सेंसरशिप को किस आधार पर न्यायिक माना जा सकता है censorship in india in hindi सेंसरशिप क्या है परिभाषा ?
भारत में सेंसरशिप
भारत में जो सरकारी संस्था सेंसरशिप का संचालन और निर्देशन करती है उसका नाम सेंट्रल बोर्ड आॅपफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सी.बी.एफ.सी.) है। इसकी स्थापना वर्ष 1950 में सेंट्रल बोर्ड आॅफ फिल्म सेन्सर्स के नाम से की गयी थी परन्तु बाद में इसे 1952 के अधिनियम के अंतर्गत परिवर्तित कर दिया गया। यह प्रत्यक्ष रूप से सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आधीन कार्य करती है। यद्यपि इसका मुख्य कार्यालय मुम्बई में स्थित है, इसके क्षेत्रीय कार्यालय, जो विशेष रूप से क्षेत्रीय फिल्मों के लिए बनाये गये हैं, वे दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरू, गोहाटी, कटक, तिरुवनंतपुरम और हैदराबाद में हैं। ये सभी संस्थान फिल्मों के प्रदर्शन का प्रमाण-पत्र जारी करते हैं। प्रमाण-पत्र के बिना कोई भी फिल्म प्रदर्शित नहीं की जा सकती।
सी.बी.एफ.सी. एक सुनियोजित ढांचे वाला संगठन है और इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा की जाती है। इनकी नियुक्ति सरकार के निर्देशानुसार तीन साल या इससे अधिक समय के लिए की जा सकती है। सामान्यतः इसके सदस्य पिफल्म उद्योग से जुड़े प्रसिद्ध और प्रतिभाशाली व्यक्ति या अन्य बुद्धिजीवी होते हैं।
इनके क्षेत्रीय कार्यलयों में क्षेत्रीय अधिकारियों के नेतृत्व में सलाहकारों का पैनल भी होता है। फिल्म निर्माताओं और सेंसर बोर्ड के बीच किसी भी मतभेद की स्तिथी में दो स्तरीय समिति तक भी पहुंचा जा सकता है। इन्हें अवलोकन समिति और समीक्षा समिति कहा जाता है।
सभी फिल्मों को सेंसर बोर्ड से प्रमाण-पत्र प्राप्त करना पड़ता है, विदेशी फिल्मों, जिनको भारत में आयात किया जाता है, उन्हें भी सी.बी.एफ.सी. का प्रमाण-पत्र प्राप्त करना पड़ता है। वे सभी फिल्में जिन्हें एक भाषा से दूसरी भाषा में डब किया जाता है, उन्हें भी यह सुनिश्चित करने के लिए नया प्रमाण-पत्र प्राप्त करना पड़ता है कि भाषा बदले जाने से वे किसी भी प्रकार से अप्रिय या अपमानजनक तो नहीं हो गयी है। सी.बी.एफ.सी. प्रमाण-पत्र का एकमात्र अपवाद है दूरदर्शन पर प्रदर्शित विशेष रूप से बनाये जाने वाली फिल्में, क्योंकि दूरदर्शन भारत सरकार का अधिकृत प्रसारणकर्ता है और इस प्रकार की फिल्मों के परीक्षण के लिए उनके अपने नियम हैं। टेलीविजन प्रोग्राम और सीरियलों के लिए सी.बी.एफ.सी. प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं होती है।
2016 में, भारत सरकार ने विश्व के विभिन्न भागों की सर्वोतम प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए, कलात्मक और रचनात्मक अभिव्यक्ति को उचित और पर्याप्त स्थान देते हुए फिल्म प्रमाणन के मानदंडों को निर्धारित करने के लिए श्याम बेनेगल समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी सिफारिशों पर रिपोर्ट का बड़ा भाग केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री को प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट के कुछ आकर्षण इस प्रकार हैंः
ऽ CBFC को केवल एक फिल्म प्रमाणन संस्था के रूप में ही कार्य करना चाहिए, इसका क्षेत्राधिकार आयु और परिपक्वता के आधार पर फिल्मों को दर्शकों की उपयुक्तता के वर्गीकरण तक ही सीमित होना चाहिए।
ऽ समिति ने बोर्ड के कामकाज के सम्बन्ध में भी कुछ अनुशंसाएं की हैं और कहा है कि अध्यक्ष सहित बोर्ड को केवल ब्ठथ्ब् के लिए केवल मार्गदर्शक व्यवस्था के रूप में कार्य करना चाहिए, और फिल्मों के प्रमाणीकरण की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में संलिप्त नहीं होना चाहिए।
ऽ आवेदनों की आॅनलाइन प्रस्तुति और आवेदन पत्रा के साथ लगने वाले दस्तावेजों का सरलीकरण।
ऽ टेलीविजन पर प्रसारण हेतु या अन्य किसी उद्देश्य के लिए पिफल्मों के पुनः प्रमाणीकरण की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
ऽ फिल्मों के वर्गीकरण के बारे में समिति ने सिपफारिश की है कि न्। श्रेणी को उप श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, – UA12़ और UA15़1 A-श्रेणी को भी A और AC (Adult with caution) उपश्रेणीयों में बाँट देना चाहिए।
क्या भारत को फिल्म नीति की आवश्यक्ता है?
ऽ यह आवश्यक लगता है कि भारत की भी एक अपनी राष्ट्रीय फिल्म नीति हो क्योंकि हमारे यहाँ विश्व की सबसे अधिक फिल्मों का निर्माण होता है। प्रतिवर्ष एक हजार से भी अधिक फिल्मों का निर्माण होता है और भारत के ळक्च् में इस उद्योग का एक महत्वपूर्ण योगदान है।
ऽ इस उद्योग में एक विरोधाभास है कि यह एक अनियंत्रित उद्योग है परन्तु इसकी विषय वस्तु को सरकार ने सेंसर बोर्ड के माध्यम से पूरी तरह नियंत्रित कर रखा है। इस उद्योग के सतत् विकास के लिए सरकार के हस्तक्षेप की एक सीमा होनी चाहिये।
ऽ सामान्यतः क्षेत्रीय सिनेमा को हाशिये पर धकेल दिया जाता है। अब ऐसी नीति की आवश्यकता है जो इन्हें भी मुख्यधारा के सिनेमा के बराबर ला सके।
ऽ फिल्म निर्माण और फोटोग्राफी का शिल्प को सिखाया जाना चाहिये और इसे थ्ज्प्प् जैसे और अधिक संस्थानों को खोल कर प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
ऽ भारतीय सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है और एक राष्ट्रीय नीति ही इसे सही दिशा और मार्गदर्शन दे सकती है।
ऽ एक राष्ट्रीय फिल्म नीति यह सुनिश्चित कर सकती है कि विषय सामग्री का डिजिटलीकरण किया जाये।
ऽ सेंसरशिप से जुड़े विषयों के लिए नये दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है जो, उन्हें बदलते हुए सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश से परिचित कराती रहें।
ऽ इन्टरनेट के माध्यम से हो रही चोरी, उद्योग के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
ऽ इस चोरी को रोकने के लिए संशोधन करना आवश्यक है। दोषियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक और आर्थिक कार्यवाही ही प्रभावी हो सकती है।
अभ्यास प्रश्न . प्रारंभिक परीक्षा
1. भारतीय सिनेमा में कितने प्रतिशत तक FDI लाने के लिए अनुमति है?
;a) 26% ;b) 51%
;c) 74% ;d) 100%
2. भारतीय सिनेमा पर पहली बार ‘मनोरंजन कर’ कब लगाया गया था?
(a) 1920 के दशक में (b) 1930 के दशक में
(c) 1940 के दशक में (d) 1950 के दशक में
3. विदेशी भाषा की श्रेणी में किस पहली भारतीय फिल्म का आॅस्कर के लिए नामांकन हुआ?
(a) पाथेर पांचाली (b) मदर इंडिया
(c) मिर्जा गालिब (d) कागज़ के फूल
4. समानांतर सिनेमा ने अपनी यात्रा किस दशक में आरम्भ की थी?
(a) 1950 (b) 1940
(c) 1970 (d) 1980
5. निम्नलिखित में से कौन-सा निर्देशक समानांतर सिनेमा से जुड़ा हुआ नहीं है?
(a) मृणाल सेन (b) सत्यजीत रे
(c) ऋत्विक घटक (d) व्ही. शांताराम
6. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(i) U/A श्रेणी का प्रमाण-पत्रा 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए माता-पिता के मार्गदर्शन से सम्बन्धित है।
(a) S श्रेणी के प्रमाण-पत्रा प्राप्त फिल्में केवल विशेष दर्शकों के प्रदर्शन के लिए ही सीमित हैं।
कूटः
(a) केवल (i) (b) केवल (ii)
;c) ;i) और ;ii) दोनों ;d) न तो ;i) न ही ;ii)
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
;i) भारत में आयात की गयी विदेशी पिफल्म के प्रदर्शन के लिए सी.बी.एफ.सी. प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है।
;ii) एक भाषा से दूसरी भाषा में डब की गयी फिल्म को सी.बी.एफ.सी. प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है।
इनमें से सत्य कथन कौन-सा/से है/हैं?
;a) केवल ;i) ;b) केवल ;ii)
;c) ;i) और ;ii) दोनों ;d) न तो ;i) न ही ;ii)
उत्तर
1. ;d) 2. ;a) 3. ;b) 4. ;b) 5. ;d) 6. ;b) 7. ;b)
अभ्यास प्रश्न – मुख्य परीक्षा
1. क्या भारत को एक फिल्म नीति की आवश्यकता है? समीक्षात्मक विश्लेषण करें।
2. सी.बी.एफ.सी. द्वारा फिल्मों को दिए जाने वाले प्रमाण-पत्र की विभिन्न श्रेणियां कौन-सी हैं?
3. भारतीय सिनेमा के क्रमिक विकास का वर्णन करें।
4. भारत में समानांतर सिनेमा के उदय और उसकी भूमिका पर चर्चा करें।