frbm act in hindi (fiscal responsibility and budget management act 2003 in hindi) राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम

राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम frbm act in hindi (fiscal responsibility and budget management act 2003 in hindi) :- सन 2000 में यह बिल तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के द्वारा पेश किया गया था। इस बिल को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 2003 में स्वीकृति दी गयी थी और इसे प्रभावी रूप से 5 जुलाई 2004 को लागू किया गया था।

अर्थात यह कानून 2003 में पारित किया गया था। इस कानून में सरकार के घाटों को कम करना सरकार का वैधानिक अर्थात क़ानूनी उत्तरदायित्व बनाया गया।
इस कानून का एक उद्देश्य भारत के राजकोषीय प्रबंधन व्यवस्था में और अधिक पारदर्शिता लाना भी था। इसका एक उद्देश्य भारत में राजकोषीय स्थिरता लाना भी था ताकि भारत में होने वाला घाटा स्थिर रहे और कुछ समय बाद घाटे को धीरे धीरे कम किया जाए ताकि राजकोषीय स्थिरता बनाई जा सके।
इस कानून में सरकारी घाटों को कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जाते है अर्थात यह तय किया जाता है कि इतने समय में हम घाटों को इतना प्रतिशत कम करने की कोशिश करेंगे।
सर्वप्रथम वर्ष 2008 के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गए इस लक्ष्य में सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे को 3% तथा राजस्व घाटे को शून्य करने का लक्ष्य रखा गया। यह लक्ष्य प्राप्त नहीं किये जा सके इसलिए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समयावधि को 2012 तक बढ़ा दिया गया।
जब पिछले वर्षो में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सका तो इस कानून समीक्षा करने के लिए 2016 में पुन: समीक्षा के उद्देश्य से FRBM समिति का गठन किया गया था , इस समिति का उद्देश्य इस कानून की समीक्षा करना था कि रखे गए लक्ष्य या प्रावधान उचित और प्राप्त करने योग्य है या नहीं। इस FRBM समिति के अध्यक्ष एन.के. सिंह थे।
इस समिति द्वारा घाटों के लक्ष्यों को 2021 के लिए बढ़ा दिया गया परन्तु तब तक अर्थात 2021 तक प्रत्येक वर्ष के लिए वार्षिक लक्ष्य भी निर्धारित कर दिए गए अर्थात यह बताया गया कि प्रत्येक वर्ष इस लक्ष्य से घाटों को कम किया जाए तो वर्ष 2021 तक सरकार द्वारा घाटों के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
विशेष परिस्थितियों जैसे युद्ध , प्राकृतिक आपदा , वैश्विक मंदी आदि परिस्थितियों में इन वार्षिक लक्ष्यों में 0.5% के विचलन की अनुमति दी गयी।
लक्ष्यों में विशेष परिस्थितियों के कारण विचलन की अनुमति को ‘escape clause’ के नाम से जाना जाता है।
2019 में बजट द्वारा इन लक्ष्यों को 2022-23 तक बढ़ा दिया गया। परन्तु राजकोषीय घाटे को 2.5% तथा राजस्व घाटे को शून्य करने के लक्ष्य रखा गया था।
वर्तमान बजट में 4.5% राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा गया है। इसका कारण विश्वव्यापी कोरोना महामारी है।

उच्च राजकोषीय घाटे के क्या प्रभाव है –

  1. सरकार की विश्वसनीयता में कमी आती है।
  2. घाटे के कारण किसी देश की भविष्य की वित्तीय स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अर्थात उस देश की भविष्य की वित्तीय स्थिति भी बिगड़ जाता है।
  3. अत्यधिक सरकारी व्यय के कारण मुद्रा स्फीति अवांछित रूप से बढ़ जाती है।
  4. घाटों को वर्तमान सरकार द्वारा न चुकाने की स्थिति में अगली पीढ़ी पर यह घाटों का बोझ स्थानांतरित हो जाता है।
  5. घाटों की पूर्ति के रूप में अतिरिक्त वित्तीय भार बढ़ता है।
  6. उच्च राजकोषीय घाटे चुकाने के लिए नया विदेशी ऋण लेने के पर अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति पर बुरा असर पड़ता है।
  7. उच्च राजकोषीय घाटा होने की स्थिति में जनता पर कर बढाने से जनता की वित्तीय स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तथा कर बढ़ाना एक उचित कदम भी नहीं माना जाता है।
  8. घाटे के वित्त पोषण के लिए घरेलू बाजारों से ऋण लेने पर क्रोव्डिंग आउट की समस्या उत्पन्न हो जाती है।