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दशमलव एवं द्विआधारीय संख्या पद्धतियाँ , बाइनरी सिस्टम (decimal and binary number system in hindi)
(decimal and binary number system in hindi) दशमलव एवं द्विआधारीय संख्या पद्धतियाँ , बाइनरी सिस्टम : दिन दोनों के बारे में विस्तार से यहाँ अध्ययन करते है इसके बाद इनके आपस में परिवर्तन का भी अध्ययन करेंगे।
दशमलव संख्या पद्धति (decimal number system) : इस पद्धति का आधार दस (10) होता है , इस पद्धति में 1 से लेकर 10 तक अर्थात दस अंक होते है जो निम्न है – 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9
इस पद्धति के अंतर संख्या की स्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण होती है , इसमें पहली स्थिति में शून्य फिर बायीं तरफ चलने पर स्थिति दस , सौ , हजार इस प्रकार से बढती जाती है।
इस पद्धति में डॉट भी लगा होता है जो दशमलव को दर्शाता है , दशमलव के दाई ओर 10−1 , 10−2 आदि होती है।
उदाहरण : 543.21 को दशमलव पद्धति संख्या पद्धति में प्रदर्शित कीजिये
543.21 को (5 × 102) + (4 × 101) + (3 × 100) + (2 × 10−1) + (1 × 10−2) लिखा जाता है , यहाँ हम देख सकते है कि हमने आधार दस लिया है और दशमलव के बाद आधार ऋणात्मक रूप में बढ़ता है जबकि दशमलव के बायीं तरफ दस का आधार 0 से चलता है और बढ़ता जाता है , इसी पद्धति को दशमलव संख्या पद्धति कहते है।
दशमलव संख्या पद्धति (decimal number system) : इस पद्धति का आधार दस (10) होता है , इस पद्धति में 1 से लेकर 10 तक अर्थात दस अंक होते है जो निम्न है – 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9
इस पद्धति के अंतर संख्या की स्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण होती है , इसमें पहली स्थिति में शून्य फिर बायीं तरफ चलने पर स्थिति दस , सौ , हजार इस प्रकार से बढती जाती है।
इस पद्धति में डॉट भी लगा होता है जो दशमलव को दर्शाता है , दशमलव के दाई ओर 10−1 , 10−2 आदि होती है।
उदाहरण : 543.21 को दशमलव पद्धति संख्या पद्धति में प्रदर्शित कीजिये
543.21 को (5 × 102) + (4 × 101) + (3 × 100) + (2 × 10−1) + (1 × 10−2) लिखा जाता है , यहाँ हम देख सकते है कि हमने आधार दस लिया है और दशमलव के बाद आधार ऋणात्मक रूप में बढ़ता है जबकि दशमलव के बायीं तरफ दस का आधार 0 से चलता है और बढ़ता जाता है , इसी पद्धति को दशमलव संख्या पद्धति कहते है।
द्विआधारीय संख्या पद्धति (binary number system) (बाइनरी सिस्टम)
याद रखे की द्विआधारी संख्या पद्धति में डिजिटल का आधार है अर्थात डिजिटल कंप्यूटर या डिजिटल विश्व की आधारभूत संख्या पद्धति होती है। इस संख्या पद्धति में आधार 2 होता है तथा शेष नियम वे ही होते है जो हमने दशमलव संख्या पद्धति में अध्ययन किये है।
द्विआधारीय संख्या पद्धति में केवल दो अंक होते है 0 और 1
अर्थात इस पद्धति में केवल 2 आधार होता है।
डिजिटल की दुनिया केवल 0 और 1 पर आधारित होती है अर्थात डिजिटल कंप्यूटर , सूचना आदि द्विआधारीय संख्या पद्धति पर आधारित रहती है।
इस पद्धति में 0 का अभिप्राय है निम्न या कम।
तथा 1 का अभिप्राय है उच्च या अधिक।
द्विआधारीय संख्या पद्धति ,इ प्रत्येक अंक को बिट (bit) कहा जाता है तथा आठ बीटों के समूह को एक बाईट कहते है।
इलेक्ट्रॉनिक सर्किट जिनमे दो अवस्था होती है 0 और 1 , इसका मतलब है 0 का मतलब है बंद या ऑफ अर्थात सर्किट में धारा नहीं है या परिपथ बंद है।
परिपथ में 1 का अभिप्राय है 1 जिसका मतलब है परिपथ में विद्युत धारा बह रही है या परिपथ चालु है। ऐसे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को डिजिटल सर्किट कहते है।
दशमलव पद्धति से द्विआधारीय संख्या पद्धति में परिवर्तन (decimal to binary number system)
दशमलव पद्धति से द्विआधारीय संख्या पद्धति में परिवर्तन करने के लिए निम्न स्टेप काम में ली जाती है –
- सबसे पहले संख्या को 2 से विभाजित करे।
- संख्या को दो से विभाजित करने के बाद जो भागफल प्राप्त होता है , उस भागफल को पुन: दो से विभाजित करे।
- शेषफल जो प्राप्त होता है वह द्विआधारीय संख्या होती है।
- स्टेप को बार बार तब तक दोहरायें जब तक की शेषफल शून्य प्राप्त न हो जाए।
- शेषफल को यदि उलटे क्रम में लिखा जाए तो परिवर्तित बाइनरी संख्या प्राप्त होती है।
उदाहरण : 1310 को बाइनरी संख्या पद्धति अर्थात द्विआधारीय संख्या में परिवर्तित कीजिये –
प्राप्त शेषफल को उल्टे क्रम में लिखा जाए तो 1310 की बाइनरी संख्या होगी।
अत: 1310 की बाइनरी संख्या 11012 होगी।
बाइनरी (द्विआधारीय) संख्या को दशमलव संख्या में परिवर्तित करना (binary to decimal number conversion)
यदि बाइनरी संख्या में n डिजिट है तो इसे निम्न रूप में लिखे
dn-1 … d3 d2 d1 d0
दशमलव संख्या के रूप में बदलने के लिए इसे निम्न प्रकार d की घात को 2 की घात में लिखकर , दोनों को गुना करने और सभी को जोड़ के रूप में लिख देते है।
दशमलव संख्या = d0×20 + d1×21 + d2×22 + …
उदाहरण : बाइनरी संख्या 1110012 को दशमलव संख्या में परिवर्तित कीजिये –
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