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ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है christian death ritual in hindi ईसाई समाज में अंतिम संस्कार

christian death ritual in hindi in india ईसाई समाज में अंतिम संस्कार क्या है ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है ?

सीरियाई ईसाई समाज में अंतिम संस्कार (Syrian Chris tian Death Rituals)
सीरियाई ईसाइयों के अंतिम संस्कार में आदर और संजीदगी का भाव देखने को मिलता है। सीरियाई ईसाइयों में अंतिम समय के अनुष्ठान नहीं होते। लेकिन बीमारी के समय कुछ अनुष्ठान अवश्य होते है। ऐसे समय में आमतौर पर पादरी रोगी के पास होता है और जब मृत्यु का समय निकट आता है तो प्रार्थना की जाती है। पादरी मरते हुए व्यक्ति के कान में धर्म की बातें कहता है। मृत्यु के समय महिलाएं रोने और छाती पीटने लगती हैं जिससे आस-पड़ोस को मृत्यु होने का पता चल जाता है । घर के चूल्हे बुझा दिए जाते हैं और अंतिम संस्कार होने से पहले किसी तरह का खाना पकाना नहीं किया जाता। मृतक को नहलाने और कपड़े पहनाने के बाद पूर्व की ओर मुंह करके एक कमरे में रख दिया जाता है। उसके सिरहाने एक सलीब रख दी जाती है और दोनों और मोमबत्तियां जला दी जाती है। लोबान सुलगाई जाती है। जब मृतक का पार्थिव शरीर घर में रहता है प्रार्थना और भजन चलते रहते . हैं। जब पादरी मरते व्यक्ति के पास होता है स्पष्ट रूप से पूर्व सांक्रांतिक संस्कार होते हैं। वैसे मौत हमेशा धीरे-धीरे नहीं आती। व्यक्ति के साथ दुर्घटना भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में बाकी के सभी संस्कार ऊपर दिए अनुसार ही लोग अपने आप को मृतक से विच्छेद के लिए और सांक्रांतिक संस्कारों के लिए तैयार कर रहे होते हैं।

 शव यात्रा (Procession to Graveyard)
पादरी मृतक के पार्थिव शरीर पर तेल का लेप करता है। उसके चेहरे, सीने और घुटनों पर तेल से सलीब का चिह्न बनाया जाता है। फिर शव यात्रा गिरजाघर के लिए कूच करती है जहाँ शव को गाड़ दिया जाता है। केरल में कब्रिस्तान आमतौर पर गिरजाघर के परिसर में ही होते हैं। शव को एक ताबूत में रखा दिया जाता है और फिर उसे कब्रिस्तान ले जाया जाता है। घर की महिलाएं शव यात्रा में शामिल नहीं होतीं। अंतिम संस्कार के समय होने वाली लंबी प्रार्थना सभा में प्रार्थनाएं और भजन चलते हैं । जब ताबूत को कब्र में उतारा जाता है तो पादरी उस में सलीब की आकृति में मिट्टी डालता है इस बीच प्रार्थना चलती रहती है। सीरियाई ईसाई शव को दफनाते समय उसका सिर पश्चिम की ओर रखते हैं।

जिससे उसका मुंह पूर्व की ओर रहे, क्योंकि उसका दृढ़ विश्वास है कि मसीह यरुशलम के पास से आएगा। शव पर तेल का लेप, पादरी का सलीब का चिह्न बनाना और फिर शव को पश्चिम की ओर सिर करके कब्र में गाड़ना ये सभी सांक्रांतिक संस्कार हैं । शव कब्र में होता है और धीरे-धीरे इसे खाक के सुपुर्द किया जाता है। धीरे-धीरे मृतक का शरीर दिखना बंद हो जाएगा और वह सामाजिक दुनिया का सदस्य नहीं रह जाता। ये संस्कार इस सांक्रांतिक चरण का ही संकेत देते हैं। इस अनुष्ठान से मृतक के इस संसार से लुप्त होने की क्रिया को अमौखिक रूप से व्यक्त किया जाता है।

अंत्येष्टि के बाद शोक करने वाले घर लौट आते हैं। वहाँ उन्हें चावल का सादा भोजन दिया जाता है।

शुद्धिकरण संबंधी अनुष्ठान (The Purification Ceremony)
प्राचीन काल में शोक करने वालों को मृत्यु के आठवें या दसवें दिन तक प्रदूषण से प्रभावित माना जाता था। उसके बाद शुद्धिकरण का एक अनुष्ठान पल्लाकलि किया जाता था। यह रीति नंबूदरी लोगों से ग्रहण की गई थी। दैनिक मजदूरी करने वालों के अतिरिक्त और कोई शोकग्रस्त व्यक्ति मृत्यु के चालीसवें दिन तक कोई कार्य नहीं कर सकता था। उस दिन एक विशेष अनुष्ठान किया जाता था जिसके समाप्त होने पर पादरी प्रत्येक व्यक्ति को अपने हाथ के पिछले हिस्से को चूमने देता है और इस तरह उन्हें आशीर्वाद देता है। इस दिन मांसाहारी भोजन परोसा जाता है और इसके साथ ही औपचारिक शोक या मातम की समाप्ति हो जाती है। मृतक की प्रत्येक पुण्य तिथि पर एक अनुष्ठान किया जाता है। गिरजाघर में एक शांति यज्ञ का आयोजन होता है। कब्र पर एक मोमबत्ती भी जलाई जाती है और जरूरतमंदों को कुछ दान दिया जाता है। यह स्पष्ट है कि उत्तर संक्रांति के संस्कार सीरियाई ईसाइयों में कुछ लबें चलते हैं क्योंकि वे मृत्यु के चालीसवें दिन तक सामाजिक कार्यों में हिस्सा नहीं लेते। तब पादरी आशीर्वाद देता है और उपर्युक्त उल्लिखित कुछ अनुष्ठानों के बाद शोक की अवधि के समाप्त होने की घोषणा करता है। इसके आगे, शोक पुण्य तिथि पर ही किया जाता है।

बोध प्रश्न 1
1) सीरियाई ईसाइयों में अंतिम संस्कार की मुख्य विशेषताएं क्या हैं? पांच से सात पंक्तियों में अपना उत्तर दीजिए।
2) हिन्दुओं में अंतिम संस्कार के समय अस्थियों का संचयन किए जाने के महत्व पर प्रकाश डालिए। अपना उत्तर पाँच से सात पंक्तियों में दीजिए।

बोध प्रश्न 1 उत्तर
1) सीरियाई ईसाइयों में अंतिम संस्कार की मुख्य विशेषताएं ये हैं कि इनमें शव गाड़ने की रस्म होती है जिस की अगुआई पुरोहित और शोक करने वाले करते हैं। कब्रिस्तान किसी गिरजाघर के परिसर में होता है। जब ताबूत कब्र में उतार दिया जाता है तो प्रत्येक शोक करने वाला उसमें मिट्टी डालता है। मृतक के चेहरे को पूर्व दिशा की ओर रखा जाता है अर्थात जहां यरुशलम है। उनका विश्वास है कि वहीं से यीशु मसीह का आना होगा।
2) हिन्दुओं में दाह संस्कार के अगले दिन अस्थियों का संचयन किया जाता है। उस समय तक चिता ठंडी हो चुकी होती है। अस्थियों को पास की नदी में विसर्जित किया जाता है। साधु संतों की भस्म और अस्थियों को ले कर समाधि बना दी जाती है।

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