colligative properties in hindi , definition , examples , अणु संख्यक गुण which of the following is not

which of the following is not a colligative property , definition , examples in hindi , अणु संख्यक गुण :-
प्रश्न : जब शुद्ध विलायक में वाष्पशील विलेय घोला जाता है तो इसका वाष्प दाब कम हो जाता है , समझाइये।
या
अवाष्पशील विलेय युक्त विलयन का वाष्पदाब शुद्ध विलायक से कम होता है क्यों ?
उत्तर : जब शुद्ध विलायक में अवाष्पशील विलेय घोला जाता है तो विलयन की सतह पर जल के अणुओं की संख्या कम हो जाती है जिससे वाष्प कम बनती है अत: वाष्प दाब कम हो जाता है।  दूसरे शब्दों में विलयन का वाष्प दाब सदैव शुद्ध विलायक के वाष्प दाब से कम होता है।  इसे वाष्प दाब में अवनमन कहते है।
माना शुद्ध विलायक तथा विलयन के वाष्पदाब P10 तथा P1 है तो
वाष्पदाब में अवनमन = P10 – P1
प्रश्न : वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन किसे कहते है ?
उत्तर : जब शुद्ध विलायक में अवाष्पशील विलेय घोला जाता है तो वाष्प दाब कम हो जाता है इसे वाष्पदाब का अवनमन कहते है।
वाष्पदाब में अवनमन तथा शुद्ध विलायक के वाष्प दाब के अनुपात को वाष्पदाब का आपेक्षित अवनमन कहते है।
माना शुद्ध विलायक तथा विलयन के वाष्पदाब क्रमशः P10 तथा P1 है।
वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन = P10 – P1/P10

अणु संख्यक गुण

किसी विलयन के वे भौतिक गुण जो इकाई आयतन में उपस्थित विलेय के कणों की संख्या पर निर्भर करते है न कि उनकी प्रकृति पर उन्हें अणुसंख्यक गुण कहते है।  ये निम्न है –
1. वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन : राउल्ट नियम के अनुसार अवाष्पशील विलेय युक्त विलयन का वाष्पदाब P1 , विलायक के मोल अंश X1 के समानुपाती होता है।
P1 ∝ X1
P1 =P10 Xसमीकरण-1
यहाँ P10 शुद्ध विलायक का वाष्पदाब है।
माना विलयन में विलायक तथा विलेय के मोल अंश क्रमशः X1 तथा X2 है।
अत: चूँकि X1 + X2 = 1
X1  = 1 – X2
Xका मान समीकरण-1 में रखने पर
X2 = P10 – P1/P10  समीकरण-2
राउल्ट नियम को निम्न प्रकार से भी परिभाषित किया जा सकता है –
जब शुद्ध विलायक में अवाष्पशील विलेय घोला जाता है तो वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन विलेय के मोल अंश के बराबर होता है।
माना विलायक तथा विलेय के मोलो की संख्या क्रमश: n1 , n2 है।
विलेय के मोल अंश (X2) = n2/n1+ n2
X2 का मान समीकरण 2 में रखने पर –
P10 – P1/P1n2/n1+ n2
प्रश्न : क्वथनांक किसे कहते है ?
उत्तर : वह निश्चित ताप जिस पर किसी द्रव का वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है उसे द्रव का क्वथनांक कहते है।
शुद्ध जल का क्वथनांक 100 डिग्री सेल्सियस या 373 केल्विन होता है।
प्रश्न : अवाष्पशील विलेय युक्त विलयन का क्वथनांक शुद्ध विलायक के क्वथनांक से अधिक होता है , क्यों ?
या
क्वथनांक का उन्नयन किसे कहते है , समझाइये।
उत्तर : जब शुद्ध विलायक में अवाष्पशील विलेय घोला जाता है तो उसका वाष्प दाब कम हो जाता है अर्थात विलयन का वाष्प दाब शुद्ध विलायक के वाष्पदाब से कम होता है।  विलयन के वाष्प दाब को वायुमंडलीय दाब के बराबर करने के लिए विलयन को और अधिक गर्म करना पड़ता है अर्थात विलयन का क्वथनांक शुद्ध विलायक के क्वथनांक से अधिक होता है इसे क्वथनांक में उन्नयन कहते है।
माना शुद्ध विलायक तथा विलयन के क्वथनांक क्रमशः Tb0
तथा Tb है। अत: क्वथनांक में उन्नयन
Tb = Tb – Tb0
उपरोक्त तथ्य की व्याख्या निम्न ग्राफ द्वारा की जा सकती है –

चित्रानुसार विलायक तथा विलयन के लिए वाष्पदाब तथा ताप के मध्य ग्राफ खिंचा गया है –
बिंदु A पर पर विलायक का वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है अत: बिंदु A के संगत ताप Tb0 को शुद्ध विलायक का क्वथनांक कहते है।  इसी प्रकार से बिंदु B पर विलयन का वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है अत: बिंदु B के संगत ताप Tb को विलयन का क्वथनांक कहते है।
उपरोक्त ग्राफ से स्पष्ट है कि विलयन का क्वथनांक शुद्ध विलायक के क्वथनांक से अधिक होता है।
प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात हुआ कि क्वथनांक में उन्नयन विलयन की सांद्रता (मोललता) के समानुपाती होता है
अर्थात –
Tb  ∝ m समीकरण-1
माना Kb मोलल उन्नयन स्थिरांक या क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक है इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है।
यदि m = 1 मोलल है तो समीकरण-1 से
Tb  = Kb
एक मोलल विलयन के क्वथनांक में उन्नयन को मोलल उन्नयन स्थिरांक कहते है।