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Categories: 10th science

श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों , पार्श्वक्रम में संयोजन , प्रतिरोध का पार्श्व क्रम में संयोजन , combination of resistance in hindi

जब किसी विधुत परिपथ में विद्युत उपकरणों या अवयवों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो

1. विधुत परिपथ के सभी अवयवों में विधुत धारा का प्रवाह समान रहता है।

2. . विधुत परिपथ के सभी अवयवों में वोल्टेज विभक्त हो जाता है।

उदाहरण: शादी या त्योहारों के अवसर पर सजावट के लिये लगाये गये छोटे छोटे बल्ब श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं।

सजावट के लिये उपयोग में लाये जाने वाले छोटे छोटे बल्ब को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता हैं। छोटे बल्ब बहुत ही कम वोल्टेज पर कार्य करते हैं इसलिए उन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। उच्च वोल्टेज सभी बल्बों में विभक्त हो जाता है और बल्ब को कोई क्षति नहीं पहुँचती है तथा वे सही रूप से कार्य कर सकें।

पार्श्वक्रम में संयोजन 

जब किसी विधुत परिपथ में एक से ज्यादा विद्युत अवयवों के ऋणात्म्क ध्रुव को एक साथ तथा धनात्मक सिरों को एक साथ जोड़ा जाये तो ऐसे संयोजन को पार्श्वक्रम में संयोजन कहते हैं।

जब विधुत अवयवों को पार्श्वक्रम में विधुत परिपथ में जोड़ा जाता है तो

1. विधुत परिपथ के सभी उपकरणों में वोल्टेज समान रहता है अर्थात वोल्टेज उपकरणों के बीच विभक्त नहीं होता है।

2. विधुत परिपथ के सभी उपकरण यदि पार्श्वक्रम में संयोजित है तो हर एक उपकरण में विधुत धारा का प्रवाह अलग अलग होते है।

उदारहण: घरों में लगे विधुत उपकरण पार्श्वक्रम में संयोजित रहते हैं। अत: इसमें विधुत धारा का मान अलग अलग होता है

विधुत उपकरणों को पार्श्वक्रम में इसलिये जोडा जाता है ताकि सभी उपकरणों को समान तथा आवश्यक वोल्टेज मिल सके। घरों में उपयोग लाया जाने वाला विद्युत उपकरण प्राय: 220V− 250v के बीच कार्य करते हैं।

प्रतिरोधकों के निकाय का प्रतिरोध 

किसी विधुत परिपथ में अन्य विद्युत उपकरणों की तरह ही प्रतिरोध को भी दो प्रकार से संयोजित किया जा सकता है। ये प्रकार हैं श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम

प्रतिरोधकों का श्रेणीक्रम में संयोजन (combination of resistance in series in hindi)

जब किसी विधुत परिपथ में एक प्रतिरोधक के एक सिरे को दूसरे प्रतिरोधक के पहले सिरे से और दूसरे प्रतिरोधक के दुसरे सिरे को तीसरे प्रतिरोधक के पहले सिरे से जोड़ा जाये तो ऐसे संयोजन को श्रेणीक्रम में संयोजन कहते हैं।

मान लिया कि तीन प्रतिरोधकों श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है तथा उनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2 तथा R3 हैं।

माना कि विद्युत परिपथ का कुल प्रतिरोध = R

अत: श्रेणीक्रम में संयोजन के नियम के अनुसार

R = R1+R2+R3

श्रेणीक्रम में संयोजित सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध का योग विधुत परिपथ के कुल प्रतिरोध के बराबर होता है

माना कि प्रतिरोधक R1 का विभवांतर =V1

तथा प्रतिरोधक R2 का विभवांतर =V2

तथा प्रतिरोधक R3 का विभवांतर =V3 है।

माना कि विधुत परिपथ के दोनों सिरों के बीच का विभवांतर =V

तथा विधुत परिपथ का कुल प्रतिरोध =R

श्रेणीक्रम में संयोजित सभी प्रतिरोधकों में सामान धारा प्रवाहित होती है माना कि विद्युत परिपथ से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा =I

विधुत परिपथ में श्रेणीक्रम में संयोजित सभी प्रतिरोधकों में वोल्टेज (विभवांतर) विभक्त हो जाता है।

अत: विधुत परिपथ के दोनों सिरों के बीच का कुल वोल्टेज (विभवांतर) (V) = श्रेणीक्रम में जुड़े सभी प्रतिरोधकों के सिरों के बीच के विभवांतर का योग

V = V1+V2+V3 —– (1)

ओम के नियम के अनुसार

R = V/I

V = RI —- (2)

विद्युत परिपथ से प्रवाहित हो रही विधुत धारा का मान हर जगह सामान होता है अर्थात् श्रेणीक्रम में जुड़े अवयवों में विधुत धारा विभक्त नहीं होती है । अर्थात श्रेणीक्रम में जुड़े सभी प्रतिरोधकों में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा परिपथ से प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के समान होता है।

अत: प्रत्येक प्रतिरोधक के बीच प्रवाहित होने वाली विधुत धारा =I

अत: V1 = I*R1`

तथा V2 = I*R2

तथा V3 = I*R3

अब समीकरण (1) तथा (2) से

V= IR1 + IR2 + IR3

V = I (R1+R2+R3)

उपरोक्त समीकरण में V=IR रखने पर

IR = I (R1+R2+R3)

R = R1+R2+R3

कुल प्रतिरोध जब n प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में संयोजित हों

माना कि प्रतिरोधक R1, R2, R3 , ……….., Rn श्रेणीक्रम में संयोजित हैं।

माना कि प्रतिरोधक R1 का विभवांतर =V1

तथा प्रतिरोधक R2 का विभवांतर =V2

तथा प्रतिरोधक R3 का विभवांतर =V3 है।

…………………

अत: प्रतिरोधक Rn का विभवांतर = Vn है।

माना की विधुत परिपथ के दोनों सिरों के बीच का विभवांतर =V

V = V1+V2+V3 ——–+Vn

मान की विधुत परिपथ से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा =I

ओम के नियम के अनुसार

V1 = IR1

V2 = IR2

V3 = IR3

इसी प्रकार से

Vn = IRn

चूँकि V=IR अत:

IR = IR1 +IR2 + IR3 + ——+IRn

IR = I (R1+R2+R3+——+Rn)

R = R1+R2+R3+———+Rn

अत: विधुत परिपथ का कुल प्रतिरोध विधुत परिपथ में श्रेणीक्रम में जुड़े सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के योग के बराबर होता है।

प्रतिरोधकों का पार्श्वक्रम में संयोजन 

जब किसी विधुत परिपथ में अन्य विधुत उपकरणों की तरह ही प्रतिरोधकों को भी पार्श्वक्रम में संयोजित किया जा सकता है।

परिपथ का कुल प्रतिरोध जब एक से ज्यादा प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में संयोजित होते हैं।

जब एक से ज्यादा प्रतिरोधक किसी विधुत परिपथ में पार्श्वक्रम में संयोजित किये जाते हैं तो परिपथ का कुल प्रतिरोध प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के ब्युत्क्रम के योग के बराबर होता है। जिसमे की कुल प्रतिरोध सबसे छोटे वाले प्रतिरोध से भी छोटा होता है।

दिये गये चित्र में तीन प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है।

Sbistudy

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