flow of liquid in hindi , द्रव का बहिस्त्राव वेग या टोरिसेली का नियम , torricelli’s law , बर्नूली सिद्धांत :-
- द्रव की गतिज ऊर्जा
- द्रव की स्थितिज ऊर्जा
- द्रव की दाब ऊर्जा
- द्रव की गतिज ऊर्जा –
गतिज ऊर्जा = mV2/2
K = mv2/2
चूँकि m = dv
K = dv V2/2
यहाँ v = आयतन
V = वेग
(i) इकाई आयतन पर गतिज ऊर्जा –
K/V = dv V2/2V
K/V = dV2/2
(ii) इकाई द्रव्यमान पर गतिज ऊर्जा –
K/m = mv2/2m
K/m = v2/2
- बहते हुए द्रव की स्थितिज ऊर्जा –
U = mgh
चूँकि m = dv
U = dvgh
(i) इकाई आयतन पर स्थितिज ऊर्जा :
U/V = dvgh/V
U/V = dgh
(ii) इकाई द्रव्यमान पर स्थितिज ऊर्जा –
U/m = mgh/m
U/m = gh
- बहते हुए द्रव की दाब ऊर्जा –
दाब ऊर्जा = बल x विस्थापन
दाब ऊर्जा = F x L
चूँकि P = F/A
F = PA
F = PAL
चूँकि N = AL
F = PV
चूँकि V = m/u
F = pm/d
(i) इकाई आयतन पर दाब ऊर्जा –
PV/V = P
(ii) इकाई द्रव्यमान पर दाब ऊर्जा –
PM/dxm = P/d
बर्नूली सिद्धांत : बर्नूली ने बताया कि जब किसी असमान अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाली नली में द्रव बहता है तो उसके इकाई आयतन व इकाई द्रव्यमान पर उसकी दाब ऊर्जा , गतिज ऊर्जा व स्थितिज ऊर्जा का योग नियत रहता है। इसे बर्नूली का सिद्धान्त या बर्नूली प्रमेय कहा जाता है।
माना असमान अनुप्रस्थ काट वाली नली में बिंदु A का क्षेत्रफल A1 , दाब P1 , V1 आयतन है। तथा इसमें बिंदु B पर दाब P2 क्षेत्रफल A2 , वेग V2 है अत: बर्नूली सिद्धांत है।
बरनौली सिद्धांत का सत्यापन :
बहते हुए द्रव को दाब ऊर्जा
(i) A सिरे पर द्रव की दाब ऊर्जा = P1A1V1
(ii) B सिरे पर द्रव की दाब ऊर्जा = P2A2V2
दाब ऊर्जा में परिवर्तन = P1A1V1 – P2A2V2
शैथिल्य समीकरण = A1V1 – A2V2 = m/d
P1A1V1 – P2A2V2
(P1 – P2)A1V1
(P1 – P2)m/d समीकरण-1
- गतिज ऊर्जा (K) = mv2/2
A बिंदु पर गतिज ऊर्जा = K1 = mv12/2
B बिंदु पर गतिज ऊर्जा = K2 = mv22/2
गतिज ऊर्जा में परिवर्तन –
△K = K2 – K1
△K = mv22/2 – mv12/2 समीकरण-2
- स्थितिज ऊर्जा (U) = mgH
A बिंदु पर स्थितिज ऊर्जा –
U1 = mgh1
B बिंदु पर स्थितिज ऊर्जा –
U2 = mgh2
स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन –
△U = U2 – U1
△U = mgh2 – mgh1 समीकरण-3
(P1 – P2)m/d = mv22/2 – mv12/2 + mgh2 – mgh1
P1m/d – P2m/d = mv22/2 – mv12/2 + mgh2 – mgh1
P1m/d + mv12/2 + mgh1 = P2m/d + mv22/2 + mgh2
m[P1/d + v12/2 + gh1 ] = m[P2/d + v22/2 + gh2]
P1/d + v12/2 + gh1 = P2/d + v22/2 + gh2
बर्नूली प्रमेय के अनुप्रयोग :
(i) द्रव का बहिस्त्राव वेग या टोरिसेली का नियम :- माना किसी टैंक में H ऊँचाई तक द्रव भरा हुआ है। h गहराई पर इस टैंक में एक छिद्र किया जाता है। माना छिद्र वाले बिंदु B पर द्रव का बहिस्त्राव v2 तथा वायुमंडलीय दाब Pa है। बिंदु A पर द्रव का वेग v1 तथा वायुमंडलीय दाब Pa है। बिंदु A व B पर वायुमंडलीय दाब का मान समान है।
अत: बर्नूली के सिद्धांत से –
Pa + dV12/2 + dgH = Pa + dV22/2 + dg(H-h)
dV12/2 + dgH = dV22/2 + dgH- dgh
dV12/2 = dV22/2 – dgh
dV22/2 – dV12/2 = dgh
(V22 – V12)d/2 = dgh
(V22 – V12)d = 2dgh
V22 – V12 = 2gh
(i) यदि A बिंदु पर द्रव स्थिर हो तो –
V1 = 0
V22 = 0 = 2gh
V22 = 2gh
V2 = √2gh
(ii) यदि A बिंदु पर द्रव का वेग शून्य नहीं हो तो –
V22 – V12 = 2gh
V = √2gh