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संघर्ष और प्रतिस्पर्धा में अंतर क्या है | difference between competition and conflict in sociology
difference between competition and conflict in sociology in hindi संघर्ष और प्रतिस्पर्धा में अंतर क्या है ?
संघर्ष और प्रतिस्पर्धा
संघर्ष और प्रतिस्पर्धा में निम्नलिखित अंतर है:
प) संघर्ष में हमेशा अपने विरोधी की जानकारी शामिल है जबकि प्रतिस्पर्धा में दूसरों की उपस्थिति की वास्तविक जानकारी नहीं होती।
पप) प्रतिस्पर्धा में, दो या दो से अधिक पक्ष कुछ पाने की इच्छा करते हैं जिसे वे वोट नहीं ले सकते, साथ ही ये लोग किसी का विरोध करने अथवा किसी के हकों का प्रतिरोध करने के उद्देश्य से प्रयास नहीं करते।
पपप) प्रतिस्पर्धा में हमेशा ही नैतिकता एवं सही आचरण का पालन किया जाता है जबकि संघर्ष में यह सब कुछ नहीं होता।
कार्यकर्ता की विचारधारा
कार्यकर्ता सिद्धांतवादियों (टालकोर पार्सन, डेविस तथा मूरे प्यूमिन) का मानना है कि कुछ मूलभूत आवश्यकताएँ या पूपिक्षित प्रवृत्तियाँ होती है किसी समाज के जीवित रहने या गतिशील रहने के लिए उनका होना आवश्यक होता है। उनका विचार है कि समाज के विभिन्न भागों के एकीकरण से एक सम्पूर्ण समाज का निर्माण होता है तथा इसमें समाज की कार्य प्रणाली में योगदान करने के लिए एक समाज की अन्य व्यवस्थाओं के साथ सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था की संबद्धता के तरीकों की जाँच हो जाती है। इन कार्यात्मक सिद्धांतों की अत्यधिक आलोचनाएँ हुई हैं। समीक्षकों में मुख्यतःवर्ग संघर्ष सिद्धांत की आलोचना हुई है जिसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं को अव्यवहारिक माना है।
कार्यात्मक दृष्टिकोण की समीक्षा
प) वर्ग संघर्ष के सिद्धांतवादी कार्यकर्ता विचारधारा को इसकी प्रकृति में एक अव्यावहारिक सिद्धांत स्वीकार करते हैं तथा सार्वभौमिक, रूप से स्तरीकरण की व्यवस्था में वर्ग संघर्ष के अध्ययन की आवश्यकता पर जोर देते हैं। यह वर्ग संघर्ष सर्वव्यापक तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है।
पप) वर्ग संघर्ष सिद्धांतवादियों का कहना है कि कुछ न कुछ मात्रा में असहमति, दबाव, अस्थिरता, नियंत्रण, उत्पीड़न एवं दुस्क्रियाओं जैसी विशेषताएँ हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता।
पपप) तथापि कार्यकर्ता सिद्धांतवादियों से भिन्न संघर्ष सिद्धांतवादी यह भी कहते हैं कि संघर्ष ही समाज में स्थिरता और सामंजस्य पैदा करता है।
पअ) इसलिए दी गई व्यवस्था में संघर्ष के साथ सामंजस्य और संतुलन की प्रकृति का भी अध्ययन करना महत्वपूर्ण हो जाता है!
वर्ग संघर्ष सिद्धांत
वर्ग संघर्ष सिद्धांत की कुछ मूलभूत अवधारणाएँ जो आज विकसित हो चुकी हैं वे निम्नलिखित हैः
प). समाज हमेशा स्थिर मैत्रीभाव एवं समत्व की स्थिति में नहीं रहता है बल्कि इसमें उत्पीड़न और परतंत्रता के तत्व रहते हैं। देखा गया है कि यह निरंतर असंतुलित रहता है।
पप) इस समाज के अनेक तत्व लगातार परिवर्तन की प्रक्रिया में रहते हैं।
पपप) ये सभी घटक वर्ग संघर्ष तथा परिवर्तन सामाजिक वातावरण में चलते रहते हैं जिन्हें हम सामाजिक संघर्ष के नाम से जानते हैं।
पअ) अंत में यह कहा जा सकता है कि ये वर्ग संघर्ष सामाजिक संरचना की विभिन्न प्रकृतियों से लिए गए हैं।
कुछ वर्ग संघर्ष सिद्धांतवादियों जैसे कार्ल मार्क्स, कोसर, डाह्रेंडॉर्फ तथा सी डब्ल्यू मिल्लस के द्वारा समाज का विश्लेषण किया गया है जो आधुनिक औद्योगिक समाजों में वर्ग संघर्ष का अध्ययन है।
प्रस्तावना
‘संघर्ष‘ का अर्थ है किसी की अथवा किन्हीं व्यक्तियों की इच्छा के विरूद्ध उनका विरोध करना, प्रतिरोध करना अथवा उनके साथ टकराव का व्यवहार करना। इस प्रकार संघर्ष के मूल्य अथवा स्थिति, शक्ति और दुर्लभ संसाधनों को प्राप्त करने के दावों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें संघर्षरत पक्षों का उद्देश्य केवल वांछित मूल्यों को प्राप्त करना ही नहीं अपितु अपने विरोधियों को निष्प्रभावी करना चोट पहुँचाना अथवा उन्हें नष्ट करना भी होता है।
सारांश
वर्ग संघर्ष सिद्धांत के अनेक अर्थभेद हैं तथा असमान अथवा भिन्न-भिन्न विचारों वाले विद्वानों जैसे मार्क्स तथा मिल्लस कोसर और डा.डॉर्फ द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह वह सिद्धांत है जिसका विकास 19वीं सदी से लेकर 20वीं सदी तथा उसके बाद तक हुआ है। इस इकाई में इस सिद्धांत के अनेक रूपों तथा कमियों का भी वर्णन किया गया है।
शब्दावली
संघर्ष: यह वह स्थिति है जहाँ पर लोगों के समूहों के बीच कार्य करने के अधिकार और कार्य करने के संबंधों पर विरोध हों।
वर्गः यह लोगों का एक बड़ा समूह होता है जो समान स्थितियों और स्वार्थों के लिए संगठित हों। यह अपने आप में ‘वर्ग‘ जो व्यापक रूप में सांख्यकीय श्रेणी होती है अथवा ‘अपने आप में एक वर्ग‘ होता है। वर्ग के दूसरे सदस्यों के प्रति जागरुकता वर्ग संरक्षात्मक प्रवत्तियाँ होती हैं।
धु्रवीकरणः यह वह स्थिति है जहाँ समाज दो विपरीत वर्गों या संपन्न और वंचित वर्गों में संगठित हो जाए।
शक्तिशाली वर्ग: यह शासक वर्गों से निर्मित होती है जो मिल्लस के अनुसार सेना, व्यापार और राजनीतिक समूहों के मिश्रण से बनती है।
कुछ उपयोगी पुस्तकें
डा.डॉर्फ आर. 1959, कलास एंड क्लास कफिल्क्ट इन इंडस्ट्रियल सोसाइटी, स्टेंडफोर्ड, स्टेंडफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस।
मार्क्स, के एंड इंजेल्स एफ, कॉलेक्टिड वर्क्स, वाल्यूम 6, प्रोग्रेस पब्लिशर्स, मास्को ।
वर्ग संघर्ष
इकाई की रूपरेखा
उद्देश्य
प्रस्तावना
संघर्ष और प्रतिस्पर्धा
कार्यकर्ता की विचारधारा
कार्यात्मक विचारधाराओं की आलोचना
वर्ग संघर्ष सिद्धांत
कार्ल मार्क्स: वर्ग संघर्ष की विचारधाराएँ
वर्ग संघर्ष के पहलू
मार्क्सवादी विचारधाराओं की आलोचना
लेविस कोसर के सिद्धांत
डाह्रेंडॉर्फ तथा वर्ग संघर्ष
सी. डब्ल्यू. मिल्लस तथा शक्तिशाली कुलीन वर्ग
संघर्ष सिद्धांत: एक मूल्यांकन
सारांश
शब्दावली
कुछ उपयोगी पुस्तकें
बोध प्रश्नों के उत्तर
उद्देश्य
इस इकाई का अध्ययन करने के बाद आपः
ऽ संघर्ष और प्रतिस्पर्धा के बीच अंतर कर सकेंगे,
ऽ संघर्ष पर कार्ल मार्क्स के विचारों को जान सकेंगे,
ऽ संघर्ष पर कोसर और डारेडार्फ के विचारों की चर्चा कर सकेंगे, और
ऽ संघर्ष सिद्धांत की कमियों का वर्णन कर सकेंगे।
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