JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physics

वोल्टमीटर का अंशशोधन क्या है कार्यविधि परिपथ संयोजन Calibration of Voltmeter in hindi

Calibration of Voltmeter in hindi वोल्टमीटर का अंशशोधन : जब वोल्टमीटर की सहायता से दो बिन्दुओ के मध्य विभवान्तर का मान ज्ञात किया जाता है तो यह अशुद्ध या गलत प्राप्त होता है।

इसके निम्न कारण हो सकते है
  • वोल्टमीटर में उपयोग की गयी स्प्रिंग के स्प्रिंग नियतांक का नियत नहीं रहना या विचलन
  • वोल्टमीटर के स्केल पर सही चिन्ह या अंक अंकित न होना।
  • प्रयुक्त उपकरणों में यांत्रिक त्रुटियां।
चूँकि हम यह जानते है की विभवमापी द्वारा विभवांतर का सही मापन प्राप्त होता है।

अतः वोल्टमीटर से प्राप्त अशुद्ध (गलत ) मान को , विभवमापी से प्राप्त शुद्ध (सही ) मान से जाँच करना ही वोल्टमीटर का अंशशोधन कहलाता है।

जिस परिपथ की सहायता से हम वोल्टमीटर का अंशशोधन करेंगे वह यहाँ दिखाया गया है।

परिपथ संयोजन

परिपथ की रचना करने के लिए सेल (e) , कुंजी K1 , धारा नियंत्रक Rh तथा तार AB को श्रेणीक्रम में जोड़कर प्राथमिक सर्किट बनाते है।
इसके बाद द्वितीयक परिपथ में एक मानक सेल (E0) का धन सिरा तार के A सिरे से जोड़ते है। तथा दूसरा सिरा द्विकुंजी 1 से जोड़ देते है।
इसके बाद एक सेल , कुंजी K2 , धारानियंत्रक Rh , और प्रतिरोध बॉक्स RB को आपस में श्रेणीक्रम में जोड़ते है जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
चित्रानुसार प्रतिरोध बॉक्स RB का उच्च विभव सिरा तार के A सिरे से जोड़ देते है। तथा दूसरा सिरा द्विकुंजी 3 से जोड़ देते है।
जिस वोल्टमीटर V का अंशशोधन करना है उसको  प्रतिरोध बॉक्स RB के सिरों पर जोड़ देते है।
फिर द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 2 से धारामापी G से होकर सर्पी कुंजी C जोड़ते है जैसा चित्र में दिखाया गया है।

कार्यविधि (working )

ऊपर बताये अनुसार परिपथ पूर्ण करने के बाद कुंजी K1 में डॉट लगाते है तथा द्विमार्गी कुंजी में टर्मिनल 1 व 2 के बिच डॉट लगाते है तथा सर्पी कुंजी को A से B की तरफ सरकाते हुए धारामापी में शून्य विक्षेप या संतुलन की अवस्था ज्ञात करते है इससे मानक सेल (E0) का विद्युत वाहक बल ज्ञात करते है।
माना इस स्थिति में संतुलन की स्थिति L0 लम्बाई पर प्राप्त होती है तथा तार AB पर विभव प्रवणता x है तो
मानक सेल का विद्युत वाहक (E0) = xL0
अतः x = E0/L0
इसके बाद द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 व 2 के बिच डॉट हटा देते है तथा टर्मिनल 2 व 3 के बिच डॉट लगाते है और कुंजी K2 पर भी डॉट लगा देते है और धारा नियंत्रक में स्वेच्छा से प्रतिरोध हटाकर वोल्ट्मीटर V पर पाठ्यांक नोट कर लेते है , वोल्ट्मीटर V पर प्राप्त यह पाठयांक त्रुटिपूर्ण पाठ्यांक कहलाता है। यह पाठ्यांक स्वेच्छा से हटाए गए प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर (V) का मान है।
सही मान ज्ञात करने के लिए सर्पी कुंजी को AB तार पर सरकाते है और धारामापी पर शून्य विक्षेप स्थिति ज्ञात करते है।
माना शून्य विक्षेप स्थिति L1 लम्बाई पर प्राप्त होती है तथा तार AB पर विभव प्रवणता x है तो
प्रतिरोध पर विभवांतर V’ = xL1
अतः वोल्ट्मीटर के पाठ्यांक में त्रुटी
V = V – V’
अतः वोल्ट्मीटर का सही पाठ्यांक
V’ = V – V
Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

3 days ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

3 days ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now