इलेक्ट्रोड विभव (electrode potential) : किसी अर्द्धसेल में जब धातु इलेक्ट्रोड को धातुआयन के विलयन के सम्पर्क में रखा जाता है तो निम्न में से कोई एक प्रतिक्रिया होती है –
(i) विलयन में धातु की छड इलेक्ट्रोन त्यागकर धनायन बनाती है अर्थात धातु का ऑक्सीकरण होता है। इस क्रिया में विलयन धनावेशित व धातु की छड ऋण आवेशित हो जाती है।
या
(ii) विलयन में उपस्थित धातु आयन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके धातु में परिवर्तित हो जाते है। अर्थात इनका धातु में अपचयन होता है। इस क्रिया में विलयन ऋण आवेशित व धातु की छड धनावेशित हो जाती है।
इस प्रकार “किसी अर्द्धसेल में धातु इलेक्ट्रोड व विलयन के मध्य आवेश विभाजन के कारण विलयन-धातु इलेक्ट्रोड के संधि पृष्ठ पर उत्पन्न विभव को ही इलेक्ट्रोड विभव कहते है। “
इसे E से दर्शाते है।
यह इलेक्ट्रोड विभव दो प्रकार का होता है –
(1) ऑक्सीकरण विभव
(2) अपचयन विभव
(1) ऑक्सीकरण विभव : किसी अर्द्ध सेल के विलयन में धातु इलेक्ट्रोड द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रकृति का माप ऑक्सीकरण विभव कहलाता है।
जिस धातु की इलेक्ट्रोन त्यागने की प्रकृति जितनी अधिक होगी उसके ऑक्सीकरण विभव का मान उतना ही अधिक होगा।
(2) अपचयन विभव : किसी अर्द्धसेल के विलयन में धातु इलेक्ट्रोड द्वारा इलेक्ट्रोन ग्रहण करने की प्रवृत्ति का माप अपचयन विभव कहलाता है।
जिस धातु की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृति जितनी अधिक होगी उसके अपचयन विभव का मान उतना ही अधिक होगा।
एक धातु इलेक्ट्रोड के लिए ऑक्सीकरण विभव व अपचयन विभव के गणितीय मान समान होते है लेकिन चिन्ह विपरीत होते है।
जैसे :
Cu इलेक्ट्रोड के लिए मानक इलेक्ट्रोड विभव : E0Cu/Cu2+ = -0.34 V (मानक ऑक्सीकरण विभव)
E0Cu2+/Cu = +0.34 V (मानक अपचयन विभव)
मानक इलेक्ट्रोड विभव (standard electrode potential) : 298 K ताप व 1 वायुमण्डलीय दाब पर इकाई सांद्रता वाले विलयन में उपस्थित धातु इलेक्ट्रोड व विलयन के मध्य आवेश विभाजन के कारण विलयन-धातु इलेक्ट्रोड के संधि पृष्ठ पर उत्पन्न विभव को ही मानक इलेक्ट्रोड विभव कहते है।
इसे E0 से दर्शाते है।
अन्तराष्ट्रीय परिपाटी के अनुसार मानक इलेक्ट्रोड विभव के रूप में मानक अपचयन विभव को लिया जाता है।
मानक सेल विभव (standard cell potential) : किसी गैल्वेनिक सेल में दो अर्द्ध सेल होते है। इनमे से एक का इलेक्ट्रोड विभव उच्च तथा दुसरे का इलेक्ट्रोड विभव निम्न होता है तथा विद्युत धारा का प्रवाह उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है।
अत: खुले परिपथ में दोनों अर्द्ध सेलो के मानक इलेक्ट्रोड विभवो का अंतर ही मानक सेल विभव कहलाता है।
अन्तराष्ट्रीय परिपाटी के अनुसार मानक सेल विभव ज्ञात करने के लिए कैथोड के मानक अपचयन विभव में से एनोड के मानक अपचयन विभव को घटाया जाता है।
इससे मानक सेल विभव का मान धनात्मक (+Ve) प्राप्त होता है।
सेल विभव व विभवान्तर में अन्तर
सेल विभव | सेल विभवान्तर |
1. यह दोनों इलेक्ट्रोडो के मध्य उस समय विभव का अंतर है , जब सेल परिपथ खुला हो अर्थात सेल में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं हो। | यह दोनों एलेक्ट्रोडो के मध्य उस समय विभव का अंतर है जब सेल परिपथ बंद हो अर्थात सेल में उस समय कुछ न कुछ धारा प्रवाहित होती है। |
2. सेल विभव का मान सेल के अधिकतम विद्युत वाहक बल के बराबर होता है। | विभवान्तर का मान अधिकतम विद्युत वाहक बल से सदैव कम होता है। |
3. सेल विभव का मापन विभवमापी से किया जाता है , वोल्ट मीटर से नहीं क्योंकि वोल्टमीटर से बन्द परिपथ के कारण कुछ न कुछ विद्युत धारा प्रवाहित होती है। | विभवान्तर का मापन वोल्टमीटर से किया जाता है। |
इलेक्ट्रोड विभव का मापन
एक गैल्वेनिक सेल का सेल सेल विभव , विभवमापी की सहायता से ज्ञात किया जा सकता है लेकिन इसके अर्द्धसेल का इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने की कोई प्रत्यक्ष विधि नहीं है।
अत: किसी अर्द्धसेल का इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करने के लिए इस अर्द्धसेल को एक सन्दर्भ इलेक्ट्रोड के साथ जोड़कर पूर्ण सेल बना लेते है। इस सेल का सेल विभव विभवमापी से प्राप्त कर लेते है तथा इस सेल विभव के मान की सहायता से उस अर्द्धसेल का इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात कर लेते है।
संदर्भ इलेक्ट्रोड
ऐसा इलेक्ट्रोड जिसका इलेक्ट्रोड विभव स्वेच्छा से निर्धारित किया जाता है , सन्दर्भ इलेक्ट्रोड कहलाता है।
अन्तराष्ट्रीय परिपाटी के अनुसार सन्दर्भ इलेक्ट्रोड के रूप में मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (SHE) को चुना गया है तथा इसका इलेक्ट्रोड विभव स्वेच्छा से शून्य माना गया है।
SHE के अलावा कैलोमल इलेक्ट्रोड व सिल्वर-सिल्वर क्लोराइड इलेक्ट्रोड को संदर्भ इलेक्ट्रोड के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (standard hydrogen electrode) (SHE) :
इस सेल में एक आयताकार प्लेटिनम का पत्र होता है जो मर्करी से भरी काँच नलिका में व्यवस्थित प्लेटिनम के तार से जुड़ा होता है तथा प्लेटिनम पत्र सहित इस काँच नलिका को एक बढ़ी नलिका में बंद कर देते है। इस नलिका के नीचे का भाग खुला होता है। अब इस नलिका को इकाई सांद्रता वाले HCl के विलयन में डुबोकर इसमें ऊपर से 1 atm दाब पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाती है।
यह हाइड्रोजन गैस प्लेटिनम पत्र पर अधिशोषित हो जाती है तथा अतिरिक्त हाइड्रोजन बुलबुलों के रूप में बाहर निकल जाती है इस प्रकार विलयन में उपस्थित H+ आयनों व हाइड्रोजन गैस के मध्य साम्य स्थापित हो जाता है।
H+ + e– ⇌ ½ H2 (अपचयन)
½ H2 ⇌ H+ + e– (ऑक्सीकरण)
इस प्रकार बना अर्द्ध सेल मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड कहलाता है। इसका इलेक्ट्रोड विभव स्वेच्छा से शून्य माना गया है।
इसका एनोड व कैथोड के रूप में अर्द्ध सेल आरेख निम्न प्रकार लिखा जाता है –
एनोड के रूप में :
Pt / H2 / H+
कैथोड के रूप में :
SHE की सहायता से किसी धातु इलेक्ट्रोड का इलेक्ट्रोड विभव
उदाहरण : (i) यदि SHE के साथ किसी धातु इलेक्ट्रोड को जोड़ने पर उस धातु इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है तो उस धातु इलेक्ट्रोड के इलेक्ट्रोड विभव का मान +Ve (धनात्मक) आता है।
(ii) यदि SHE के साथ किसी धातु इलेक्ट्रोड को जोड़ने पर उस धातु इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण है तो उस धातु इलेक्ट्रोड के इलेक्ट्रोड विभव का मान हमेशा -Ve (ऋणात्मक) आता है।