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वितान क्या होता है | पौधे की वितान को प्रभावित करने वाले कारक , प्रकार canopy tree meaning in hindi
(canopy tree meaning in hindi) वितान क्या होता है | पौधे की वितान को प्रभावित करने वाले कारक , प्रकार किसे कहते है ?
पौधों की शिखर संरचना (canopy architecture of trees) : हमारी धरती पर विविध आकृति और ऊंचाई के अनेक वृक्ष पाए जाते है। इनके अतिरिक्त अनेक पौधे शाक , झाड़ियाँ , उपक्षुप छोटे वृक्ष अथवा झाड़ियों जैसे वृक्षों के रूप में पाए जाते है। इस प्रकार के क्षुप , वृक्ष अथवा क्षुपिल वृक्षों की विशिष्टता और सुन्दरता इनकी शिखर संरचना के कारण होती है।
किसी भी वृक्ष के शिखर अथवा वितान का निर्माण इसके तने , शाखाओं और पत्तियों द्वारा संयुक्त रूप से मिलकर होता है। प्रत्येक वृक्ष की वितान संरचना मूल रूप से पादप वृद्धि को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों द्वारा नियंत्रित होती है। इस प्रकार के कारक आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार के हो सकते है। वृक्ष का जीन प्रारूप संकर ओज आदि कुछ आनुवांशिक कारक है जो कि वृक्ष की वितान अथवा शिखर संरचना को प्रभावित करते है। इसी प्रकार पौधे की आयु , मृदा में जल और पोषक खनिज तत्वों की उपस्थिति , प्रकाश की अवधि और तीव्रता , वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा आदि कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बाहरी कारक है जो पादप की शिखर संरचना अथवा वितान के गठन को प्रभावित करते है। यह एक सामान्य तथ्य है कि कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे जल की कमी , पोषक तत्वों की अल्पता और निम्न तापमान में विभिन्न पौधों की पत्तियों की आकृति छोटी हो जाती है और अत्यन्त विषम परिस्थितियों में पौधों की पत्तियां गिर जाती है।
पादप जगत में कुछ वृक्षों का आकार काफी बड़ा होता है , जिनका मुख्य तना काफी मोटा , मजबूत और काष्ठीय होता है। ये झाड़ियों की तुलना में काफी बड़े होते है। झाड़ियों के शाखन पौधे के निचले सिरे से ही प्रारंभ हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप अनेक समान मोटाई की बहुसंख्य शाखाएँ विकसित होती है। कभी कभी कुछ पौधे झाड़ियों और वृक्षों के मध्य भी पाए जाते है , जिनमें वृक्ष और झाडी दोनों की समानतायें दृष्टिगोचर होती है। वातावरण और आवासीय परिस्थितियों में परिवर्तन भी अनेक वृक्षों की आकृति और शिखर संरचना को प्रभावित करता है। कुछ वृक्ष जो सघन रूप से पास पास उगते है , उनमें कक्षस्थ कलिकाएँ प्राय: संदमित रहती है और वृक्ष का मुख्य तना पतला और ऊँचा होता है , वही दूसरी तरफ अपेक्षाकृत निश्चित अथवा पर्याप्त दूरी पर उगने वाले वृक्षों में , खुले वातावरण के कारण और प्रकाश की पर्याप्त उपलब्धता के कारण कक्षस्थ कलिकाएँ पूर्णतया सक्रीय हो जाती है तो झाडी जैसी सघन संरचना बन जाती है अथवा एक ही मुख्य तने से अनेकों शाखाएँ विकसित हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप वृक्ष की शिखर संरचना भी सघन और भरी भरी दिखाई देती है। बहुधा यह भी देखने में आया है कि यदि वृक्ष ऐसी मृदा में उगते है , जहाँ पोषण की कमी हो तो इनकी वृद्धि धीमी हो जाती है और इनकी आकृति झाड़ियो के समान हो जाती है।
वितान को प्रभावित करने वाले कारक (factors affecting canopy)
वितान संरचना के प्रकार (types of canopy architecture in plants)
(1) ताड़ अथवा खजूर वृक्ष (palm tree)
(2) शंक्वाकार वृक्ष (conical tree)
(3) दीर्घवृतीय अथवा बेलनाकार वृक्ष (cylindrical and oblong tree)
(4) झाड़ीनुमा गोलाकार वृक्ष (round or dome shape trees)
(5) छत्रिकाकार वृक्ष (umbrella shaped trees)
(6) कल्पवृक्ष (pagoda tree)
(7) निलम्बी वृक्ष (dropping trees)
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