हिंदी माध्यम नोट्स
राजस्थान के मेले और त्योहारों का महत्व क्या है | लोक संस्कृति एवं आर्थिक विकास fair and festival of rajasthan importance in hindi
fair and festival of rajasthan importance in hindi राजस्थान के मेले और त्योहारों का महत्व क्या है | लोक संस्कृति एवं आर्थिक विकास ?
प्रश्न: राजस्थान की लोक संस्कृति एवं आर्थिक विकास के मेले एवं त्यौहारों के महत्व को उजागर कीजिए।
अथवा
राजस्थान के मेले और त्यौहारों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। [RAS Main’s 2012]
उत्तर: मेले से अभिप्राय है कि एक विशेष स्थान पर जनसमूह का मिलना और सामूहिक रूप से उत्सव मनाना। ये स्थानिक, देशव्यापी, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक रूपों में होते हैं।
लोक उत्सव (त्यौहार) – प्रत्येक लोकोत्सव किसी धार्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक विचारधारा, महापुरुषों से संबंधित, नई फसल पकने, ऋतु परिवर्तन आदि विशेष घटना से जुडे उत्सव होते हैं जहाँ लोक आनन्दोल्लास करता है।
मेले एवं त्यौहारो का महत्व:
1. सामाजिक समरसता एवं भाईचारे को बढ़ावा: विभिन्न उत्सव एवं मेलों में सभी जाति के लोग आपस में मिलते हैं और भाईचारे की भावना का प्रदर्शन करते हैं। उनमें आपसी प्रेम, स्नेह, सौहार्द, मैत्री जनसेवा की भावना में वृद्धि होती है तथा सामाजिक मेल-मिलाप को बढ़ावा मिलता है।
2. राजस्थान की लोक संस्कृति की झलक: राजस्थान के मेले एवं त्यौहारों पर गाये जाने वाले गीत, लोक-वार्ताएं, वादन, नत्य आदि में धार्मिक निष्ठा एवं ऐतिहासिक तथ्य होते हैं। यहाँ का जन समूह विभिन्न प्रकार की वेशभूषा, आभषण पहनकर परम्पराओं, नाचगान आदि की रंग बिरंगी छटा बिखेरते हैं जहाँ राजस्थान की लोक संस्कृति साकार हो उठती है।
3. सामाजिक-साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा: इन मेलों एवं उत्सवों के साथ प्राचीन परम्पराएँ तथा विचार धाराएं जड़ी रहती है इनको सभी धर्मावलम्बी एक सामाजिक कार्य मानते हैं जिससे वे एकता का अनुभव करते हैं तथा साम्प्रदायिक सौहार्द कायम रहता है।
4. राजस्थान की हस्तकला को बढ़ावा: इन मेलों एवं उत्सवों के दौरान राजस्थानी ग्रामीण समाज अपनी आवश्यकतानुसार लोक देवी-देवताओं, महापुरुषों की मूर्तिचित्र, लोकवाद्य यंत्र, वस्त्र, आभूषण व घरेलू सामान आदि खरीदकर राजस्थानी हस्त कला को जीवित रखे हुए हैं।
5. आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका: राजस्थान के पूरे दक्षिणांचल में आदिवासी मेले ही सर्वाधिक हैं जिनमें बेणेश्वर, गौतमेश्वर, भेड़माता आदि प्रमुख हैं। इन मेलों में हमें राजस्थान की वास्तविक संस्कति के दर्शन हो जाते हैं जिन्हें आदिवासियों ने सहेजकर रखा हुआ है। इनमें आदिवासियों के विभिन्न नृत्य, गायन, वादन. नाटय उनके वस्त्राभषण, बेली, परम्पराएं, संस्कार आदि दिखाई देते हैं। सहरिया, भील आदि जनजाति इन मेलों द्वारा ही अपना जीवन साथी चुनती हैं।
6. लोक संस्कृति को बढ़ावा: इन मेले एवं त्यौहारों में लोक-नाट्य, तमाशा, नृत्य, वादन, गायन आदि, का प्रदर्शन करते समय विभिन्न वेशभूषा एवं आभूषणों को धारण किया जाता है। दस्तकारों या कृषकों के जातिगत झगड़ें भी मेलों के आयोजनों के समय निपटाये जाते हैं।
7. देवी-देवताओं एवं सन्तों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति: अपनी मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए इन मेलों एवं उत्सवों के अवसर पर लोग देवी-देवताओं या संतों के स्थान पर सामूहिक रूप से एकत्रित होते हैं। जिनमें भजन भाव, नृत्य, भक्ति आदि से जनता विभोर होती है और स्नान व अर्चना से अपने को कृतार्थ समझती है। पीढ़ी दर पीढ़ी यह परिपाटी प्रवाहमान रहती है।
8. जन समूह में नई प्रेरणा का संचार: ऐसे मेलों के समय लोकनायकों के चरित्र एवं जीवन लीला की याद अनायास आ जाती है। जब ये पार्थिव रूप से वहाँ उपस्थित होते हैं तो उनके चरित्रों का स्मरण और उनकी गाथाओं का श्रवण जन समूह में एक नई प्रेरणा का संचार करता है। पाबूजी, रामदेवजी, गोगाजी, देवनारायणजी, करणीमाता आदि इन महान् आत्माओं ने अपने सम्पूर्ण जीवन को जनकल्याण के लिए अर्पित कर अमरत्व प्राप्त किया। इन्होंने सद्मार्ग दिखाया। जनमानस उन्ही के द्वारा बताये गये सद्मार्ग पर आज भी चल रहा है।
9. आर्थिक मेले: राजस्थान के पशु मेले आज भी राजस्थान की बहुसंख्यक ग्रामीण जनता का आर्थिक आधार है। इन मेलों में विभिन्न पशुओं का बड़े पैमाने पर लेन-देन होता है साथ ही यहाँ राज्य के विविध प्रकार के हस्तशिल्प, लघु उद्योग निर्मित विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बेची खरीदी जाती हैं। राजस्थान में परबतसर, नागौर, पुष्कर, गौमतेश्वर, गोगामेड़ी और ऐसे ही अनेक मेले बड़े स्तर पर पशुओं एवं अन्य सामानों की खरीद स्थल रहे हैं। वर्तमान में आधुनिकता ने इनके परम्परागत व्यवसाय को प्रभावित किया है। उपर्युक्त एवं संक्षिप्त बिन्दुओं के अध्ययन से राजस्थान की लोक संस्कृति एवं आर्थिक विकास में मेले एवं त्यौहारों का महत्व स्पष्ट हो जाता है।
प्रश्न: राजस्थान के प्रमुख त्यौहार (श्रावण माह से आषाढ माह तक) ख्त्।ै डंपदश्े 2008,
उत्तर: राजस्थान के श्रावण माह से आषाढ़ माह तक के प्रमुख त्यौहार निम्नलिखित हैं
श्रावण माह के प्रमुख त्यौहार: नाग पंचमी (श्रावण कृष्णा पंचमी), श्रावणी तीज या छोटी तीज (श्रावण शुक्ला तृतीया) तथा रक्षा बंधन (श्रावण पूर्णिमा)।
भाद्रपद के त्यौहार: बड़ी तीजध्सातुड़ी तीज/कजली तीज (भाद्रपद कृष्णा तृतीया), बूढ़ी तीज (भाद्रपद कृष्णा तृतीया), कृष्ण जन्माष्टमी (भाद्रपद कृष्णा अष्टमी), गोगा नवमी (भाद्रपद कृष्णा नवमी), जलझूलनी/देवझूलनी एकादशी (भाद्रपद शुक्ला एकादशी), ‘चतड़ा/चतरा चैथ‘ गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी),
आश्विन माह के त्यौहार: नवरात्रा, दुर्गाष्टमी (आश्विन शुक्ला अष्टमी), दशहरा (आश्विन शुक्ला दशमी)।
कार्तिक माह के त्यौहार: करवा चैथ (कार्तिक कृष्णा चतुर्थी), तुलसी एकादशी (कार्तिक कृष्णा एकादशी): धनतेरस (कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी), रूप चतुर्दशी (कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी), दीपावली (कार्तिक अमावस्या), गोवर्धन पूजा व अन्नकूट (कार्तिक शुक्ला प्रथम), भैयादूज (कार्तिक शुक्ला द्वितीया), गोपाष्टमी (कार्तिक शुक्ला अष्टमी), देवउठनी ग्यारस (कार्तिक शुक्ला एकादशी), कार्तिक पूर्णिमा
माघ माह के त्यौहार: बसंत पंचमी (माघ शुक्ला पंचमी),
फाल्गुन माह के त्यौहार: शिवरात्रि (फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी), ढूँढ (फाल्गुन शुक्ला एकादशी), होली (फाल्गुन पूर्णिमा)
चैत्र माह के त्यौहार: राष्ट्रीय पंचांग (चैत्र कृष्णा प्रथम), धुलंडी (चैत्र कृष्णा प्रथम), घुड़ला का त्यौहार (चैत्र कृष्णा अष्टमी), शीतलाष्टमी (चैत्र कृष्णा अष्टमी), नववर्ष (चैत्र शुक्ला प्रथम), गणगौर (चैत्र शुक्ला तृतीया), रामनवमी (चैत्र शुक्ला नवमी)
बैशाख माह के त्यौहार: आखा तीज/अक्षय तृतीया (बैशाख शुक्ला तृतीया)
ज्येष्ठ माह के त्यौहार: वट सावित्री व्रत या बड़मावस (ज्येष्ठ अमावस्या), निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी), पीपल पूर्णिमा
आषाढ़ माह के त्यौहार: योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्णा एकादशी), देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ला), गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा)
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…