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उत्तेजित अवस्था की परिभाषा , मूल अवस्था परिभाषा , excited state and ground state of atom in hindi
excited state and ground state of atom in hindi , परमाणु की उत्तेजित अवस्था की परिभाषा , मूल अवस्था परिभाषा किसे कहते है ?
कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ (some important definitions in physics) :
1. मूल अवस्था (ground state) : परमाणु की वह अवस्था जिसमे परमाणु का प्रत्येक इलेक्ट्रॉन अपनी न्यूनतम ऊर्जा स्तर में विद्यमान रहे , परमाणु की मूल अवस्था कहलाती है।
2. उत्तेजित अवस्था (excited state) : परमाणु की वह अवस्था जिसमे उसका कोई भी एक इलेक्ट्रॉन या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन अपनी न्यूनतम ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में स्थानांतरित हो जाता है तो इसे परमाणु की उत्तेजित अवस्था कहते है।
3. आयनन ऊर्जा (ionization energy) : किसी परमाणु को दी गयी वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे ग्रहण करके परमाणु का इलेक्ट्रोन हमेशा के लिए अपनी कक्षा को छोड़ दे तो इस दी गयी न्यूनतम ऊर्जा को ही आयनन ऊर्जा कहते है।
4. उत्तेजन ऊर्जा (excited energy): किसी परमाणु को दी गई वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे ग्रहण करके परमाणु का कोई भी एक इलेक्ट्रोन अपनी न्यूनतम उर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में स्थानांतरित हो जाता है तो इस दी गई न्यूनतम ऊर्जा को ही उत्तेजन ऊर्जा कहते है।
5. आयनन विभव (ionization potential) : वह न्यूनतम त्वरक विभव जिस पर त्वरित गति करता हुआ कोई बाह्य इलेक्ट्रॉन इतनी ऊर्जा ग्रहण कर ले कि जब वह किसी परमाणु से टकरायें तो उसे आयनित कर दे , आयनन विभव कहलाता है।
6. उत्तेजन विभव (excited potential) : वह न्यूनतम त्वरक विभव जिस पर त्वरित गति करता हुआ कोई बाह्य इलेक्ट्रोन इतनी ऊर्जा ग्रहण कर ले कि जब वह किसी परमाणु से टकराएँ तो उसे उत्तेजित कर दे , उत्तेजन विभव कहलाता है।
डी ब्रोग्ली द्वारा बोर की द्वितीय परिकल्पना की व्याख्या (de broglie explanation of bohr’s second postulate of quantisation)
बोर की द्वितीय परिकल्पना के अनुसार परमाणु में इलेक्ट्रोन नाभिक के चारों ओर केवल उन्ही स्थाई वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते है , जिनके लिए कोणीय संवेग का मान h/2π का पूर्ण गुणज हो अर्थात –
mvr = nh/2π
डी ब्रोग्ली की द्रव्य तरंग परिकल्पना के अनुसार गतिशील द्रव्य कण तरंग की भांति व्यवहार करता है।
जब इलेक्ट्रोन वृत्ताकार कक्षा में गति करता है तो तरंग की भांति गति करता हुआ अप्रगामी तरंगो का निर्माण करता है।
वृत्ताकार कक्षा में अप्रगामी तरंगो के निर्माण के लिए यह शर्त आवश्यक है कि वृताकार कक्षा की परिधि तरंग की तरंग दैर्ध्य की पूर्ण गुणज के बराबर होनी चाहिए।
अर्थात
2πr = nh समीकरण-1
डी ब्रोग्ली तरंग दैर्ध्य λ = h/p = h/mv समीकरण-2
समीकरण-2 का मान समीकरण 1 में रखने पर –
2πr = -nh/mv
mvr = nh/2π
यही बोर की द्वितीय परिकल्पना है।
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