिम्ब (a)2 अर्थात् ((a) = a2 इत्यादि ।

ध्यान देने योग्य है कि

(i) 2, 3, 5, 6, 7, 8, …तथा समस्त ऋण पूर्णांक सहडोमेन में हैं, परन्तु डोमेन के किसी भी अवयव के ये प्रतिबिम्ब नहीं हैं।

(ii) 2 और -2 काf-प्रतिबिम्ब एक ही पूर्णांक 4 है । इसी प्रकार पूर्णांक a तथा 1- a का f – प्रतिबिम्ब a 2 होगा ।

(iii) f [A] = {0, 1, 4, 9, 16, 25, …}

उदाहरण : आकृतियों द्वारा फलन ( प्रतिचित्रण) का स्पष्टीकरण:

चित्र (i) तथा (ii) फलन (प्रतिचित्रण) नहीं हैं, परन्तु चित्र (iii) फलन (प्रतिचित्रण) है।

फलनों के प्रकार (Types of Functions)

(i) आच्छादक फलन (Onto or Surjective Map – ping) : यदि फलन के सहडोमेन का प्रत्येक अवयव डोमेन के किसी-न-किसी अवयव का प्रतिबिम्ब हो, तो ऐसे फलन को आच्छादक फलन कहते हैं। प्रतीकात्मक भाषा में :

f: A → B आच्छादक होगा यदि (A) = B अर्थात् फलन (f) का परिसर तथा सहडोमेन एक ही समुच्चय हो ।

उदाहरण : यदि A = {a, b, c, d, e}, B = {1, 2, 3, 4} तथा प्रतिचित्रणf: A → B को निम्न चित्र में दिखाया गया है :

यहाँ f(a) = 2, j(b) = 1, f(c) = 2, Aa) = 3, क f(e) = 4,

यहाँ हम देखते हैं कि सहडोमेन B का प्रत्येक अवयव डोमेन A के किसी-न-किसी अवयव का प्रतिबिम्ब है। इस स्थिति में f (A) = B; अत: f: A B एक आच्छादक फलन (प्रतिबिम्ब ) है ।

उदाहरण : यदि Z+ धन पूर्णांकों का समुच्चय है अर्थात् Z’ = {1, 2, 3, 4,….} तथा E धन सम पूर्णांकों का समुच्चय अर्थात् E = {2, 4, 6, 8,….) तथा सम्बन्ध (नियम) f:Z → E इस प्रकार है कि f(x) = 2x, x ∈ Z’, तो सूत्र के आधार पर,

x = 1, f (1) = 2 × 1 = 2

x = 2, f (2) = 2 × 2 = 4

x = 3, f (3) = 2 × 3 = 6

……………………………………..

……………………………………….

X = r, f (r) = 2 × r = 2r

अर्थात् सहडोमेन .4 का प्रत्येक अवयव 2x के रूप में का है। प्रत्येक 2x ∈ E के लिए x ∈ Z+ विद्यमान है। इस प्रकार सहडोमेन E का प्रत्येक अवयव डोमेन Z के किसी-न-किसी अवयव का प्रतिबिम्व है। इस स्थिति में (Z+) = E, अत: f : Z+ → E एक आच्छादक फलन (प्रतिचित्रण) है।

(ii) अन्तःक्षेपी फलन (Into Mapping) : यदि किसी प्रतिचित्रण के सहडोमेन में एक या एक से अधिक अवयव ऐसे हैं जो डोमेन के किसी भी अवयव के प्रतिबिम्ब नहीं हैं तो ऐसे फलन को अन्तःक्षेपी फलन कहते हैं। प्रतीकात्मक भाषा में, f: AB अन्त:क्षेपी होगा, यदि f(A) C B.

उदाहरण : यदि A = {1, 2, 3}, B = = { a, b, c, d, e} और फलन f: A → B इस प्रकार है कि ( 1 ) = a, f(2) = d, f (3) = e, तो यह फलन अन्तःक्षेपी फलन होगा क्योंकि सहडोमेन में b तथा ऐसे अवयव हैं जो डोमेन A के किसी भी अवयव के प्रतिबिम्ब नहीं हैं। यहाँ (A) = {a, d, e}, अत: (A) C B.

[यहाँ Z पूर्णांकों का समुच्चय, Z धन पूर्णांकों का समुच्चय तथा Eधन सम पूर्णांकों का समुच्चय है । ]

(iii) एकैकी फलन (One – One Function or Mapping) : यदि किसी प्रतिचित्रण में डोमेन के भिन्न-भिन्न अवयवों के प्रतिबिम्ब सर्वथा भिन्न-भिन्न हों, तो ऐसे फलन को एकैकी फलन कहते हैं। प्रतीकात्मक भाषा में,

F : A: B एकैकी फलन होगा यदि x1 = x2 f(x1) = f(x2) x1, x2 € A.

दूसरे शब्दों में, कोई फलन एकैकी फलन होगा यदि जब भी डोमेन के दो अवयवों का प्रतिबिम्ब एक ही हो, तो वे अवयव भी एक ही हाँ अर्थात्

f(x1) = f(x2) ⇒ x1 = X2, X1, x2 ∈ A

उदाहरण: यदि A 1. 2. 3. 4) तथा B = {x, y, z,w} तथा f: A -> B निम्न चित्र में दिखाया गया है :

स्पष्टतः 1 और 2 बराबर नहीं हैं। (1 + 2) परन्तु f(1) = f(2) अर्थात् । ≠ 2 ⇒ f(1) = f(2), अत: यह एकैकी फलन नहीं है।

उदाहरण: यदि फलन f : R → R इस प्रकार है कि f(x) = 2 x + 1. V x E R, तो यह फलन एकैकी फलन है क्योंकि यदि x1,  x2 डोमेन R के भिन्न-भिन्न अवयव हैं,

अतः भिन्न-भिन्न अवयवों के प्रतिबिम्ब भिन्न-भिन्न हैं। पुनः

अर्थात् यदि प्रतिबिम्ब बराबर हैं तो अवयव भी बराबर हैं। अतः f: R → R एकैकी फलन (One-one mapping) है।

[यहाँ R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है।]

(iv) बहु-एक फलन (Many one Mapping): यदि किसी फलन के डोमेन के दो या दो से अधिक अवयवों का प्रतिबिम्ब एक ही अवयव हो, तो ऐसे फलन को बहु-एक फलन कहते हैं प्रतीकात्मक भाषा में,

F : A → B बहु-एक फलन है, तो

उदाहरण: यदि A = (1, 2, 3, 4) तथा B = { a, b, c} तथा फलन f : A → B इस प्रकार है कि f (1) = a, f(2) = b, f(3) = c, f(4) = c, तो यह फलन बहु-एक फलन कहलायेगा, क्योंकि 3 = 4 f(3) = f(4) c

(v) एकैकी अन्तःक्षेपी फलन (One-one Into 3 Mapping or Injective Mapping) : यदि कोई फलन अन्तःक्षेपी भी हो और एकैकी भी हो, तो उसे एकैकी अन्त:क्षेपी फलन कहते हैं। प्रतीकात्मक भाषा में f: A→ B = एकैकी अन्तःक्षेपी फलन होगा यदि f (A) C B तथा f (x1) B = (x2) x 1 = X2,  x1, x2 ∈ 4.

उदाहरण : यदि A = {a, b, c}, B = {1, 2, 3, 4}

जहाँ f (a) = 1, (b) = 2, f(c) = 3, तो f : A → B एकैकी अन्त:क्षेपी फलन है।

चित्र में सहडोमेन B में एक अवयव 4 ऐसा है जो कि डोमेन A के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।

(vi) एकैकी आच्छादक फलन (One-one Onto Mapping or Bijective Mapping ) : यदि कोई फलन आच्छादक भी हो और एकैकी भी हो तो उसे एकैकी आच्छादक फलन कहते हैं। प्रतीकात्मक भाषा में,

f(x1) = f(x2) ⇒ x 1 = x2x1, x2 ∈ A और f(A) = B.

उदाहरण : चित्र में प्रदर्शित फलन एकैकी आच्छादक फलन है :

यहाँ डोमेन A के प्रत्येक अवयव का सहडोमेन B में अलग-अलग प्रतिबिम्ब है तथा सहडोमेन B में कोई ऐसा अवयव नहीं है जो कि डोमेन के किसी अवयव का प्रतिबिम्ब न हो ।

उदाहरण : यदि f : R→R,

जहाँ f (x) = x + 1, Vx ∈ R;

R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। फलन / एकैकी आच्छादक है।

(2) आच्छादक : माना सहडोमेन का कोई स्वेच्छ अवयव ‘ है।

व्यापक रूप में, यदि EN विषम है, तो

f(n) = n – (−1)” = (n + 1) ∈ N

यदि 17 सम है, तो

f(n) = n – (- 1)” = (n – 1 ) ∈ N

स्पष्ट है कि यह फलन एकैकी आच्छादक है।

(vii) बहुएक अन्त:क्षेपी फलन (Many-one Into Mapping) : यदि कोई फलन बहुएक भी हो तथा अंत:क्षेपी भी हो, तो उसे बहुएक अन्त:क्षेपी फलन कहते हैं । प्रतीकात्मक भाषा में,

(viii) बहुएक आच्छादक फलन (Many one Onto Mapping) : यदि कोई फलन बहुएक भी हो तथा आच्छादक भी हो, तो उसे बहुएक आच्छादक फलन कहते हैं। प्रतीकात्मक भाषा में.

F : A → B बहुएक आच्छादक फलन है, यदि f(x1) = f(x2) = x1 = x2 x1  x2 A तथा f(A) = B निम्न चित्र द्वारा प्रदर्शित फलन बहुएक आच्छादक है :

उदाहरण : यदि R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय तथा 4 = {0, 1} तथा यदि f: R →A इस प्रकार परिभाषित

है कि

यह फलन बहुएक आच्छादक फलन है।

टिप्पणी फलन तथा उसके मुख्य-मुख्य प्रकारों को एक ही उदाहरण द्वारा आसानी से समझा जा सकता है। जैसे, किसी कक्षा में कुर्सियाँ लगी हैं और सभी विद्यार्थी कुर्सियाँ पर बैठे हैं। कुर्सियों पर बैठने की यह स्थिति विद्यार्थियों के समुच्चय से कुर्सियों के समुच्चय पर एक फलन है । यहाँ हम चार प्रकार की स्थितियों की कल्पना करेंगे :

(i) जितनी कुर्सियाँ हैं, उतने ही विद्यार्थी हैं और सभी लोग अलग-अलग कुर्सियों पर बैठे हैं। यह एकैकी आच्छादक (one-one onto) फलन है।

(ii) कुर्सियों की संख्या विद्यार्थियों की संख्या से कुछ – अधिक है तो सभी विद्यार्थी अलग-अलग कुर्सियाँ पर बैठे हैं • तथा कुछ कुर्सियाँ खाली हैं। यह एकैकी अन्त:क्षेपी (one- one into ) फलन है।

(iii) विद्यार्थियों की संख्या कुर्सियों की संख्या से कुछ अधिक है इसलिए कुछ विद्यार्थी 2-2 और 3-3 के समूह में एक – एक कुर्सी पर बैठे हैं। शेष विद्यार्थी अलग-अलग कुर्सियों पर बैठे हैं और कोई कुर्सी खाली नहीं है। यह अ बहुएक आच्छादक (many-one onto ) फलन है।

(iv) स्थिति (iii) की ही भाँति विद्यार्थी कुर्सियों पर बैठे हैं, परन्तु किन्हीं कारणों से एक या दो कुर्सियाँ खाली बच गई हैं। यह बहुएक अन्त:क्षेपी (Many one into ) फलन है।

कुछ विशेष प्रकार के फलन : अब हम उन कुछ वास्तविक फलनों पर विचार करेंगे जिनका चलन – कलन (Calculus) में प्रायः प्रयोग किया जाता है।

तत्समक फलन (Identity Function ) : यदि फलन f: RR इस प्रकार हो कि f(x) =x Vxe R अर्थात् R का प्रत्येक अवयव स्वयं का ही प्रतिबिम्ब हो, तो ऐसे फलन को तत्समक फलन कहते हैं।

स्पष्ट है कि तत्समक फलन एकैकी आच्छादक (one- one onto) फलन है।

तत्समक फलन को I से निरूपित किया जाता है अर्थात् 1 : R → R, जहाँ R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। स्पष्टतः तत्समक फलन का डोमेन तथा सहडोमेन [Domain and co-domain (range)] दोनों ही वास्तविक संख्याओं के समुच्चय R हैं।

यदि हम तत्समक फलन का आलेख खींचें तो हमें एक सीधी रेखा प्राप्त होगी जो कि मूलबिन्दु से गमन करती है तथा जिसका झुकाव X- अक्ष से 45° होता है; जैसा कि चित्र में दिखाया गया है:

उदाहरण: यदि A = {1, 4, 7), तो f: A → A जहाँ f(1) = 1, f(4) = 4, f(7) = 7 तत्समक फलन हैं। क्रमित युग्म के रूप में,

f={(1, 1), (4, 4), (7, 7)}

एक तत्समक फलन है।

इसी प्रकार  f :N → N, जहाँ f (n) n, V n e N तत्समक फलन है।

आविष्ट फलन (Inclusion Function or Mapping) : यदि समुच्चय । समुच्चय B का उचित उपसमुच्चय (proper subset) हो अर्थात् A = B.

यदि कोई फलन : सम्बन्ध एवं फलन f : A →  B इस प्रकार हो कि (x) = x  V x e A तो इस फलन को आविष्ट फलन (Inclusion function) कहते हैं। स्पष्ट है कि आविष्ट फलन एकैकी अन्त:क्षेपी (one one into ) फलन है।

उदाहरण: यदि A { – 3 – 2, 0, 1, 2) तथा B {– 4, −3, −2, −1, 0, 1, 2, 3, 4, तो ACB तब फलन  f = A→B.

जहाँ f (0) = 0, f (1) = 1, f (2) = 2, f (−2) 2. f (-3) = – 3, तो यह आविष्ट फलन हैं। आविष्ट फलन का आलेख एक सीधी रेखा होगी जो कि मूलबिन्दु से गमन करेगी।

अचर फलन (Constant Function ) : यदि फलन f: RR इस प्रकार हो कि डोमेन के समस्त अवयवों का कोडोमेन में एक ही प्रतिबिम्ब हो, तो इस फलन को अचर फलन कहते हैं।

स्पष्ट है कि इस प्रकार के फलन में परिसर f[R] एकल समुच्चय होता है प्रतीकात्मक भाषा में, f: R → R अचर फलन है यदि  x  E R, f (x) x, x E R एक अचर है।

अचर फलन f (x)= x का आलेख X- अक्ष के समान्तर एक सीधी रेखा होती है जो कि x- अक्ष के ऊपर या नीचे हो • सकती है, यदि x क्रमशः धनात्मक या ऋणात्मक हो ।

अचर फलन f(x)= x का आलेख

टिप्पणी : यदि f (x) = x में x = 0, तो अचर फलन का आलेख x – अक्ष होगा ।

मापांक फलन (Modulus Function ) : यदि कोई

फलन इस प्रकार परिभाषित है कि :

तब फलनको मापांक फलन (Modulus function) कहते हैं।

स्पष्टतः मापांक फलन का डोमेन वास्तविक संख्याओं का समुच्चय होता है तथा इसका परिसर (Range) सभी ऋणेत्तर (non-negative) वास्तविक संख्याओं का समुच्चय होता है।

मापांक फलन (Modulus function) का आलेख आगे दिया गया है :

महत्तम पूर्णांक फलन (Greatest Integer Func- tion) : यदि किसी वास्तविक संख्या x के लिए कोई फलन fइस प्रकार परिभाषित है कि f (x) = [x], तो इस फलन को महत्तम पूर्णांक फलन (Greatest Integer Func tion) कहते हैं।

जहाँ [x] एक पूर्णांक है जो कि या तो x के बराबर अथवा x से कम। {[x] ≤ x}

उदाहरणार्थ : [2·5] = 2, [1.73] = 1, [0-34] = 0, [- 6.8] = – 7, … इत्यादि ।

महत्तम पूर्णांक फलन को फर्श फलन (floor func- tion) या स्टेप फलन (Step function) भी कहा जाता है। स्पष्टतः महत्तम पूर्णांक फलन का डोमेन वास्तविक संख्याओं का समुच्चय R है तथा इसका परिसर (range) सभी पूर्ण संख्याओं का समुच्चय 2 होता है, क्योंकि इस फलन का मान केवल पूर्ण संख्याएँ ही होती हैं।

महत्तम पूर्णांक फलन का आलेख निम्न चित्र में प्रदर्शित किया गया है

महत्तम पूर्णांक फलन का आलेख

न्यूनतम पूर्णांक फलन (Smallest Integer Func tion or Ceiling Function) : यदि किसी वास्तविक संख्या x के लिए कोई फलन इस प्रकार परिभाषित है कि f(x) = [x] या f(x) = ]x [, तो फलन को न्यूनतम पूर्णांक फलन कहते हैं, जहाँ ] x [ > x एक पूर्णांक है जो कि x से बड़ा या उसके बराबर है।

स्पष्टत: न्यूनतम पूर्णांक फलन का डोमेन वास्तविक संख्याओं का समुच्चय R है तथा परिसर (Range) सभी पूर्णांक संख्याओं का समुच्चय Z है।

न्यूनतम पूर्णांक फलन का आलेख नीचे प्रदर्शित किया गया है :

चिह्न फलन (Sign Function) : यदि किसी वास्तविक संख्या x के लिए फलन / इस प्रकार परिभाषित है कि

तो फलन को चिह्न फलन कहते हैं।

चिह्न फलन को निम्न प्रकार भी परिभाषित करते हैं :

स्पष्टतः चिह्न फलन का डोमेन वास्तविक संख्याओं का समुच्चय R है तथा इसका परिसर (Range) (1.0.1) है।

चिह्न फलन का आलेख नीचे प्रदर्शित किया गया है :

घातांक फलन (Exponential Function) : यदि किसी वास्तविक संख्या x के लिए कोई फलन इस प्रकार परिभाषित है कि (x), जहाँ a एक वास्तविक धनात्मक संख्या है तथा 1 तो फलनको घातांक फलन कहते हैं।

स्पष्टतः घातांक फलन का डोमेन वास्तविक संख्याओं का समुच्चय R है तथा इसका परिसर ( Range) वास्तविक संख्याओं के समुच्चय R का उपसमुच्चय (0, 00) है, क्योंकि इसका केवल धनात्मक मान ही हो सकता है।

घातांक फलन का आलेख नीचे प्रदर्शित किया गया है

लघुगणक फलन (Logarithmic Function) : यदि किसी धनात्मक वास्तविक संख्या के लिए कोई फलन f इस प्रकार परिभाषित है कि

fx) = loga X, जहाँ  a > 0 तथा । तो इस फलन को लघुगणक फलन कहते हैं।

स्पष्टत: लघुगणक फलन का डोमेन समस्त अऋणात्मक वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है अर्थात् (0, 0) है तथा इसका परिसर (Range) समस्त वास्तविक संख्याओं का समुच्चय R है।

लघुगणक फलन का आलेख नीचे दिया गया है :

व्युत्क्रम फलन (Reciprocal Function) : यदि किसी वास्तविक संख्या x (x = 0) के लिए फलन f इस प्रकार परिभाषित है कि f(x) = 1/x  तो फलन को f व्युत्क्रम फलन कहते हैं। दूसरे शब्दों में, फलन f: R – {0} → R, अगर इस प्रकार परिभाषित हैं कि (x) तो को व्युत्क्रम फलन कहते हैं। इसका डोमेन तथा परिसर दोनों ही R- {0} हैं।

स्पष्टत: जैसे-जैसे x का मान बढ़ता है फलन का मान घटता है तथा जैसे-जैसे x का मान घटता है का मान बढ़ता है।

व्युत्क्रम फलन का आलेख आगे प्रदर्शित किया गया है :

साधित उदाहरण

उदाहरण. 1. यदि f: RR इस प्रकार है कि 1 = 3x + 5,  x ∈ R, तो सिद्ध कीजिए कि यह एकैकी फलन (one-one) है।

अतः भिन्न-भिन्न अवयवों के भिन्न-भिन्न प्रतिबिम्ब हैं।

अर्थात् यदि प्रतिबिम्ब बराबर हैं, तो अवयव भी बराबर होंगे। अत: f: R → R एकैकी फलन (one one func tion) है।

उदाहरण 2. यदि f: Z→ Z, जहाँ f(x) = x2   xe Z, तो सिद्ध कीजिए कि फलन बहु-एकैकी फलन (many- one function) है।

अतः दिया फलन बहु- एकैकी फलन है ।

उदाहरण 3. सिद्ध कीजिए कि f: N → N, जहाँ f(x) = 3x,  x ∈ N से परिभाषित है, एकैकी और अन्तः क्षेपी है।

हल : यदि डोमेन के कोई दो अवयव x1 और x2 हैं

अर्थात् ×1, ×2 ∈ N, तब

f (x1) = f (x2) ⇒ 3×1 = 3×2,

[ सूत्र f (x) = 3x से ]

⇒ X1 = x2

इससे स्पष्ट है कि फलन f एकैकी ( one-one) है।

पुन: सूत्र f(x) = 3x में x = 1, 2, 3, … रखने पर,

f(1) = 3.1 = 3

f(2) = 3.2 = 6

(3) = 3.3=9

इससे स्पष्ट है कि डोमेन N = {1, 2, 3, 4, 5,…} के अवयवों के ∫-प्रतिबिम्बों का समुच्चय ( 3, 6, 9,…} है

अर्थात् ∫ का परिसर {3, 6, 9,…..}

{3, 6, 9,…} = {1, 2, 3, 4, 5…}

या {3, 6, 9,….} ⊂N.

अथवा परिसर N (डोमेन)

फलन f अन्तःक्षेपी ( into ) है।

अतः दिया हुआ फलन एकैकी अन्त:क्षेपी (one-one into ) है।

उदाहरण 4. यदि फलन वास्तविक संख्याओं के समुच्चय R पर इस प्रकार परिभाषित है कि f (x)= x + 3, X E R, तो सिद्ध कीजिए कि फलन एकैकी आच्छादक फलन (one-one onto or bijective function) है।

हल : (i) एकैकी : यदि x1, X2 ∈R, तब

f(x1) = ×1 + 3,

f(x2) = x2 + 3

f (x1) = f(x2) ⇒ x1 + 3 = x2 + 3

=> x1 = x2

अतः फलन एकैकी है।

(ii) आच्छादक : यदि डोमेन का कोई स्वेच्छ अवयव ‘ है। यदि f (x) = y, तब

y = x + 3 ⇒ x = (y – 3) ∈ R (डोमेन)

fy – 3) = (y – 3) + 3 = y

अर्थात् y ER, > – 3) ER : f (y-3) = y

f[R] = R फलन आच्छादक है। इस प्रकार सिद्ध हुआ कि दिया गया फलन एकैकी आच्छादक (one-one onto) फलन है।

उदाहरण 5. यदि f: R → R तथा g : R → R क्रमशः इस प्रकार परिभाषित हैं कि

f(x) | = 4x तथा g(x) = x2 + 3, ∀x ∈ R,

तो सिद्ध कीजिए कि :

(i) f एकैकी आच्छादक है,

(ii) g बहुएक अन्त:क्षेपी है।

हल : (i) माना x 1, x2 ER, तब

f(x1) = f(x2) ⇒ 4×1 = 4×2

F एकैकी है।

पुनः माना सहडोमेन R का कोई स्वेच्छ अवयव

यदि y = 4x, तब

X = y/4 E R

अब फलन की परिभाषा (x) = 4x से,

स्पष्टतः सहडोमेन R का स्वेच्छ अवयव y/4 का – प्रतिबिम्ब है अर्थात् सहडोमेन R का प्रत्येक अवयव डोमेन R के किसी-न-किसी अवयव का f-प्रतिबिम्ब अवश्य है।

.: फलन f का परिसर ( Range) सहडोमेन R f

फलन f आच्छादक ( onto ) है।

अतः दिया फलन f एकैकी आच्छादक है।

(ii) माना डोमेन R के दो अवयव a तथा हैं, तब फलन की परिभाषा के अनुसार, g(x) = x2 + 3 में x = a तथा x = – a

रखने पर,

स्पष्टत: डोमेन R के दो भिन्न-भिन्न अवयवों तथा (-a) का एक ही g – प्रतिबिम्ब a2 + 3 है।

फलन g बहुएक है।

पुन: यह भी स्पष्ट है कि .x के प्रत्येक धनात्मक अथवा ऋणात्मक वास्तविक मान के लिए x 2 + 3 का मान सदैव धनात्मक होगा तथा कभी भी शून्य नहीं होगा ।

सहडोमेन R की ऋणात्मक वास्तविक संख्याएँ और डोमेन R के किसी भी अवयव के g – प्रतिबिम्ब नहीं होंगे।

फलन g का परिसर C सहडोमेन R

फलन g अन्तःक्षेपी है।

. दिया हुआ फलन g बहु-एक अन्त:क्षेपी है।

उदाहरण 6. सिद्ध कीजिए कि फलन f: R→R जो इस प्रकार परिभाषित है कि f (x)=cos x, xR, जहाँ R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है, न तो एकैकी है और न ही आच्छादक।

हल: यदि दो वास्तविक संख्याएँ 0 तथा 2 को लिया जाय तब यह स्पष्ट है कि 0 = 2 तब दो वास्तविक संख्याएँ भिन्न-भिन्न हैं।

f(x) = cos x

x0 रखने पर.

f(0) = cos 0 = 1

तथा x = 2x रखने पर,

(2x) = cos 2x = 1

• डोमेन R के भिन्न-भिन्न अवयवों 0 और 2x का परिसर R में एक ही प्रतिबम्ब है जो वास्तविक संख्या है। अतः फलन एकैकी नहीं है।

cos x का मान सदैव 1 और + 1 के बीच रहता

अर्थात् – 1 < cos x <1

सहडोमेन R के केवल वे अवयव जो मध्य स्थित हैं, डोमेन R के अवयवों के /- प्रतिबिम्ब होंगे 1 तथा + 1 के अ तथा शेष अवयव डोमेन के किसी भी अवयव के /- प्रतिबिम्ब  नहीं होंगे।

अतः दिया हुआ फलन आच्छादक भी नहीं है ।

उदाहरण 7. यदि परिमेय संख्याओं के समुच्चय Q पर फलन : QQ इस प्रकार परिभाषित है कि f(x) = 3x – 6, x ∈ Q तो सिद्ध कीजिए कि / एकैकी आच्छादक फलन है।

हल : माना x 1 तथा x2 कोई दो परिमेय संख्याएँ हैं, अर्थात् x1 x2 E Q

तब f (x1) = f (x2) ⇒ 3x 1 – 6 = 3×2 – 6

=> 3×1 = 3×2

⇒  x 1 = x2

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