छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित | छंद क्या है उसके प्रकार , किसे कहते है ट्रिक विशेषता chhand in hindi

chhand in hindi छन्द की परिभाषा उदाहरण सहित | छंद क्या है उसके प्रकार , किसे कहते है ट्रिक विशेषता बताओ |

छन्द
वर्ण, मात्रा, पद, यति आदि के नियमानुरूप प्रयोग से युक्त रचना ‘छन्द‘ कहलाती है।
ज्ञान-जिस प्रकार व्याकरण भाषा का नियमन करता है, उसी प्रकार छन्द ‘पद्य का नियामक है। पद्य रचना की जानकारी के लिए छन्द का ज्ञान परमावश्यक है। छन्दबद्ध रचना में स्थायित्व होता है, वे हमें सरलता से कण्ठस्थ हो जाती हैं। छन्द के कारण काव्य में गेयता आ जाती है, अतः उसका प्रभाव बढ़ जाता है।
छन्द के प्रकार- छन्द दो प्रकार के होते हैं-
(अ) वर्णिक छन्द-जिनमें वर्गों की गणना की जाती है वे ‘वर्णिक छन्द‘ कहे जाते हैं। तीन-तीन वर्गों के समूह बनाये जाते हैं, जिन्हें ‘गण‘ कहा जाता है।
(ब) मात्रिक छन्द-जिनमें मात्राओं का विधान रहता है, वे ‘मात्रिक छन्द‘ कहे जाते हैं। ‘ऽ‘ मात्रा दीर्घ के लिए तथा ‘।‘ मात्रा ह्रस्व (लघु) के लिए लगती है।
गणों की संख्या 8 है। सभी गणों के नाम, सूत्र, उदाहरण इस सूत्र से जाने जाते हैं-
य मा ता रा ज भा न स ल गा
गणों के नाम सूत्र मात्राएँ
यगण यमाता ।ऽऽ
मगण मातारा ऽऽऽ
तगण ताराज ऽऽ।
रगण राजभा ऽ। ऽ
जगण जभान । ऽ।
भगण भानस ऽ।।
नगण नसल ।।।
सगण सलगा ।।ऽ
प्रमुख वर्णिक छन्ददृजिन छन्दों की रचना वर्णों की गणना के आधार पर की जाती है, वे श्वर्णिक छन्दश् कहे जाते हैं। प्रमुख वर्णिक छन्दों के लक्षण, उदाहरण यहाँ प्रस्तुत हैं
(1) इन्द्रवजा-प्रत्येक चरण में 11 वर्ण-दो तगण (ऽऽ । ऽऽ ।), एक जगण (।ऽ।), दो गुरु (ऽऽ) होते हैं । यथा-
जो मैं नया ग्रन्थ विलोकता हूँ।
ऽ ऽ ।ऽ ऽ। ।ऽ । ऽ ऽ
(2) उपेन्द्रवजा-प्रत्येक चरण में 11 वर्ण-जगण (।ऽ।), तगण (ऽऽ ।)
जगण (।ऽ।), दो गुरु (ऽऽ) होते हैं। यथा-
बड़ा कि छोटा कुछ काम कीजै
।ऽ । ऽऽ ।। ऽ। ऽऽ
(3) वसंततिलका-प्रत्येक चरण में चैदह वर्ण-तगण (ऽऽ।), एक भगण
(ऽ।।), दो जगण (।ऽ।, ।ऽ। ) तथा दो गुरु (ऽऽ) वर्ण होते हैं । यथा-
भू में रमी शरद की कमनीयता थी।
ऽ ऽ ।ऽ ।।। ऽ । । ऽ। ऽ ऽ
(4) मालिनी-15 वर्ण प्रत्येक चरण में-दो नगण (।।।, ।।।) एक भगण
(ऽ।।), दो यगण (।ऽऽ, ।ऽऽ) होते हैं।
प्रिय पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है।
।। ।। ।। ऽऽ ऽ। ऽऽ ।ऽ ऽ
(5) मन्दाक्रान्ता-प्रत्येक चरण में 17 वर्ण-एक मगण (ऽऽऽ), एक भगण
(ऽ।।), एक नगण (।।।), दो तगण (ऽऽ।, ऽऽ।), दो गुरु (ऽऽ) होते हैं। यथा-
तारे डूबे तम टल गया छा गयी व्योम लाली
ऽऽ ऽऽ ।। ।। ।ऽ ऽ ।ऽ ।ऽ ऽऽ
(6) शिखरिणी-प्रत्येक चरण में 17 वर्ण-एक यगण (।ऽऽ), एक मगण
(ऽऽऽ), एक नगण (।।।), एक सगण (।।ऽ), एक भगण (ऽ।।), एक लघु एक गुरु (।ऽ), यथा-
अनूठी आभा से सरस सुषमा से सुरस से
।ऽऽ ऽऽ ऽ ।।। ।।ऽ ऽ ।।। ऽ
(7) वंशस्थ प्रत्येक चरण में 12 वर्ण-एक जगण (।ऽ। ), एक तगण
(ऽऽ।), एक जगण (।ऽ।), एक रगण (ऽ।ऽ), यथा-
न कालिमा है मिटती कपाल की।
। ऽ।ऽ । ।।ऽ ।ऽ। ऽ
(8) द्रुतबिलम्बित-प्रत्येक चरण में 12 वर्ण-एक नगण (।।।), दो भगण
(ऽ ।।, ऽ।।), एक रगण (ऽ।ऽ), यथा-
दिवस का अवसान समीप था
।।। ऽ ।।ऽ। ।ऽ। ऽ
(9) मत्तगयन्द (मालती)- प्रत्येक चरण में 23 वर्ण-सात भगण (ऽ।।,
ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।), दो गुरु (ऽ ऽ), यथा-
सेस महेस गनेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर ध्यावैं
ऽ। ।ऽ। ।ऽ। ।ऽ। ।ऽ।। ऽ। ।ऽ।। ऽऽ
(10) सुन्दरी सवैया- प्रत्येक चरण में 25 वर्ण-आठ सगण (।।ऽ, ।।ऽ,
।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ,) एक गुरु (ऽ,), यथा-
कर बान सरासन सीस जटा सरसीरुह लोचन सोन सुहाये।
।। ऽ। ।ऽ।। ऽ। ।ऽ ।।ऽ।। ऽ।। ऽ। ।ऽ।
मात्रिक छन्द-
(1) चैपाई- चार चरण प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ । चरण के अन्त में दो गुरु होते हैं। यथा-
ऽ।। ।। ।। ।।। ।ऽऽ = 16 मात्राएँ
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा ।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।।
अमिय मूरिमय चूरन चारू।
समन सकल भव रुज परिवारू।।
(2) दोहा-अर्द्ध सम मात्रिक छन्द है। चार चरण द्य पहले, तीसरे चरण में 13-13 मात्राएँ तथा दूसरे, चैथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं-
ऽ ।। ।।। ।ऽ। ।। ।। ।। ।।। ।ऽ। = 24 मात्राएँ
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि ।
बरनउँ रघुवर विमल जस, जो दायक फल चारि।।
(3) सोरठा-यह दोहा छन्द का ठीक विपरीत होता है। इसमें भी चार चरण होते हैं। इसमें पहले तथा तीसरे में 11-11 मात्राएँ तथा समचरणों में यानि दूसरे और चैथे चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण-
ऽ। ।ऽ।। ऽ। ।।। ।।। ऽ।। ।।। = 24 मात्राएँ
नील सरोरुह स्याम, तरुन अरुन बारिज नयन ।
करउ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयन ।।
(4) कुण्डलिया-यह विषम मात्रिक छन्द है। इसमें छः चरण होते हैं। पहले दो चरण दोहा के और बाद के दो चरण रोला के होते हैं। प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं, परन्तु मात्राओं का क्रम पहले दो चरणों में 13, 11 का तथा बाद के चार चरणों में 11, 13 का रहता है। जिस शब्द से छन्द का आरम्भ होता है, उसी शब्द का प्रयोग अन्त में होता है। यथा-
ऽऽ ऽ। । ऽ।ऽ ।। ऽ।। ।। ऽ।
सांई बैर न कीजिए गुरु, पण्डित, कवि, यार ।
(5) रोला-चार चरण, प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ 11, 13 पर यति ।
यथा-
ऽऽ ऽऽ ।ऽ ।ऽऽ ऽ।। ऽऽ = 24 मात्राएँ
जीती जाती हुई जिन्होंने मारत बाजी,
(6) हरिगीतिका-चार चरण, प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ अन्त में लघु गुरु तथा 16, 12 पर यति । यथा-
मन जाहि राँचेउ मिलहि सो वर सहज सुन्दर साँवरो
।। ऽ। ऽ।। ।।। ऽ ।। ।।। ऽ।। ऽ।ऽ = 28 मात्राएँ
(7) छप्पय- छः चरण, विषम मात्रिक छन्द द्य प्रथम चार चरण रोला के तथा 24 मात्राओं वाले अन्तिम दो चरण उल्लाला के अतः 15, 13 यति वाले होते हैं।
नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।
ऽऽ।। ।।ऽ। ।।। ।। ।। ऽ।। ऽ = 24 मात्राएँ
करते अभिषेक पयोद हैं बलिहारी इस वेष की
।।ऽ ।।ऽ। ।ऽ । ऽ ।।ऽऽ ।। ।। ऽ = 28 मात्राएँ
(8) बरवै-चार चरण, पहले, तीसरे चरण में 12-12 मात्राएँ तथा दूसरे, चैथे चरण में 7-7 मात्राएँ । अतः प्रत्येक पंक्ति में 19 मात्राएँ । यथा-
प्रेम प्रीति को विरवा चले लगाय
ऽ। ऽ। ऽ ।।ऽ ।ऽ ।ऽ। = 19 मात्राएँ
(9) गीतिका-चार चरण, 26 मात्राएँ, 14, 12 पर यति, चरण के अन्त में
लघु गुरु, यथा-
हे प्रभो आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए।
ऽ ।ऽ ऽऽ।ऽऽ ऽ। ।।ऽ ऽ।ऽ = 26 मात्राएँ

प्रश्न और उत्तर 

1. दोहा और रोला के संयोग से बनने वाला छन्द है-
(अ) पीयूषवर्णी (ब) उपेन्द्रवजा
(स) छप्पय (द) कुण्डलिया
उत्तर-(स) छप्पय
ज्ञान-दोहा, रोला के संयोग से छप्पय छंद बनता है इसमें एक दोहा और एक रोला होता है। प्रत्येक चरण में 24 – 24 मात्राएँ होती हैं।
2. दोहा का लक्षण बताइये-
(अ) 48 मात्राएँ
(ब) 24 मात्राएँ, 13, 11 पर यति
(स) 26 मात्राएँ 14, 12 पर यति
(द) 28 मात्राएँ, 14, 14 पर यति
उत्तर-(ब) 24 मात्राएँ, 13, 11 पर यति
ज्ञान-दोहा छंद में 24 मात्राएँ होती हैं 13, 11, पर यति होती है और अन्त में दोनों पंक्तियों में तुक मिलती है, शेष तीन उत्तर गलत हैं।
3. बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नर रूप हरि।
महामोहतम पुंज जासु वचन रवि कर निकर।। मैं कौन-सा छन्द है?
उ.प्र.टी.ई.टी.

(अ) दोहा (ब) सोरठा
(स) चैपाई (द) बरवै
उत्तर-(ब) सोरठा
ज्ञान-दिए गये छंद में सोरठा है क्योंकि प्रत्येक चरण में 24-24 मात्राएँ है तथा 13 – 11, 13-11 के क्रम से यति होती है।
4. बरवै छन्द का लक्षण है-
(अ) 19 मात्राएँ 12, 7 पर यति
(ब) 26 मात्राएँ, 13, 13 पर यति
(स) 23 वर्ण
(द) 24 वर्ण
उत्तर-(अ) 19 मात्राएँ 12, 7 पर यति
ज्ञान-बरवै छंद में 12, 7 के क्रम से कुल 19 मात्राएँ होती हैं।
5. इन सूचियों को सुमेलित कीजिए-
सूची-। सूची-।।
1. आरोपवाद ।. अभिनवगुप्त
2. अनुमितिवाद ठ. भट्टलोल्लट
3. भुक्तिवाद ब्. आचार्य शंकुक
4. अभिव्यक्तिवाद क्. भट्टनायक
म्. महिमभट्ट
कोड-
1 2 3 4
(अ) ब स द अ
(ब) द अ स ब
(स) स ब इ द
(द) इ ब स द
उत्तर-(अ) आरोपवाद (भट्टलोल्लट), अनुमितिवाद (आचार्य शंकुक), भुक्तिवाद (भट्टनायक), अभिव्यक्तिवाद (अभिनवगुप्त)