JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

तरल मोजेक मॉडल को समझाइए , किसने दिया , प्रस्तुत किया , fluid mosaic model in hindi प्लाज्मा झिल्ली

जानिये तरल मोजेक मॉडल को समझाइए , किसने दिया , प्रस्तुत किया , fluid mosaic model in hindi प्लाज्मा झिल्ली के तरल मोजेक मॉडल का नामांकित चित्र बनाइए ?

नियमित एस स्तर ( Regular S-layers)

वैज्ञानिकों के अनुसार सभी प्रकार के जीवाणुओं में यहाँ तक कि पेप्टीडोग्लाईकन रहित जीवाणुओं की कोशिका भित्ति के बाहर अनेक एस-स्तर मुख्यतः एकल समार्गी पॉलिपेप्टाइड्स एवं कुछ शर्कराओं द्वारा बना रहता है। इनमें अम्लीय अमीनों अम्ल अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। ये अवरोध स्तर (barrier layer) या आणविक छननी (molecular sieve) का कार्य करते हैं, तो बाह्य व आन्तरिक कारकों जैसे आविष के दीर्घ अणुओं का नियंत्रण करते हैं। संभवत: एस-स्तर ही पेप्टीडोग्लाईकन स्तर को लयनकारी किण्वक यथा लाइसोजाइम (lysozyme) से बचाते हैं।

(ii) आन्तरिक झिल्ली अर्थात् प्लाज्मा झिल्ली ( Inner mebrane or plasmamembane) संरचना (Structure)

आन्तरिक झिल्ली अर्थात् कोशिकीय प्लाज्मा कला कोशिका भित्ति की अपेक्षा महीन (5-10 nm) होती है। यह कोशिका भित्ति के नीचे स्थित रहती है। प्लाज्मा कला कोशिका भित्ति को कोशिकाद्रव्य से अलग रखती है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार इसमें तीन स्तर पाये जाते हैं जो मिलकर इकाई झिल्ली संरचना ( unit membrane structure) बनाये रखते हैं। यह वरणात्मक पारगम्य (selective permeable) झिल्ली ग्रैम ग्राही तथा ग्रैम अग्राही दोनों प्रकार के जीवाणुओं में समान प्रकार की ही पायी जाती है। (चित्र – 8.8 )

जीवाणुओं में कोशिका झिल्ली कोशिकाद्रव्य को सीमित रखती है। यह लिपोप्रोटीन प्रकृति की होती है जिसमें प्रोटीन व लिपिड 70 : 30 के अनुपात में पाये जाते हैं, पॉलिसेकेराइड्स नहीं पाये जाते हैं। इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन करने पर यह त्रिस्तरीय संरचना दिखाई देती है तथा लगभग 6-8 nm मोटी होती होता है। दो बाह्य स्तर लगभग 2.5-3.5 mm मोटाई के तृतीय मध्य स्तर को घेरते हुए पाये जाते हैं जो Snm मोटा है। लिपिड्स फॉस्फोलिपिड्स प्रकार के होते हैं, इनमें फॉस्फेटिडालइथेनाल अमीन एवं कम मात्रा में फॉस्फेटिडाइलसेरीन तथा फॉस्फेटिडाइल कोलीन पाये जाते हैं। फॉस्फोलिपिड्स के ध्रुवीय सिरे बाहर की ओर एवं वसीय एसाइल श्रृंखलायें भीतर की ओर उन्मुख होते हैं। प्रोटीन अणु फॉस्फोलिपड् में धंसे रहते हैं। प्रोटीन की मात्रा फॉस्फोलिपड्स की अपेक्षा प्रोकैरयोट्स में अधिक (2:1 ) तथा यूकैरयोट्स में कम (1:1) पायी जाती है।

रसायनिक संगठन (Chemical organization)

जीवाणु कोशिकीय झिल्ली की संरचना को अनेक वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर इनके मॉडल बनाये हैं इनमें से सिंगर तथा निकॅलसन ( Singer and Nicolson, 1972) द्वारा तरल मोजेक मॉडल (fluid mosaic model) (चित्र 8.11) प्रस्तुत किया गया है। इसके अनुसार यह जैविक कला अंशत: तरल अवस्था में पायी जाती है जिसमें वसा एवं प्रोटीन मोज़ेक ( mosaic) पद्धति से व्यवस्थित अवस्था में पाये जाते हैं। मॉडल के अनुसार इस प्रकार की लगातार दो पर्तें उपस्थित रहती हैं जो फॉस्फोलिपिड द्वारा बनी होती हैं एवं इनमें प्रोटीन अणु अंतस्थापित (embedded) रहते हैं। डेवसन-डेनियली (Davson Danielli, 1935) द्वारा प्रस्तुत मॉडल के अनुसार कोशिका झिल्ली में उपस्थित वसा एवं प्रोटीन जलरागी बन्धकों द्वारा जुड़े रहते हैं जबकि सिंगर व निकॅल्सन की मान्यता है कि वसा एवं प्रोटीन के मध्य जलविरागी (hydrophobic) बन्ध होते हैं।

“प्लाज्मा कला में प्रोटीन दो प्रकार के पाये जाते हैं जिन्हें हम परिधीय एवं आन्तरिक प्रोटीन कहते हैं। परिधीय प्रकार के प्रोटीन घुलनशील प्रकृति के होते हैं जो झिल्ली से आसानी से पृथक हो जाते हैं। परिधीय प्रोटीन वसीय दोहरी पर्त के बाहर स्थित होते हैं जबकि आन्तरिक प्रोटीन अघुलनशील प्रकार के होते हैं जो सामान्यतः झिल्ली से पृथक् नहीं होते हैं। प्रोटीन में जलरागी तथा जलविरागी दोनों प्रकार के गुण रहते हैं जिन्हें एम्फीपेटिक (amphipatic) प्रोटीन कहते हैं। सिंगर तथा निकॅलसन एवं डेनियलीडेवसन में प्रोटीन एवं वसा के अणुओं के तीव्र गतिमय रहने या स्थिर बने रहने के सिद्धान्त पर मतभेद रहा है। सिंगर तथा निकॅलसन इन अणुओं के गतिमय बने रहने के पक्षधर हैं।

जीवाणुओं को प्लाज्मा झिल्ली मुख्यतः लिपिड व प्रोटीन द्वारा ही रचित होती है किन्तु अल्प मात्रा में DNA, RNA भी पाये जाते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि ये वास्तविक रूप से प्लाज्मा कला के घटक हैं या बाह्य पदार्थ। लिपिड्स अधिक ध्रुवीय प्रकार के सामान्य ग्लिसरोफॉस्फोलिपिड्स ही होते हैं, कुछ मात्रा में ग्लाइकोलिपिड्स भी होते हैं। कुछ मात्रा में क्विनोन को एन्जाइम्स, को एन्जाइम और विटामिन K व केरोटिनाइड्स भी पाये जाते हैं।

प्लाज्मा कला में अनेक प्रकार के इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र से संबन्धित घटक पाये जाते हैं। अतः यह यूकैरियोट्स के माइटोकॉन्ड्रिया से समानता रखती हैं। इसमें अनेक प्रकार के साइटोक्रोम्स पाये जाते हैं।

कार्य (Functions)

  1. प्लाज्मा कला में उपस्थित प्रोटीन एंजाइमी क्रियाओं में भाग लेते हैं अनेक पदार्थों के आदान-प्रदान एवं ग्राही क्रियाओं में सहयोग करते हैं।
  2. वसीय दोहरी पर्त झिल्ली को एक वर्णकी पारगम्य (selective permeable) अवरोधक झिल्ली के रूप में कार्य का असवर प्रदान करती है।
  3. जीवाणुओं की प्लाज्मा झिल्ली में अनेक विशिष्ट परिवहन तंत्र पाये जाते हैं जो शर्करा,

अमीनो अम्ल, एवं खनिज लवणों के परिवहन में भाग लेते हैं यह क्रिया न केवल सामान्य विसरण द्वारा बल्कि सक्रिय परिवहन द्वारा भी होती है जो सान्द्रता प्रवणता के विपरीत दिशा में सम्पन्नता होती है।

  1. प्लाज्मा कला में उपस्थित परमिएजेज (permeases) एंजाइम कार्बनिक एवं अकार्बनिक पोषक पदार्थों के आदान-प्रदान में मदद करते हैं।
  2. वायुवीय जीवाणुओं की कला में इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला तथा ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन के घटक पाये जाते हैं, अतः ऊर्जा उत्पादन में भाग लेते हैं।
  3. बेंगनी जीवाणुओं में प्रकाश संश्लेषण के सभी घटक कोशिकीय झिल्ली में पाये जाते हैं।
  4. प्लाज्मा कला पर गुणसूत्रीय तथा प्लैज्मिड (DNA) संलग्न होने हेतु विशिष्ट क्षेत्र पाये जाते हैं।
  5. प्लाज्मा कला में रसायन – अनुचलन ( chemotaxis) नियंत्रकारी घटक भी पाये जाते हैं।
  6. आन्तर कोशिकीद्रव्यी झिल्लियाँ (Intracytoplasmic membranes)

कोशिका झिल्ली कोशिका भित्ति के नीचे सरल संरचना के रूप में नहीं पायी जाती वरन् अनेक स्थानों पर इससे भीतर की ओर वलय बनाकर जटिल संरचनाएँ बनाई जाती हैं जो सतह का क्षेत्रफल बढ़ाती है। इस प्रकार अनेक जीवाणुओं में विभिन्न कार्यात्मक एवं आकारिकीय संरचनाएँ विकसित होती हैं इन्हें दो वर्गों में विभक्त करते हैं-

(i) मीजोसोम्स (Mesosomes ) (ii) वर्णकीलबक (Chromatophore

(i) मीजोसोम्स (Mesosomes –

पूर्व में इन्हें परिधीयकाय (peripheral body) या कॉन्ड्राएड (chondroid) के नाम से जाना जाता था एवं ये ग्रैम ग्राही जीवाणुओं में अधिकतर एवं कुछ ग्रैम अग्राही जीवाणुओं में भी पायी जाती है। मीजोसोम्स जटिल आकृति की संरचनाएँ होती हैं जो प्लाज्मा कला के द्वारा अन्तर्वलित होने के कारण अनेक स्थानों पर बनती हैं। ये रचनाएँ प्लाज्माकला के साथ ही संलग्न रहती हैं। मीजोसोम्स प्रेम ग्राही जीवाणुओं में अधिक संख्या में पाये जाते हैं। बेसिलाई प्रकार के जीवाणुओं में ये आवश्यक रूप से उपस्थित होते हैं जबकि ग्रैम अग्राही प्रकार के जीवाणुओं में ये संख्या में उपस्थित होते हैं। (चित्र 8.12 )

मीजोसोम्स रसायन स्वपोषी ( chemoautotrophic) जीवाणुओं में जिनमें वायुवीय श्वसन दर अपेक्षाकृत अधिक होती है, में अधिकतर पाये जाते हैं जैसे नाइट्रोसोमोनैस (Nitrosomonas ) । रोडोसूडोमोनैस (Rhodopseudomonas) जैसे प्रकाश संश्लेषणीय जीवाणुओं में ये प्रकाश-संश्लेषणीय . रंग पदार्थों के स्थान होते हैं।

प्लाज्मा कला के अन्तर्वलित होने से बनी इस रचनाओं में कलाओं के स्तर द्वारा निर्मित, नलिकाओं, पटलिकाओं के चक्र तथा आशय आदि विकसित हो जाते हैं। मोजोसोम में लिपिड भाग सामान्य प्लाज्मा कला के समान ही होता है किन्तु प्रोटीन्स भिन्न प्रकार के पाये जाते हैं। इनमें एवं इनसे बनी पटलिकाओं में इकाई झिल्ली के लक्षण पाये जाते हैं।

मीजोसोम्स के विकसित होने की प्रणाली पर अनेक मत वैज्ञानिकों द्वारा प्रकट किये हैं। साल्टन तथा ओवन (Salton and Owen, 1976) के मतानुसार लिपिड स्तर के बाह्य अर्धभाग के आशयीकरण (vesicularization) द्वारा ये संरचनाएँ विकसित होती हैं। हिगिन्स एवं उनके साथियों (Higgins and Co-workers, 1974) के मतानुसार ये छनन (filtration), अपकेन्द्रीकरण (centrifugation) तथा परिरक्षण (fixation) के फलस्वरूप बनी अस्थायी अप्राकृतिक रचनाएँ हैं।

मीजोसोम्स के कार्यों के बार में भी मतैक्य नहीं हो गया है किसी न किसी प्रकार से लगभग सभी प्रकार के कार्य इनके द्वारा किये जाने के विचार वैज्ञानिकों द्वारा प्रकट दिये गये हैं। आरम्भ में इन्हें सामान्य उच्च कोशिकाओं के माइटोकॉन्ड्रिया के समान अंगक मानकर श्वसन क्रियाओं में भाग लेने की संभावना प्रकट की गयी थी किन्तु वास्तव में ये माइटोकॉन्ड्रिया के समान रचनाएँ नहीं न ही इनमें बाह्य कला का आवरण पाया जाता है। मीजोसोम्स के आशयों में एन्जाइम तन्त्र तथा इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र नहीं पाया जाता है। ये न्युक्लिआइड के निकट पाये जाते हैं अतः यह भी हैं। परिधीय मीजोसोम कुछ किण्वकों के स्रवण में भाग लेते हैं जैसे पेनिसिलीन को निष्क्रिय बनाने संभावना प्रकट की गयी कि ये DNA प्रतिकृतिकरण में कोशिका विभाजन के दौरान भूमिका रखते हेतु पेनिसिलीनेज (penicillinase) का स्रवण । मीजोसोम्स के प्लाज्मा कला से संलग्न रहने के कारण संभवतः ये प्लाजमकला के द्वारा किये जाने वाले संश्लेषणी क्रियाओं में भाग लेते हैं। ऐसा माना जाता है, कि ये कोशिकाद्रव्य में पट्ट (septum) बनाने की क्रिया में भाग लेते हैं, ये कोई विशिष्ट अंगक नहीं है।

(i) वर्णकीलबक (Chromatophores –

ये वर्णकयुक्त कोशिकीय झिल्ली में बनी संरचनाएँ हैं जो प्रकाश संश्लेषणीय जीवाणुओं में पायी जाती हैं। ये रोडोस्पाइरीलेसी, क्रोमेटिएसी व साइनोफाइसी (Rhodospirillacease, Chormatiaceae and Cyanophyceae) कुल के सदस्यों में पाये जाते हैं। ये आशयों, नलिकाओं, नलिकाओं के समुच्च, स्तम्भ, झिल्लियों या थायलेकॉइड (thylakoids) के रूप में पाये जाते हैं।

  1. कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)

जीवाणुओं के कोशिकाद्रव्य में गॉल्जी काय ( golgi bodies), हरितलवक (chloroplasts), माइटोकॉन्ड्रिया (mitochondria), अंतद्रव्यी जालिका (endoplasmic reticulum) एवं सभी कोशिका झिल्ली से घिरे अंगकों का अभाव होता है। कोशिकद्रव्य में राइबोसोम्स (ribosomes), मेटाक्रोमेटिन कणिकाएँ (metachromatin granules) जिन्हें “वाल्युटिन कण” (volutin granules) या गैस रिक्तिकाएँ आदि पायी जाती हैं। संग्रहकारी पोषक पदार्थ, रिक्तिकाएँ, गैस आशय (gas vesicles) या प्रकाश संश्लेषणी जीवाणुओं में प्रकाशसंश्लेषणी वर्णक भी पाये जाते हैं।

केन्द्रक (Nucleus) – केन्द्रक झिल्ली रहित होता है अतः केन्द्रकीय पदार्थ (nuclear meterial) अर्थात् DNA कोशिकाद्रव्य में ही न्युक्लिआएड (nucleoid) नामक स्थान में पाया जाता है। इसका वर्णक आगे किया जायेगा ।

कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) अकार्बनिक आयन्स, कम अणुभार वाले उपापचज (metabolites) कोशिकीय विलेयों (cell solutes) एवं जल में घुलनशील प्रोटीन्स का समांगी विलयन होता है। इसमें अनेकों किण्वक, t-RNA, अमीनों अम्ल एवं राइबोसोम्स में अत्यधिक मात्रा में RNA पाया जाता है। इस प्रकार यह कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों से बना कोलायडी जटिल होता है।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

1 day ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

1 day ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now