हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: chemistry
सहसंयोजक बंध सिद्धांत या संयोजकता बंध सिद्धांत , सिग्मा (σ) और पाई (π) बन्धो में अंतर , अनुनाद प्रभाव
सहसंयोजक बंध सिद्धांत या संयोजकता बंध सिद्धांत : सहसंयोजक बंध की व्याख्या करने के लिए “हाइटलर” व ‘लंदन’ ने सहसंयोजक बंध का सिद्धांत दिया।
इस सिद्धांत के अनुसार परमाणुओं के बाह्यतम कोश में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन के अतिव्यापन से सहसंयोजक बंध बनता है। बन्ध के दोनों इलेक्ट्रॉनों पर दोनों परमाणुओं का समान अधिकार होता है।
इस सिद्धांत के मुख्य बिंदु निम्न है –
1. लगभग समान ऊर्जा के कक्षक ही अतिव्यापन में भाग लेते है।
2. अतिव्यापन जितना अधिक होता है , बन्ध उतना ही प्रबल होता है।
3. परमाणु के कक्षक ऐसी दिशा में अतिव्यापन करते है जिससे की इनमें अतिव्यापन अधिकतम हो।
4. परमाणु के बाह्यतम कोश में जितने अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते है उतने ही बंध बनते है।
5. S-S , S-P , P-P कक्षकों के समाक्ष (अक्षीय) अतिव्यापन से हमेशा सिग्मा बंध बनता है , जब P-P कक्षकों के समपाशर्विक अतिव्यापन से हमेशा पाई-बंध बनता है।
1. s-s कक्षकों का समान या अक्षीय अतिव्यापन :-
2. s-p कक्षकों का समाक्ष (अक्षीय) अतिव्यापन :-
3. p-p कक्षकों का समाक्ष या अक्षीय अतिव्यापन :-
4. p-p कक्षकों का समपाशर्विक अतिव्यापन :-
सिग्मा (σ) और पाई (π) बन्धो में अंतर
सिग्मा (σ) बंध | पाइ (π) बन्ध |
1. s-s , s-p और p-p कक्षकों के समाक्ष (अक्षीय) अतिव्यापन से हमेशा सिग्मा (σ) बंध बनता है। | p-p कक्षकों के समपाशर्विक अतिव्यापन से हमेशा पाइ (π) बंध का निर्माण होता है। |
2. σ कक्षकों के मध्य अतिव्यापन अधिक होता है अत: यह बंध प्रबल होता है। | π कक्षकों के मध्य अतिव्यापन कम होता है अत: ये बंध दुर्बल होते है। |
3. σ बन्धो को तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। | π बन्धो को तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। |
4. यह बंध अकेला अर्थात π बंध की अनुपस्थिति में भी बन सकता है। | यह बंध हमेशा σ (सिग्मा) बंध की उपस्थिति या बाद में बनता है। |
5. σ बंध के चारो ओर परमाणुओं का मुक्त घूर्णन संभव है। | π बंध के चारो ओर परमाणुओं का मुक्त घूर्णन संभव nhi है। |
6. σ (सिग्मा) बन्ध में कोई नोडीय तल नहीं पाया जाता है। | π बंध में नोडीय तल पाया जाता है। |
अनुनाद प्रभाव
π बन्धो के इलेक्ट्रॉन या एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाना अनुनाद प्रभाव कहते है तथा प्राप्त संरचनाओं को अनुनादी संरचनायें कहते है।
अनुनाद को दोमुहि तीर (<→) से व्यक्त करते है।
उदाहरण : कार्बोनेट आयन की अनुनादी संरचना ;-
उदाहरण 2 : नाइट्रेट आयन की अनुनादी संरचना :-
अनुनादी ऊर्जा
अनुनाद संकर की ऊर्जा व अणु की सबसे अधिक अनुनादी संरचना के बीच की ऊर्जा के अंतर को अनुनादी ऊर्जा कहते है।
अनुनाद अणु को स्थायित्व प्रदान करता है क्योंकि अनुनाद संकर की ऊर्जा हमेशा किसी भी अनुनादी संरचना की ऊर्जा से कम होती है।
औपचारिक आवेश
बहुपरमाणुक अणु या आयन के किसी विशेष परमाणु पर उपस्थित आवेश को औपचारिक आवेश कहते है।
औपचारिक आवेश = सहसंयोजक कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या – अबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या – बन्धो की संख्या
उदाहरण : ओजोन का औपचारिक आवेश क्या है ?
tags in English : covalent bond theory hybridization ?
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
3 weeks ago
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
3 weeks ago
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
2 months ago
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
2 months ago
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
2 months ago
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
2 months ago