JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन कैसे होता है , excretory products and their elimination in hindi

excretory products and their elimination in hindi उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन कैसे होता है ?

अन्य उत्सर्जी उत्पाद (Other execretory products)

उपरोक्त वर्णित तीनों उत्सर्जी पदार्थों के अतिरिक्त विभिन्न जन्तुओं में निम्न प्रकार के उत्पाद पदार्थ भी देखे जाते हैं :

अमीनों

उत्सर्जित नाइटोजन का लगभग 15% या अधिक भाग बनाते हैं। मनुष्य में मूत्र द्वारा प्रासादन ग (1) अमीनों अम्ल (Amino acids) : अनेक अकशेरूकियों (invertebrates) में 1.5 ग्रा. या अमीनो अम्ल उत्सर्जित किये जाते हैं। ऐसा माना गया है कि कुल मुत्रीय नाइट्रोजन के लगभग 12% भाग मूत्र के साथ स्वतंत्र अमीनों अम्लों के रूप में निष्कासित किया जाता है। कु विकारों की स्थितियों में मूत्र के साथ अनेक विशिष्ट प्रकार के अमीनों अम्लों का उत्सर्जन बढ़ ज

है। इनमें एल्केप्टोनयूरिया, सिस्टीनयूरिया, हीमोसिस्टीनयूरिया इत्यादि प्रमुख है।

(2) क्रिएटीन (Creatine ) : इसका रासायनिक नाम मिथाइलस गुएनीडीएसीटिक 98 प्रतिशत भाग रेखित पेशियों (striated muscles) में क्रिऐटीन फॉस्फेट के रूप में पाया जाता है। methyl gunanidoacetic acid) होता है। वयस्क में इसकी कुल मात्रा 90-120 ग्रा. होती है। आर्जिनीन (arginine), ग्लाइसीन (glycine) एवं मेथीओनीन (methoinine) अमीनो अम्लों द्वारा यह हृदय, वृषण, मस्तिष्क एवं गर्भाशय इत्यादि में भी पाया जाता है। क्रिएटीन का संश्लेषण होता है। क्रिएटीन सामान्यतया मूत्र में अनुपस्थित रहता है परन्तु इसे बच्चों, गर्भवती स्त्रियों एवं दुग्धारी स्त्रियों (lactating women) के मूत्र में देखा जा सकता है।

शरीर के ऊत्तकों में उपस्थित प्रोटीन के उपचयन (catabdism) होने पर मूत्र में क्रिएटीन को मात्रा बढ़ जाती है।

(3) क्रिएटिनिन (Creatinine) : यह क्रिएटीन निर्जलीकरण (dehydration) में प्राप्त पदार्थ होता है। शरीर में यह पेशियों में उपस्थित क्रिएस्टीन फॉस्फेट के टूटने से बनता है। सामान्यतया 100 मि.ली. रूधिर में लगभग 0.7-200 मि.ग्रा. क्रिएटिनिन होता है। रूधिर में सइकी मात्रा 20 कि.ग्रा. होने पर आविषालुता उत्पन्न होती है। इसका उत्सर्जनमूत्र के साथ किया जाता है। 24 घण्टे में एक सामान्य पुरूष 1-5.2.0 ग्रा. तथा स्त्री 0.8-1.5 ग्रा. किएटिनिन शरीर से बाहर निकालते हैं। क्रिएटिनिन का मूत्र में पाया जाना क्रिएटिनयूरिया (creatinurea) कहलाता है।

(4) अमीनों-अम्ल संयुग्मी (Amino acid conjugates ) : मूत्र के साथ उत्सर्जी नाइट्रोजन का  कुछ भाग अमीनों-अम्ल संयुग्मियों के रूप में होता है। भोजन में बहुत कम मात्रा में बेन्जोइक अम्ल (banzoic acid) उपस्थित होता है जो कि एक विषैला पदार्थ है। यह वसा उपापचय (fat metabolism) से भी बनता है। स्तनियों (mammals) में वह ग्लाइसिन अमीनो अम्ल से संयुग्मित होकर एक कम विषैला पदार्थ हिप्युरिक अम्ल (hippuric acid) बनता है। इसे बैन्जोग्लाइसीन (banzoglycine) भी कहते हैं। यह मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

पक्षियों (birds) में बैन्जोइक अम्ल का संयुग्मन ग्लाइंसीन के स्थान पर आर्निथीन (ornithine) से होता है। इस प्रकार आर्निध्यूरिक अम्ल ( ornithuric acid) का निर्माण होता है जो मूत्र के साथ बाहर निष्कासित कर दिया जाता है।

(5) ट्राइमिथाइल एमीन ऑक्साइड (Trimethyl amine oxide) : कुछ समुद्री अस्थिल मछलियों (marine teleost fishes) में नाइट्रोजन का अधिकांश भाग ट्राइमिथाइन एमीन ऑक्साइड के रूप में उत्सर्जित किया जाता है। यह एक घुलनशील विषहीन (non-toxic) पदार्थ होता है। यह कई लक्षणों में यूरिया के समान होता है। इसके जैव-संश्लेषण का पूर्ण ज्ञात नहीं है परन्तु ऐसा माना जाता है कि अमोनिया मिथाइलकृत (methylated) होकर ट्राइमिथाइल बनाती है जो अन्त में ऑक्सीकृत होकर ट्राइमिनथाइल एमीन ऑक्साइड में बदल जाता है।

(6) ग्वानिन (Guanine) : कुछ जन्तु जैसे मकड़ी (spider) में उत्सर्जी पदार्थ ग्वानिन के रूप में होता है। यह यूरिक अम्ल से मिलता-जुलता होता है। यह यूरिक अम्ल की अपेक्षा कम घुलनशील होता है। इस कारण इसके उत्सर्जन हेतु पानी की आवश्यकता नहीं होती है।

(7) मिनरल आयता (Mineral ions) : सामान्यत: मिनरल आयन्स अर्थात् खनिज लवणों का . निष्कासन भोजन के रूप में लिये जाने वाले पदार्थ पर निर्भर करता है। लवणीय आयन्स के रूप में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नशियम, क्लोराइड तथा अमोनिया इत्यादि उत्सर्जी उत्पादन माने गये हैं। इन आयनों का उत्सर्जन हॉरमोन द्वारा नियंत्रित होता है।

(8) हाइपोजेन्थीन (Hypoxanthine ) : यह कुछ पक्षी जैसे कबूतरों (pigeons ) में पाये जान वाला एक मुख्य उत्सर्जी पदार्थ है जो न्यूक्लिओटाइड उपापचय (nucleotide metabolism) के समय प्यूरिन्स (purines) के विघटन के फलस्वरूप बनता है।

के समय बनने वाला पदार्थ है। कुत्तों (doges) में यूरिक अम्ल, यूरीकंज (uricase) एन्जाइम की (9) एलेण्टोइन (Allantoin ) : यह स्तनधारियों में (प्राइमेट्स को छोड़कर) प्यूरिन्स उपापचय उपस्थिति में एलेण्टोइन में परिवर्तित हो जाता है।

कशेरूकियों का उत्सर्जी तंत्र (Exretory system of vertebrates)

सभी कशेरूकियों का उत्सर्जी तंत्र लगभग एक समान होता है। कशेरूकियों मे मुख्य उत्स अंग के रूप में एक जोड़ी वृक्क (kidneys) पाये जाते हैं। इनका निर्माण भ्रूण की मीजोड‍ (mesoderm) स्तर से होता है। वृक्क गहरे लाल रंग का तथा सेम के बी (bean shaped) का होता है। दाहिना वृक्क थोड़ा पीछे की ओर स्थित होता है क्योंकि उदर गुहा का दाहिना भाग यकृत के द्वारा घिरा रहता है।

प्रत्येक वृक्क का परिमाप 11 से 13 से.मी. लम्बाई 5 से 7.5 से.मी. चौडाई तथा 3.5 से.मी. मोटाई के रूप में होता है। प्रत्येक वृक्क का परिमाप लगभग 150 ग्रा. होता है। वृक्क का बाहरी भाग उत्तल (covex) तथा भीतरी भाग अवतल (concave) होता है। इसके मध्य भीतर की ओर एक छोटा गड्डा (pit) पाया जाता है। इसे हाइलम (hilum) कहते हैं। इससे रक्त वाहिनी (blood vessel) एवं तंत्रिका (nerve) वृक्क में प्रवेश करती है तथा मूत्र नलिका (ureter) एवं लसीका वाहिनी (lymph vesse बाहर निकलती है।

कशेरूकिया में वृक्क अपनी स्थिति (position) एवं विकास (evolution) के अनुसार निम्न 3 प्रकार के होते हैं :

(i) प्रोनेफ्रोस (Pronephros ) : यह सबसे सरलतम एवं आदिम (primitive) प्रकार की संरचना है जो वस्तुओं की भ्रूणीय अवस्था में पाई जाती है। यह वयस्क कशेरूकियों (ब्डेलोस्टोमा एवं सिक्सीन को छोड़कर) में अनुपस्थित रहती है।

(ii) मीनोनेफ्रोस (Mesonephros ) : यह सरीसृप पक्षी एवं स्तनि वर्ग के जन्तुओं की भ्रूणावस्था में पाई जाने वाली क्रियात्मक संरचना है। वयस्क कशेरूकियों में यह मुख्यतया पेट्रोसाइजोन (petromyzon), मछलियों (fishes) एवं एम्फीबिया ( amphibans) जन्तुओं में पाई जाती है।

(iii) मेटानेफ्रोस (Metanephros ) : यह सबसे अधिक विकसित प्रकार के वृक्क हैं जो वयस्क सरीसृप, पक्षी एवं स्तनि वर्ग के जन्तुओं में पाये जाते हैं। मनुष्य में उपस्थित वृक्क मेटानेफ्रोस प्रकार के होते हैं। प्रत्येक वृक्क के हाइलस से एक नलिका मूत्रवाहिनी (ureter) के रूप में निकलकर उदर गुहा में नीचे की ओर आती है। दोनों वृक्कों की मूत्रवाहिनियाँ उदर गुहा के पश्च भाग में स्थित एक थैली समान रचना में खुलती हैं जिसे मूत्राशय (urinary bladder) कहा जाता है। यह मूत्र को संग्रहित (store) रखने का कार्य करता है। मूत्राशय सर्पों (snakes), क्रोकोडाइलस मूत्राशय का पश्च सिरा संकरा होकर एक पतली नलिका में बदल जाता है। (crocodilus), ऐलीगेटर (alligator) एवं पक्षियों (शुतरमुर्ग के अतिरिक्त) में अनुपस्थित रहता नर जन्तु में यूरिया एक मूत्रोजनन छिद्र (urinogenital apperture) द्वारा बाहर की ओर खुलती है। यह छिद्र शिश्न (penis) के अग्र सिरे पर स्थित होता है। मादा प्राणी में यूरिया एक दरार (slit) रूपी छिद्र में खुलती है जिसे योनि छिद्र या वलवा (vulva) कहते हैं। यह रचना गुदा (anus) के ठीक नीचे तथा योनि छिद्र के ठीक ऊपर स्थित होती है।

वृक्क की औतिकी (Histology of kidney)

प्रत्येक वृक्क का समतितार्थी (sagittal) कांट का अध्ययन करने पर इसमें एक बाहरी प्रान्तस्थ या कार्टेक्स (cortex) भाग तथा एक आन्तरिक भाग अन्तस्थ या मेड्यूला (medulla) दिखाई देता है। कॉर्टेक्स तथा मेड्यूला से अनेक उभार (outgrowths) निकले रहते हैं जो एक दूसरे से धंसे रहते हैं। कार्टेक्स के उभारों को बर्टिनी के वृक्क स्तम्भ (renal columns of bertini) तथा मेड्यूला के उभारों को पिरैमिड्स (pyramids) कहा जाता है। खरगोश एवं कुछ अन्य जन्तु जैसे एकिडना (echidna), मार्कूपियल्स (marsupials), कीटोहारी रोडेन्ट्स ( insectivorous rodents) इत्यादि में मात्र एक ही पिरेमिड पाया जाता है। जबकि मनुष्य में इनकी संख्या 6-20 होती है। में मूत्रवाहिनी का वृक्क श्रोणि या रीनल पोल्यिस (renal pelvis) भाग भी अनेक शाखाओं में विभाजित रहता है। ये पुन: विभाजित होकर अनेक प्राथमिक (primary) एवं द्वितीयक (secondary) शाखाएँ बनाती है। प्रत्येक शाखा पिरैमिड के पैषीला (papilla) पर एक प्याले (cup) के समान लगी रहती है जिसे कैलिसैज (calyces) कहा जाता है। विभिन्न स्तनधारियों में कैलिसेज की संख्या अलग-अलग होती है। प्रत्येक कैलिसेज मूत्र को पिरैमिड से एकत्रित करके मेड्यूला के केन्द्रीय भाग में ले आती है जो मूत्रवाहिनी द्वारा वृक्क से बाहर निकाल दिया जाता है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

1 month ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

1 month ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

1 month ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

1 month ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now