विद्युत द्विध्रुव : जब कोई दो आवेश जो परिमाण में समान व प्रकृति में विपरीत हो तथा अल्प दूरी पर स्थित हो तो इस युग्म को विद्युत द्विधुव कहते है।
प्रभावकारी लम्बाई (2a) : विद्युत द्विध्रुव के दोनों आवेशो के बीच की सीधी दूरी को प्रभावकारी लम्बाई कहते है।
प्रभावकारी लम्बाई का मात्रक मीटर तथा विमा [M0L1T0] होगी।
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (p) : विद्युत द्विध्रुव के एक आवेश का परिमाण तथा उसकी प्रभावकारी लम्बाई के गुणनफल को विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण कहते है।
p = q(2a)
विधुत द्विध्रुव का मात्रक ” कुलाम x मीटर ” या ” मीटर x सेकंड x एम्पियर”
विद्युत द्विध्रुव की विमा [M0L1T1A1] होती है।
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण एक सदिश राशि है जिसकी दिशा सदैव ऋणावेश से धनावेश की ओर होती है।
द्विध्रुव के कारण इसकी अक्षीय रेखा पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
माना किसी विद्युत द्विध्रुव के दो आवेश क्रमशः +q तथा -q है व इसम विद्युत द्विध्रुव की प्रभावकारी लम्बाई 2a है। इस विद्युत द्विध्रुव की अक्षीय रेखा पर स्थित इसके मध्य बिंदु से r दूरी पर स्थित बिंदु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की गणना के लिए –
अक्षीय रेखा : विद्युत द्विध्रुव के दोनों आवेशो को मिलाने वाली सीधी रेखा को विद्युत द्विध्रुव की अक्षीय रेखा कहते है।
-q आवेश के कारण बिंदु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता –
EA = Kq/(r+a)2 समीकरण-1 (P से A की ओर)
+q आवेश के कारण बिंदु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता –
EB = Kq/(r-a)2 समीकरण-2 (B से P की ओर)
अत: बिंदु P पर परिणामी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता –
E = EA – EB समीकरण 3 (A से B की ओर)
समीकरण 1 और समीकरण-2 का मान समीकरण 3 में रखने पर –
E = Kq[4ar/(r2 – a2)2]
चूँकि p = q(2a)
E = 2Kp r/ r2 – a2)2
यदि a <<< r हो तो a2 को r2 की तुलना में नगण्य माना जा सकता है .
अत:
E = 2Kp/r3
विद्युत द्विध्रुव की निरक्षीय (विषुवतीय) रेखा पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता :-
निरक्षीय रेखा / विषुवतीय : विद्युत द्विध्रुव की अक्षीय रेखा के लम्बवत तथा इसके मध्य बिन्दु से गुजरने वाली सीधी रेखा को विद्युत द्विध्रुव की निरक्षीय रेखा कहते है।
माना किसी विद्युत द्विध्रुव के आवेश क्रमशः +q व -q है व प्रभावकारी लम्बाई 2a है , इस विद्युत द्विध्रुव की निरक्षीय रेखा पर तथा मध्य बिंदु पर r दूरी पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की गणना के लिए –
-q आवेश के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता –
EA = Kq/l2 समीकरण-1 (P से A की ओर)
+q आवेश के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता –
EB = Kq/l2 समीकरण-2 (B से P की ओर)
अत: बिंदु P पर प्राप्त विद्युत क्षेत्र की तीव्रता EA व EB कोघटकों में वियोजित करने पर घटक EASinθ व EBSinθ परिमाण में समान व दिशा में एक दूसरे के विपरीत होने के कारण एक दुसरे के प्रभाव को निरस्त कर देते है परन्तु EACosθ व EBCosθ परिमाण में समान व एक ही दिशा में होने के कारण बिंदु P परिणामी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता –
E = EACosθ + EBCosθ
चूँकि दोनों का परिमाण समान है अत:
E = 2 EACosθ समीकरण-3
समकोण △AOP से –
Cosθ = आधार/ कर्ण
Cosθ = AO /AP
Cosθ = a/l समीकरण-4
समीकरण-1 व समीकरण 4 का मान समीकरण-3 में रखने पर –
E = Kq(2a)/l3
चूँकि p = q(2a)
अत:
E = Kp/l3 समीकरण 5
समकोण △AOP से –
पाइथोगोरस प्रमेय से –
AP2 = AO2 + OP2
l2 = a2 + r2
l = (a2 + r2)1/2 समीकरण 6
समीकरण-6 का मान समीकरण-5 में रखने पर –
E = Kp/(a2 + r2)3/2
यदि r >>> a हो तो a2 को r2 की तुलना में नगण्य माना जाता है।
E = Kp/ r3
विद्युत द्विध्रुव के कारण इसके मध्य बिंदु से समान दूरी पर अक्षीय रेखा व निरक्षीय रेखा पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रताओ का अनुपात 2:1 होगा।