एलिंघम आरेख (ellingham diagram in hindi) , गिब्स ऊर्जा परिवर्तन समीकरण

(ellingham diagram in hindi) एलिंघम आरेख : कोई भी प्रक्रिया तीव्रता से संपन्न होगी या ज्ञात नहीं कर सकते,  इस बात का पता उस समीकरण के गिब्स ऊर्जा परिवर्तन से लगाया जा सकता है , गिब्स ऊर्जा परिवर्तन को ΔG द्वारा प्रदर्शित करते है , यदि ΔG का ऋणात्मक होता है तो वह प्रक्रम तेजी से संपन्न होता है।

गिब्स ऊर्जा परिवर्तन समीकरण को निम्न प्रकार लिखा जाता है –
ΔG = ΔH – TΔS
यहाँ
ΔG = गिब्स ऊर्जा परिवर्तन
ΔH = एन्थैल्पी परिवर्तन
T = परम ताप
ΔS = एंट्रोपी परिवर्तन
यदि यहाँ ΔH का मान धनात्मक होता है तो वह अभिक्रिया ऊष्माशोषी अभिक्रिया होगी और जब ΔH का मान ऋणात्मक होता है तब वह अभिक्रिया उष्माक्षेपी अभिक्रिया होगी।
इसलिए जब अभिक्रिया उष्माक्षेपी है तो यह ΔG को ऋणात्मक कर देती है , यहाँ ΔS एंट्रोपी परिवर्तन को प्रदर्शित करता है यह पदार्थ के कणों की अनियमितता को बताता है , जब कोई पदार्थ अपनी अवस्था प्रदर्शित करता है तो ΔS बहुत अधिक तेजी से बदलता है।
दूसरी समीकरण जो गिब्स ऊर्जा परिवर्तन और साम्यावस्था नियतांक के मध्य सम्बन्ध को बताती है निम्न है –
ΔG° = RTlnKeq
 
यहाँ
Keq साम्यावस्था नियतांक है।
यहाँ R = सार्वत्रिक गैस नियतांक
ΔG° का ऋणात्मक मान K के धनात्मक मान को प्रदर्शित करता है अर्थात अभिक्रिया अग्र दिशा में चल रही होती है जब ΔG° का मान ऋणात्मक होता है।

एलिंघम आरेख (ellingham diagram)

यह आरेख तापमान और यौगिकों के स्थायित्व के मध्य सम्बन्ध को प्रदर्शित करता है , यह वास्तव में गिब्स ऊर्जा का ग्राफीय प्रदर्शन कहा जा सकता है।

धातुकर्म में हम किसी समीकरण की अपचयन प्रक्रिया को एलिंघम आरेख के रूप में ग्राफ पर प्रदर्शित करते है। एलिंघम आरेख ऑक्साइड के अपचयन के लिए सबसे उपयुक्त अपचायक के चयन में सहायता करता है , इसके अलावा इसकी सहायता से किसी अयस्क के उष्मीय अपचयन की सम्भावना को ज्ञात किया जा सकता है।
जब हम किसी ऑक्साइड से शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए ऑक्साइड पदार्थ का अपचयन करते है तो एलिंघम आरेख सबसे उपयुक्त अपचायक पदार्थ के चयन में मदद करता है।
किसी प्रक्रम को अग्र दिशा में चलने के लिए ΔG (गिब्स ऊर्जा परिवर्तन) का मान ऋणात्मक होना आवश्यक है।
एलिंघम आरेख के मुख्य बिंदु
  • इसमें G और ताप T के मध्य सम्बन्ध स्थापन के लिए दोनों के मध्य ग्राफ खिंचा जाता है , ग्राफ का ढाल एन्ट्रापी को प्रदर्शित करता है और ग्राफ पर खिंची गया कटान बिंदु एन्थैल्पी को प्रदर्शित करता है।
  • यहाँ ध्यान दे की एन्थैल्पी अर्थात ΔH का मान ताप पर निर्भर नहीं करता है।
  • साथ ही एंट्रोपी का मान अर्थात ΔS भी ताप द्वारा प्रभावित नही होता है।
  • इस आरेख में हम Y अक्ष पर ताप को और X अक्ष पर गिब्स ऊर्जा परिवर्तन (ΔG) को दर्शाते है।
  • यदि ΔG और T के मध्य खिंचा गया ग्राफ यदि एक सीधी रेखा के रूप में प्राप्त होता है तो इसका तात्पर्य है कि कोई पदार्थ पिघल जाता है ठोस से द्रव में बदल जाता है ,  या वाष्पित हो जाता है अर्थात द्रव से वाष्प में बदल जाता है तो सरल रेखा का ढाल धनात्मक दिशा में अधिक हो जाता है क्यूंकि ठोस की एंट्रोपी कम , द्रव की उससे अधिक और वाष्प या गैस की सबसे अधिक होती है।
  • एलिंघम आरेख के अनुसार सभी ऑक्साइड उस ताप पर धातु और ऑक्सीजन में विघटित हो जाते है जिस तापमान पर गिब्स ऊर्जा परिवर्तन (ΔG) का मान धनात्मक हो जाता है।