यहाँ हम यही अध्ययन करेंगे की दूरी और विस्थापन क्या है और इनमें क्या अंतर है।
दूरी (distance)
मान लीजिये कोई व्यक्ति 6 किलोमीटर उत्तर में चलता है और फिर पश्चिम की तरफ घूम जाता है और 4 किलोमीटर चलता है। अब बताएं की वह व्यक्ति कुल कितनी दूर चला = 6 + 4 = 10 किलोमीटर।
यही 10 किलोमीटर दूरी कहलाती है।
दूरी की परिभाषा : ” किसी वस्तु या व्यक्ति द्वारा तय की गयी या चली गयी कुल पथ की लम्बाई को दुरी कहते है।”
दूरी का मान अन्तिम एक प्रारंभिक स्थिति के अलावा पथ पर भी निर्भर करता है।
यदि कोई व्यक्ति अपनी मंजिल पर 15 किलोमीटर चलकर पंहुचता है और उस मंजिल तक पहुँचने का दूसरा मार्ग 10 किलोमीटर का भी है तो भी व्यक्ति द्वारा तय की गयी दूरी 15 किलोमीटर होगी क्योंकि व्यक्ति ने 15 किलोमीटर वाला पथ तय किया है या व्यक्ति 15 किलोमीटर चला है चाहे वह पथ छोटा हो या बड़ा। अगर व्यक्ति 15 किलोमीटर वाला पथ छोड़कर 10 किलोमीटर वाला पथ अनुसरण करता तो व्यक्ति द्वारा तय की गयी दूरी का मान 10 किलोमीटर होता।
इसलिए दूरी प्रारंभिक व अन्तिम स्थिति के साथ साथ पथ पर भी निर्भर करता है जिसका अनुसरण किया गया है।
दूरी का M.K.S पद्धति में मात्रक ‘मीटर’ होता है , इसके अलावा दूरी को किलोमीटर आदि में भी मापा जाता है।
विस्थापन (displacement)
दूरी और विस्थापन में अन्तर
गति
विराम और गति- यदि किसी वस्तु की स्थिति किसी स्थिर वस्तु के सापेक्ष समय के साथ बदलती रहती है, तो उसे गति अवस्था में कही जाती है, जैसे- चलती ट्रेन जो बिजली पोल या पटरी के किनारे स्थित पेड़-पौधे के सापेक्ष अपनी स्थिति बदलती रहती है। समय के साथ स्थिर वस्तु के सापेक्ष स्थिति नहीं बदलने पर उसे विराम अवस्था कही जाती है।
दूरी– वस्तु द्वारा किसी समय-अन्तराल में तय किए गए मार्ग की सम्पूर्ण लम्बाई को दूरी कहते हैं। यह एक अदिश राशि है। यह सदैव धनात्मक होती है।
विस्थापन– वस्तु की अंतिम स्थिति तथा प्रारंभिक स्थिति के बीच की न्यूनतम दूरी को विस्थापन कहते है। विस्थापन एक सदिश राशि है, इसमें परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं। विस्थापन का मान धनात्मक, ऋणात्मक या शुन्य कुछ भी हो सकता है।