विद्युत रासायनिक सेल , वैद्युत रासायनिक सैल क्या है (electrochemical cell in hindi)

(electrochemical cell in hindi) विद्युत रासायनिक सेल , वैद्युत रासायनिक सैल क्या है : हम यहाँ पढेंगे की विद्युत रासायनिक सैल क्या होते है और ये सेल हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी होते है।
वैद्युत रसायन : यह रसायन विज्ञान की एक शाखा होती है जिसमें रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है , अर्थात इसमें यह अध्ययन किया जाता है किस प्रकार रासायनिक पदार्थ आपस में क्रिया करके ऊर्जा उत्पन्न करते है जिससे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

विद्युत रासायनिक सेल (electrochemical cell)

वह युक्ति जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य करती है उसे वैद्युत रासायनिक सेल कहलाता है , इस सेल को गेल्वनी अथवा वोल्टीय सेल भी कहा जाता है।
विद्युत रासायनिक सेल की कार्यविधि को समझने के लिए डेनियल सेल का उदाहरण लेते है।
इस सेल में दो छड ली जाती है एक छड Zn की अर्थात जिंक की और दूसरी छड Cu की अर्थात कॉपर की लेते है , जिंक की छड को जिंक सल्फेट (ZnSO4) के विलयन में रखा जाता है और कॉपर की छड को कॉपर सल्फेट (CuSO4) के विलयन में रखा जाता है।
दोनों अर्द्ध सेलो की विद्युत उदासीनता बनाये रखने के लिए अगर-अगर जेल से भरी एक u आकार की नली जोड़ी जाती है , इसको KCl द्वारा संतृप्त किया जाता है , इसे लवण सेतु (salt bridge) कहा जाता है।

जब जिंक और कॉपर की छड को किसी धातु के तार द्वारा जोड़ा जाता है तो यहाँ इलेक्ट्रान का प्रवाह जिंक छड से कॉपर छड की तरफ होता है , जिंक इलेक्ट्रॉन त्यागने के कारण Zn2+ आयन के रूप में विलयन में जाने लगता है और दूसरी तरफ कॉपर (Cu) , इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के कारण Cu2- आयन रूप में इलेक्ट्रोड पर जमा होने लगता है।
दोनों इलेक्ट्रोड पर निम्न अभिक्रियाएँ संपन्न होती है –
जिंक की छड पर या इलेक्ट्रोड पर संपन्न होने वाली अभिक्रिया निम्न है –
Zn → Zn2+ + 2e (ऑक्सीकरण)
कॉपर (Cu) की इलेक्ट्रोड पर संपन्न होने वाली अभिक्रिया –  
Cu2+ + 2e → Cu (अपचयन)
दोनों इलेक्ट्रोड पर सम्मिलित रूप से अर्थात सम्पूर्ण सेल की सम्पूर्ण अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है –
Zn + Cu2+ → Cu + Zn2+
याद रखे कि जिस छड पर ऑक्सीकरण होता है उस छड को एनोड (anode) तथा जिस छड पर अपचयन होता है उस छड को कैथोड (cathode) कहते है , यहाँ Zn वाली छड को एनोड कहा जता है और Cu वाली छड को कैथोड कहते है।
चूँकि यहाँ इलेक्ट्रॉन का प्रवाह जिंक छड से कॉपर की छड की तरह होता है और हम जानते है कि धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत होता है , इसलिए यहाँ धारा का प्रवाह कॉपर इलेक्ट्रोड से जिंक एलेक्ट्रोड़ की तरफ होता है।
यह क्रिया स्वत: प्रवर्तित उपापचयन अभिक्रिया है।
यदि किसी सेल में स्वत: अप्रवर्तित रासायनिक अभिक्रिया हो रही हो तो उसे भी विद्युत रासायनिक सेल की श्रेणी में लिया जा सकता है। जैसे विद्युत अपघटनी सेल से भी विद्युत रासायनिक सेल होता है।