JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: BiologyBiologyscience

वनस्पति विज्ञान के जनक कौन हैं | वनस्पति विज्ञान के पिता किसे कहते है ? father of botany in hindi

father of botany in hindi वनस्पति विज्ञान के जनक कौन हैं | वनस्पति विज्ञान के पिता किसे कहते है ?

वनस्पति विज्ञान

परिचय

आदिकालीन जमीनी वनस्पतियों में जड़ें, पत्तियां या फूल नहीं थे। परन्तु उनमें एक सुस्पष्ट केन्द्रीय नलिका थी जो पोषक तत्वों के परिवहन के काम आती थी। उनमें अंकुरों के ऊपर श्स्टोमा अनावृतबीजी-शंक्वाकार पौधा नामक छिद्र भी था जो एक वास्तविक जमीनी पौधे की विशेषता है। जमीनी पौधों में स्थिर रहने और पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए पहले पकड़ विकसित हुआ और बाद में जड़ों का विकास हुआ।

* जमीनी पौधों ने जाइलेम (दाल) और फ्लोएम (बल्कल) भी विकसित कर लिए । जाइलेम और फ्लोएम में बालक ऊतक हैं जो पोषक तत्वों को पत्तियों तक ले जाने के लिए आवश्यक है। इन ऊतकों के कारण तने को कड़ापन निला। जो वनस्पतियां अधिक जमीनी क्षेत्रों में पनपी. उन्होंने बड़ी व फैलावदार पत्तियां विकसित कर ली।

* कुछ समय बाद जमीनी बनस्पतियों ने बास्तविक बीज विकसित्त कर लिए। ये बीजाणुओं से अगला कदम था जिसमें प्राथमिक वनस्पतियों काई और फर्न का फैलाव हुआ। वास्तविक बीजों में एक सुरक्षा कवच के भीतर शुरूआती वृद्धि को कायम रखने के लिए भोजन भी उपलब्ध था। इससे बनस्पतियों को पानी के नजदीक रहने के बंधन से छुटकारा मिल गया।

* सबसे पुराने बीजयुक्त पौधे, जो आज भी जीवित हैं. शंकवृक्ष या कोनिफर थे जो देवदार (पाईन) और स्यूस कुल के सदस्य हैं। इस प्रकार के आवरणरहित या नग्न बीजधारी वनस्पतियों को जिम्नोस्पर्स यानी अनावृतबीजी कहा जाता है।

* जिग्नोस्पनर्स के साथ जमीन पर रेंगने बाले प्राणी या सरीसृप थे। इन दोनों के फलने-फूलने के समय को मीसोजोइक युग कहा जाता है।

* अपने स्वर्णिम युग. लगभग 3.000 लाख वर्ष पूर्व, से जीवित रहने बाले बीजधारी बनस्पत्तियों में कोनिफर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं।

* इसके काफी समय बाद उत्पन्न होने वाले साइकङ्स, जिंकगो और नीटेल्स की प्रतिनिधि प्रजातियां आज भी धरती पर पाई जाती हैं। जिंकगो एक जीवित जीवाश्म है।

* पेड़-पौधों के अध्ययन को बनस्पति विज्ञान कहा जाता है। थियोफेस्टस (Theophrastus) को वनस्पति विज्ञान का जनक कहा जाता है।

पादपों का वर्गीकरण

थैलोफाइटा समूहः

यह पादपों के वर्गीकरण का सबसे बड़ा समूह है। इसके अन्तर्गत थैलस युक्त ऐसे पौधे आते हैं जिनके तने एवं जड़ में कोई स्पष्ट अंतर नहीं होता है। इनमें संवहन ऊतक एवं भ्रूण अनुपस्थित होते हैं। इसके तहत शैवाल और कवक आते हैं।

* शैवालः शैवाल के अध्ययन को फाइकोलॉजी कहा जाता है। इनमें लवक मौजूद होते हैं। शैवाल को हरा सोना भी कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने शैवाल से मलेरिया का टीका विकसित कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विशेषकर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के जीव वैज्ञानिकों ने मलेरिया का टीका विकसित करने के लिए शैवाल का इस्तेमाल प्रोटीन को उत्पन्न करने के लिए किया जो प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ एंटीबाडी का निर्माण करता है। कारा तथा नाइटेला शैवाल मलेरिया उन्मूलन में सहायक हैं।

* दूसरी ओर पूर्वी स्पेन में वैज्ञानिक शैवाल को कार्बनडाइऑक्साइड के साथ मिलाकर श्बायो ऑयलश् बनाने की कोशिश में लगे हैं। शैवाल का 50 फीसदी हिस्सा ईंधन होता है। आधुनिक शब्दावली में जैव विज्ञान को ‘ग्रीन आॅयल’ भी माना जा रहा है।

Ø शैवाल स्वपोषी होते हैं।

Ø शैवाल प्रायः पर्णहरित युक्त, संवहन ऊतक रहित, आत्मपोषी तथा सेल्यूलोज भित्ति वाले पौधे होते हैं।

Ø क्लोरेलीन नामक प्रतिजैविक क्लोरेला नामक शैवाल से तैयार की जाती है।

Ø ‘क्लोरेल’ नामक शैवाल से अंतरिक्ष यात्री प्रोटीनयुक्त भोजन, जल और ऑक्सीजन प्राप्त कर लेते हैं।

Ø आल्वा (शैवाल) को समुद्री सलाद भी कहा जाता है।

कवकः कवकों का अध्ययन माइकोलॉजी कहलाता है। कवक क्लोरोफिल रहित, मृत पादप जीवी अथवा परजीवी, व थैलस युक्त पादप होते हैं।

Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

10 hours ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now