WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

Elongation of Peptidal Chain in hindi , पेप्टाइडल श्रंखला का दीर्घीकरण क्या है

जाने Elongation of Peptidal Chain in hindi , पेप्टाइडल श्रंखला का दीर्घीकरण क्या है ?

यूकेरियोट जीवों में अनुवाद का प्रारम्भन (Initiation of Translation in Eukarotes)

यूकेरियोटिक जीवों की संरचना प्रोकेरियोट से भिन्न होती है। इसमें अनुलेखन केन्द्रक (( nucleus) में सम्पन्न होता है तथा विकसित m आरएनए अनुवाद हेतु सायटोप्लाज्म में जाता है। इसके m – आरएनए के 5′ सिरे पर कैप व 3′ सिरे पर पॉलि A टेल उपस्थित रहती है। इनमें प्रारम्भन संकुल के निर्माण के लिए कम से कम 9 प्रारम्भन कारक भाग लेते हैं। इसमें ऊर्जा स्रोत के रूप मैं GTP (गुआनोसिन ट्राइफास्फेट) आवश्यक है। इसमें त्रिअंगी संकुल (ternary complex) तथा कँप बन्ध्य संकुल +m-RNA (Cap-Binding complex + m – RNA ) निर्मित होता है। यूकेरियोटिक अनुवाद का प्रारम्भन चरणबद्ध इस प्रकार सम्पन्न होता है-

सारणी- 1: यूकेरियोट में अनुवाद में भाग लेने वाले विभिन्न प्रारम्भन कारक

कारक प्रकार्य

ef, 40S उपइकाई को प्रारम्भन स्थल AUG कोडोन तक खिसकाने में सहायक है।

e,F2

Met-t RNA के गठबंधन में सहायक

e,F3 40 S को दूसरी उपइकाई से जुड़ने से रोकता है, m-RNA से जोड़ने में सहायक

e,F4 m-आरएनए के 5 सिरे पर कैप से संलग्न होकर अकुण्डलन में सहायक

e,F5 e, F2 तथा e, F3 का मोचन जिसके बाद 40S, 60 S से जुड़ जाता है।

e,F6 स्वतंत्र रूप से 40 S व 605 उपइकाईयों को अलग रखता है अर्थात् इनको जुड़ने से रोकता है।

(i) सर्वप्रथम m-आरएनए के 5′ सिरे पर स्थित कैंप के साथ e, F4 (eukaryotic initiation factor 4) के साथ संलग्न हो जाते हैं। इनमें 4A, 4B, 4G तथा 4Em – आरएनए के प्रथम 15 क्षारकों के साथ जुड़ जाते हैं।

(ii) एक अन्य कारक elF, ऊर्जा स्रोत गुआनिल ट्राइफॉस्फेट (GTP) के साथ जुड़ कर द्विअंगी संकुल निर्मित करता है।

(iii) द्विअंगी संकुल (elF2 + GTP) पुन: एमीनोएसिल met-t: आरएनए के साथ जुड़ कर त्रिअंगी संकुल (ternary complex) बनाता है। इसमें eIF 2 + GTP + met- tRNA उपस्थित रहता है।

(iv) यह त्रिअंगी संकुल पुन: एक अन्य संकुल (eIF 3 eIF + eIFA + राइबोजोम की उपइकाई 40S) के साथ संलग्न होकर 43S संकुल बनाते है जिसे प्री-प्रारम्भन संकुल (pre initiation complex) कहते हैं। अब यह m-आरएनए के साथ संलग्न होने के लिए तैयार है तथा प्रारम्भन कोडोन को चिन्हित करना प्रारम्भ करती है।

(v) 43 S संकुल (40 S उपइकाई) अन्त में 40S उपइकाई m – आरएनए के 5′ सिरे पर स्थित कैप के साथ संलग्न हो जाता है। तत्पश्चात् यह लगातार तब तक m – आरएनए पर सरकता रहता है जब तक इसका P-स्थल प्रारम्भन कोडोन AUG पर संलग्न नहीं हो जाता।

(vi) राइजोजोम की बड़ी मुक्त उपइकाई 60S से एक कारक elF से संलग्न होकर इसे दूसरी उपइकाई 40 S से जुड़ने से रोकता है। यह eIF -60S उपइकाई संकुल m – आरएनए से जुड़े हुए राइबोसोम की 40s उपइकाई से जुड़ जाता है । इसी दौरान GTP का जल अपघटन होकर GDP (गुआनोसिन डाइफॉस्फेट) में बदल जाता है। elF C कारक राइबोजोम की दोनों उपइकाइयों को आपस में जोड़ने में सहायक है जबकि कारक eIFs, elF2 व eIF, का मोचन करके 40S संकुल से हटा देता है। जब तक यह संलग्न रहते हैं तब तक 605 उपइकाई 40S से नहीं जुड़ सकती है। राइबोसोम के 80S संरचना अनुवाद प्रारम्भन कोडोन AUG पर सम्पूर्ण होते ही सभी प्रारम्भन कारक भी अलग हो जाते हैं।

पेप्टाइडल श्रंखला का दीर्घीकरण (Elongation of Peptidal Chain)

अम्ल अनुवाद के प्रथम चरण में हमने देखा कि किस तरह से पहला अमीनो अम्ल मिथियोनिन आरएनए किस तरह से अनुवाद प्रारम्भन कोडोन AUG से जुड़ता है। अर्थात् इसे पहले अमीनो (AUG पर) के साथ तत्पश्चात् अनुवाद के दौरान एक-एक करके कोडित (त्रिकूट कोड) के अनुसार अन्य अमीनो अम्ल पेप्टाइडल बंध के साथ जुड़ते जाते हैं अतः श्रृंखला के प्रारम्भ में स्थित अमीनो अम्ल के पेप्टाइड बंध के जुड़ने हेतु सभी प्रक्रियायें अनुवाद के द्वितीय चरण दीर्घीकरण (elongation) में सम्मिलित हैं। यह चरण तेज रफ्तार से सम्पन्न होता है। प्रोकेरियोट (जीवाणु) में प्रति सेकण्ड – 15 अमीनो अम्ल व यूकेरियोट में मात्र 1 अमीनो अम्ल प्रति सेकण्ड ही जोड़े जाते हैं। प्रोकेरियोट जीवों में दीर्घीकरण आगे वर्णित है।

जैसा कि पहले वर्णित किया जा चुका है कि राइबोजोम पर तीन सक्रिय स्थल (1) E-स्थल (अनोविशत t-आरएनए के राइबोजोम से बाहर निकलने के लिए) (2) P- स्थल (सबसे पहले जुड़ने वाला अमीनो एसिल t आरएनए, P-स्थल पर जुड़ता है ( 3 ) A-स्थल अन्य अमीनो अम्ल के आने का स्थल मौजूद रहते हैं।

अनुवाद प्रारम्भ पूर्ण होने पर राइबोजोम में E-स्थल खाली रहता है। P- स्थल पर आरम्भिक अमीनो एसिल t-आरएनए (initiator amino acyl t-RNA) मौजूद रहता है। A -स्थल भी खाली रहता है।

राइबोजोम के A-स्थल पर m – आरएनए पर मौजूद कोडोन के अनुसार किसी विशिष्ट अमीनो एसिल – tआरएनए का प्रवेश होता है। यह प्रवेश दीर्घीकरण कारक ( elongation factor) EF-Tu के कारण संभव होता है। सर्वप्रथम कारक EF – Tu ऊर्जा स्रोत GTP (गुआनोसिल ट्राइफॉस्फेट) के साथ द्विअंगी संकुल बनाता है तत्पश्चात् अमीनो एसिल -t- आरएनए के साथ जुड़कर त्रिअंगी संकुल (ternary complex) बनता है।

यह त्रिअंगी संकुल (एमीनोएसिल – आरएन + कारक Eu Tu + GTP) राइबोजोम के A- स्थल पर आकर जुड़ता है। इसके पास ही P-स्थल पर प्रथम अमीनो एसिल t- आरएनए (fmet-tRNA ) स्थित रहता है तथा E-स्थल खाली रहता है। A- स्थल पर जो कोडोन उपस्थित रहता है उस पर जुड़ने वाले त्रिअंगी संकुल के t- आरएनए पर उपस्थित प्रतिकोडोन एक दूसरे के पूरक होते हैं। इस बंधन के सम्पन्न होते ही GTP का जलापघटन (hydrolysis) हो जाता है यह GDP में परिवर्तित . होता है। इसके साथ ही EF TU – GDP संकुल A स्थल से हट जाता है।

यहाँ ध्यान देने वाला तथ्य यह है कि EF TU – GDP संकुल निष्क्रिय है। इसको सक्रिय करने के लिए E-TS कारक भाग लेता है। यह EF – Ts सर्वप्रथम EF TU – GDP से GDP को हटा कर एक नया संकुल EF-TU – TF – Ts निर्मित करता है। इसमें GTP संलग्न होकर EF-Ts को अलग करके पुनः सक्रिय EF-TU-GTP संकुल बना देता है। अब यह अमीनोएसिल t- आरएनए के साथ जुड़ने के लिए तैयार है।

इस प्रक्रिया के सम्पन्न होने पर तीन स्थलों में से बीच में प्रथम अमीनो अम्ल fmet-t-RNAf उपस्थित रहता है। इसके आगे 3′ सिरे की तरफ A- स्थल पर द्वितीयक अमीनो एसिल आकर जुड़ता है जबकि 5′ सिरे की ओर E-स्थल खाली रहता है।

अब P-स्थल पर स्थित अमीनो अम्ल का A स्थल पर उपस्थित अमीनो अम्ल के साथ क्रमशः –COOH तथा —NH, इस क्रिया में राइबोजोम की 50S उपइकाई का पेप्टाइडल ट्रांकरेज, एन्जाइम सहायक है। इस पेप्टाइड बंध बनने के साथ ही P – स्थल पर उपस्थित – आरएन स्वतंत्र हो जाता है।

P-स्थल पर 1-आरएनए के मुक्त होने के साथ ही राइबोसोम m-आरएनए पर तीन न्यूक्लियोटाइड क्षार अनुक्रम अधोप्रवाह (downstream) की दिशा में 3 सिरे की ओर खिसक जाता है इस परिणामस्वरूप स्वतंत्र t-आरएनए E-स्थल पर आ जाता है। इसी समय A- स्थल पर मौजूद पेप्टाइड श्रृंखला युक्त t-RNA (इसमें प्रथम व द्वितीय अमीनो अम्ल जुड़े हैं) P-स्थल पर खिसक (shift) जाता है। इसके साथ ही A- स्थल खाली हो जाता है। एक बार फिर राइबोजोम m-आरएनए पर आगे खिसकता है जिससे E-स्थल पर उपस्थित स्वतंत्र t – आरएनए राइबोजोम से बाहर चला जाता A-स्थल पर तीसरा अमीनो एसिल – आरएनए अपने एन्टीकोडोन द्वारा m- आरएनए पर उपस्थित कोडोन के साथ जुड़ता है। इस प्रक्रिया के साथ पेप्टाइड श्रृंखला लम्बी होती जाती है जिसके प्रथम सिरे पर –NH♭ व अन्तिम सिरे की ओर – COOH होता है।

III.पेप्टाइड श्रृंखला का समापन (Termination of Peptidal Chain)

अमीनो अम्ल एक के बाद एक जुड़ने से राइबोजोम द्वारा पेप्टाइड श्रृंखला तब तक बनती जाती है जब तक कि m-आरएनए पर स्टॉप कोडोन नहीं हो जाता। यह स्टॉप कोडोन प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया को रोकने के लिए होते हैं। श्रृंखला को स्टॉप करने के लिए तथा विशिष्ट रूप से संकेत देने के लिए होते हैं कि क्रिया को अब रूक जाना चाहिए। निम्न तीन समापन कोडोन होते हैं UAG UAA तथा UGAI इसके लिए Rf कारक बनता है जो श्रृंखला समापन को समझ सकता है। यह mRNA के अंतिम सिरे पर होते हैं तथा टर्मिनल कोडोन कहलाते हैं। समापन प्रक्रिया में अनेक प्रोटीन कारक के रूप में भाग लेते हैं जिन्हें मोचक कारक (release factor) कहते हैं। इसमें विशिष्ट त्रिक कोड उपस्थित होते हैं जैसे RF, UAA तथा UGA कोडोन व RF 2, UAG के साथ प्रकार्यों में भाग लेता है। यह कारक कैसकी व कैपची (Casky and Capeche) ने ई. कोलाई से विलग किये थे।

जैसे ही राइबोसोम का A- स्थल स्टॉप कोडोन पर सरकता है इसके विशिष्ट मोचक कारक इसके साथ संलग्न होकर अनुलेखन की प्रक्रिया को अवरूद्ध करके रोक देते हैं। इसके साथ ही P-स्थल पर मौजूद पेप्टाइडल t- आरएनए से संलग्न पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला अलग हट जाती है तथा t-आरएनए स्वतंत्र होकर राइबोसोम से बाहर चला जाता है । अन्त में m – आरएनए से राइबोजोम बाहर आ जाता है व इसकी दोनों उपइकाइयां भी एक दूसरे से स्वतंत्र हो जाती हैं।

निर्मुक्त पोलीपेप्टाइड श्रृंखला का बदलाव (Changes in the Released Polypeptide Chain)

पोलीपेप्टाइड श्रृंखला जब निर्मुक्त हो जाती है उसके पश्चात् उसके प्रथम AA मिथयोनिन से विकर फॉर्मीलेजस (enzyme formylases) फॉर्मिल समूह को अलग कर देता है। विकर एक्सोपेप्टीडेजिस