JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

Circulatory System of unio in hindi | यूनियो में परिसंचरण तंत्र का वर्णन कीजिये , हृदय एवं हृदयावरण

पढ़े Circulatory System of unio in hindi | यूनियो में परिसंचरण तंत्र का वर्णन कीजिये , हृदय एवं हृदयावरण ?

परिसंचरण तंत्र (Circulatory System)

यूनियो में सुविकासित खुले प्रकार का परिसंचरण तंत्र होता है। यह निम्नलिखित संरचनाओं से मिलकर बना होता है।

प्रकोष्ठ (supra

  • हृदय एवं हृदयावरण (Heart and Pericardium)
  • धमनियाँ (Arteries)
  • रक्त कोटर (Blood sinuses)

(iv) शिराएँ (Veins)

(v) रक्त (Blood)

(i) हृदय एवं हृदयावरण (Heart and Pericardium)

शरीर की मध्य-पृष्ठ रेखा में पश्च अभिवर्तनी पेशी के सामने एक तिकोना पतली कि प्रकोष्ठ पाया जाता है जिसे हृदयावरण (pericardium) कहते हैं। यह प्रकोष्ठ उपकला द्वारा आज होता है। इस प्रकोष्ठ में हृदयावरणी तरल (pericardial fluid) भरा रहता है जो वास्तव में सीलो द्रव होता है। इस प्रकोष्ठ में पेशीय हृदय पाया जाता है। यह प्रकोष्ठ अधिक्लोम प्रकोष्ठ । branchial chamber) से वृक्कों द्वारा जुड़ा रहता है। , हृदय एक पेशीय संकुचनशील संरचना होती है जो हृदयावरण में पायी जाती है। हृदय प्रकोष्ठों का बना होता है- एक निलय (ventricle) तथा दो अलिन्द (auricles)। अलिन्द. पाणी स्थिति में स्थित होते हैं तथा ये पतली भित्ति के अतिप्रसारीय होते हैं। दोनों अलिन्दों में गिलों वह तथा प्रवार से रक्त आता है। आलिन्द रक्त का संग्रह करते हैं अतः ग्राहक भी कहलाते हैं।

प्रत्येक अलिन्द अपने चौड़े आधार द्वारा हृदयावरणी भित्ति से जुड़ा रहता है तथा एक अलिन्द-निलय छिद्र द्वारा निलय में खुलता है। इस छिद्र पर एक कपाट (valve) पाया जाता है जो निलय की तरफ खुलता है। निलय एक पेशीय संरचना होती है जो मलाशय को घेरे रहता है या उसके चारों तरफ लिपटा रहता है। निलय जो कि पेशीय एवं संकुचनशील संरचना होती है रक्त को धमनियों में पम्प करता है। निलय के दोनों किनारों से अग्र एवं पश्च महाधमनी निकलती है। यूनियां में हृदय एक मिनट में 20 से 100 बार स्पन्दन करता है।

(i) धमनियाँ (Arteries)

निलय के अग्र एवं पश्च भाग से क्रमशः अग्र एवं पश्च महाधमनी निकलती है जिनके द्वारा रक्त हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में वितरण के लिए ले जाया जाता है। अग्र महाधमनी शरीर के अग्र भागों तथा पश्च महाधमनी शरीर के पश्च भाग में रक्त पहुँचाती है। अग्र महाधमनी आंत्र के ऊपर होकर आगे की तरफ आती है तथा मुख्य रूप से तीन शाखाओं में विभक्त हो जाती है

1.अग्र प्रावार धमनी (Anterior pallial artery)- यह धमनी प्रावार में रक्त आपूर्ति करती

। रक्त पहुँचाती है,artery) : यह अनेक का रक्त पहुँचाती है।

  1. पादिक धमनी (Pedal aretery) : यह धमनी पाद को रक्त पहुँचाती है।
  2. आन्तरांग धमनी (Visceral artery) : यह अनेक शाखाओं द्वारा विभिन्न आन्तरागा (visceral organs) को रक्त पहुंचाती है। जैसे जठर शाखा (gastric branch) आमाशय को, यकृत शाखा (hepatic branch) पाचक ग्रन्थि को, आंत्रीय शाखा (intestinal branch) आंत्र को तथा जननिक शाखा (gonadial branch) जनन ग्रन्थियों को रक्त पहुँचाती है।

पश्च महाधमनी मलाशय के नीचे होकर पीछे की तरफ चली जाती है। इससे कई महीन शाखाए निकल कर हृदयावरण एवं वृक्कों को, एक मलाशयी धमनी द्वारा मलाशय को तथा पश्च प्रावार धमनी (posterior pallial artery) द्वारा प्रावार का रक्त पहुँचाती है।

(iii) रक्त कोटर (Blood Sinuses) .

धमनियाँ अनेक महीन शाखाओं में विभक्त हो जाती हैं तथा ये शाखाएँ विभिन्न शारीरिक अंगों में एक जाल बना लेती है। ये वाहिकाएँ अन्त में केशिकाओं में न खुल कर अनियमित गुहिकाओं में खुल जाती हैं जिन्हें रक्त कोटर (blood sinuses) कहते हैं। यहाँ से रक्त शिराओं में भेज दिया जाता है। कोटरों की भित्ति में उपकला स्तर का अभाव होता है। संघ मोलॉस्का के सभी प्राणियों में, केवल वर्ग सिफेलोपोडा को छोड़कर केशिकाओं का अभाव होता है तथा रक्त वाहिकाएँ रक्त कोटरों में खुलती है अतः इनका परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार का होता है।

(iv) शिराएँ (Veins)

शरीर के विभिन्न भागों में रक्त शिराओं तथा कोटरों द्वारा एकत्र किया जाता है। शिराएँ भी वस्तुतः कोटर ही होती है। शरीर के आन्तरांगों से रक्त विभिन्न शिराओं द्वारा एकत्र किया जाता है जैसे- जनन अंगों से जननिक शिरा द्वारा, आंत्र से आंत्रीय शिरा द्वारा, यकृत से यकृति शिरा द्वारा, एवं आमाशय से जठरीय शिरा द्वारा। इसी तरह पादिक रक्त कोटर से पादिक शिरा (pedalvein) द्वारा रक्त एकत्र किया जाता है। आन्तरांगों से रक्त एकत्र कर लाने वाली आन्तरांगी शिरा तथा पाद से रक्त एकत्र कर लाने वाली पादिक शिरा मिलकर एक बड़ी महाशिरा (vena cava) बनाती है। यह महाशिरा हृदयावरण के नीचे दोनों वृक्कों के बीच स्थित होती है। उच्च श्रेणी के प्राणियों में पाये जाने वाले वृक्क निवाहिका उपतंत्र (renal portal system) की तरह ही महाशिरा में एकत्र कर लाया गया रक्त वृक्क अभिवाही शिराओं (afferent renal veins) द्वारा वृक्कों में भेजा जाता है जहाँ रक्त से नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों को अलग कर लिया जाता है। वृक्कों से यह रक्त कई अपवाही वृक्क शिराओं (efferent renal veins) द्वारा एकत्र किया जाता है। ये शिराएँ मिल कर एक जोड़ी अभिवाही क्लोम शिराएँ बनाती हैं जो रक्त को ऑक्सीकृत करने के लिए गिलों में ले जाती है। अभिवाही क्लोम शिरा क्लोम अक्ष में स्थित होती हैं तथा गिल पटलिकाओं में तथा गिल तन्तुओं में अनेक शाखाओं द्वारा ऑक्सीकरण के लिए रक्त भेजती है। यहाँ से रक्त ऑक्सीकृत होकर अपवाही क्लोम शिरा द्वारा एकत्र कर लिया जाता है। यह शिरा गिल अक्ष में होती हुई रक्त को अपनी तरफ के अलिन्द में पहुँचा देती है।

प्रावार भी एक श्वसनांग की तरह कार्य करता है तथा अग्र एवं पश्च प्रावार धमनियों द्वारा जो रक्त प्रावार में लाया जाता है वह यहाँ से ऑक्सीकृत होकर प्रावार शिरा द्वारा अलिन्द में पहुँचा दिया जाता है। कुछ वृक्क शिराएँ अपने द्वारा एकत्र रक्त को अपवाही क्लोम शिरा द्वारा सीधा ही अलिन्द में पहुँचा देती है।

(v) रक्त (Blood)

यूनियो के रक्त में रंगहीन प्लाज्मा पाया जाता है। इसमें हीमोसाइनिन नामक श्वसन वर्णक पास जाता है। यह ताम्बा (coper) आधारित यौगिक के रूप में पाया जाता है जबकि हीमोग्लोबिन में लोट आधारित यौगिक पाया जाता है। हीमोसाइनिन वर्णक ऑक्सीजन का वाहक होता है। यह ऑक्सीकन होने पर हल्के नीले रंग का हो जाता है। प्लाज्मा में अनेक श्वेत रक्त कणिकाएँ पायी जाती हैं जो अमीबाभ होती है। ये कणिकाएँ दो प्रकार की हो सकती हैं, कणिकामय व अकणिकामय।

रक्त परिसंचरण मार्ग (Course of blood circulation)

यूनियो के हृदय में उपस्थित निलय रक्त को अग्र महाधमनी तथा पश्च महाधमनी में पम्प करता है। ये महाधमनियाँ कुछ रक्त तो प्रावार धमनियों द्वारा प्रावार में ऑक्सीकृत होने के लिए भेज देती है। शेष रक्त को विभिन्न धमनियों द्वारा विभिन्न अंगों में भेज देती है। वहाँ से यह रक्त कोटरों में एकत्र हो जाता है तथा यहाँ से शिराओं द्वारा महाशिरा से पहले वृक्कों में, जहाँ अपशिष्ट पदार्थों की रक्त से अलग किया जाता है, फिर रक्त गिलों में जाता है जहाँ यह ऑक्सीजन ग्रहण कर CO, को त्याग देता है। प्रावार से तथा गिलों से रक्त अलिन्दों में एकत्र होता है तथा यहाँ से निलय में चला जाता है। यूनियो में रक्त परिसंचरण की निम्न आरेख द्वारा समझा जा सकता है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now