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Categories: BiologyBiology

अस्थियों के रोग क्या हैं ? हड्डियों की बीमारियों के नाम अस्थि / हड्डी रोग का इलाज अस्थिभंग disease related to bones and joints in hindi

disease related to bones and joints in hindi अस्थियों के रोग क्या हैं ? हड्डियों की बीमारियों के नाम अस्थि / हड्डी रोग का इलाज अस्थिभंग ?

अस्थियों के रोग : कंकाल और संधियों सम्बन्धी असामान्यताएँ – injury पांच प्रकार की होती है – मोच (sprain) , संधि भंग (dislocation) , हड्डी (fracture) , आर्थराइटिस (arthritis) और स्लिप डिस्क |

  1. मोच (sprain) : संधि कैप्सूल के क्षतिग्रस्त होने से सम्बन्धित है | प्रारम्भिक रूप से इसमें स्न्नायु अथवा टेंडन की stretching or tearing शामिल है |
  2. Arthritis : यह संधियों की सूजन है |
  3. संधि भंग (dislocation) : यह अस्थियों का उनकी संधि पर सामान्य स्थिति से प्रतिस्थापन है | उदाहरण के लिए एक अस्थि की कन्दुक का अन्य अस्थि की सॉकेट जिसमें यह फिट होता है , से स्लिप होना है |
  4. Slipped disc : यह कशेरूका और अन्तकशेरुक तंतुनुमा उपास्थिल डिस्क का उनकी सामान्य स्थिति से प्रतिस्थापन है |
  5. Fracture : जब हड्डी टूट जाती है तो यह फ्रेक्चर कहा जाता है | फ्रेक्चर बच्चों में बहुत कम मिलता है | बच्चों की अस्थियों में कार्बनिक पदार्थ बड़ी मात्रा में होते हैं और ये लचीली होती है इसलिए बहुत कम टूटती है | उम्र बढ़ने के साथ लवणीय पदार्थ अस्थियों में जमा हो जाते हैं | जिसमें कार्बनिक पदार्थ कम हो जाते है | ये अस्थियों को कठोर और भंगुर बना देते हैं | वृद्ध आदमी में हड्डी टूटने की सम्भावना अधिक होती है |

फ्रेक्चर के प्रकार

  • ग्रीन स्टिक फ्रेक्चर : यह अस्थि में साधारण क्रेक है जिसमें अस्थि के दो भाग एक साथ बने रहते हैं | यह केवल बच्चों में होता है |
  • साधारण फेक्चर : जब एक अस्थि पूरी तरह दो पृथक भागों में टूट जाती है परन्तु दोनों भाग इनकी स्थिति से अधिक प्रतिस्थापित नहीं होते |
  • इवलसन फ्रेक्चर : जब हड्डी का छोटा भाग मुख्य अस्थि की सहायता से अस्थि से ही जुड़ा रहता है |
  • कमीन्यूटेड फ्रेक्चर : इस फ्रेक्चर में एक अस्थि दो से अधिक टुकड़ों में टूट जाती है |
  • संयुक्त फेक्चर : यह गंभीर प्रकार का फ्रेक्चर है जिसमें एक अस्थि बहुत से टुकड़ों में टूट जाती है और कुछ टुकड़े चमड़ी से बाहर फैल जाते हैं |
  1. कंकालीय पेशियाँ :

एंटागोनिस्टिक पेशियाँ : पेशियां जो एक ही संधि पर विपरीत गति करने के लिए संकुचित होती है , एन्टागोनिस्टिक पेशियाँ कहलाती है | पश्च पाद की बड़ी अस्थि lever की तरह कार्य करती है | प्रोपल्सन के दौरान अस्थियाँ lever की भाँती और संधियाँ इस lever की fulcrum की तरह कार्य करती है |

कार्य के आधार पर पेशियों का वर्गीकरण

  1. फ्लेक्सर : ये पेशियाँ अस्थियों की अग्र सतह के मध्य संधि का कोण घटा देती है | e. इन पेशियों का संकुचन दो अस्थियों के समीप लाता है | उदाहरण – Biceps.
  2. एक्सटेन्सर : ये पेशियाँ भाग को फ्लेक्सेन से सामान्य स्थिति में लौटती है | ये एक संधि का कोण बढ़ाती है | उदाहरण – triceps
  3. Abductors : इन पेशियों का संकुचन अस्थि को मध्य रेखा से दूर गति करवाता है |
  4. Adductors : इन पेशियों का संकुचन अस्थि अथवा भाग को मध्य रेखा की तरफ लाती है |
  5. Rotators : इन पेशियों का संकुचन एक हिस्से में घूर्णन अथवा इसकी अक्ष पर pivot उत्पन्न करता है |
  6. Levators : ये पेशियाँ हिस्से को ऊपर उठा देती है |
  7. Depressors : ये पेशियाँ किसी भाग की नीचे गति कराती है |
  8. Tensors : ये एक भाग को तन्य अथवा अधिक rigid बना देती है |
  9. Supinators : इनका संकुचन अग्रभुजा में घूर्णन कराता है और हाथ / पाम को ऊपर की ओर मोड़ता है |
  10. Pronators : हाथ / पाम को नीचे की तरफ लौटाता है |

संधियाँ गति करने के लिए levers बनाती है | ये तीन प्रकार के होते हैं –

  • First order levers – Fulcrum (F) अथवा संधि वजन (प्रतिरोध – R) और शक्ति (Effort – E) के मध्य होता है | उदाहरण – सिर (वजन) की नोडिंग गति एटलस (fulcrum) के ऊपर गर्दन पेशियों (शक्ति) की गति द्वारा |
  • Second order lever : वजन (weight) शक्ति (E) और fulcrum के मध्य स्थित होता है | उदाहरण – पैर की पेशियों द्वारा toes पर शरीर का उठना (fulcrum समीपस्थ अंगुलास्थी और मेटाटार्सल के मध्य संधि पर स्थित होता है |)
  • Third order levers – यह सामान्य प्रकार का है | जिसके द्वारा अधिक ऊर्जा प्राप्त की जाती है | यहाँ शक्ति fulcrum और वजन के मध्य होती है | उदाहरण – हाथ द्वारा , कोहनी संधि के कार्य के साथ और अग्रभुजा से जुडी पेशियों के शक्ति के रूप में कार्य करने पर वजन ले जाना |

पेशी संकुचन की कार्यिकी : जब एक तंत्रिका आवेग (तंत्रिका क्रिया विभव) सायनेप्टिक बल्ब तक पहुँचती है तो यह सायनेप्टिक पुटिका की एक्सोसायटोसिस को प्रेरित करती है | इस प्रक्रिया में , सायनेप्टिक पुटिका प्लाज्मा झिल्ली के साथ संयुक्त हो जाती है और Ach (एसिटाइल कोलीन) मुक्त करती है | जो कि चालक न्यूरोन और चालक एण्ड प्लेट के मध्य सायनेप्टिक क्लेफ्ट से विसरित हो जाती है | जब Ach रिसेप्टरों से जुड़ता है तो एक चैनल छोटे कैटायन पास करता है | मुख्यतः Na+ चैनल खुलते हैं जो कि पेशी क्रिया विभव का कारण होता है | यह पेशी कोशिका प्लाज्मा झिल्ली के साथ साथ गति करता है और उन प्रक्रमों को उत्पत्ति देता है जो पेशी संकुचन उत्पन्न करता है | हेन्सन और हक्सले ने बताया कि कंकाल पेशियाँ संकुचन के दौरान छोटी हो जाती है क्योंकि मोटे और पतले तन्तु एक दूसरे के ऊपर आ जाते हैं | यह मॉडल पेशी संकुचन की sliding filament mechanism के रूप में जाना जाता है |

स्लाइडिंग फिलामेन्ट क्रियाविधि (sliding filament mechanism) : पेशी संकुचन के दौरान मायोसिनसिर हैड पतले तंतुओं पर खींचता है जो उनको H Zone की तरफ सार्कोमीयर के अन्दर की ओर खींचती है जिससे प्रत्येक सार्कोमीयर के पतले तंतुओं को खींचता है जिससे इसके अन्दर इसका सिरा सार्कोमीयर के केन्द्र में अतिव्यापित होता है | पतले तंतु अन्दर की ओर खिसकते हैं | Z discs एक दूसरे की तरफ आती है और सार्कोमीयर छोटा हो जाता है परन्तु पतले और मोटे तंतुओं की लम्बाई परिवर्तित नहीं होती | तंतुओं के खिसकने और सार्कोमीयर में छोटा होने से सम्पूर्ण पेशी तंतु छोटे हो जाते है और अंत में सम्पूर्ण पेशियों में shortening हो जाती है |

कैल्शियम और रेगुलेटर प्रोटीन की भूमिका : सार्कोप्लाज्म में Ca2+ सांद्रता बढ़ने से फिलामेन्ट स्लाइडिंग प्रारंभ होती है जबकि घटने से स्लाइडिंग प्रक्रिया कम होती है |

जब एक पेशी तंतु शिथिल (संकुचन नहीं होता) होता है , Ca2+ की सांद्रता इसके सार्कोप्लाज्म में बहुत कम होती है | यह सार्कोप्लाज्मिक रेटिकूलम के (SR) कारण होता है जो Ca2+ सक्रीय परिवहन पम्प युक्त होती है जिससे Ca2+ सार्कोप्लाज्म से SR में प्रवेश करता है | Ca2+ SR में संग्रहित होता है | पेशी क्रिया विभव सार्कोलेमा के साथ साथ गति करता है और क्षैतिज नाल तंत्र में गति करता है | Ca2+ युक्त चैनल SR झिल्ली में खुलते हैं जिसके परिणामस्वरूप Ca2+ सार्कोप्लाज्मा में पतले तंतुओं के चारों तरफ मुक्त होता है | सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम से मुक्त हुआ Ca2+ ट्रोपोनिन के साथ जुड़ता है और इसके आकार में परिवर्तन करता है | यह परिवर्तित आकृति ट्रॉपोनिन ट्रॉपोमायोसीन कॉम्प्लेक्स मायोसीन बाइंडिंग स्थल से दूर एक्टिन पर गति करता है |

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