JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

टिड्डा पाचन तंत्र के बारे में जानकारी क्या है , अंग , आंत्र digestive system of locust in hindi organs

जीव विज्ञान में टिड्डा पाचन तंत्र के बारे में जानकारी क्या है , अंग , आंत्र digestive system of locust in hindi organs बीएससी में ?

पाचन तन्त्र (Digestive system):

टिड्डे में आहार नाल सुविकसित होती है तथा यह तीन भागों में विभेदित की जा सकती है (i) अग्र आन्त्र (foregut) (i) मध्य-आन्त्र (mid gut) (iii) पश्च आन्त्र (hind gut) इनमें से अग्रआन्त्र व पश्च आन्त्र क्यूटिकल के अन्तर्वलन के कारण क्यूटिकल द्वारा अस्तरित रहती है।

अग्र आन्त्र (Foregut) : अग्र-आन्त्र का प्रारम्भ पूर्व मुख गुहा (preoral cavity) की पृष्ठ सीमा पर स्थित मुख से होती है। मुख चारों ओर से मुखांगों द्वारा घिरा रहता है (जिनका वर्णन इसी अध्याय में पूर्व में किया जा चुका है।) मुख एक अति छोटी ग्रसनी में खुलता है। ग्रसनी आगे चलकर एक छोटी संकरी ओर पतली भित्ति वाली नलिका ग्रसिका (oesophagus) में खुलती है। फिर ग्रसिका एक पतली भित्ति वाले बड़े आकार के थेले समान संरचना में सतत रहती है जिसे अन्नपुट या क्रॉप (crop) कहते हैं। अन्नपुट वक्ष के मध्य भाग तक फैला रहता है। अन्नपुट के नीचे एक जोड़ी छोटी शाखित लार ग्रन्थियाँ पायी जाती है इनकी वाहिकाएं लार वाहिकाएँ मुख गुहा में लेबियम पर खुलती है। अन्नपुट के पीछे की तरफ एक छोटी कठोर पेषणी (gizzard) या ग्रन्थिल जठर (proventriculus) होती है जो वक्ष के पिछले सिर तक फैली रहती है। पेषणी की भित्ति मोटी व पेशीय होती है तथा काइटिनी प्लेटों व दांतों द्वारा आस्तरित रहती है।

मध्य आन्त्र (Midgut) : पेषणी के पीछे मध्य आन्त्र का भाग पाया जाता है जो आमाशय (stomach) या पश्च जठर (ventriculus) के रूप में निरूपित रहता है। यह उदर के मध्य भाग तक फैला रहता है। इसकी भित्ति पतली व क्यूटिकल विहीन होती है। आमाशय के अग्र व पश्च सिरे पर अवरोधनियाँ स्थित होती है। आमाशय की भित्ति परिपोष झिल्ली या पेरिट्रोफिक झिल्ली  (peritrophic membrane) द्वारा आस्तरित रहती है जो एन्जाइम्स व पाचित भोजन के लिए पारगम्य चित्र 6: टिड्डे की आहारनाल होती है तथा एन्जाइम्स के प्रभाव से सुरक्षित रहती है। आमाशय के अग्र सिरे पर छ: जोडी लम्बी। शंक्वाकार यकृतीय (hepatic) या जठरीय (gastric) अन्धनालें (ceaca) पायी जाती है व आमाशय में खुलती है। ये अन्धनाले एक वलय में उपस्थित होती है। प्रत्येक जोड़ी अन्धनाल का कोष। (pouch) आगे की ओर पेषणी के ऊपर तक तथा दूसरा कोष पीछे की ओर बढकर पश्च जर (proventriculus) तक फैला रहता है। जठरीय अन्ध नाले पाचक एन्जाइम्स का स्रावण करती है साथ ही पचे हुए भोजन के अवशोषण में भी सहायक होती है।।

पश्चआन्त्र (Hindgut) : पश्च आन्त्र वाले भाग को आन्त्र (intestine) कहते हैं जो क्यटिकल द्वारा आस्तरित होती है। आमाशय व आंत्र के जुड़ने के स्थान पर धागे समान लम्बी पीताभ असंख्य मेल्पिघी नलिकाएँ (Malpighhian tubules) स्थित होती है तथा ये नलिकाएँ आन्त्र में ही खुलती है। मेल्पिघी नलिकाएँ उत्सर्जी अंग होती है। अकुण्डलित आन्त्र का अगला पतला भाग इलियम या क्षदान्त्र (ilium) कहलाता है, मध्यका संकरा भाग वृहदान्त्र या कॉलोन (colon) तथा पश्च का फूला हआ भाग मलाशय (rectum) कहलाता है, जो उदर के ग्यारहवें खण्ड पर गुदा द्वार (anus) द्वारा बाहर खुलता है।

भोजन, अशन एवं पाचन (Food, Feeding and Digestion) : टिड्डों का भोजन पौधों की हरी कोमल पत्तियाँ होती है। इन्हें खाने के लिए टिड्डे उड़कर, कूदकर व चलकर एक पौधे से दूसरे पौधे पर जाते हैं। भोजन ग्रहण करने के लिए टिड्डे भोजन को अग्र टांगों, लेब्रम व लेबियम की सहायता से पकड़ कर लार द्वारा उसे चिकना बनाते हैं तथा चिबुकों या मेन्डिबलों (mandibles) व जम्भिकाओं (maxillae) द्वारा चबाते हैं व चबाये हुए भोजन को निगल लेते हैं।

लार भोजन को केवल चबाने व निगलने में ही सहायक नहीं होती है वरन इसमें उपस्थित एमाइलोलाइटिक एन्जाइम (amylolytic enzyme) भोजन में उपस्थित स्टार्च के पाचन में भी सहायक होता है। चबाया गया भोजन निगलने के पश्चात् ग्रसनी से ग्रसिका में तथा ग्रसिका से अन्नपुट में आता है जहाँ इसका अस्थायी संचय किया जाता है। अन्नपुट से भोजन पोषणी में जाता है जो एक पीसने वाले कोष्ठ की भाति कार्य करता है। पेषणी में भोजन को पीस कर अत्यन्त छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। जिससे पाचक एन्जाइम भोजन पर अच्छी तरह से क्रिया कर सके। पेषणी में उपस्थित रोम युक्त गद्दियाँ भोजन के महीन कणों को छान कर मध्यान्त्र या आमाशय में जाने देते हैं। आमाशय के अग्र भाग में स्थित अवरोधनी भोजन के प्रत्यावर्तन (regurgitation) को रोकती है। आमाशय में भोजन का रासायनिक पाचन होता है। जठरीय या यकृत अन्ध नालों द्वारा तथा मध्यान्त्र की उपकला द्वारा स्रावित एन्जाइम्स जैसे-ट्रिप्टेज (tryptase), एमाइलेज (amylase), माल्टेज (maltase), इन्वर्टेज (invertase), लाइपेज (lipase) आदि भोजन पर रासायनिक क्रिया कर भोजन को पचाते हैं। आमाशय को आस्तरित करने वाली परिपोष कला या पेरिट्रोफिक झिल्ली पचे हुए भोजन का अवशोषण करती है। अपाचित भोजन पश्च आन्त्र में चला जाता है। आमाशय के पश्च सिरे पर उपस्थिति अवरोधनी द्वारा अपाच्य भोजन के प्रत्यावर्तन को रोका जाता है। मलाशय में अपाच्य भोजन से जल का अवशोषण कर लिया जाता है। जलीय अवशोषण के पश्चात् शुष्क व लम्बी-लम्बी मल गोलिकाएँ (fecal pellets) गुदा द्वारा बाहर त्याग दी जाती है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

3 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

3 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now