JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: BiologyBiology

उत्सर्जी अंग क्या होते हैं ? Excretory organ in hindi उत्सर्जी अंग कौन-कौन है इनमें से कौन उत्सर्जी अंग नहीं है

उत्सर्जी अंग कौन-कौन है इनमें से कौन उत्सर्जी अंग नहीं है उत्सर्जी अंग क्या होते हैं ? Excretory organ in hindi ?

उत्सर्जन के तरीके

  1. ammonotelism : अमोनोटेलिकता नाइट्रोजनी अपशिष्ट मुख्यतः अमोनिया का उत्सर्जन है। यह बहुत विषैला होता और शीघ्रता से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। उदाहरण के लिए जलीय वर्टीब्रेट भी (teleost fishes) , coelenterates (sea anemones hydra) एनेलिड्स , कुछ क्रस्टेशियन , मोलस्का (सिफैलोपोड्स और पैलिसीपोड) और इकाइनोडर्म नाइट्रोजनी अपशिष्ट के रूप में अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं। अस्थिल मछलियाँ और पुच्छीय एम्फीबियन जैसे सैलामेंडर अमोनिया का उत्सर्जन करते हैं।
  2. युरियोटेलिकता : मुख्यतः नाइट्रोजनी अपशिष्ट के रूप में यूरिया का उत्सर्जन यूरियोटेलिकता कहलाता है। यकृत में अमोनिया और कार्बन डाइ ऑक्साइड के संयोजन से यूरिया बनता है। (अमोनिया से कम विषैला) यूरिया शरीर से बाहर उत्सर्जित कर दिया जाता है। उदाहरण – इलास्मोब्रैंक , एम्फीबियन और स्तनीय जलीय रेप्टाइल्स उदाहरण – एलिगेटर और समुद्री केकड़ा भी यूरियोटैलिक होते हैं।

यहाँ कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनमें एक जंतु एक स्थिति में अमोनोटेलिक होता है और दूसरी स्थिति में यूरियोटेलिक होता है उदाहरण फुफ्फुस मछली। यह कुछ जंतुओं के लिए सही है जो अपने जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न अपशिष्ट उत्सर्जित करते हैं। उदाहरण के लिए मेंढक का जलीय टेडपोल अमोनोटेलिक है परन्तु वयस्क मेंढ़क युरियोटेलिक है।

  1. यूरिकोटेलिकता :मुख्यतः नाइट्रोजनी अपशिष्ट के रूप में यूरिक अम्ल का उत्सर्जन यूरिकोटेलिकता कहलाता है। यह यूरिया और अमोनिया से बहुत कम विषैला होता है। यूरिक अम्ल जल में अघुलनशील होता है और यह लगभग ठोस अवस्था में उत्सर्जित किया जाता है। उदाहरण – इन्सेक्ट , कुछ स्थलीय क्रस्टेशियन , स्थलीय घोंघा , रेप्टाइल्स , लिजार्ड और पक्षी।
  2. अमीनोटेलिकता : कुछ इन्वर्टीब्रेट जैसे मोलस्कन (उदाहरण unio) और कुछ इकाइनोडर्म (उदाहरण – asterias) अधिक अमीनों अम्ल का उत्सर्जन करते है। ये जन्तु अमीनोटेलिक कहलाते है।

उत्सर्जी अंग

  1. प्रोटोजोअन्स – कोशिकीय जंतुओं में उत्सर्जन चारों तरफ के जल में कोशिका झिल्ली से केवल विसरण अथवा परासरण द्वारा होता है।
  2. स्पंज – स्पंजों का मुख्य उत्सर्जी उत्पाद अमोनिया है। यह विसरण द्वारा कोशिकाओं से जल में कैनाल तंत्र द्वारा त्याग दिया जाता है।
  3. सीलेन्ट्रेट : ये मुख्यतः सभी कोशिकाओं से अपशिष्ट पदार्थ अमोनिया विसरण द्वारा त्यागते हैं | उदाहरण – सीलेंटट्रोन में प्रवेश करने वाला जल अपशिष्ट पदार्थो के साथ गुहा से बाहर छोड़ दिया जाता है |
  4. चपटे कृमि : प्लेनेरिया , लीवर फ्लूक , फीता कृमि में अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए संकुचनशील सीलिया युक्त ज्वाला कोशिका (सोलेनोसाइट) पायी जाती हैं | ज्वाला कोशिका अपने चारों तरफ के अपशिष्ट पदार्थो को विसरण द्वारा प्राप्त करती है और उत्सर्जी नलिका द्वारा उन्हें बाहर छोड़ देती है | वास्तव में ज्वाला कोशिका शरीर का जलीय संघटन बनाये रखती है |
  5. गोलकृमि : गोलकृमियों में उत्सर्जन तंत्र में “H” आकृति की रेनेट कोशिका और सम्बन्धित लम्बवत कैनाल होती है जो उत्सर्जी छिद्र पर बाहर खुलती है |
  6. ऐनेलिड्स : एनेलिड्स में उत्सर्जी अंग कुंडलित नलिकाकार होते है जिन्हें नेफ्रेडिया कहते हैं | ये रक्त से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालते हैं तथा उन्हें gut अथवा नेफ्रीडियोपोर द्वारा शरीर से बाहर छोड़ देते हैं | कुछ नेफ्रीडिया नेफ्रोस्टोम द्वारा सीलोमीक द्रव्य से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालते हैं | केंचुएँ में क्लोरोगोजन कोशिका भी उत्सर्जन के लिए होती है | जोंक में विशिष्ट बोट्राइडल ऊतक उपस्थित होते हैं जो कि प्रकृति में उत्सर्जी माने जाते हैं |
  7. ऑर्थोपोड:

(i) इन्सेक्ट , सेंटीपिड्स और मिलीपिड्स | इनमें अनेक मैलीपीघी नलिका होती है | जो कि हीमोलिम्फ में तैरती रहती है और अमाशय (gut) में खुलती है | ये मैल्पिघी नलिका हीमोलिम्फ में उत्सर्जी पदार्थ बाहर निकालती है |

(ii) क्रस्टेशियन : प्रोन (prawn)में एक जोड़ी एन्टीनरी अथवा ग्रीन ग्रंथि और रीनल सैक उत्सर्जन और परासरण नियमन के लिए होता है | ग्रीन ग्रंथि एंटिनी के आधार पर स्थित होती है और बाहर खुलती है | क्रस्टेशियन के उत्सर्जी अंग एक जोड़ी एन्टीनरी ग्रंथि , एक जोड़ी पाशर्व नलिका और एक रीनल सैक होता है |

(iii) बिच्छु और मकड़ी : इनमें उत्सर्जन के लिए कोक्सल ग्रंथि होती है |

  1. मोलस्क : मोलस्का में मेंटल गुहा में अपशिष्ट पदार्थ मुक्त करने के लिए 1 और 2 जोड़ी वृक्क पाए जाते हैं | युनियों में केबर्स अंग और बोजेनस के अंग उत्सर्जन के लिए होते हैं |
  2. इकाइनोडर्मस : इन जंतुओं उदारण – तारा मछली में उत्सर्जी अंग अनुपस्थित होते है | ये क्लोम की पतली सतह और नाल पाद से विसरण द्वारा उत्सर्जन करते हैं |
  3. मानव और अन्य वर्टीब्रेट में , वृक्क मुख्य उत्सर्जी अंग है | ये प्राथमिक उत्सर्जी अंग भी कहलाते हैं | ये नाइट्रोजनी उपापचयी अपशिष्ट पदार्थो को उत्सर्जित करते हैं | वृक्क के अतिरिक्त कुछ अन्य अंग जैसे – यकृत , आंत्र और त्वचा भी इनके सामान्य कार्यों के अतिरिक्त उपापचयी अपशिष्टों को बाहर निकालते हैं | ये आवश्यक अथवा अतिरिक्त उत्सर्जी अंग कहे जाते हैं |

(i) यकृत – यह कोलेस्ट्रोल , पित्त लवण और अन्य लवणों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण है जो कि अन्त में मल के साथ आंत्र द्वारा उत्सर्जित कर दिए जाते हैं |

(ii) अध्यावरणि – यह स्वेद ग्रंथियों द्वारा यूरिया के उत्सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं |

(iii) एक जोड़ी फेफड़े जो ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड की सान्द्रता बनाये रखते हैं |

(iv) वृक्क जो कि शरीर द्रव्य का रासायनिक संगठन बनाये रखते हैं | ये नाइट्रोजनी अपशिष्ट , अधिक पानी , लवण और अन्य अधिकता वाले पदार्थो को बाहर निकालते हैं | वृक्क विभिन्न प्रकार के होते हैं –

(a)  आर्कीनेफ्रिक वृक्क – ये पूर्वज वृक्क भी कहलाते हैं | इस प्रकार के वृक्क कुछ साइक्लोस्टोम (myxine)के लार्वा में पाए जाते हैं लेकिन किसी वयस्क वर्टीब्रेट में उपस्थित नहीं होते | ग्लोमेरूलाई कुछ पश्च नलिकाओं में उपस्थित होती है | ग्लोमेरूलाई बाह्य (केप्सूल रहित) होती हैं |

(b)  प्रोनेफ्रिक वृक्क : यह साइक्लोस्टोम , मछली और एम्फीबियन में भ्रूणीय क्रियाशील वृक्क के रूप में प्रकट होती है | यह रेप्टाइल , पक्षी और मैमल्स की भ्रूणीय अवस्था में अक्रियाशील होती हैं | यह वयस्क साइक्लोस्टोम और कुछ अस्थिल मछलियों में सम्पूर्ण जीवन उपस्थित रहती है | प्रत्येक नलिका में एक बाह्य ग्लोमेरूलस होता है | कुछ स्थितियों में ग्लोमेरूलाई संयुक्त होकर एकल संयुक्त ग्लोमेरुलस बनाती हैं जिसे glomus कहते हैं |

(c)  मीजोनेफ्रिक वृक्क : इन्हें मध्यम वृक्क भी कहते हैं | लैम्प रे में , अधिकांश वयस्क मछली और एम्फीबियन में मीजोनेफ्रिक वृक्क भ्रूणीय अवस्था और वयस्कावस्था दोनों में क्रियाशील होती हैं | रेप्टाइल्स , पक्षी और मैमल्स में यह भ्रूण में क्रियाशील होती है और वयस्क में मेटानेफ्रिक वृक्क द्वारा प्रतिस्थापित हो जाती है | यह बड़ी संख्या में नलिकाओं से बनी होती हैं जो कि आंतरिक ग्लोमेरूलाई विकसित करती है और केप्सूल में बंद होती है | शार्क और सिसिलियन्स (limbless amphibians)में नलिकाएं पश्च रूप में सीलोम की लम्बाई के साथ फैली होती है | इस प्रकार के वृक्क opisthonephric kidney कहलाती है |

(d)  मेटानेफ्रिक वृक्क : इन्हें पश्च वृक्क भी कहते हैं | नेफ्रोन बड़ी संख्या में होते हैं | ग्लोमेरूलाई अच्छी तरह विकसित होती है | मेटानेफ्रिक वृक्क वयस्क एम्निओट (रेप्टाइल्स , पक्षी और स्तनी) में पाए जाते हैं |

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

23 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

23 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now