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उत्सर्जी पदार्थ क्या है ? प्रोटोजोआ उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन कैसे करता है excretion of waste products in hindi
excretion of waste products in hindi उत्सर्जी पदार्थ क्या है ? प्रोटोजोआ उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन कैसे करता है ?
उत्सर्जी उत्पाद – सभी सजीवों के शरीर में विभिन्न प्रकार की रासायनिक क्रियाएँ हर समय चलती रहती है और इन क्रियाओं के फलस्वरूप शरीर में विभिन्न प्रकार के विषैले और जहरीले पदार्थ बनते रहते है इन्हें शरीर से बाहर निकालना अति आवश्यक होता है अन्यथा ये शरीर को हानि पहुंचाते है , उन्हें उत्सर्जी पदार्थ कहते हैं |
जंतुओं (सजीवों) में उत्सर्जी पदार्थो में शामिल हैं –
1. कार्बन डाइ ऑक्साइड
2. नाइट्रोजनी अपशिष्ट
3. अधिक जल
4. वर्णक
5. अधिक अकार्बनिक लवण
1. कार्बन डाइ ऑक्साइड : यह शरीर में नियमित बनती रहती है और वर्टीब्रेट में श्वसन अंगों द्वारा शरीर से बाहर निकलती रहती है। छोटे जंतुओं में यह शरीर सतह से विसरण द्वारा निकाली जाती है।
2. नाइट्रोजनी अपशिष्ट : प्रोटीन शरीर में विभिन्न एमीनों एसिड द्वारा नाइट्रोजन के प्रवेश का प्रमुख स्रोत है। शरीर के अन्दर प्रोटीन के उपापचय से विभिन्न नाइट्रोजनी पदार्थ जैसे अमोनिया , यूरिया , यूरिक अम्ल आदि बनते है। नाइट्रोजन , मुक्त नाइट्रोजन के रूप में उत्सर्जित नहीं होता। अमोनिया , यूरिया और यूरिक अम्ल के अतिरिक्त अन्य नाइट्रोजनी अपशिष्ट हैं। गुआनिन , जेंथिन और हाइपोजैन्थीन , ट्राइमिथाइल एमीन ऑक्साइड , क्रिएटिनिन , हिप्यूरिक अम्ल और आर्निथ्युरिक अम्ल।
अमोनिया – यह तीव्र विषैला है और यह शीघ्रता से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। यह जल में घुलनशील है। यह सरल विसरण की प्रक्रिया द्वारा तीव्रता से निकाल दिया जाता है। अमोनिया मुख्यतः यकृत में ऑक्सीडेटिव डी-एमीनेशन की प्रक्रिया द्वारा बनता है। यह यकृत में तेजी से यूरिया में परिवर्तित हो जाता है और तब उत्सर्जित कर दिया जाता है। यह किटों एसिड के एमिनिकरण में भी बाहर निकाला जा सकता है।
यूरिया – स्तनियों में , अमोनिया यकृत में कम विषैले पदार्थ यूरिया में परिवर्तित हो जाता है। यूरिया जल में तीव्र घुलनशील है और मूत्र के रूप में शरीर से उत्सर्जित कर दिया जाता है।
यूरिक अम्ल : इन्सेक्ट , रेप्टाइल्स तथा पक्षियों में अमोनिया से यूरिक अम्ल बनता है। यह अमोनिया से कम विषैला और जल में अघुलनशील है। इन स्तनियों में यूरिक अम्ल का निर्माण जल संरक्षण का अनुकूलन है। यह जल की बहुत कम मात्रा के साथ उत्सर्जित किया जाता है।
कुछ प्राणी अन्य नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों को उत्सर्जित करते हैं। उदाहरण के लिए मकड़ी गुएनिन उत्सर्जित करती है। कुछ इन्सेक्टो में जैन्थीन और हाइपोजैन्थीन उत्सर्जित किया जाता है। समुद्री टिलीओस्ट (मछली) ट्राइमिथाइल एमीन ऑक्साइड उत्सर्जित करती है। भ्रूण द्वारा एलेन्टोइन का उत्सर्जन किया जाता है।
osmoconformers and osmoregulators
आसपास के वातावरण माध्यम से शरीर के आंतरिक परासरण दाब का समायोजन अथवा तालमेल परासरण नियंत्रण कहलाता है।
osmoconformers वे प्राणी हैं जो सक्रीय रूप से अपने शरीर द्रव्य की परासरणी स्थिति को नियंत्रित नहीं करते। ये अपने परिवेशी माध्यम के अनुसार शरीर द्रव्य की परासरणता परिवर्तित कर लेते हैं। सभी समुद्री इनवर्टीब्रेट और कुछ स्वच्छ जलीय इनवर्टीब्रेट strict osmoconformers होते हैं। केवल एक वर्टीब्रेट हैगफिश osmoconformer होती है। osmoconformer एक बड़े स्तर पर कोशिकीय परासरणी वातावरण को सहन करने की क्षमता दर्शाती हैं।
परासरण नियंत्रक , दुसरे शब्दों में वे प्राणी हैं जो आंतरिक परासरणता बनाये रखते हैं और जिस माध्यम में वे रहते हैं उस माध्यम से भिन्न होते हैं। बहुत से जलीय इनवर्टीब्रेट सिमित परासरण नियंत्रक होते हैं। अधिकांश वर्टीब्रेट मूल रूप से परासरण नियंत्रक होते हैं।
ये एक सिमित परासरणीय सीमा में शरीर द्रव्य का संगठन बनाये रखते हैं। अपवाद – (Myxine लवणीय साइक्लोस्टोम फिश) और इलास्मोब्रेंक (शार्क और रे)
परासरण नियमनकारी यदि ये कम परासरणी माध्यम में है तो अधिक पानी का बहिष्करण कर देते हैं और यदि ये अतिपरासरणी विलयन में हैं तो ये जलहानि की आपूर्ति के लिए लगातार पानी लेते रहते हैं। इस प्रकार परासरण नियमनकारी जल के अन्दर और बाहर गति करने के लिए ऊर्जा खर्च करते हैं और शरीर द्रव्य में विलेय की सांद्रता के द्वारा परासरण विभव बनाये रखते हैं।
स्वच्छ जलीय वातावरण में जल और विलेय विलयन
स्वच्छ जल की परासरणता सामान्यतया 50 m Osm L-1 से काफी कम होती है जबकि स्वच्छ जलीय वर्टीब्रेट में रक्त परासरणता 200 से 300 m Osm L-1 होती है। स्वच्छ जलीय जीवों का शरीर द्रव्य सामान्यतया उनके आसपास के वातावरण से कम परासरणी होता है।
प्रोटोजोआ (अमीबा , पैरामिशियम) में संकुचनशील रिक्तिका होती है जो कि अधिक पानी को बाहर पम्प कर देती है। बहुत से अन्य प्राणी भी बड़ी मात्रा में तनु मूत्र के उत्सर्जन द्वारा शरीर से जल का बहिष्करण करते हैं।
समुद्री वातावरण में जल और विलेय विलयन
समुद्री जल की परासरणता सामान्यतया 1000 m Osm L-1 होती है। मानव रक्त की परासरणता लगभग 300 m Osm L-1 होती है। समुद्री अस्थिल मछली में शरीर द्रव्य समुद्री जल से कम परासरणी होता है। जिसके कारण इनके शरीर से जल की हानि होती रहती है। जल हानि की आपूर्ति के लिए समुद्री अस्थिल मछली समुद्री पानी पीती है। हालाँकि समुद्री पानी पीने से अधिक लवण प्राप्त होते हैं। समुद्री अस्थिल मछली की क्लोम झिल्ली की आयनोसाइट अथवा क्लोराइड कोशिका शरीर द्रव्य से एकलसंयोजी आयनों को समुद्री जल में बहिष्करण में सहायक होती है।
सामान्यतया समुद्री इनवर्टीब्रेट एसिडियन और हैगफिश का शरीर द्रव्य , समुद्री जल के समपरासरी होता है। शरीर द्रव्य की परासरणता कुछ कार्बनिक पदार्थो (osmolytes) के इक्कट्ठे होने से बढती है। शरीर में ओस्मोलाइट्स की उपस्थिति परासरण नियमनकारी परिवर्तनों को कम कर देती है। इस प्रकार के कार्बनिक ओस्मोलाइट्स का उत्तम उदाहरण यूरिया और ट्राइमिथाइल एमीन ऑक्साइड है। शार्क और सिलोकेन्थ का शरीर द्रव्य यूरिया , TMAO की उपस्थिति के कारण समुद्री जल से हल्का सा अधिक परासरणी होता है। जबकि समुद्री जल से hypotonic होता है क्योंकि ये शरीर द्रव्य में अकार्बनिक आयन्स की निम्न सांद्रता बनाये रखते हैं।
स्थलीय वातावरण में जल और विलेय नियमन
- उदाहरण के लिए मानव यदि शरीर जल का 12 प्रतिशत द्रव्य खो देता है तो वह मर जायेगा इसलिए जल हानि की पूर्ति को जल पीकर और नम भोजन खाकर पूरा करना चाहिए।
- रेगिस्तानी स्तनी कम जल हानि के लिए अच्छी तरह अनुकूलित है। कंगारू , चूहा , उदाहरण के लिए इतनी कम जल हानि करता है कि वह 90% हानि की आपूर्ति उपापचयी जल के उपयोग से कर सकता है। (जल विभिन्न उपापचयी क्रियाओं से उत्पन्न होता है। ) श्वसनी नमी के संग्रह के लिए nasal countercurrent क्रियाविधि बहुत महत्वपूर्ण है।
- ऊंट – जब पानी उपलब्ध नहीं होता है तो ऊंट मूत्र निर्माण नहीं करता लेकिन यूरिया ऊत्तकों ने संग्रहित कर लेता है और उपापचयी जल पर निर्भर रहता है। जब पानी उपलब्ध होता है तो यह स्वयं को 10 मिनट में 80 लीटर तक पानी पीकर पुनः हाइड्रेट कर लेता है।
शरीर से उपापचयी व्यर्थ का बाहर निकालना उत्सर्जन है। अपचित भोजन का बाहर निकलना defaecation या egestion कहलाता है। कार्बन डाइ ऑक्साइड और जल कार्बोहाइड्रेट और वसा उपापचय के उपापचयी व्यर्थ पदार्थ है। इन्हें उत्सर्जन द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
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