भौतिक अवस्था के आधार पर कोलॉइडी विलयन के प्रकार how are colloids classified on the basis of physical states of components in hindi

how are colloids classified on the basis of physical states of components in hindi भौतिक अवस्था के आधार पर कोलॉइडी विलयन के प्रकार उदाहरण सहित समझाइये |

कोलॉइडों का वर्गीकरण (CLASSIFICATION OF COLLOIDS)

कोलॉइडी विलयनों का वर्गीकरण कई प्रकारों से किया जाता है, जिनमें से कुछ का वर्णन निम्न प्रकार

(1) अवयवों की भौतिक अवस्था के आधार पर वर्गीकरण (Classification based on the Physical state of the components) : इस प्रकार के वर्गीकरण में देखते हैं कि वितरित प्रावस्था तथा वितरण माध्यम की भौतिक अवस्था क्या है? पदार्थ की कुल तीन प्रकार की भौतिक अवस्थाएं होती हैं—ठोस, द्रव व गैस । चूंकि समस्त गैसे परस्पर प्रत्येक अनुपात में पूर्णतया विलयशील होती हैं, अतः गैस-गैस का विलयन कोलॉइडी। विलयन नहीं हो सकता। शेष आठ प्रकारों के कोलॉइडी विलयनों को निम्न सारणी में दर्शाया गया है

सारणी 6.2 कुछ सामान्य कोलॉइडी तन्त्र

क्र. संख्या वितरित प्रावस्था वितरण माध्यम कोलॉइडी तन्त्र उदाहरण
1.

2.

 

 

3.

 

 

 

 

 

 

 

 

4.

 

 

5.

 

 

6.

 

 

7.

 

 

 

 

 

 

 

8.

 

गैस

गैस

 

 

द्रव

 

 

 

 

 

 

 

द्रव

 

 

द्रव

 

 

ठोस

 

 

 

ठोस

 

 

 

 

 

 

 

ठोस

द्रव

ठोस

 

 

गैस

 

 

 

 

 

 

 

द्रव

 

 

ठोस

 

 

गैस

 

 

 

द्रव

 

 

 

 

 

 

 

ठोस

 

झाग या फोम

ठोस फोम

 

 

द्रवों के वायुसॉल

 

 

 

 

 

 

 

पायस

 

 

जेल

 

 

ठोसों के वायुसॉल

 

 

 

सॉल

 

 

 

 

 

 

 

ठोस सॉल

 

साबुन विलयन

प्यूमिस पत्थर, रबड़, स्टाइरीन फोम

 

कोहरा, बादल, कीटनाशी दवाइयों का छिड़काव

 

 

 

 

 

 

दूध, इमल्सीकृत तेल व कई दवाइयां

 

पनीर, मक्खन, बूट पॉलिश, खाने की विभिन्न

 

 

धुआं, धूल का तूफान

 

 

सोने का सॉल या कोलॉइडी सोना, दलदल युक्त | जल, जल में वितरित स्टार्च, अधिकांश रोगन

 

 

 

 

 

खनिज, काले हीरे, रूबी कांच तथा विभिन्न रत्न (Gems)

 

(2) वितरण माध्यम की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण (Classification based on the nature of dispersion medium) : इस प्रकार का वर्गीकरण विलायक या वितरण माध्यम की प्रकृति के आधार पर  किया जाता है। उदाहरणार्थ, कुछ प्रमुख कोलॉइड निम्न हैं

(1) हाइड्रॉसॉल (Hydrosols) वितरण माध्यम जल (H2O)|

(ii) ऐल्कोसॉल (Alcosols) वितरण माध्यम ऐल्कोहॉल (C2H5OH) ||

(iii) बेन्जोसॉल (Benzosols) वितरण माध्यम बेन्जीन (C6H6)।

(iv) ऐरोसॉल (Aerosols) वितरण माध्यम वायु (air)

(3) वितरित प्रावस्था व वितरण माध्यम के मध्य आकर्षण पर आधारित वर्गीकरण (Classification based on the attraction between disperse phase and dispersion medium) : इस आधार पर कालाइडा को दो वर्गों में विभाजित किया गया है

(i) द्रव स्नेही कोलाइड (Lyophilic colloids) : जिन विलयनों में वितरित प्रावस्था तथा वितरण माध्यम के मध्य तीव्र आकर्षण हो उन्हें द्रवस्नेही (Iyophilic; lvo = solvent. philic = loving) काला । जाता है। यदि विलायक जल का प्रयोग हो रहा हो तो उसे हाइडोफिलिक कोलॉडड कहा जाता है। इनक लक्षण निम्न हैं__

(a) इन्हें वितरित प्रावस्था तथा वितरण माध्यम को आपस में मिलाकर बनाया जा सकता है।

(b) ये स्थायी होते हैं।

(c) इनका शीघ्रता से स्कंदन (coagulation) नहीं होता। इन्हें स्कंदित करने के लिए या तो इन्हें गरम किया जाता है अथवा कोई विद्युत्-अपघट्य मिलाया जाता है।

(d) ये उत्क्रमणीय (reversible) होते हैं अर्थात् स्कंदित होने के बाद वाष्पीकरण से ठोस प्राप्त करके उसे वितरण माध्यम में घोलने से उन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है।

प्रोटीनों का जल में कोलॉइड अथवा उच्च बहुलकों का कार्बनिक विलायकों में कोलॉइड द्रवस्नेही कोलॉइडों के उदाहरण हैं। मावविरोधी कोलॉइड (Lyophobic colloids)—जब वितरित प्रावस्था तथा वितरण माध्यम के मध्य आकर्षण न हो अथवा प्रतिकर्षण हो तो उन विलयनों को द्रवविरोधी lyophobic; lyo = solvent, phobic = hating) कोलॉइड कहा जाता है। विलायक के रूप में जल का प्रयोग करने पर उसे हाइडोफोबिक (hydrophobic) कोलॉइड कहा जाता है। इनमें उपर्युक्त के विपरीत लक्षण होते हैं। अर्थात्

(a) वितरित प्रावस्था तथा वितरित माध्यम को सीधा मिलाने से इन्हें प्राप्त नहीं किया जा सकता। इन्हें बनाने के लिए विशिष्ट विधियों का प्रयोग होता है।

(b) ये अस्थायी होते हैं अतः इन्हें संग्रहीत (preserve) करने के लिए इनमें स्थायीकारक पदार्थ डालने की आवश्यकता पड़ती है।

(c) ये शीघ्रता से स्कंदित हो जाते हैं।

(d) ये अनुक्रमणीय होते हैं अर्थात् स्कंदित होने के बाद उन्हें वितरण माध्यम के साथ मिलाने मात्र से सॉल में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। कई धातुओं तथा उनके सल्फाइड, ऑक्साइड जैसे अघुलनशील लवणों के कोलॉइड, आदि द्रवविरोधी कोलॉइडों के उदाहरण हैं। द्रवस्नेही तथा द्रवविरोधी कोलॉइडों का एक तुलनात्मक अध्ययन सारणी 6.3 में किया गया है।

   सारणी : द्रवस्नेही व द्रवविरोधी कोलॉइडों की तुलना

  गुण द्रवस्नेही कोलॉइड (Lyophilic Colloids) द्रवविरोधी कोलॉइड (Lyophobic Colloids)
1.

 

2.

 

 

 

 

 

3.

 

 

 

 

 

 

 

4.

 

 

 

 

 

5.

 

6.

 

 

 

 

 

 

7.

 

 

8.

 

 

9.

 

 

 

 

10.

कण का आकार

 

वैद्युत-अपघट्य का

 

 

 

 

 

प्रकृति

 

 

 

 

 

 

 

अणुसंख्यक गुण

 

 

 

 

 

टिण्डल प्रभाव

 

वैद्युत कण संचलन

 

 

 

 

 

श्यानता (Viscosity)

 

 

पृष्ठ तनाव (Surface tension)

 

 

 

आवेश (Charge)

 

 

 

 

वितरित प्रावस्था की सान्द्रता

वास्तविक विलयन के कणों से कुछ बड़े कण

थोडी मात्रा से कोई प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन अधिक मात्रा से स्कंदन हो जाता है।

 

 

 

 

उक्रमणीय, एक बार अवक्षेपित होने के | बाद भी वितरण माध्यम के साथ हिलाने पर पुनः कोलॉइडी हो जाते हैं।

 

 

 

 

 

परासरण दाब-उच्च, हिमांक में अवनमन-उच्च, वाष्प दाब अबनमनउच्च।

 

 

 

 

कम स्पष्ट पड़ता है।

 

 

ये वैद्युत कणों द्वारा विद्युत् का संचलन कठिनाई से अथवा नहीं करते हैं। |

 

 

 

इनकी श्यानता जल से सदैव उच्च होती

 

 

इनका पृष्ठ तनाव जल से कम होता है।

 

 

इनके कणों का आवेश विलयन की pH पर निर्भर करता है, यह शून्य भी हो सकता |

 

 

 

वितरित प्रावस्था की उच्च सान्द्रता सम्भव

 

 

 

अनेक अणुओं के झुण्ड के रूप में बड़े कण।

बहुत थोड़ी मात्रा से भी स्कंदन हो जाता।

 

 

 

 

 

अनुक्रमणीय, एक बार अवक्षेपित होने के बाद पुनः कोलॉइडी अवस्था में आसानी से नहीं आ पाते।

 

 

 

 

 

 

परासरण दाब-अधिक उच्च हिमांक में अवनमन-निम्न, वाष्प दाब अवनमननिम्न

 

 

 

अधिक स्पष्ट पडता है।

 

 

ये वैद्युत कणों द्वारा विद्युत् का संचलन – सुगमता से करते हैं। –

 

 

 

 

इनकी श्यानता लगभग जल के बराबर होती है।

 

 

इनका पृष्ठ तनाव लगभग जल के बराबर होता है।

 

 

इनके कणों पर कोई अभिलाक्षणिक आवेश, धनावेश अथवा ऋणावेश होता है।

 

 

 

वितरित प्रावस्था की उच्च सान्द्रता सम्भव नहीं है। बहक

 

 

बहुअणुक कोलॉइडी विलयन (Multimolecular colloidal solutions) : इन विलयनों में कोलाइडी कण कई परमाणुओं एवं अणुओं के झुण्ड या समूह के रूप में होते हैं जिनका व्यास 1000 pm से कम होता है। इन समूहों में अणु या परमाणु परस्पर वाण्डर वाल्स बल द्वारा बंधे रहते हैं। इसके उदाहरण में कोलॉइडी गोल्ड तथा कोलॉइडी सल्फर का उल्लेख किया जा सकता है। कोलॉइडी गोल्ड में भिन्न-भिन्न आकार में कई परमाणुओं युक्त समूह कोलॉइडी कण के रूप में होते हैं। कोलॉइडी गन्धक के कणों में लगभग 1000 S8 अणु होते है।

वृहद अणुक कोलॉइडी विलयन (Macromolecular colloidal solutions) : इन विलयनों में कालाइडा कणों के रूप में बड़े-बड़े या वृहत् अणु होते हैं जिनमें कई परमाणु विद्यमान होते हैं। बड़ा आकार होने के कारण ये अणु ही कोलॉइडी कण के परिमाण के हो जाते हैं और विलायकों में वितरित हो जाते हैं। चूंकि इनमें शुद्ध अणुओं का वितरण होता है अतः इनका वितरण वास्तविक विलयनों की भांति होता है। स्टार्च, सेलुलोस, प्रोटीन, पॉलिएथीन, पॉलिएस्टर, नाइलॉन, संश्लेषित रबड़, आदि वृहत् अणुओं के उदाहरण है।

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