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endoplasmic reticulum in hindi , अंतः प्रद्रव्यी जालिका किसे कहते हैं , संरचना क्या है , कार्य बताइए

पढ़िए endoplasmic reticulum in hindi , अंतः प्रद्रव्यी जालिका किसे कहते हैं , संरचना क्या है , कार्य बताइए ?

अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum)

सर्वप्रथम पोर्टर, क्लॉडे तथा उनके साथियों (Porter, Claude & coworkers, 1945) ने इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा यूकैरिओटिक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में फीते के समान नलिकाओं, पटलिकाओं तथा पुटिकाओं से बने तंत्र का अध्ययन किया। बाद में पोर्टर तथा कालमैन ( Porter & Kallman. 1952) ने इस तंत्र का नाम अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum) रखा। सन् 1954 में पोर्टर तथा पैलेडे ने अपने अध्ययनों द्वारा प्रमाणित किया कि अन्तः प्रद्रव्यी जालिका एक जटिल संरचना है जिसमें विभिन्न आकृति तथा परिमाप की रिक्तिकाएँ दोहरी झिल्ली से घिरी रहती हैं । यह तंत्र कोशिका द्रव्य में जाल के रूप में बिखरा रहता है। यह एक सतत् (continuous) तंत्र है, जो एक तरफ प्लाज्मा कला (Plasma membrane) तथा दूसरी तरफ केन्द्रक आवरण ( nuclear envelope) से जुड़ा रहता है।

यूकैरिओट्स में केवल लाल रक्त कणिकाओं, अण्ड तथा भ्रूणीय कोशिकाओं के अतिरिक्त सभी में अन्त: प्रद्रव्यी जालिका सुविकसित होती है। प्रोकैरिओटिक कोशिकाओं में इसका अभाव होता है। किन्तु वे कोशिकाएँ जो प्रोटीन संश्लेषण लिपिड उपापचय के लिए सक्रिय होती है, उनमें अन्तः प्रद्रव्यी जालिका अधिक विकसित एवम् सुसंगठित होती है। जिन कोशिकाओं में पोषण की कमी होती है उनमें यह तंत्र अनुपस्थित होता है ।

अन्त: प्रद्रव्यी जालिका के प्रकार (Types of Endoplasmic reticulum ) —— अधिकतर कोशिकाओं में अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की सतह पर राइबोसोम्स की उपस्थिति तथा अनुपस्थिति के आधार पर इस कोशिकांग को अग्रलिखित दो प्रकारों में बाँटा गया है

(1) कणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Granular or Rough Endoplasmic reticulum- RER) इस प्रकार की अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की सतह पर राइबोसोम्स पाये जाते हैं। इसलिए यह खुरदरे प्रकार का भी कहलाता है। इस प्रकार की जालिका पट्टिका रूपी चपटी सिस्टर्नी से बनी होती है, जिनकी चौड़ाई 400 से 500 A होती है । कणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका उन कोशिकाओं में अधिक पायी जाती हैं जिनमें प्रोटीन ( एन्जाइम ) का संश्लेषण होता है इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की ग्रन्थि कोशिकाओं में भी इस प्रकार की अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की झिल्लियाँ अकणिकामय (agranular) अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की झिल्लियों से संयुक्त रहती है।

(2) अकणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Agranular or Smooth Endoplasmic Reticulum—SER) इस प्रकार की अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की सतह चिकनी होती है, इसकी झिल्ली पर राइबोसोम्स अनुपस्थित होते हैं । इस प्रकार का जाल नलिकाओं से मिलकर बना होता है। इन नलिकाओं का व्यास 500 से 1000 तक होता है। ये नलिकाएँ आपस में जुड़कर अनियमित आकार के रिक्त स्थानों को घेरे रहती हैं तथा जाल बनाती हैं । इस प्रकार की जालिका सामान्यतः उन कोशिकाओं में अधिक पायी जाती है, जो विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को सम्पन्न करती हैं तथा विभिन्न पदार्थों के संश्लेषण में सक्रियता से हिस्सा लेती हैं, जैसे-स्टीरॉइड्स (steroids) या लिपिड्स (lipids) का संश्लेषण करने वाली कोशिकाएँ कार्बोहाइड्रेट्स के उपापचय से सम्बन्धित कोशिकाएँ, माँसपेशियों की कोशिकाएँ तथा वर्णक उत्पन्न करने वाली कोशिकाएँ आदि ।

अकणिकामय (Agranular) तथा कणिकामय (granular) अन्तः प्रद्रव्यी जालिका में अन्तर

अकणिकामय अथवा चिकनी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (Smooth ER)कणिकामय अथवा खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Rough ER)
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चिकनी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की सतह पर राइबोसोम्स का अभाव होता है ।

यह अधिकतर नलिकाकार ( tubular form) होती है। इसे बनाने वाली नलियों का व्यास 500-1000 A होता ह

इस प्रकार की अन्त प्रद्रव्यी जालिका सामान्यतः उन कोशिकाओं में पायी जाती है जिनमें स्टीरॉइड्स (Steroids) या लिपिड्स (lipids) का संश्लेषण, कार्बोहाइड्रेट्स का उपापचय, वर्णक आदि का निर्माण हो रहा होता है ।

यह कम स्थायी होती है तथा स्वयं अपघटनी क्रिया दर्शाती है। कोशिका की मृत्यु के पश्चात् बहुत कम कुछ समय तक सक्रिय रहती है । के पश्चात् भी कुछ समय तक सक्रिय रहती है।

इसकी सतह पर राइबोसोम्स उपस्थित होते हैं अतः इसकी सतह खुरदरी होती है।

यह चपटी तश्तरीनुमा (Plate like ) सिस्टर्नी होती है अतः इसकी सतह खुरदरी होती है ।

इस प्रकार की ER अधिकतर उन कोशिकाओं में पायी जाती है। जिनमें प्रोटीन्स तथा एन्जाइम्स का संश्लेषण हो रहा हो ।

यह चिकनी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की अपेक्षा अधिक स्थायी होती है । यह कोशिका की मृत्यु पश्चात् भी कुछ समय तक सक्रिय रहती है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की संरचना (Structure of Endoplasmic reticulum) — अन्त: प्रद्रव्यी जालिका दोहरी कला से बनी ऐसी जटिल व्यवस्था है जिसमें अनियमित आकार के रिक्त स्थान दोहरी कला द्वारा घिरे रहते है जिनकी आन्तरिक व बाहरी तरफ होती है । यह जालिका अग्रलिखित तीन प्रकार की संरचनाओं से मिलकर बनी होती है (चित्र 2.27 ) ।

(1) सिस्टर्नी (Cisternae ) — ये लम्बी, चपटी, थैलीनुमा व अशाखित नलिकाएँ होती हैं ये प्राय: समानान्तर पंक्तियों में व्यवस्थित रहती हैं तथा बंडल (Bundle) बनाती हैं, जैसे- पेन्क्रियाज की कोशिकाओं में केन्द्रक के चारों ओर पायी जाने वाली परतें । प्रत्येक सिस्टर्नी 40-50 Μμ मोटी होती है। इसकी सतह पर राइबोसोम्स पाये जाते हैं ।

(2) पुटिकाएँ (Vesicles)—ये प्राय: गोलाकार (spherical) या अण्डाकार ( ovoidal) थैलीनुमा संरचनाएँ होती हैं । इनका व्यास लगभग 25 से 500 m होता है। ये इकाई कला द्वारा आबद्ध रहती हैं तथा ये कोशिका द्रव्य में अलग से पड़ी रहती हैं । ये प्रोटीन संश्लेषण करने वाली कोशिकाओं में अधिक पायी जाती हैं। जैसे- पेन्क्रियाज की कोशिकाओं में ।

(3) नलिकाएँ (Tubules) – ये चिकनी भित्ति वाली, अनियमित रूप से शाखित नलिकाकार संरचनाएँ होती हैं इनका व्यास लगभग 50-100 m ́ होता है। ये संरचनाएँ उन कोशिकाओं में अधिक पायी जाती हैं जिनमें स्टीरॉइड्स, कुछ हार्मोन्स (hormones) तथा विटामिन्स (Vit. A) आदि का संश्लेषण पूर्ण सक्रियता से होता रहता है । ये कोशिका द्रव्य में अनियमित रूप से व्यवस्थित रहती हैं।

अन्तःप्रद्रव्यी जालिका की अतिसूक्ष्म संरचना (Ultra structure of Endoplasmic reticulum)—अन्त:प्रद्रव्यी जालिका को बनाने वाली तीनों प्रकार की संरचनाएँ एक पतली झिल्ली द्वारा आबद्ध रहती हैं । इस झिल्ली की मोटाई 50 से 60 Å होती है । यह झिल्ली भी प्लाज्मा झिल्ली के समान, संरचना में त्रिस्तरीय (three layered) होती है, जिसमें बाहरी व आन्तरिक स्तर घना, प्रोटीन अणुओं से मिलकर बना होता है तथा मध्य पतला, पारदर्शी स्तर फॉस्फोलिपिड्स का बना होता है । अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की झिल्ली, केन्द्रक झिल्ली तथा गाल्जी सम्मिश्र की झिल्ली से सतत् सम्बन्ध बनाए रखती हैं । इस जालिका की अवकाशिकाएँ स्रावी पदार्थों के लिए संचय व गमन स्थल होते हैं । इनमें पाया जाने वाला द्रव विभिन्न सघनता का होता है ।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका का रासायनिक संघटन (Chemical composition of Endoplasmic reticulum)– -अन्तः प्रद्रव्यी जालिका को बनाने वाली झिल्ली में मुख्य रूप से लिपिड ( 30 से 50% ), प्रोटीन (40 से 60%) तथा कुछ मात्रा में RNA पाया जाता है । लिपिड फास्फोलिपिड के रूप में पाया जाता है। जिसमें 50 से 60% लेसीथीन पाया जाता है तथा सिफेलीन भी पर्याप्त मात्रा में उपस्थित रहता है। इसके अलावा कॉलेस्ट्रॉल एस्टर भी पाये जाते हैं । अकणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका में प्रोटीन की अपेक्षा लिपिड अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कई महत्त्वपूर्ण पदार्थों के संश्लेषण के स्थल हैं ।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका में पाये जाने वाले एन्जाइम (Enzymes of Endoplasmic reticulum)—अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की झिल्ली पर पाये जाने वाले मुख्य एन्जाइम निम्नलिखित हैं-

(1) एन.ए.डी.एच.-साइटोक्रोम C – रिडक्टेज (फ्लेवोप्रोटीन) (NADH-cytochrome-C- Reductase)

(2) एन.ए.डी.एच. – डाइ आफोरेज (NADH-Diaphorase)

(3) ग्लूकोज-6-फॉस्फेटेज (Glucose-6-Phosphatase)

(4) Mg + एक्टीवेटेड एटीपेज (Mg+ activated AT Pase)

(5) न्यूक्लिओटाइड डाइ फॉस्फेट (Nucleotide di Phosphate)

(6) साइटोक्रोम bs तथा p- 450 (Cytochrome bs and P-450)

(7) स्टीअरेजेज (Stearases)

जालिका झिल्ली की अन्दर वाली सतह पर पाये जाने वाले एन्जाइम-

(1) पेप्टाइडेजेज (Peptidases) – ये पॉली पेप्टाइड श्रृंखला के हिस्से को हटा सकते हैं।

(2) हाइड्रोलेजेज तथा ट्रॉसफरेजेज (Hydrolases and Transferases) ग्लूकोज – 6- फास्फेटेज मुख्य रूप से SER में पाया जाता है। यह ग्लाइकोजन को तोड़ता है तथा ग्लूकोज को अन द्रव्यी जालिकाओं की अवकाशिका में भेजता है। इसके अलावा उपरोक्त विभिन्न एन्जाइम्स विभिन्न पदार्थों के संश्लेषण व उपापचयी क्रियाओं में भाग लेते हैं।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका का उद्भव (Origin of Endoplasmic reticulum) ऐसा माना जाता है कि अन्त: प्रद्रव्यी जालिका का उद्भव निम्न में से किसी प्रकार से हो सकता है।

(1) केन्द्रक आवरण द्वारा (From nuclear envelop ) — क्योंकि अन्त: प्रद्रव्यी जालिका को बनाने वाली झिल्ली की संरचना केन्द्रक झिल्ली की संरचना से समानता रखती है। इसके अतिरिक्त ऐसा भी देखा गया है कि अन्तावस्था (telophase) में केन्द्रक झिल्ली का निर्माण MER की कलाओं से होता है । अतः अन्तः प्रद्रव्यी जालिका केन्द्रक झिल्ली के बाह्यवलन (evagination) से बनती है।

(2) प्लाज्मा कला द्वारा (From plasma membrane ) —— जैसा कि ज्ञात है कि अन्तः प्रद्रव्यी जालिका को बनाने वाली नलिकाएँ कई स्थानों पर प्लाज्मा झिल्ली से जुड़ी रहती हैं । अतः ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अन्तः प्रद्रव्यी जालिका प्लाज्मा झिल्ली के अन्तर्वलन (invagination) से बनी है।

(3) स्वतः नवउद्भव (Denove-a new origin) — कुछ कोशिका वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि अन्तः प्रद्रव्यी जालिका का उद्भव कोशिकाद्रव्यी मैट्रिक्स से नयी झिल्लियों के बनने से होता है । लेकिन कुछ वैज्ञानिक [ Leskes et al. (1971) and Eytan and Ohad (1972)] अन्त: प्रद्रव्यी जालिका के इस प्रकार के उद्भव को नहीं मानते हैं। उनके अनुसार नयी कोशिकाओं में अन्तः प्रद्रव्यी जालिका का उद्भव जालिका का उद्भव पहले से उपस्थित झिल्लियों के विस्तारण (Expansion) से होता है ।

अन्त: प्रद्रव्यी जालिका के कार्य (Functions of Endoplasmic reticulum) — अन्त: प्रद्रव्यी जालिका कोशिकाओं में होने वाली विभिन्न महत्त्वपूर्ण क्रियाओं, जैसे – विभिन्न पदार्थों का स्रवण (secretion), संचय (storage) एवम् परिसंचरण (Circulation) से सम्बन्धित संरचना है । अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कुछ प्रमुख कार्यों को नीचे वर्णित किया गया हैं-

(1) यांत्रिक आलंब (Mechanical support) क्योंकि अन्त: प्रद्रव्यी जालिका कोशिका द्रव्य जाल बिछाकर उसे अनेकों कोष्ठों में बाँट देती है। इस प्रकार यह कोशिका द्रव्य में कंकाल (skeleton) का निर्माण करती है । यह कंकाल कोशिका को यांत्रिक सहायता प्रदान करता है

(2) परिवहन तंत्र (Transporting system ) — अन्त: प्रद्रव्यी जालिका परिवहन तंत्र की तरह कार्य करती है। यह विभिन्न उत्पादों को सम्बन्धित कोशिकांग अथवा यथा स्थान जहाँ उनकी आवश्यकता होती है, स्थानान्तरित करने का कार्य करती है। कणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (RER ) – अकणिकामय अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (SER). गाल्जीकाय की सिस्टर्नी (Cisternae of golgi bodies), रिक्तिकाओं अथवा स्रवण कण (Vacuoles or secretory granules) आदि में संश्लेषित पदार्थ मुख्य रूप से लिपिड्स तथा प्रोटीन्स संचित हो जाते हैं तथा बाद में कोशिकाओं के अन्य भागों अथवा कोशिका से बाहर निकाल दिये जाते हैं।

(3) अणुओं का विनिमय (Exchange of molecules) – अन्त: प्रद्रव्यी जालिका को बनाने वाली झिल्ली विभिन्न प्रकार के अणुओं के विनिमय को विभिन्न क्रियाओं, जैसे- परासरण ( osmosis), विसरण ( diffusion ) तथा सक्रिय परिवहन (active transport) द्वारा सम्पन्न करती है।

(4) विभिन्न पदार्थों का संश्लेषण ( Synthesis of different substances)

(a) प्रोटीन संश्लेषण (synthesis of protein) — कणिकामय अन्तःप्रद्रव्यी जालिका पर उपस्थित राइबोसोम्स पर स्रावी प्रोटीन का संश्लेषण होता है तथा यही जालिका उन्हें उनके प्रयोग स्थल पर पहुँचाती है । उदाहरण- सीरम प्रोटीन (serum protein), ट्रोपोकॉलेजन (tropocollagen), स्रवण कणिकाएँ (secretory granules) आदि । (b) ग्लूकोज तथा ग्लाइकोजन का संश्लेषण (synthesis of glucose & glycogen)— प्रयोगों द्वारा यह प्रमाणित किया जा चुका है कि यकृत कोशिकाओं में अन्तः प्रद्रव्यी जालिका ग्लूकोज तथा ग्लाइकोजन के संश्लेषण, संचय तथा उपापचय में भाग लेती है। अकणिकामय अन्तः प्रद्रव्यी जालिका में ग्लूकोज – 6 – फॉस्फेटेज एन्जाइम द्वारा ग्लाइकोजन टूट जाता है ( glycogenolysis )

(c) ए.टी.पी. संश्लेषण (ATP synthesis) – अन्त: प्रद्रव्यी जालिका ए टी पी संश्लेषण के स्थल होते हैं, क्योंकि विभिन्न पदार्थों के अन्तः कोशिकीय परिवहन के लिए ऊर्जा ( energy) एटीपी द्वारा ही दी जाती है ।

(d) लिपिड संश्लेषण ( Synthesis of lipids) – अकणिकामय अन्तःप्रद्रव्यी जालिका में लिपिड्स के संश्लेषण व उपापचय की क्रिया होती हैं ।

(e) अकणिकामय अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (SER) में अन्य पदार्थों, जैसे- कॉलेस्ट्रॉल, ग्लिसराइडस, हॉर्मोन्स तथा रेटीनल कोशिकाओं में पाये जाने वाले वर्णकों तथा कोशिका भित्तीय पदार्थों का संश्लेषण होता है ।

(5) केन्द्रक झिल्ली का निर्माण (Formation of nuclear membrane) – अन्त: प्रद्रव्यी जालिका की झिल्ली से कोशिका विभाजन के फलस्वरूप बनने वाले पुत्री केन्द्रकों में केन्द्रक कला का निर्माण अन्त: प्रद्रव्यी जालिका के खण्डों से ही होता है।

(6) एन्जाइम की क्रियाशीलता (Enzymatic activites ) — कोशिका में अन्तःप्रद्रव्यी जालिका विभिन्न पदार्थों के संश्लेषण तथा उपापचय के लिए सतह प्रदान करती है। कोशिका द्रव्य में घुलित एन्जाइम की अपेक्षा इस जालिका की सतह पर उपस्थित एन्जाइम अधिक सक्रियता से कार्य करते हैं । इसकी सतह पर पाये जाने वाले मुख्य एन्जाइम – स्टीयेरेजिज (stearases), ग्लूकोज-6-फोस्फेटेज (Glucose-6-phosphatase), Mg + एक्टीवेटेड एटीपेज (Mg++ activated AT Pase), एन ए डी एच साइटोक्रोम C- रिडक्टेज (NADH- Cytochrome C-Reductase ) आदि हैं ।