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एलीना कोरनारो पिस्कोपिया , Elena Cornaro Piscopia in hindi , जाने कौन थी एलीना कोरनारो पिस्कोपिया

Elena Cornaro Piscopia in hindi (एलीना कोरनारो पिस्कोपिया) : इनको हेलिना कोरनारो के नाम से भी जाना जाता है , इनका जन्म 5 जून 1646 को हुआ था तथा इनकी मृत्यु 26 जुलाई 1684 को हुई थी।  आज इनका 373 वाँ जन्मदिन है और इस उपलक्ष में गूगल ने अपने डूडल पर एलीना कोरनारो पिस्कोपिया का चित्र लगाकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की है।

अब बात करते है कि इन्होने ऐसा क्या किया था जिसके कारण आज गूगल ने उनको अपने डूडल पर स्थान देकर श्रद्धांजलि दी है।

एलीना कोरनारो पिस्कोपिया मूल रूप से विनीशियन थी अर्थात इनके पास इटली देश की राष्ट्रीयता थी , ये विनीशियन की महान दार्शनिक थी , और ऐसा भी माना जाता है कि वह पहली ऐसी महिला थी इन्होने किसी विश्वविद्यालय से अपनी शैक्षिक डिग्री पूरी की हो। इसके अलावा वह 1678 पीएचडी डिग्री पूरी करने वाली विश्व की पहली महिला थी अर्थात पूरे विश्व में सबसे पहली अपनी पीएचडी पूरी करके डिग्री हासिल करने वाली विश्व की पहली महिला का नाम “एलीना कोरनारो पिस्कोपिया” था जो विनीशियन थी अर्थात इटली देश की थी जिन्होंने 1678 में अपनी पीएचडी कर ली थी।

एलीना कोरनारो पिस्कोपिया का प्रारम्भिक जीवन

इनका जिनम वेनिस के पलाज़ो लोर्डन नामक जगह पर 5 जून 1646 को हुआ था।  इनके पिता का नाम ‘जियानबेटिस्ता कॉर्नारो-पिस्कोपिया’ था और इनकी माता का नाम ‘ज़ानेटा बोनी’ था , यह अपने माता पिता की तीसरी संतान थी , उनकी माता खेती का काम करती थी और जब ‘Elena Cornaro Piscopia’ का जन्म हुआ था तब तक इनके माता पिता ने  आपस में शादी नहीं की थी।
चूँकि इनके माता पिता की शादी नहीं हुई थी इसलिए वहां के कानून के हिसाब से जन्म से एलीना को कॉर्नारो परिवार का सदस्य नहीं माना गया था।
चूँकि उनकी माता ज़नाता एक किसान थी अर्थात आर्थिक रूप से वह बहुत गरीब थी इसलिए वह भुखमरी से बचने के लिए वेनिस चली गयी। और बहुत जल्दी ही वह राजवंश परिवार की सदस्य बन गयी क्यूंकि 1654 में इनके पिता और माता ने आपस में शादी कर ली।

एलीना कोरनारो पिस्कोपिया की शिक्षा

मसीहा के बारे में कार्थुसियन भिक्षु ने जो बताया था या लिखा था वह पहले स्पेनिस था उपलब्ध था उसे एलीना ने अनुवाद करके इटालियन भाषा में भी उपलब्ध करवाया। उन्होंने अपने इस सम्पूर्ण अनुनाद और मेहनत को अपने सबसे अधिक घनिष्ठ मित्र फादर जियानपोलो ओलिवा को समर्पित कर दिया जो उनके कंफेसर भी थे।
एलीना ने इस अनुवाद को पांच संस्करणों में सम्पूर्ण रूप से बताया या छापा और ये संस्करण 1669 से 1672 में उपलब्ध करवाए गए। अपने इस काम के कारण उनकी ख्याति चारो तरफ फैलने लगी और उनको विद्वानों के समाज में पहचान मिलने लगी और उनको आमंत्रण भी मिलने लगे इसका उदाहरण हम इस बात से देख सकते है कि उनको 1670 में विनीशियन समाज एकेडेमिया डे पैसिफिक का प्रधान बनाया गया अर्थात उनको इस संस्था का प्रेसिडेंट बनाया गया था।
उनको काफी पुरस्कार भी प्राप्त हुए क्यूंकि वह शायद उस समय इतना पढने वाली पहली महिला होगी , उन्होंने विश्व में सबसे पहले पीएचडी करने वाली पहली महिला के लिए अपना नाम दर्ज करवाया हुआ है।
इन्होने अपने जीवन के अंतिम लगभग 7 साल शिक्षा और चैरिटी के नाम को समर्पित कर दिए और उनकी मृत्य इटली के एक शहर पडुआ में 26 जुलाई 1684 को हुई थी , उनकी याद में उस विश्वविद्यालय में उनकी एक प्रतिमा स्थापित की गयी है।
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