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Facultative or mediated transport in hindi , विकल्प या माध्य द्वारा अभिगमन क्या है , सक्रिय परिवहन (Active transport) ( अभिगमन )
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विकल्प या माध्य द्वारा अभिगमन (Facultative or mediated transport)
कोशिका झिल्ली से आर-पार आने वाले सभी पदार्थ ऐसे नहीं होते जो मुक्त रूप से विसरण द्वारा अभिगमन कर सकें अत: कोशिका के बाहर या भीतर प्रवेश करने हेतु एक ऐसे चालक बल (driving force) की आवश्यकता होती है जो इन पदार्थों व कोशिका झिल्ली के घटकों के मध्य अन्योन्य क्रियाओं द्वारा उत्पन्न होता है। यदि चालक बल हेतु, विद्युत रासायनिक प्रवणता (electrochemical gradient) का अभिगमन हेतु उपयोग किया जाता है तो यह अभिगमन विसरण या सुगमकारी विसरण (faciliated diffusion) कहलाता है, किन्तु यदि अभिगमन हेतु ऊर्जा कोशिकीय उपापचय द्वारा उपलब्ध करायी जाती है तो इसे सक्रिय अभिगमन (active transport) कहते हैं।
विभिन्न पदार्थों के अणुओं के अभिगमन में जो कोशिकीय कला के घटक सहायता करते हैं अथवा भाग लेते हैं वाहक (carries) कहलाते हैं. ये प्रोटीन प्रकृति के होते हैं। ये पदार्थों के अणुओं को एक ओर से दूसरी ओर जल विरागी छिद्रों से होकर पहुँचाते हैं या ऐसी नालें (channels) बनाते हैं जिनसे होकर पदार्थ गुजरता है (चित्र 1.8)। इस विधि में दो क्रियाएँ महत्वपूर्ण होती है।
(i) प्रवेश करने वाले पदार्थ (substrate) का वाहक ( carrier) को पहचानना (recognition) एव बंधन (binding) बनाना। यह क्रिया कोशिका झिल्ली के एक ओर होती है।
(ii) वाहक + पदार्थ का कोशिका झिल्ली के दूसरी ओर पहुँचने पर इन दोनों का अलग होना अर्थात् पूर्व की स्थिति को कोशिका में बनाना ताकि यह क्रिया पुनः आगे जारी रह सके एवं प्रवेश करने वाले पदार्थ हेतु वाहक उपलब्ध हो सके।
वैज्ञानिकों ने इस क्रिया को समझने हेतु अनेक प्रयोग किये हैं कि प्रोटीन किस प्रकार वाहक के रूप में सक्रिय रूप में भाग लेते हैं। अनेक प्रयोगों में प्रतिजैविक (antibiotic) पदार्थ जो सूक्ष्मव के द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं का उपयोग किया गया है। आयन्स की मात्रा को बढ़ाकर अभिगमन हेतु क्रिया करते हैं। ये प्रयोग कृत्रिम व जैविक कलाओं (biological membranes ) पर किये गये है। इन प्रतिजैविक पदार्थों को आयोनोफोर (ionophores) कहते हैं। यह आयनोफोर कोशिका कला में प्रवेश करने के उपरान्त आयन्स को सक्रिय बनाने एवं अभिगमन हेतु प्रेरित करने हेतु दो प्रकार की विधि अपनाते हैं-
- इस प्रकार के अध्ययन हेतु वेलिनोमायसिन (valinomycin) नामक प्रतिजैविक का उपयोग किया गया है इसके अणु वाहक के रूप में कार्य करते हैं। ये धनायन (cation) को किसी स्थल पर बन्धक बना लेते हैं । विसरण द्वारा या प्लाज्मा कला पर घूर्णन ( rotating) करते हुए प्लाज्मा कला से होकर गुजरते हैं एवं आयन को दूसरी ओर मुक्त कर देते हैं। (चित्र 1.8A)
- दूसरी विधि में ग्रेमिसिडीन (gramicidin) का प्रयोग किया गया है। यह आयन्स को प्लाज्मा कला में उपस्थित रन्ध्रों से होकर ले जाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। दो ग्रेमिसिडीन अणु प्लाज्मा कला की सतह पर नाल ( channel ) बनाने में प्रयुक्त होते हैं इसमें से जल धारा होकर गुजरती है इसके साथ आयन भी एक ओर से दूसरी ओर अभिगमन कर जाते हैं। (चित्र 1.8 B) यह तो विदित ही है कि ये आयोनोफार्स या प्रतिजैविक पदार्थ कोशिका झिल्ली के वास्तविक घटक नहीं है जो वास्तव में वाहक के रूप में सामान्यतः प्रयुक्त किये जाते हैं किन्तु इनके द्वारा झिल्ली से पदार्थों के परिवहन की क्रिया की विशिष्ट विधि के अपनाये जाने एवं चयनित प्रकार से क्रिया के सम्पन्न होने का प्रमाण मिलता है।
सक्रिय परिवहन (Active transport) ( अभिगमन )
कोशिकाएँ जिस माध्यम में उपस्थित रहती है उसमें अनेक पदार्थों के अणु व आयन्स आदि होते हैं। यह भी आवश्यक नहीं कि इसमें से उपयोगी अनेक अणुओं या आयन्स की सान्द्रता बाहरी माध्यम में अधिक ही हो। यदि ऐसा होता है तो ये अणु या आयन सुकरण विसरण (facilitated diffusion) द्वारा विद्युत रासायनिक प्रवणता विभव के अन्तर द्वारा चलित बल से कोशिका झिल्ली से प्रवेश कर जाते हैं। इनके भीतर प्रवेश करने की विधि उच्च ऊर्जा से निम्न ऊर्जा वाले क्षेत्र की ओर होती है।
जब परिवहन ऊर्जा के संदर्भ में प्रतिकूल परिस्थितियों में होता है अर्थात् आयन्स या अणु निम्न सान्द्रता वाले क्षेत्र से उच्च सान्द्रता वाले क्षेत्र की ओर अभिगमन करते हैं तो इस कार्य के लिये कोशिका के उपापचयी तन्त्र से ऊर्जा व्यय की जाती है। यह क्रिया सक्रिय अभिगमन (active transport) कहलाती है। स्पष्ट है कि इस विधि में अणु या आयनों की गति सान्द्रता प्रवणता (concentration gradient) के विपरीत दिशा में होती है। इस क्रिया के लिये कोशिका में ऊर्जा व्यय होती है जो ATP के रूप में प्रयुक्त होती है। ATP व्यय होने पर अणु या आयन परासरण दाब, सान्द्रता प्रवणता व वैद्युत रसायनिक प्रवणता के विपरीत दिशा में भी अर्थात् कम सान्द्रता वाले क्षेत्र से अधिक सान्द्रता वाले क्षेत्र की ओर अभिगमन करने लगते हैं। जैसे जल का दाब कम होने पर ऊंचाई वाले क्षेत्र में जल नहीं बढ़ता तो मोटर द्वारा ऊर्जा व्यय करने पर जल को पानी का दाब कम होने पर भी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पम्प करके चढ़ाया जाता है।
सक्रिय अभिगमन क्रिया हेतु आवश्यक ऊर्जा माइट्रोकॉन्ड्रिया में होने वाले ऑक्सीकारी फॉस्फोलिकरण (oxidative phosphorylation) द्वारा ATP के रूप में प्राप्त होती है। ATP का जल अपघटन (hydrolysis) होता है इसके लिये आवश्यक एन्जाइम ATPase जिन्हें जल अपघटनी एन्जाइम (hydrolysing enzyme) कहते हैं जो कोशिका कला पर उपस्थित प्रोटीन्स के पास ही उपलब्धा होता है। सक्रिय अभिगमन की क्रिया वृक्क, आन्त्र एवं तन्त्रिका कोशिकाओं में सामान्यतः होती रहती है। आन्त्र से पचे हुए पदार्थों का अवशोषण, हानिकारक पदार्थों का स्त्रवण इस विधि से ही होता है। गीज (Giese, 1971) ने इस क्रिया को उपापचयी युग्मित परिवहन (metabolically linked transport) के रूप में स्वीकार किया है।
सक्रिय अभिगमन की क्रियाविधि (Mechanism of active transport)
प्राणी कोशिकाओं में सोडियम / पोटैशियम आयनों के अभिगम को विस्तार से अध्ययन किया जा चुका है। चित्र 1.9 द्वारा सांडियम (Na) एवं पोटैशियम (K) के अभिगमन को सान्द्रता प्रवणता के विपरीत ATP के जल के अपघटन द्वारा युग्मित (coupled ) होने के द्वारा दर्शाया गया है। अधिकतर कोशिकाओं में (Na’) की सान्द्रता कोशिका के भीतर बाहर की अपेक्षा अत्यन्त कम होती है जबकि पोटैशियम (K ‘ ) की सान्द्रता कोशिका के भीतर अधिक व बाहर अपेक्षाकृत कम पायी जाती है। कोशिका कला इन दोनों ही आयन्स हेतु सामान्य विसरण की विधि से प्रवेश करने हेतु समान अवरोध उत्पन्न करती है अत: इस सामान्य विसरण की विधि से इनका आदान-प्रदान नहीं होता। इसके लिये सक्रिय अभिगमन की विधि ही उपयोग में लायी जाती है।
सोडियम आयन के कोशिका से बाहर व पोटैशियम आयन के भीतर सक्रिय परिवहन कोशिका झिल्ली पर प्रोटीन वाहक Nat K+ ATPase उपस्थित होता है। इस प्रोटीन वाहक के भीतर सिरे (face) पर Na+ हेतु तथा बाह्य सिरे पर K’ हेतु बन्धन स्थल (binding site) होते हैं।
ATP की उपस्थिति में Nat व K + आयन प्रोटीन वाहक Nat K ATFase पर अपने-अपने बन्धन स्थल पर बन्धन बनाकर जुड़ जाते हैं। यह प्रोटीन वाहक एक एन्जाइम है जो ऊर्जा व्यय होने के साथ ही Nat को कोशिका से बाहर व K+ के कोशिका झिल्ली के भीतर पम्प कर देता है। इस . क्रिया के उपरान्त प्रोटीन एन्जाइम पुनः अपनी पूर्व स्थिति में प्राप्त हो जाता है। इस प्रोटीन एन्जाइम में संरूपीय (confromational) परिवर्तन आयनों के बन्धन बनाने, परिवहन करने व आयनों को मुक्त करने के दौरान होते हैं। संरूपीय परिवर्तन जो इस प्रोटीन एन्जाइम में होते हैं प्रोटीन के फास्फोलिकरण, विफॉस्फोलिकरण एवं ATP जल अपघटन के युग्मन क्रिया हेतु उपलब्ध ऊर्जा द्वारा पुन: सामान्य हो जाते है। यह क्रिया इस प्रकार की होती हैं कि जब एक ATP का अणु जल अपघटित होता है 3 सोडियम के आयन Na+ कोशिका झिल्ली से बाहर निकल जाते हैं तथा 2 पोटैशियम के आयन (K+) कोशिका में वाहक की सहायता से पम्प कर दिये जाते हैं।
इस क्रिया को निम्न बिन्दुओं द्वारा समझाया जा सकता है –
- तीन सोडियम आयन (3 Nat) व एक ATP का अणु वाहक प्रोटीन एन्जाइम Na+K+ ATPase पर अपने लिये उपस्थित निर्दिष्ट स्थलों (specific sites) पर संलग्न होते हैं व बन्धन बना लेते हैं। ATPase एन्जाइम की उपस्थिति ATP अणु का जल अपघटन होता है परिणामस्वरूप ADP व फास्फेट (P1) बनते हैं। फॉस्फेट (p) ATPase के साथ जुड़ जाता है व ADP निर्मुक्त होकर ATP-ADP चक्र में प्रवेश कर जाता है।
- फॉस्फेट के ATPase के साथ जुड़ने की क्रिया से ATPase का फॉस्फोलिकरण (phosphorylation) होता है जिसके फलस्वरूप इस एन्जाइम वाहक में संरूपीय परिवर्तन (confromational changes) हो जाते हैं।
- इन संरूपीय परिवर्तनों के परिणामस्वरूप Na+ जीवद्रव्य कला के बाहर स्थानान्तरित कर दिये। जाते हैं जो मुक्त हो जाते हैं।
- इस क्रिया के उपरान्त 2 पोटेशियम आयन (2K) एन्जाइम वाहक से संलग्न होते हैं ।।
आयनों के इससे संलग्न होते ही ATPase का विफॉस्फोलिकरण (dephosphorylation) होता है व फॉस्फेट निर्मुक्त होता है। इस क्रिया के फलस्वरूप एन्जाइम वाहक अपनी पूर्व वास्तविक संरूपीय स्थिति ( confromational state) में आ जाता है अतः 2K + कोशिका के भीतर स्थानान्तरित होकर मुक्त हो जाते हैं।
सक्रिय परिवहन पम्प क्रिया का उपयोग कोशिका कला के पार उच्च विद्युत रासायनिक विभव बनाये रखने में किया जाता है। इसके साथ ही ऊर्जा का स्रोत भी उपलब्धा हो जाता है जिसका उपयोग आयनों के परिवहन हेतु किया जाता है। कोशिका में एक पदार्थ के कोशिका झिल्ली से आर-पार अभिगमन हेतु एक से अधिक तन्त्र कार्यरत रहते हैं। उदाहरण के लिये ग्लूकोज, अमीनों अम्ल आदि का सक्रिय अभिगमन भी सोडियम व पोटैशिय पम्प के साथ ही होता है। इसे सह-परिवहन (co-transport) कहते हैं।
आन्त्र उपकला की कोशिकाओं में सह परिवहन की क्रिया सम्पन्न होती है। यह क्रिया उपकला कोशिकाओं द्वारा अवशोषण (absorption) के दौरान ग्लूकोज परिवहन के रूप में होती है। इन कोशिकाओं में सक्रिय अभिगमन की क्रिया द्वारा Na+ कोशिकाओं से रक्त में तथा K+ रक्त से उपकला कोशिकाओं में मुक्त किये जाते हैं। Nat-K+ पम्प क्रिया के परिणामस्वरूप आन्त्र उपकला कोशिकाओं में Nat की सान्द्रता कम जाती है । वैद्युत रासायनिक प्रवणता के द्वारा ग्लूकोज अणुओं का परिवहन सान्द्रता प्रवणता के विपरीत दिशा में होता है। यह Na + पर निर्भर (dependent) होता है। क्योंकि Na+ परिवहन के साथ ग्लूकोज अणु भी कोशिका में प्रवेश करते हैं। इन दोनों अर्थात् ग्लूकोज अणु व सोडियम आयन Na+ के अभिगमन हेतु एक ही प्रोटीन वाहक कार्यरत होता है, जो दोनों के अभिगमन हेतु वाहक का कार्य करता है । (चित्र 1.10 )
उपरोक्त क्रिया को निम्न 2 चरणों में विभक्त कर समझायी जा सकती है।
- सक्रिय अभिगमन द्वारा Na+ कोशिका से रक्त में प्रवेश करता है। इसमें ऊर्जा व्यय होती है। 2. उपरोक्त क्रिया के फलस्वरूप कोशिका में Nat की सान्द्रता कम हो जाती है। अल्प Nat सान्द्रता प्रवणता के परिणामस्वरूप Na+ बाहर से कोशिका में प्रवेश करते हैं। इनके साथ ही ग्लूकोज अणु भी कोशिका में प्रवेश करते हैं क्योंकि दोनों का वाहक एक ही है दोनों बाहर से भीतर आ रहे हैं अत: दिशा भी एक ही है किन्तु वाहक पर बन्धन स्थल अलग-अलग होते हैं।
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