चालन (स्पर्श) द्वारा आवेश , आवेशन क्या है charging by conduction (contact) in hindi

charging by conduction (contact) in hindi चालन (स्पर्श) द्वारा आवेशन : चालन द्वारा आवेश को समझने से पूर्व यह समझ ले की चालक व कुचालक होते क्या है ?

वे पदार्थ जिनमें विद्युत आवेश का मुक्त प्रवाह होता है उन पदार्थों को चालक कहते है जैसे तांबा।
वे पदार्थ जिनमें आवेश का प्रवाह नहीं होता हैं उन्हें कुचालक कहते है जैसे काँच , एबोनाइट।
आइये अब जानते हैं स्पर्श द्वारा आवेशन किस तरह होता है , जब किसी चालक को आवेश दिया जाता है तो वह आवेश चालक के बाहरी पृष्ठ पर फैल जाता है (पुनर्वितरण द्वारा)
लेकिन कुचालक पदार्थों में वस्तु को जिस जगह पर आवेश दिया जाता है वह वही ठहरा रहता है अर्थात पृष्ठ पर वितरित नहीं होता हैं।

स्पर्श द्वारा आवेशन :

जब दो वस्तुओं को आपस में संपर्क कराया जाता है तो आवेश का स्थानांतरण एक चालक से दूसरे चालक में स्थानांतरित होता है। इस प्रकार आवेश के स्थानांतरण को स्पर्श (संपर्क) या चालन आवेशन कहते हैं।
चित्रानुसार दो गोले लेते हैं एक आवेशित (धनायन या ऋणायन) तथा एक अनावेशित , दोनों गोलों को कुचालक स्टैंड पर सेट कर देते है।
अब दोनों गोलों को आपस में सम्पर्क में लाते है तो जो आवेश , आवेशित गोले पर है  वह  आवेश उदासीन गोले पर भी स्थान्तरित हो जाता है और दोनों गोलों पर समान प्रकृति का आवेश हो जाता है चूँकि इस विधि में अनावेशित गोले को सम्पर्क (स्पर्श) द्वारा आवेशित किया गया है अतः इसे सम्पर्क या स्पर्श या चालन द्वारा आवेशन कहते है।
चालन विधि द्वारा एक पिण्ड का आवेशित होना : जब एक पृथक चालक किसी आवेशित वस्तु के सम्पर्क में लाया जाता है तो यह चालन क्रिया द्वारा आवेशित वस्तु पर स्थित आवेश की प्रकृति का आवेश ग्रहण कर लेता है। चालन क्रिया केवल चालकों में ही संभव है , कुचालकों में चालन क्रिया नहीं होती है।
चालन प्रक्रिया में हम एक आवेशित चालक A तथा एक उदासीन चालक B लेते है। जब दोनों को जोड़ा जाता है तो कुछ आवेश आवेशित चालक से उदासीन चालक में प्रवाह होता है। यदि दोनों चालक समान तथा अधिक दूरी पर है तो दोनों पर आवेश बराबर वितरित होगा वरना जब तक दोनों का विभव समान हो जाए तब तक प्रवाह होता है।