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Categories: Biology

Direct and Indirect Development in Insects in hindi कीटों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष परिवर्धन विकास क्या है

जाने Direct and Indirect Development in Insects in hindi कीटों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष परिवर्धन विकास क्या है ?

कीटों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष परिवर्धन

(Direct and Indirect Development in Insects)

लैंगिक प्रजनन करने वाले सभी बहुकोशिक (metazoan) जन्तुओं की शुरूआत एक कोशिका से होती है। यह कोशिका युग्मनज या जाइगोट (zygote) कहलाती है तथा यह नर व मादा युग्मकों (gametes) के संगलन (fusion ) से बनती है। संगलन की प्रक्रिया निषेचन (fertilization) कहलाती है। निषेचन के फलस्वरूप बनी इस कोशिका या युग्मनज में अनेक विदलन (cleavages) तथा बाद में कोशिका विभाजन (cell divisions) होते हैं। वयस्क में अनेक प्रकार के ऊत्तक, अंग व अंग-तन्त्र पाये जाते हैं। विदलन व कोशिका विभाजनों के फलस्वरूप अन्ततः सभी ऊत्तक अंग व तंत्र विकसित हो जाते हैं।

जाइगोट से वयस्क तक की विकास यात्रा में प्रथम अवस्था भ्रूण ( embryo) कहलाती है। भ्रूण किसी जीव की यह अवस्था है जो स्फुटन (hatching) से पूर्व की अवस्था है जिसमें विदलन व विभाजन तो शुरू हो चुका है परन्तु अण्डझिल्लियाँ यथावत होती हैं। अण्ड झिल्लियों से भ्रूण का बाहर आना स्फुटन (hatching) कहलाता है । स्फुटन से वयस्क तक का परिवर्धन निम्न दो प्रकार से हो सकता है

(i) प्रत्यक्ष परिवर्धन (Direct Development)

(ii) अप्रत्यक्ष परिवर्धन (Indirect Development)

प्रत्यक्ष परिवर्धन में स्फुटन से ऐसे स्वरूप उत्पन्न होते हैं जो वयस्क जैसे स्वरूप के होते हैं परन्तु आकार में छोटे होते हैं। परिवर्धन व वृद्धि से ये आकार में बढ़ते हैं तथा वयस्क हो जाते हैं। दूसरी ओर अप्रत्यक्ष परिवर्धन में स्फुटन के उपरान्त ऐसी अवस्थाएँ उत्पन्न होती हैं जो स्वरूप व व्यवहार में वयस्क से भिन्न होती है।

  1. प्रत्यक्ष परिवर्धन (Direct Development)

प्रत्यक्ष परिवर्धन उन जन्तुओं में पाया जाता है जिनके अण्डे या तो अधिक भोजन सामग्री ( yolk) युक्त होते हैं या जिनमें माता से पोषण प्राप्त करने हेतु विशिष्ट ऊत्तक पाए जाते हैं। सरीसृपों (reptiles) व पक्षियों (birds ) के अण्डों में पर्याप्त योक या पोषक पदार्थ पाया जाता है। इनके अण्डे क्लीडोइक अण्डे (cleidoic eggs) कहलाते हैं। इनका भ्रूण पोषक सामग्री से ऊर्जा व भोज्य पदार्थ प्राप्त कर वृद्धि करता जाता है तथा स्फुटन के समय तक एक वयस्क के लघु रूप में बदल जाता है। । स्फुटन से निकला एक चूजा या सपोला वयस्क जैसा दिखाई देता है भले ही उसका रंग व आकार ठीक वयस्क जैसा न हो। यह अशक्त व सुस्त शैशव अवस्था पोषण व संरक्षण प्राप्त कर वयस्क में बदल जाती है।

अधिकांश स्तनी प्राणि जरायुज (viviparous) होते हैं जो अण्डे नहीं देते हैं वरन् अपने शरीर में ही भ्रूण का पोषण करते हैं। परिवर्धित होने वाला भ्रूण माता के शरीर से प्लेसेन्टा नामक अंग से जुड़ा रहता है तथा पोषण प्राप्त करता है। जन्म (parturition) के समय माता के शरीर से निकला शिशु अशक्त व अवयस्क अवश्य होता है परन्तु यह आकारिकी में वयस्क के समान होता है तथा समय के साथ यह आकार में बढ़कर वयस्कता प्राप्त करता है।

प्रत्यक्ष परिवर्धन प्रदर्शित करने वाले जन्तुओं में अधिक योक अण्डों के अतिरिक्त लम्बी भ्रूणीय अवस्थाएँ पाई जाती है।

अकशेरुकी जन्तुओं में भी अनेक जन्तु प्रत्यक्ष परिवर्धन प्रदर्शित करते हैं। कुछ कीट जो पंखविहीन (apterygotes) है, जैसे गण कोलेम्बोला (Collembola) व थाइसेन्यूरा (Thysanura) के कीट, अकायान्तरणी परिवर्धन (Ametabolic development) प्रदर्शित करते हैं। इन कीटों में अण्डे से सीधे वयस्क के समान एक लघु कीट उत्पन्न होता है जो वृद्धि कर वयस्क अवस्था में बदल जाता है। अवयस्क स्वरूप निम्फ (nymph) कहलाता है। यह सिर्फ आकार में ही वयस्क से भिन्न होता है। आकृति में यह वयस्क समान होता है तथा इसमें वयस्क की सभी बाह्य संरचनाएँ देखी जा सकती है। ऐसे जीव किसी प्रकार का कायान्तरण प्रदर्शित नहीं करते हैं तथा सिर्फ वृद्धि कर वयस्क में बदल जाते हैं। पुस्तकों पर पाई जाने वाली सिल्वर फिश (lepisma) इस प्रकार का कीट है।

  1. अप्रत्यक्ष परिवर्धन ( Indirect Development)

अनेक जन्तुओं में भ्रूण से एक ऐसी अवस्था उत्पन्न होती है जो आकारिकी, स्वभाव आदि में वयस्क के समान नहीं होती है। यह अवस्था बाद में वयस्क अवस्था में बदल जाती है। उदाहरणार्थ अनेक कीटों में अण्डे से लार्वा उत्पन्न होता है जो वयस्क के समान नहीं होता है । यह स्वरूप प्यूपा में बदल कर अन्ततः वयस्क बनता है। एम्फीबिया वर्ग (कॉर्डेटा) में भी इसी प्रकार लार्वा अवस्था (टेडपोल लार्वा) पाई जाती है जो आकारिकी, व्यवहार, पारिस्थितिकी व कार्यिकी की दृष्टि से वयस्क से भिन्न होती है। ऐसा परिवर्धन जिसमें अण्डे से सीधे वयस्क समान रूप न उत्पन्न हो अप्रत्यक्ष परिवर्धन (indirect development) कहलाता है। इनके जीवन में सामान्यतः एक नाटकीय परिवर्तन के साथ वयस्क में बदलाव आता है। इस घटना को कायान्तरण (metamorphosis) कहते हैं। अप्रत्यक्ष परिवर्धन प्रदर्शित करने वाली जातियों में छोटी भ्रूणीय अवस्थाएँ व अल्प योक युक्त अण्डे पाए जाते हैं। अप्रत्यक्ष परिवर्धन की अवस्थाओं, विशेषताओं तथा विभिन्न जातियों के लार्वाओं व उनके परिवर्धन के विषय में अध्याय से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यहाँ कीटों के अप्रत्यक्ष परिवर्धन के विषय में चर्चा करना भी स्थान संगत होगा ।

कीटों में अप्रत्यक्ष परिवर्धन (Indirect Development)

अनेक कीटों में भी पूर्व वर्णित अशकेरुकी जीवों की तरह अप्रत्यक्ष परिवर्धन पाया जाता है। यह परिवर्धन निम्न प्रकार का हो सकता है –

  • अर्द्धकायान्तरणी या हेमीमेटाबोलिक मेटामॉर्फोसिस (Hemimetabolic Metamorphosis) कुछ कीटों में परिवर्धन लेपिस्मा के समान प्रत्यक्ष या कायान्तरणविहीन ( ametabolic) नहीं होता है। लेकिन इनमें तितलियों की तरह पूर्ण कायान्तरण ( complete metamorphosis) भी नहीं पाया जाता है अर्थात् इनमें वयस्क से भिन्न दिखने वाले स्वरूप में बड़े परिवर्तन से भ्रूणोत्तर परिवर्धन नहीं होता है वरन वयस्क से भिन्न स्वरूप दर्शाने वाली अवस्थाएँ धीरे-धीरे या क्रमशः परिवर्धन कर वयस्क में बदलती है। ऐसा परिवर्धन अपूर्ण कायान्तरण (incomplete metomorphosis) या हेमीमेटाबोलिक कायान्तरण (Hemimetabolic metamorphosis) कहलाता है। उदाहरणार्थ ड्रेगन फ्लाई (Dragon fly, Odonata) में फ़्लाई ( May fly, Ephemeroptera) आदि में अण्डे से उत्पन्न निम्फ अवस्था वयस्क से भिन्न होती है। वयस्क सपंख व आकाश में विचरण करने वाले होते हैं जबकि निम्फ जलीय (aquatic) होते हैं। ये कायान्तरण (metamorphosis) से वयस्क में बदलते हैं। इनमें लार्वा व प्यूपा जैसी अवस्थाएँ नहीं पाई जाती हैं। इस प्रकार का कायान्तरण कॉकरोच, इयरविग सभी बगों, आदि में भी पाया जाता है। ऐसे कायान्तरण प्रदर्शित वाले गणों को एक्सोप्टेरिगोटा (Exopterygota) के अन्तर्गत रखा जाता है।

(b) होलोमेटाबॉलिक मेटामॉर्फोसिस (Holometabolic Metamorphosis)

कीटों के गण लेपिडोप्टोरा (Lepidoptera; butterflies and moths), हाइमेनोप्टेरा (Hymenoptera; bees), डिप्टेरा (Diptera; files and mosquito) न्यूरोप्टेरा (Neuroptera), ट्राइकोप्टेरा (Trichoptera), कोलियोप्टेरा (Coleoptera, Beetles) आदि के परिवर्धन में अण्डे, लार्वा (larva), प्यूपा (Pupa) व वयस्क ( adult) जैसी अवस्थाएँ पाई जाती हैं। इनमें पाए जाने वाले कायान्तरण को पूर्ण कायान्तरण (complete metapmorphosis) कहते हैं ।

अण्डों से निकले लार्वा संरचना, व्यवहार, मुखांग, पंखों आदि की दृष्टि से वयस्क से भिन्न होते हैं। यह पोषण प्राप्त करने की सक्रिय अवस्था है जिसमें लार्वा पोषण प्राप्त कर कई गुना बड़ा हो जाता है। जब यह पर्याप्त वृद्धि कर लेता है तो प्यूपा नामक अवस्था में बदल जाता है जो सामान्यतः निष्क्रिय प्रतीत होती है परन्तु जिसमें तेजी से कायान्तरण की गतिविधियाँ सम्पन्न हो रही होती है। प्यूपा में लार्वा के अंगों को एन्जाइमों और भक्षाणुओं द्वारा विखण्डन होता है तथा वयस्क के अंगों का निर्माण होता है प्यूपा के प्रस्फुटन से एक वयस्क प्रकट होता है जो रंग-रूप, व्यवहार, पोषण के प्रकार लार्वा से भिन्न होता है। इस प्रकार का कायान्तरण पूर्ण कायान्तरण या होलोमेटाबॉलिक मेटामोर्फोसिस (Holometabolic) कहलाता है। जिन गणों में इस प्रकार का कायान्तरण पाया जाता है उन्हें एक वर्गक होलोमेटाबेला (Holometabola) या एण्डोप्टेरिगोटा (Endopterygota) में वर्गीकृत किया जाता है।

उदाहरण के लिए तितली, मक्खी, मच्छर भृंग (beetle) आदि पूर्व कायान्तरण के दौरान में कई बार निर्मोचन (monlting ) होता है जिससे लारवा अगली अवस्था के लारवा में रूपान्तरित होता है। लारवा की प्रत्येक अवस्था इन्स्टार (instar) कहलाती है, तथा दो इन्स्टार के बीच की अवधि को स्टेडियम (stadium) कहते हैं। लारवा के बाद की अवस्था प्यूपा कहलाती है जो : सुप्त या निष्क्रिय अवस्था (dormant) होती है। इस सूक्ष्म अवस्था को डायपॉज (diapause) कहते हैं।

परिवर्धन की सभी अवस्थाओं का नियमन विभिन्न हारमोन्स करते हैं। कीटों में परिवर्धन निर्मोचन की मुख्य रूप से निम्न हारमोन नियंत्रित कहते हैं।

इक्डासोन (Ecdysone) : यह हारमोन लारवा के विभिन्न इन्स्टार अवस्थाओं के दौरान होने वाले निर्मोचन का नियमन करता है यह प्यूपा से वयस्क में कायान्तरण की क्रिया का भी नियमन करता है वयस्क अवस्था में इस हारमोन का स्रावण नहीं होता है।

जुवेनाइल हारमोन (Javenile hormone) : यह हारमोन लारवा अवस्था को बनाये रखने में सहायक होता है जब इसकी कमी हो जाती है तो लारवा से प्यूपा व प्यूपा से वयस्क अवस्था में कायान्तरण होता है।

एक्लोसियोन हारमोन (Eclosion hormone) : यह हारमोन प्यूपा से वयस्क को बाहर निकालने को प्रेरणा देता है ।

बर्सिकॉन (Bursicon ) : यह नव निर्मोचित वयस्क की त्वचा को कठोर बनाने का कार्य करता है।

प्रश्न (Questions)

लघुउत्तरीय प्रश्न

  1. प्रत्यक्ष परिवर्धन किसे कहते हैं?
  2. अप्रत्यक्ष परिवर्धन किसे कहते हैं?
  3. अकायान्तरणी परिवर्धन से आप क्या समझते हैं ?
  4. अर्द्धकायान्तरणी परिवर्धन को उदाहरण सहित समझाइये |
  5. पूर्ण कायान्तरणी परिवर्धन से क्या तात्पर्य है । उदाहरण सहित समझाइये।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

  1. प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष परिवर्धन से क्या आशय है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिये ।
  2. कीटों में कितने प्रकार का कायान्तरण पाया जाता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
  3. लार्वा अण्डे व भ्रूण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए
  4. किसी एक कीट के जीवन चक्र का वर्णन कीजिए जिसमें पूर्ण कायान्तरण पाया जाता हो।
  5. कीटों में परोक्ष तथा अपरोक्ष परिवर्धन समझाइये |
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