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Categories: Biology

Endocytosis and exocytosis in hindi , एन्डोसाइटोसिस व एक्सोसाइटोसिस क्या है , ग्राही माध्य अन्तर्गहरण (Receptor mediated endocytosis)

जानिये Endocytosis and exocytosis in hindi , एन्डोसाइटोसिस व एक्सोसाइटोसिस क्या है , ग्राही माध्य अन्तर्गहरण (Receptor mediated endocytosis) ?

एन्डोसाइटोसिस व एक्सोसाइटोसिस (Endocytosis and exocytosis) एन्डोसाइटोसिस (Endocytosis)

कुछ कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली से होकर बड़े परिमाण के पदार्थ ग्रहण किये जाते हैं। ये पदार्थ एक संहति या आशय के रूप में कोशिका झिल्ली की सतह पर आते हैं एवं कोशिका कला के साथ अन्दर को धंसते जाते हैं जैसे कोशिका इन्हें निगल रही हो। ये पदार्थ कोशिका कला के साथ अन्तर्वलित होते हैं एवं निर्मित आशय (vesicle) सहित कोशिका के भीतर कोशिकाद्रव्य थैलियों के रूप में टूटकर अलग हो जाते हैं। इस प्रकार ग्रहण किये गये पदार्थों का इन्हीं एन्डोसाइटिक आशयों में पाचन होता है। इन पदार्थों का पाचन कर देते हैं। पंचित पदार्थों कोशिकाद्रव्य में अवशोषित हो जाता है। इस प्रकार की क्रिया अमीबा जैसे प्रोटोजोआ में एवं उच्च कशेरूकियों की श्वेत रक्त कणिकाओं (W.B.C.) में होती है। यदि इस विधि से अन्तग्रहित पदार्थ ठोस अवस्था में होते हैं तो यह क्रिया कोशिकाशन (phagocytosis) कहलाती है। यह शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिससे आशय है खाना अतः इस क्रिया को कोशिका द्वारा भक्षण करना (cell-eating) भी कहते हैं। यह क्रिया कोशिका के द्वारा भक्षण किये जाने से सम्बन्धित होती है अतः इसे भक्षाणु क्रिया भी कहते हैं। अमीबा में इस क्रिया हेतु कूटपाद बनाये जाते हैं जबकि इसी प्रकार की दूसरी विधि में ये पदार्थ जीवद्रव्य कला द्वारा अन्तर्वलित होकर सभी ओर से घेर लेने से बनाये जाते हैं।

जब अन्तग्रहित पदार्थ तरल अवस्था में होते हैं एवं अन्तर्वलन बनाकर कोशिका कला के भीतर ग्रहण किये जाते हैं यह विधि कोशिका पायन (pinocytosis or cell drinking) कहलाती है। इस क्रिया के दौरान बने आशय जो छिटक कर अलग हो जाते हैं, पिनोसोम (pinosome) कहलाते हैं। ये सूक्ष्म धनियों के रूप में कोशिका द्रव्य में विद्यमान रहते हैं जिनमें तरल ग्रहण किया हुआ पदार्थ भरा रहता है। इनका पाचन भी लाइसोसोम द्वारा ही किया जाता है।

बाह्य पदार्थों की भौतिक एवं रासायनिक प्रकृति के आधार पर फैगोसाइटोसिस को दो भागों में व्यक्त किया जाता है।

(i) कोलॉयडोपेक्सी (Colloidopaxy) : इसके अन्तर्गत झिल्ली छोटे कोलॉइडी कणों का अन्तर्ग्रहरण करती है। यह क्रिया ल्यूकोसाइट्स जैसे न्यूट्रोफिल्स तथा मैक्रोफैज कोशिकाओं में देखने को मिलती है।

(ii) क्रोमोपेक्सी (Chomopaxy) : क्रोमोपेक्सी में कोलॉयडी क्रोमोजन कण प्लैज्मा झिल्ली द्वारा अन्तर्ग्रहरण किये जाते हैं। यह स्तनधारियों की कुछ मीरोब्लॉस्टिक (meroblastic) कोशिकाओं में मिलती है।

ग्राही माध्य अन्तर्गहरण (Receptor mediated endocytosis) : यह क्रिया सामान्य एन्डोसाइटोसिस से दो प्रकार से भिन्नता रखती है।

  1. यह कुछ विशिष्ट पदार्थों जैसे हार्मोन, प्रोटीन, प्रतिरक्षियों (antibodies), एवं विषाणुओं को जो कोशिका झिल्ली सतह पर उपलब्ध होते हैं उनको ग्रहण करने हेतु अपनायी जाती है ।
  2. ये विशिष्ट पदार्थ कुछ विशिष्ट ग्राही ( receptors) के साथ संलग्न होकर अन्तर्ग्रहित होते हैं या कोशिका में प्रवेश करते हैं। विशिष्ट पदार्थों के अणु जो इस विधि से कोशि में प्रवेश करते हैं, संलग्नी (ligands) कहलाते हैं। इनसे सम्बन्धित ग्राही (receptors) जो कि प्रोटीन होते हैं जीवद्रव्य कला में पाये जाते हैं। ये संलग्नी अणु ग्राही के साथ संलग्न-ग्राही जटिल ( ligand-receptor complex) बनाते हैं। यह संलग्नी -ग्राही जटिल जीवद्रव्य कला में पार्श्वतः अभिगमन करते हुए जीवद्रव्य कला में उपस्थित लेपित गर्तों (coated pits) में स्थानान्तरित हो जाता है।

लेपित गर्त जीवद्रव्य कला पर वह स्थल होते हैं जिन पर क्लेथ्रिन (clathrin) नामक प्रोटीन का अस्तर बना होता है। इसलिये इन गतों को क्लेथ्रिन लेपित गर्त (clathrin coated pits) भी कहते हैं। इन क्लेथ्रिन लेपित गर्तो में संलग्नी-ग्राही जटिल जो अन्तर्ग्रहित होकर आये हैं क्लेथिन लेपित आशय (clathrin coated wesicle) बना लेते हैं। क्लेथ्रिन लेपित आशय बन जाने के उपरान्त अर्थात् संलग्नी पदार्थ के प्लाज्मा कला में भीतर पहुँच जाने के पश्चात क्लेथ्रिन इन आशयों से हो जाता मुक्त सम्भवतः यह क्लेथ्रिन अन्य गर्तों को लेपित करने हेतु चला जाता है। क्लेथ्रिन का कार्य सम्भवतः संलग्नी पदार्थों को प्लाज्मा कला में निश्चित स्थलों तक वितरण करने का ही होता है। इस प्रकार भीतर प्रवेश करने वाले आशय जो कि चिकनी सतह युक्त होते हैं। जिनमें अन्तर्गहित पदार्थ उपस्थि होता है, ग्राहीकाय (receptosomes) कहलाते हैं। ये कोशिका में निश्चित स्थलों तक ले जाये जाते हैं।

ग्राही माध्य अन्तर्ग्रहण विधि से प्राणी कोशिकाएँ कोलेस्टेराल का अर्न्तग्रहण करती है। इस प्रकार के परिवहन के लिये अन्य प्रोटीन्स के अतिरिक्त निम्न घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन्स (Low density lipoprotin or LDL) की उपस्थिति आवश्यक होती है। ब्राउन एवं गोल्डस्टेन (Brown and Goldstein) ने 1986 में अन्तर्ग्रहण की इस विधि की खोज की इन्होंने इस क्रिया को समझने हेतु रेडियोएक्टिव लेबल्ड आयोडीन (1135) का उपयोग किया। इस कार्य के लिये इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

एक्सोसाइटोसिस (Exocytosis)

यह क्रिया एन्डोसाइटोसिस से ठीक विपरीत प्रकार की होती है। इस क्रिया में पदार्थ कोशिकाद्रव्य से कोशिका कला से बाहर अर्थात् भीतर से बाहर की ओर निकाले जाते हैं। इस क्रिया द्वारा निष्कासित पदार्थ ठोस या तरल प्रकृति के हो सकते हैं। अपचित भोज्य पदार्थ जो ठोस या अर्धतरल अवस्था में होते हैं बाहर निष्कासित किये जाते हैं। इसी प्रकार हार्मोन्स या अन्य स्त्रावी उत्पाद भी कोशिका से बाहर अन्तः कोशीय अन्तराल में कलाबद्ध आशयों के रूप में कोशिका से बाहर निष्कासित किये जाते हैं।

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिये-

(Write short notes on the following)

(i) आयनिक नियमन

(iii) झिल्ली पारगम्यता

(ii) परासरण नियमन

(iv) निष्क्रिय परिवहन

(v) विसरण का नियंत्रण

(vi) सक्रिय परिवहन

(vii) एण्डोसाइटोसिस

(viii) आइसोटोनिक, हाइपोटोनिक एवं हाइपरटोनिक विलयन

(ix) प्राथमिक सक्रिय परिवहन (x) द्वितीयक सक्रिय परिवहन

(xi) पिनोसाइटोसिस

(xiii) सामान्य विसरण

(xii) ट्रांसपोर्टर

  1. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिये-

(Give answer of the following question in detail)

(i) परासरण नियमन की व्याख्या कीजिये । उपस्थित मछलियों में परासरण नियमन किस प्रकार होता है ?

(ii) विभिन्न जन्तुओं में परासरण नियमन हेतु पायी जाने वाली अनुकूलताओं का विस्तार से वर्णन कीजिये।

(iii) परासरण नियमन को नियंत्रित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिये।

(iv) प्लाज्मा झिल्ली की पारगम्यता से आप क्या समझते हैं ? परासरण की क्रिया को प्रयोग द्वारा समझाइये।

(v) सक्रिय परिवहन की क्रियाविधि का उल्लेख कीजिये ।

(vi) प्राथमिक एवं द्वितीयक सक्रिय परिवहनों का विस्तार से वर्णन कीजिये ।

(vii)कोशिका झिल्ली के द्वारा विभिन्न आयनों के परिवहन में काम आने वाले पथों का विस्तार से वर्णन कीजिये।

(viii)जन्तुओं में परासरण नियमन के लिये पायी जाने वाली अनुकूलताओं का वर्णन कीजिये।

(ix) निष्क्रिय एवं सक्रिय परिवहन विधियों में प्रमुख अन्तर क्या है ?

(x) एण्डोसाइटोसिस एवं एक्सोसाइटोसिस में उपयुक्त उदाहरण देते हुये अन्तर स्पष्ट कीजिये।

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