हिंदी माध्यम नोट्स
diarrhoea in hindi , प्रवाहिका रोग क्या होता है , लक्षण , किस जीवाणु के कारण होता है , उपचार
पढ़िए diarrhoea in hindi , प्रवाहिका रोग क्या होता है , लक्षण , किस जीवाणु के कारण होता है , उपचार ?
प्रवाहिका (Diarrhoea)- यह रोग जीवाणुओं द्वारा संक्रमण के कारण मनुष्यों में कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे गर्मी तथा पतझड़ के मौसम के गन्दगी ग्रस्त क्षेत्रों में महामारी के रूप में फैलाया जाता है। रोग का फैलाव गन्दी बस्तिओं के निकट रहने वाले समुदायों में अधिक होता है। मैनचेस्टर एवं निवोन (Menchester and Nivon) के अनुसार उपरोक्त परिस्थितियों में मक्खियों की अधिकता व गन्दगी का होना दोनों व गन्दगी का होना दोनों इस रोग के लिये उत्तदायी हैं।
यह रोग एक से अधिक जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न हो सकता है। इनमें प्रोटीयस वलगेरिस (Proteus vulagris) शिगैला फ्लेक्सनेरी ( Shigella flexneri), प्रोटीयस मोरगेनी ( Proteus morgani), शिगैला सोनेनी ( Shigella sonani), एशिरिकाआ कोलाई (Escherichia coli) आदि प्रमुख हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में संक्रमण उत्पन्न करते हैं।
गर्मी व पतझड़ के मौसम में मक्ख्यिाँ अधिक हो जाती हैं जो खाने पीने के पदार्थों जैसे दूध, दही, ठण्डे पेय, भोजन आदि को दूषित कर देती हैं। गन्दी बस्तियों में इस रोग के फैलने की संभावना अधिक होती है क्योंकि इनमें रहने वाले लोग शिक्षित नहीं होते, जो खाने पीने के पदार्थों को खुला छोड़ देते हैं; ठण्डा बासी खाना खाकर रोग को खुला निमंत्रण देते हैं।
इस रोग के जीवाणु मनुष्य की आंत्र में संक्रमण करते हैं। यह रोग बड़े व बुजुर्गों की अपेक्षा छोटे बच्चों को अधिक होता है। ई. कोलाई के जीवाणु आंत्र की विलाई (villi) को नष्ट कर रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं। तथा लाल रक्त कणिकाओं को घेर लेते हैं। यात्रियों को भी यह रोग अधिक लगता है। कुछ जीवाणु आविष (toxin) भी उत्पन्न करते हैं। इनके कारण निर्जलीकरण तथा खनिज लवणों का दैहिक तरल में असंतुलन हो जाता है जो अनेक जटिलताएँ उत्पन्न कर देते हैं। रोगियों में मृत्यु दर बहुत अधिक होती है अतः इसकी रोकथाम एवं उपचार शीघ्रता के साथ किया जाता चाहिये।
भारत में 1.4 करोड़ बच्चे प्रति वर्ष रोग का शिकार मृत्यु को प्राप्त होते हैं तथा विश्व में 5 वर्ष से छोटे बच्चे लगभग 500 करोड़ इस रोग के कारण काल के ग्रास बन जाते हैं। प्रवाहिता अर्थात् डायरिया रोग में रोगी को जल के समान पतले दस्त होने आरम्भ हो जाते हैं कि जिनकी संख्या बढ़ती जाती है। अतः रोगी की देह में द्रव पदार्थों की कमी होने लगती है और रोगी डिहाइड्रेशन (dehydration) का शिकार होकर मर जाता है। इस अवस्था में अनेकों रोग हैजा, उल्टी, आन्त्रशोथ, पेचित, भोजन विषाक्तन आदि रोग रोगी को और जटिल बना देते हैं।
यह रोग कदाचनिक (sporadic) विशेषक्षेत्री ( endemic) महामारी ( epidemic) या सर्वव्यापी (pandemic) स्वरूप में उत्पन्न हो सकता है। ·
सामान्य व्यक्ति प्रतिदिन 8 लीटर जल ग्रहण करता है जिसमें के केवल 100 ml ही विष्ठा के साथ बाहर निकलता है, किन्तु इस रोग के कारण देह से जल व खनिज लवण आवश्यकता से कई गुना अधिक मात्रा में बाहर निकलता आरम्भ कर देते हैं।
विशेष परिस्थितियों में विब्रियो, सालमोनेला, क्लोस्ट्रीडियम, बेसिलस, स्टेफिलोकॉक्स, केम्पाइलोबेक्टर येरसिनिया जाति के कुछ सदस्यों द्वारा भी यह रोग उत्पन्न किया जाता है। कुछ प्रोटोजोआ जैसे एन्टअमीबा, बेलेन्टीडियम, क्रिप्टोस्पोरोडियम, जियार्डिया एवं केन्डिडा एल्बीकेन्स नामक कवक भी प्रवाहिका रोग के कारण हो सकते हैं।
अनेकों जीवाणु जातियों के द्वारा फैलाये जाने वाले इस रोग का निदान प्रयोगों द्वारा कठिन है। सामान्यतः रोगी के मल की जाँच करके या संवर्धन प्रयोगों द्वारा परीक्षण कर रोग के उचित कारण की खोज की जाती है। कुछ जीवाणु विडाल परीक्षण (widal test) द्वारा भी पहचाने जा सकते हैं किन्तु सभी रोगजनक जीवाणु इस विडाल परीक्षण (widal test) की परिधि में नहीं आते हैं। ई. कोलाई तथा अन्य कॉलीफार्म (coliform ) अर्थात् आंत्र में रहने वाले सूक्ष्मजीव एन्टेरोबैक्टर, क्लेबसिरला, सिरेटिया, प्रोटियस आदि इस रोग के कारण होते हैं। ई. कोलाई ग्रैम अग्राही प्रकार के अभिरंजन ग्रहण करता है। यह पोषणिक एगार माध्यम में चिकनी गोलाकार निवह बनाते हुए संवर्धन करता है। यह माध्यम में उपस्थित लेक्टोज व डेक्सट्रोस शर्करा का किण्वन कर लेक्टिक अम्ल व CO, तथा H, गैस उत्पन्न करता है।
नियंत्रण एवं उपचार (Control and Therapy)
डायरिया रोग को बस्तियों में सफाई करके, स्वस्थ परिस्थितियाँ उत्पन्न कर नियंत्रित किया जा सकता है। खाने पीने के पदार्थों को ढ़क कर रखने, सड़े, गले, ठण्डे, बासी पदार्थों को नष्ट कर देने से रोग को फैलने से रोका जाता है। सफाई कार्य नगर निगम, नगरपालिकाओं तथा इसी प्रकार की सरकारी अर्ध सरकारी संस्थाओं द्वारा कराये जाते हैं। स्वास्थय अधिकारी समय-समय पर रोग के फेलने की सम्भावनाओं का पता लगाकर कीटनाशी छिड़काते रहते हैं ताकि मक्खी, मच्छर उत्पन्न होकर रोग को फैला नहीं सकें। लोगों को शिक्षित कर यह रोग नियंत्रित किया जा सकता है। घरों ‘के खिड़की दरवाजों पर जाली के दरवाजे लगाकर मक्खियों व मच्छरों से खाने-पीने के पदार्थों को बचाया जाता है। दुकानों व ठेलों पर बेचे जाने वाले भोज्य पदार्थों को ढ़क कर रखने के निर्देश दिये जाते हैं ताकि शुद्ध व स्वच्छ पदार्थों की ही बिक्री हो सकें।
रोग का नियंत्रण टीके लगाकर किया जाता है। यात्रियों को विशेषतः बच्चों को टीके लगाकर रोग से बचाया जा सकता है।
रोगी को शुद्ध पोषण पदार्थों युक्त पदार्थों दिये जाते हैं जैसे जल में नमक व चीनी मिलाकर “मिनरल वाटर” बना लेते हैं जो थोड़ा-थोड़ा कर के लगातार देने से रोग देह में द्रव पदार्थों की क़मी नहीं होती है अतः रोगी को मृत्यु के मुख से बचाया सकता है।
रोगी की देह में द्रव एवं खनिज लवणों की आपूर्ति करने के लिये रोगी को स्थास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा सुझाया गया पेय पदार्थ ORS लगातार पिलाते रहना आवश्यक है। जिसका संगठन अग्रलिखित प्रकार से है –
सोडियम क्लोराइड 3.5 gm
सोडियम बाइकार्बोनेट 2.5 gm
पोटेशियम क्लोराइड 1.5 gmi
ग्लूकोज 2.0 gm
एक लीटर स्वच्छ जल में घोल कर तैयार करना चाहिये। ग्लुकोज की उपस्थिति में आंत्र खनिज लवणों का अवशोषण शीघ्रता से करने लगती है। माता का दूध पीने वाले बच्चों को दुग्ध अधिक पिलाते रहना चाहिये एवं इस घोल को भी पिलाना चाहिये ।
रोगी को चिकित्सा सहायता हेतु शीघ्र ले जाना चाहिये। रोगियों को आवश्यकतानुसार पेनिसिलीन, एम्पीसिलीन, सिफेलोस्पोरिन, या टेट्रासाइक्लीन आदि औषधियाँ दी जाती हैं। इस रोग को उत्पन्न करने वाले जीवाणु अनेक हैं। हालाँकि इनमें से अनेक औषधियों के प्रति प्रतिरोधकत क्षमता प्राप्त कर लेते हैं किन्तु दवाईयाँ बदल कर रोग का नियंत्रण व उपचार संभव है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…