चारगाफ का नियम क्या है | chargaff rule in hindi वॉटसन तथा क्रिक का डीएनए प्रारूप (Watson and Crick’s Model fo DNA)

chargaff rule in hindi चारगाफ का नियम क्या है वॉटसन तथा क्रिक का डीएनए प्रारूप (Watson and Crick’s Model fo DNA) ?

चारगॉफ का नियम (Charafgaf’s rule)

एर्विन चारगॉफ (1952) ने डीएनए में नाइट्रोजन क्षारकों के आण्विक अनुपात पर शोध किया। इसके लिए उन्होंने विविध जीवों के डीएनए को विलगित करके क्रोमेटोग्राफी तकनीक द्वारा अध्ययन किया । उन्होंने सभी जीवों के डीएनए के क्षारकों का अध्ययन करके सभी जीवों में मौजूद एक समान गुण पाया जिसे बाद में चारगॉफ का नियम कहा गया। चारगॉफ के अनुसारः-
(प) सभी जीवों के डीनएन में क्षारक A की मात्रा ज् के तथा क्षारक G की मात्रा C के बराबर पायी गयी।
(पप) सभी जीवों के डीएनए में मौजूद प्यूरीन की कुल मात्रा (A़G) उसके पिरिमिडीन (t~C) की कुल मात्रा के बराबर थी।

(पपप) डीनएन के क्षारकों का संगठन सभी जीवों में असमान पाया गया।
(पअ) A़T/G़C का अनुपात हमेशा एक नहीं पाया गया।
चारगॉफ नियम से यह मान्य हुआ कि डीनएन ही आनुवंशिकी पदार्थ है। चारगाफ के पश्चात् हर्षे तथा चेश के प्रयोग द्वारा इस मान्यता को पुनः स्वीकार किया गया कि वास्तव में डीनएन ही आनुवंशिकी पदार्थ है।

वॉटसन तथा क्रिक का डीएनए प्रारूप
(Watson and Crick’s Model fo DNA)

वॉटसन तथा क्रिक (Watson and Crick) के अनुसार डीएनए अणु दो बहुन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से बनता है। ये श्रृंखलाएँ समान्तर किन्तु एक दूसरे की विपरीत दिशा में होती हैं जिससे एक श्रृंखला का C-3 सिरा दूसरी श्रृंखला के C-5 सिरे के सामने होता है। इस तरह प्रत्येक पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला या सूत्र की डी ऑक्सीराइबोस शर्करा के बाहर की ओर फॉस्फेट समूह (Phosphate group) तथा अन्दर की ओर नाइट्रोजनी क्षारक (nitrogenous bsae) होते हैं। दोनों श्रृंखलाओं के नाइट्रोजनी क्षारक परस्पर हाइड्रोजन बन्धों (hydrogen bonds) द्वारा जुड़े रहते हैं जो निकटवर्ती (adjacent) क्षारकों के ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के बीच होते हैं। युग्म नाइट्रोजनी क्षारकों (paired nitrogenous bsaes) में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

(1) प्यूरिन (एडीनीन तथा ग्वानीन) पिरामिडिन (साइटोसिन तथा थाइमीन) के साथ युग्म बनाती हैं।
(2) एडीनीन, थाइमीन के साथ तथा ग्वानीन, साइटोसिन के साथ युग्म (चंपत) बनाती हैं । क्षारकों के इस प्रकार युग्मित (चंपतमक) होने के कारण दोनों सूत्र एक दूसरे के पूरक (complementary) होते हैं।
डीएनए में दो पूरक सूत्र (complementary strands) एक दूसरे के चारों ओर कुण्डलित (twisted) रहते हैं। डीएनए के एक कुण्डल की लम्बाई लगभग 34Å तथा चौड़ाई 20 Å होती है। कुण्डल की लम्बाई में नियमित अन्तराल (regular interval) पर न्यूक्लियोटाइड् के 10 युग्म (pairs), प्रत्येक लगभग 3.4 Å दूरी पर स्थित रहते हैं। क्छ। कुण्डलिनी (helix) की सम्पूर्ण लम्बाई पर एक संकरी (narrow) तथा एक चौड़ी खाँच पाई जाती है। वॉटसन तथा क्रिक को डीएनए की संरचना तथा उसका प्रतिरूप (modern तैयार करने के लिए 1962 में नोबल पुरस्कार मिला था।
डीएनए की द्विकुण्डलित संरचना के पक्ष में वैज्ञानिकों ने साक्ष्य (मअपकमदबम) प्रस्तुत किए। विल्किन्स तथा उसके सहयोगियों (Wilkins and saociates) ने X-किरण क्रिस्टेलोग्राफी के द्वारा क्छ। की द्विकुण्डलित (double helical) संरचना तथा उसके मापों (mesaurements) की पुष्टि की। इस प्रकार के डीएनए को, जो अधिकांश जीवों में पाया जाता है ठ-क्छ। कहते हैं। इसके अलावा B-डीएनए से भिन्न लक्षण युक्त डीएनए (DNA) संरचनाओं का भी पता चला जो A, C व D तथा j~ डीएनए के नाम जाने जाते हैं। इन डीएनए की संरचनाओं में निम्न मुख्य अन्तर पाए जाते हैं
B-डीएनए में हेलिकल कुण्डलन (helical coiling) दायीं ओर पाया जाता है। दाहिनी ओर कुण्डलित डीएनए की विभिन्न वैकल्पिक संरचनाओं को A,B व C तथा बायीं तरफ कुण्डलित र्-डीएनए के नाम से जाने जाते हैं। द्विकुण्डलित डीएनए की विभिन्न वैकल्पिक संरचनाओं में निम्न भिन्नतायें मिलती हैं
(1) डीएनए कुण्डलन (coiling) के प्रति चक्कर क्षार युग्मों की संख्या (द) तथा
(2) कुण्डलीय अक्ष (helical axis) क्षार युग्मों के मध्य स्थित दूरी (h) में भिन्नता रखती है।
A डीएनए (A&DNA) – इस डीएनए का व्यास 2.3 nm एक कुण्डली की लम्बाइ 2.8 nm होती है। कुण्डलन दाहिनी ओर होता है। एक कुण्डल में 11 न्यूक्लियोटाइड युग्म उपस्थित रहते हैं। युग्मों के उदग्र माध्यमिक दूरी 0.256 nm है।
ठ डीएनए (ठ-क्छ।) – यह केन्द्रक में उपस्थित साधारण डीएनए है। इसका व्यास 2.0 ।दउ व एक कुण्डल की लम्बाई 3.4 दउ हैं। एक कुण्डल में न्युक्लियोटाइड युग्म उपस्थित रहते हैं। युग्मों के उदग्र माध्यमिक दूरी 0.34 दउ है।
C-डीएनए (C&DNA)- इस डीएनए का व्यास 1.9 nm, एक कुण्डल की लम्बाई 3.1 होती है। कुण्डलन दाहिनी ओर होता है। इसमें 9 न्यूक्लियोटाइड युग्म मिलते हैं। युग्मों के उदग्र माध्यमिक दूरी 0.332 nm होती है।
D-डीएनए (D&DNA)- इसका व्यास 1,9 nm व एक कुण्डल की लम्बाई 2.4 nm व इसमें 8 न्यूक्लियोटाइड युग्म होते है। दो युग्मों की उदग्र माध्यमिक दूरी 0.303 nm है।
j~-डीएनएं (j~&DNA)- j~ डीएनए की खोज सर्वप्रथम बैंग व उनके साथियों (Wang et al) ने का श्री जेड डीएनए की संरचना जिगजग (zig zag) होने से इसे सर्वप्रथम र्-डीएनए कहा गया। यह कृत्रिम कप से संश्लेषित (synthesçed) डीएनए है जिसमें डीएनए का कुण्डलन (helical) बाई ओर होता है जबकि B डीएनए में यह दाहिनी ओर पाया जाता है अतः j~-डीएनए वामावृत डीएनए कहलाता है। जेड नए (Z~&DNA) में आसन्न शर्करा अणु (adjacent sugar residues) एक दूसरे के विपरीत दिशा (उल्टे क्रम से) में अभिविन्यासित (oriented) रहते हैं तथा डाइन्यूक्लियोटाइड (dinucleotide) बनाते हैं जबकि ठ-डीएनए में आसन्न शर्करा अणुओं का अभिविन्यास एक ही दिशा में रहता है। इस तरह B डीएनए की इकाई (unit) मोनोन्यूक्लियोटाइड व Z-डीएनए की इकाई डाइन्यूक्लियोटाइड होती है। इसमें न्यूक्लियोटाइड के 12 युग्म व एक कुण्डल की लम्बाई 4.66 nm होती है। दो युग्म की उदग्र माध्यमिक दूरी 0.375nm होती है। Z-डीएनए में फॉस्फेट अणु जिग-जेग (Zig-Zag) रूप से डीएनए के साथ व्यवस्थित रहते हैं।
कोर्नबर्ग तथा उसके सहयोगियों (Kornberg et al) ने डीएनए पॉलीमरेज (DNA Polymersae) एन्जाइम तथा डीएनए की संरचना इकाई न्यूक्लियोटाइड्स की उपस्थिति में, डीएनए रहित माध्यम में, डीएनए संपलेषण का प्रयास किया किन्तु सभी आवश्यक यौगिकों की उपस्थिति के बाद भी वे सफल नहीं हो सके। इसी माध्यम में कुछ डीएनए डालने के उपरांत संश्लेषण संभव हो सका।