हिंदी माध्यम नोट्स
विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi , आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक
आवेश के गुण , SI , CGS इकाई मात्रक , विद्युत आवेश की परिभाषा क्या है electric charge in hindi definition , किसे कहते है ? विमा :-
विद्युत आवेश : प्रसिद्ध वैज्ञानिक थेल्स (thales) ने बताया की जब काँच की छड़ को रेशम के कपडे से रगड़ा जाता है तो कांच की छड़ रगड़न के बाद छोटे छोटे कणों , कागज़ के टुकड़े इत्यादि को चिपकाना प्रारम्भ कर देता है , घर्षण प्रक्रिया (रगड़ना) के बाद पदार्थ सामान्य की तुलना में कुछ अलग व्यवहार प्रदर्शित करता है और पदार्थ के इस विशेष गुण को ‘विधुत आवेश ‘ नाम दिया गया।
पदार्थ द्वारा आवेश (विशेष गुण) ग्रहण करने के पश्चात पदार्थ को आवेशित पदार्थ कहा जाता है।
आवेश क्या है ?
किसी भी पदार्थ के निर्माण के लिए मूल कणो में से आवेश भी एक है , हालांकि आवेश की कोई निर्धारित परिभाषा (definition) नहीं है लेकिन आवेश को इसके (आवेश) के द्वारा उत्पन्न प्रभावों के माध्यम से समझाया जाता है।
आवेश एक द्रव्य पर उपस्थित वह गुण है जिसके कारण वह द्रव्य चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है या इन क्षेत्रों का अनुभव करता है।
उदाहरण :
विद्युत आवेश : द्रव्य के साथ जुड़ी हुई वह अदिश भौतिक राशि है जिसके कारण चुम्बकीय और वैद्युत प्रभाव उत्पन्न होते है , आवेश कहलाती है। किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों को अधिकता अथवा कमी से आवेश की अभिधारणा प्राप्त होती है। ऋणावेशित वस्तु में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता व धनावेशित वस्तु में इलेक्ट्रॉनो की कमी होती है।
आवेश के गुण
विद्युत
लगभग 600 ईसा पूर्व में, यूनान के दार्शनिक थेल्स ने देखा कि जब अम्बर को बिल्ली की खाल से रगड़ा जाता है, तो उसमें कागज के छोटे-छोटे टुकड़े आदि को आकर्षित करने का गुण आ जाता है। यद्यपि इस छोटे से प्रयोग का स्वयं कोई विशेष महत्व नहीं था, परन्तु वास्तव में यही प्रयोग आधुनिक विद्युत युग का जन्मदाता माना जा सकता है। थेल्स के दो हजार वर्ष बाद तक इस खोज की तरफ किसी का ध्यान आकृष्ट नहीं हुआ। 16वीं श्ताब्दी में गैलीलियों के समकालीन डॉ. गिलबर्ट ने, जो उन दिनों इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के घरेलू चिकित्सक थे, प्रमाणित किया कि अम्बर एवं बिल्ली के खाल की भाँति बहुत-सी अन्य वस्तुएँ-उदाहरणार्थ, काँच और रेशम तथा लाख और फलानेल- जब आपस में रगडे जाते है, तो उनमें भी छोटे-छोटे पदार्थो को आकर्षित करने का गुण आ जाता है।
घर्षण से प्राप्त इस प्रकार की विद्युत को घर्षण-विद्युत कहा जाता है। इसे स्थिर विद्युत भी कहा जाता है, बशर्ते पदार्थों को रगड़ने से उन पर उत्पन्न आवेश वहीं पर स्थिर रहे जहाँ वे रगड़ से उत्पन्न होते है। अतः स्थिर-विद्युतिकी भौतिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसकी विषय-वस्तु वैसे आवेशित पदार्थो के गुणों का अध्ययन है, जिन पर विद्युत आवेश स्थिर रहते है।
आवेशों के प्रकार– जब घर्षण से विद्युत उत्पन्न की जाती है, तो जिसमें वस्तु रगड़ी जाती है और जो वस्तु रगडी जाती है दोनों ही में समान परिमाण में विद्युत आवेश उत्पन्न होते है, लेकिन दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेशों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है। एक वस्तु पर के आवेश को ऋण आवेश तथा दूसरी वस्तु पर के आवेश को धन आवेश कहते है। आवेशा के लिए ऋणात्मक एवं धनात्मक पदों का प्रयोग सर्वप्रथम बेंजामिन फ्रेंकलिन ने किया था। बेंजामिन फ्रेंकलिन के अनुसार (प) काँच को रेशम से रगड़ने पर काँच पर उत्पन्न विद्युत को धनात्मक विद्युत कहा गया और (पप) एबोनाइट, या लाख की छड़ को फलानेल या रोएँदार खाल-इन दोनों में से किसी से रगड़ने पर उन पर उत्पन्न विद्युत को ऋणात्मक विद्युत कहा गया। घर्षण के कारण दोनों प्रकार की विद्युत बराबर परिमाण में एक ही साथ उत्पन्न होती है। नीचे के सारणी में कुछ वस्तुएँ इस ढंग से सजायी गयी है कि यदि किसी वस्तु को, किसी दूसरी वस्तु से रगड़कर विद्युत उत्पन्न की जाय, तो सारणी में जो पहले (पूर्ववर्ती) है, उसमें धन आवेश तथा जो बाद मे (उत्तरवर्ती) है, उसमें ऋण आवेश उत्पन्न होता है
1. रोआँ 2. फलानेल 3. चपड़ा4. मोम5. काँच
6. कागज 7. रेशम 8. मानव शरीर 9. लकड़ी 10. धातु
11. रबर 12. रेजिन 13. अम्बर 14. गंधक 15. एबोनाइट
उदाहरण- यदि काँच (5) को रेशम (7) के साथ रगड़ा जाय तो काँच में धन आवेश उत्पन्न होता है, लेकिन यदि काँच (5) को रोआँ (1) से रगडा जाय तो काँच में ऋण आवेश उत्पन्न होगा (उपर्युक्त सारणी के नियमानुसार)
सजातीय आवेशों में प्रतिकर्षण होता है अर्थात धन आवेशित वस्तुएँ एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है और ऋण आवेशित वस्तुएँ भी एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है। विजातीय आवेशों में आकर्षण होता है अर्थात एक धन आवेशित वस्तु और एक ऋण आवेशित वस्तु में आकर्षण होता है।
विद्युतीकरण का सिद्धान्त- घर्षण के कारण उत्पन्न आवेशों की घटना को समझाने के लिए भिन्न-भिन्न वैज्ञानिकों ने समय-समय पर अनेक सुझाव दिए है। वर्तमान में आधुनिक इलेक्ट्रॉन सिद्धांत सर्वमान्य है।
इलेक्ट्रॉन सिद्धांत- इस सिद्धान्त का विकास थॉमसन, रदरफोर्ड, नील्स बोर आदि वैज्ञानिकों के कारण हुआ है। इस सिद्धान्त के अनुसार जब दो वस्तुएँ आपस में रगड़ी जाती है, तो उनमें से एक वस्तु के परमाणुओं की बाहरी कक्षा से भ्रमणशील इलेक्ट्रॉन निकलकर दूसरी वस्तु के परमाणुओं में चले जाते है। इससे पहले वस्तु के परमाणुओं में इलेक्ट्रॅनों की कमी तथा दूसरी वस्तु के परमाणुओं के इनेक्ट्रॉन की वृद्धि हो जाती है। अतः पहली वस्तु धन आवेशिक एवं दूसरी वस्तु ऋण आवेशित हो जाती है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…