coefficient of linear expansion in hindi , रेखीय प्रसार , क्षेत्रीय प्रसार , आयतन प्रसार , प्रसार गुणांक की परिभाषा क्या है , सूत्र , विमा , मात्रक :-
उष्मीय प्रसार : जब किसी द्रव को ऊष्मा दी जाती है तो द्रव ऊष्मा पाकर प्रसारित होने लगते है , इस घटना को उष्मीय प्रसार कहते है।
रेखीय प्रसार : जब किसी छड को ऊष्मा दी जाती है तो छड ऊष्मा पाकर प्रसारित होती है , इसे रेखीय प्रसार कहते है।
छड़ की लम्बाई में होने वाला भिन्नात्मक परिवर्तन तापान्तर के समानुपाती होता है।
ΔL/L ∝ Δt
ΔL/L = αL Δt
यहाँ αL एक नियतांक है जिसे रेखीय प्रसार गुणांक कहते है।
रेखीय प्रसार गुणांक का मात्रक
αL = ΔL/LΔt
αL = मीटर /मीटरx केल्विन
रेखीय प्रसार गुणांक की विमा –
विमा = M0L0T0K-1
यदि L = 1 मीटर तथा Δt = 1t हो तो αL = ΔL
एकांक लम्बाई वाली छड के ताप में ΔC का परिवर्तन करने पर लम्बाई में होने वाला रेखीय प्रसार गुणांक कहलाता है।
क्षेत्रीय प्रसार : जब किसी परत को ऊष्मा दी जाती है तो परत ऊष्मा पाकर प्रसारित होती है , परत के क्षेत्रफल में वृद्धि होती है इसे ही क्षेत्रीय प्रसार कहते है।
क्षेत्रफल में होने वाला भिन्नात्मक परिवर्तन के समानुपाती होता है।
ΔA/A ∝ Δt
ΔA/A = αA Δt
यहाँ αA एक नियतांक है जिसे क्षेत्रीय प्रसार गुणांक कहते है।
क्षेत्रीय प्रसार गुणांक की विमा –
ΔA/A = αA Δt
αA = ΔA/A x Δt
αA = M0L0T0K-1
क्षेत्रीय प्रसार गुणांक की परिभाषा –
αA = ΔA/A x Δt
यदि A = 1 m2
Δt = 1C हो तो
αA = ΔA
एकांक क्षेत्रफल वाली परत का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने पर परत के क्षेत्रफल में होने वाला परिवर्तन क्षेत्रीय प्रसार गुणांक कहलाता है।
आयतन प्रसार : जब किसी परत को ऊष्मा दी जाती है तो परत ऊष्मा पाकर प्रसारित होती है अर्थात परत के आयतन में होने वाली वृद्धि आयतन प्रसार कहलाता है।
आयतन में होने वाला भिन्नात्मक परिवर्तन , तापान्तर के समानुपाती होता है –
ΔV/V ∝ Δt
ΔV/V = αV Δt
यहाँ αV एक नियतांक है जिसे आयतन प्रसार गुणांक कहते है।
ΔV/V = αV Δt
αV = ΔV/Vx Δt
आयतन प्रसार गुणांक की विमा –
αV = M0L0T0K-1
आयतन प्रसार गुणांक की परिभाषा –
αV = ΔV/Vx Δt
यदि V = 1 m3
Δt = 1C हो तो
αV = ΔV
एकांक आयतन वाली परत का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढाने पर आयतन में होने वाला परिवर्तन आयतन प्रसार गुणांक कहते है।
पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा : जब किसी पदार्थ के गर्म किया जाता है तो उसके ताप में वृद्धि होती है अर्थात किसी पदार्थ को ऊष्मा देने पर उसके ताप में वृद्धि होती है। पदार्थ के ताप में वृद्धि करने के लिए दी गयी ऊष्मा का मान पदार्थ के द्रव्यमान व तापान्तर के समानुपाती होता है।
माना m द्रव्यमान वाले पदार्थ को Q ऊष्मा देने पर Δt तापान्तर होता है –
Q ∝ m समीकरण-1
Q ∝ Δt समीकरण-2
समीकरण-1 व समीकरण-2 से –
Q ∝ m Δt
Q = Sm Δt समीकरण-3
यहाँ S एक नियतांक है जिसे पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा कहते है।
समीकरण-3 से –
Q = Sm Δt
S = Q/m Δt
पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा की परिभाषा –
यदि m = 1 ग्राम तथा Δt = 1 डिग्री सेल्सियस हो तो
S = Q
एक ग्राम द्रव्यमान वाले पदार्थ का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को विशिष्ट ऊष्मा कहते है।
विशिष्ट ऊष्मा का मात्रक –
S = Q/m Δt
S = कैलोरी/ग्रामxकेल्विन
विशिष्ट ऊष्मा का CGS पद्धति में मात्रक कैलोरी/ग्रामxसेल्सियस होता है।
S = Q/m Δt
S = कैलोरी/किलोग्रामxकेल्विन
MKS पद्धति में विशिष्ट ऊष्मा का मात्रक कैलोरी/किलोग्रामxकेल्विन होता है।
पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा :
पानी के लिए विशिष्ट ऊष्मा –
(i) CGS पद्धति में 1 कैलोरी/ग्रामxसेल्सियस
(ii) MKS पद्धति में 1 कैलोरी/किलोग्रामxकेल्विन
गैसों के लिए विशिष्ट ऊष्मा
गैसों के लिए विशिष्ट ऊष्मा को दो प्रकार से परिभाषित किया जाता है –
- स्थिर दाब पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा (Cp)
- स्थिर आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा (Cv)
- स्थिर दाब पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा (Cp): यदि किसी गैस की स्थिर दाब पर विशिष्ट ऊष्मा ज्ञात की जाती है तो उसे गैस की स्थिर दाब की विशिष्ट ऊष्मा कहते है इसे Cp से व्यक्त करते है।
स्थिर दाब पर किसी गैस की एक ग्राम द्रव्यमान का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को स्थिर दाब पर गैस की ग्राम विशिष्ट ऊष्मा कहते है।
स्थिर दाब पर एक मोल द्रव्यमान वाली गैस का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा स्थिर दाब पर गैस की मोलर या ग्राम अणु विशिष्ट ऊष्मा कहलाती है।
- स्थिर आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा (Cv): किसी गैस की स्थिर आयतन पर विशिष्ट ऊष्मा का मान स्थिर आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा कहलाती है।
स्थिर आयतन पर गैस की विशिष्ट ऊष्मा को Cv से लिखते है।
स्थिर आयतन पर एक ग्राम द्रव्यमान वाली गैस का ताप एक एक डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा
स्थिर आयतन पर एक मोल द्रव्यमान वाली गैस का ताप 1 डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को स्थिर आयतन पर गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा (ग्राम अणु) विशिष्ट ऊष्मा कहते है।
मेयर सम्बन्ध या मेयर का सूत्र –
R = Cp – Cv
यहाँ Cp = स्थिर दाब पर गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा
Cv = स्थिर आयतन पर गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा
R = गैस नियतांक
स्थिर दाब पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा व स्थिर आयतन पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा का अनुपात रुदोष्म निष्यति कहलाता है।
V = Cp/Cv
स्थिर आयतन पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा
Cv = dE/T
यहाँ E = कुल औसत ऊर्जा
T = ताप