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प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव , प्रकाश में डाप्लर प्रभाव (doppler effect of light in hindi)

(doppler effect of light in hindi) प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव , प्रकाश में डाप्लर प्रभाव : जब प्रकाश स्रोत या प्रेक्षक के मध्य आपेक्षिक गति होती है तो प्रेक्षक को प्रकाश की आवृति में परिवर्तन महसूस होता है।

अर्थात जब प्रकाश स्रोत और प्रेक्षक एक दुसरे से दूर गति करते है तो प्रेक्षक को प्रकाश की आवृत्ति घटती हुई प्रतीत होती है तथा जब प्रकाश स्रोत व प्रेक्षक एक दुसरे की तरफ गति करती है तो प्रेक्षक को प्रकाश की आवृत्ति का मान बढ़ता हुआ प्रतीत होता है।
प्रकाश स्रोत व प्रेक्षक के मध्य इस आपेक्षिक गति के कारण प्रकाश की आवृत्ति में होने वाले इस आभासी परिवर्तन की घटना को प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव की घटना कहते है।
पहले डाप्लर प्रभाव की घटना ध्वनि में देखी गयी थी लेकिन बाद में इसे प्रकाश के लिए प्रयोगों द्वारा 1901 में देखा गया , हालांकि प्रकाश तरंगे ,ध्वनी तरंगों से भिन्न होते है अर्थात दोनों के गुण भिन्न होते है जैसे प्रकाश का वेग ध्वनि तरंगों की तुलना में बहुत अधिक होता है , ध्वनि तरंगों को स्थानांतरित करने के लिए माध्यम की आश्यकता होती है लेकिन प्रकाश बिना माध्यम के भी गति कर सकता है आदि।
उदाहरण : जब कोई व्यक्ति हाथ में एक टोर्च (प्रकाश स्रोत) लेकर आपकी तरफ आता  है या आप इस टोर्च की तरफ गति करते है तो आपको लगता है की प्रकाश की तीव्रता या आवृति बढती है और जब आप इस टोर्च से दूर गति करते है तो आपको यह महसूस होता है कि प्रकाश कम होता जाता है अर्थात प्रकाश की आवृत्ति कम होती जाती है , इसे प्रकाश के डोपलर प्रभाव का एक उदाहरण कह सकते है।
माना प्रकाश स्रोत व प्रेक्षक के मध्य V वेग से आपेक्षिक गति हो रही है तथा तथा वास्तविक आवृत्ति v हो और आपेक्षिक गति के कारण अर्थात डोपलर प्रभाव के कारण आभासी आवृत्ति v’ हो तो v’ अर्थात प्रकाश की आभासी आवृत्ति का मान निम्न सूत्र से ज्ञात कर सकते है –

 

यहाँ V/C = प्रेक्षक तथा प्रकाश स्रोत के मध्य की आपेक्षिक गति (V) तथा प्रकाश की चाल (C) का अनुपात है।
अर्थात V = आपेक्षिक गति
C = प्रकाश का वेग
डॉप्लर प्रभाव के कारण आभासी तरंग दैर्ध्य का मान निम्न सूत्र के द्वारा ज्ञात किया जाता है –

यहाँ λ = जब प्रकाश स्रोत व प्रेक्षक स्थिर अवस्था में है तब स्रोत की तरंग दैर्ध्य का मान है।
नोट : ये ऊपर वाले दोनों समीकरण सूत्र तब लागू है जब प्रकाश स्रोत प्रेक्षक से दूर गति करते है।
जब प्रकाश स्रोत व प्रेक्षक एक दुसरे के पास गति कर रहे हो 
आभासी आवृत्ति =

इसी प्रकार आभासी तरंग दैर्ध्य =

डॉप्लर प्रभाव के उपयोग या अनुप्रयोग (uses or Applications of Doppler Effect of Light)

1. वाहन की गति मापने के लिए : रोड के किनारे पुलिस अफसर किसी वाहन का स्पीड का मान ज्ञात करने के लिए एक मशीन का उपयोग करते है यह मशीन डोपलर प्रभाव पर आधारित रहती है।
इस मशीन द्वारा गतिशील वाहन पर रेडियो आवृत्ति की तरंग भेजी जाती है यह तरंग वाहन से टकराकर वापस इस मशीन पर आती है चूँकि वाहन गतिशील है अत: उसकी तरंग की आवृत्ति का मान परिवर्तित हो जाता है , जितना अधिक परिवर्तन होता है उस वाहन की स्पीड उतनी ही अधिक होती है , वाहन किस स्पीड पर चल रहा है इसकी गणना एक कम्पूटर पर होती है जो आवृत्ति में परिवर्तन के आधार पर गतिशील वाहन की स्पीड की गति बता देता है।
2. चिकित्सा में भी डोपलर प्रभाव के उपयोग से कई इलाज या जांच की जाती है जैसे सोनोग्राफी , इकोकार्डीयोग्राम आदि डोपलर प्रभाव पर आधारित है।
3. हवाई जहाज आदि की गति की गणना भी डोपलर प्रभाव के आधार पर की जाती है।
4. सूर्य की घूर्णन चाल तथा तारों का वेग आदि सभी डॉप्लर प्रभाव के आधार पर ज्ञात किये जाते है।