पढों कि विज्ञान में बेकन का क्या योगदान है व्याख्या कीजिए francis bacon in hindi contributions to science
प्रश्न: फ्रांसिस बेकन का विज्ञान के विकास में योगदान बताइए।
उत्तर: यह 16वीं शताब्दी का अंग्रेजी साहित्यकार था। इसके प्रमुख ग्रंथों के नाम ‘द एडवांस्मेन्ट ऑफ लर्निंग‘ तथा ‘द न्यू एटलांटिस‘ हैं। प्रथम पुस्तक में उसने प्रकृति के अध्ययन पर बल दिया। दूसरी पुस्तक में उसने विज्ञान, के अध्ययन पर बल दिया। इसीलिए इसे आधुनिक विज्ञान का जनक कहा जाता है। इसने कहा ‘‘इतिहास मनुष्य को बुद्धिमान बनाता है।‘‘ इसने अनेक निबंध लिखे जैसे-स्टेडीज कन्वलेसेन्स आदि।
प्रश्न: कॉपरनिकस का विज्ञान को योगदान बताइए।
उत्तर: कॉपरनिकस पुनर्जागरणकालीन पोलैण्ड का एक संत था। वह लगभग 10 वर्षों तक इटली में रहा। उसने प्राचीन यूनानी खगोलशास्त्र का अध्ययन किया। उसने टॉलेमी के सिद्धांत को चुनौती दी। इसने बताया कि पृथ्वी सहित (पृथ्वी को स्थिर बताया) सभी ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं। उसने 1543 में ऑन द रिवोल्यूशन ऑफ सेलेस्टियल बॉडीज एक पुस्तक लिखी । इस पुस्तक को उसने पोप पॉल ततीय को समर्पित किया। इसके सिद्धांत को कॉपरनिकस पद्धति कहते थे। चर्च ने उसके विचारों पर प्रतिबंध लगा दिया।
प्रश्न: वह कौनसा वैज्ञानिक था जिसने कापरनिकस के सिद्धांत की गणितीय पुष्टि की और अपना सिद्धांत दिया?
उत्तर: पुनर्जागरणकालीन यह वैज्ञानिक जर्मन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर था। उसने गणित के आधार पर कॉपरनिकस प्रणाली को सिद्ध किया। उसने एक सिद्धांत दिया जिसे ग्रहों की गति का नियम (‘Laws of Planetary Motioins’) कहते हैं। पहले धारणा थी कि ग्रहों की गति गोलाकार है लेकिन कैप्लर ने गणितीय प्रयोगों से यह सिद्ध कर दिया कि ग्रहों की गति दीर्घ वृताकार होती है।
प्रश्न: दांते के बारे में बताइए।
उत्तर: दांते 13वीं शताब्दी का इटली का विद्वान था तथा वह फ्लोरेंस का निवासी था। उसने 2 प्रमुख ग्रंथ लिखे डिवाइन कॉमेडी तथा द मोनार्का। डिवाइन कॉमेडी में मृत्यु के पश्चात् आत्मा की स्वर्ग व नरक की काल्पनिक यात्रा का वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में प्रेम, देशभक्ति और इटली के एकीकरण पर प्रकाश डाला गया है। द मोनार्का में गैर धार्मिक विषयों पर राजा की सर्वोच्चता स्थापित करने पर बल दिया गया है अर्थात् इसने धर्म व राजनीति के पृथक्करण पर बल दिया। दांते की तुलना होमर से की जाती है। इसे इटेलियन कविता का जनक कहा जाता है।
प्रश्न: जेफ्री चैसर का अंग्रेजी साहित्य में योगदान बताइए।
उत्तर: यह 15वीं शताब्दी का ब्रिटिश विद्वान था। उसकी प्रमुख कृति का नाम ‘कैन्टरबारी टेल्स‘ है। इस पुस्तक में कैन्टरबरा नाम स्थान पर सेन्ट टॉमस नामक तीर्थ की यात्रा करने वाले 30 यात्रियों का वर्णन किया गया है। चैसर बाकेचियों स प्रभावित था। चैसर को अंग्रेजी कविता का जनक कहा जाता है।
प्रश्न: विलियम शेक्सपियर की साहित्यिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: यह 16वीं शताब्दी का महान साहित्यकार व नाटककार था। इसने लगभग 40 नाटक लिखे तथा अनेक कविताएं लिखी। प्रमुख नाटकों में मैक्लिथ, द टेम्पेस्ट, मिननाइट, समर नाइट्स ड्रीम, हेमलेट, रोमियो-ज्यूलियट, ज्यूलियस सीजर, मर्चेन्ट ऑफ वेनिस आदि। उसने जीवन के प्रत्येक विषय पर नाटक लिखे। जो नाटक लिखे उनके विषय आज भी प्रासंगिक हैं। इसने सलीलकवी नामक एक नई पद्धति को जन्म दिया। इसमें एक ही पात्र मंच पर अपने आप से बात करता है। यह मानते हुए कि कोई उसे नहीं सुन रहा है। हेमलेट में यह परम्परा शुरू की।
प्रश्न: डेसिडेरियस इरैसमस
उत्तर: यह हॉलेण्ड में रोटरडेम नामक स्थान का रहने वाला था। इसने इटली, फ्रांस, इंग्लैण्ड इत्यादि देशों की यात्राएं की। वह विश्व नागरिक (World Citizen) भी कहा जाता है। उसने अपने साहित्य में व्यंग्य का प्रयोग किया। उसने समकालीन चर्च पर व्यंग्य कटाक्ष किये। इसकी प्रमुख कृति का नाम ‘‘इन द प्रेज ऑफ फॉली‘‘ है। (मूर्खत्व की प्रशंसा)। अन्य पुस्तक- न्यू टेस्टामेन्ट है।
प्रश्न: योजना आयोग
उत्तर: 1946 में गठित योजना सलाहकार मंडल की संस्ततियों को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार ने एक संकल्प (मंत्रिमण्डलीय प्रस्ताव) द्वारा 15 मार्च, 1950 को एक स्थायी योजना आयोग की स्थापना की। इसका उल्लेख संविधान में कहीं नहीं है। यह एक संविधानेत्तर संस्था है। मूलतः यह एक परामर्शदात्री संस्था है जिसका मुख्य काम भारत के लिए पंचवर्षीय योजना बनाना एवं उस संबंध में केन्द्र सरकार को सलाह देना है। योजना आयोग के तीन भाग है- कार्यक्रम परामर्शदाता, सामान्य सचिवालय एवं तकनीकी विभाग।
प्रश्न: राष्ट्रीय विकास परिषद
उत्तर: 6 अगस्त, 1952 को मंत्रिमंडल के निर्णय से गठित गैर-संवैधानिक संस्था है। इसमें केन्द्र के मंत्री, योजना आयोग के सदस्य, राज्यों के मुख्यमंत्री, संघ क्षेत्रों के प्रशासक सम्मिलित होते हैं। प्रधानमंत्री इसका अध्यक्ष होता है। इसके द्वारा योजना आयोग द्वारा निर्मित योजना को अंतिम रूप से स्वीकार किया जाता है इसके अनुमोदन के पश्चात् संसद से स्वीकृति ली जाती है।
प्रश्न: स्वातंत्रयोत्तर काल में राष्ट्र के समक्ष प्रमुख तीन चुनौतियां क्या थी?
उत्तर: स्वातंत्रयोत्तर काल में देश के समक्ष प्रमुख चुनौतियां निम्नलिखित थी-
1. राष्ट्र निर्माण की: देश को एकता के सूत्र में बंधे एक ऐसे भारत को गढ़ने की थी। जिसमें भारतीय समाज की सारी विविधिताओं के लिए जगह हो।
2. लोकतंत्र को कायम करने की।
ऐसा विकास जिसमें सम्पूर्ण समाज का भला हो न कि कुछ तबकों का। वास्तविक चुनौती, आर्थिक विकास तथा गरीबी के खात्मे के लिए कारगर नीतियां तैयार करना था।