Calibration of Voltmeter in hindi वोल्टमीटर का अंशशोधन : जब वोल्टमीटर की सहायता से दो बिन्दुओ के मध्य विभवान्तर का मान ज्ञात किया जाता है तो यह अशुद्ध या गलत प्राप्त होता है।
इसके निम्न कारण हो सकते है
- वोल्टमीटर में उपयोग की गयी स्प्रिंग के स्प्रिंग नियतांक का नियत नहीं रहना या विचलन
- वोल्टमीटर के स्केल पर सही चिन्ह या अंक अंकित न होना।
- प्रयुक्त उपकरणों में यांत्रिक त्रुटियां।
चूँकि हम यह जानते है की विभवमापी द्वारा विभवांतर का सही मापन प्राप्त होता है।
अतः वोल्टमीटर से प्राप्त अशुद्ध (गलत ) मान को , विभवमापी से प्राप्त शुद्ध (सही ) मान से जाँच करना ही वोल्टमीटर का अंशशोधन कहलाता है।
जिस परिपथ की सहायता से हम वोल्टमीटर का अंशशोधन करेंगे वह यहाँ दिखाया गया है।
परिपथ संयोजन
परिपथ की रचना करने के लिए सेल (e) , कुंजी K1 , धारा नियंत्रक Rh तथा तार AB को श्रेणीक्रम में जोड़कर प्राथमिक सर्किट बनाते है।
इसके बाद द्वितीयक परिपथ में एक मानक सेल (E0) का धन सिरा तार के A सिरे से जोड़ते है। तथा दूसरा सिरा द्विकुंजी 1 से जोड़ देते है।
इसके बाद एक सेल , कुंजी K2 , धारानियंत्रक Rh , और प्रतिरोध बॉक्स RB को आपस में श्रेणीक्रम में जोड़ते है जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
चित्रानुसार प्रतिरोध बॉक्स RB का उच्च विभव सिरा तार के A सिरे से जोड़ देते है। तथा दूसरा सिरा द्विकुंजी 3 से जोड़ देते है।
जिस वोल्टमीटर V का अंशशोधन करना है उसको प्रतिरोध बॉक्स RB के सिरों पर जोड़ देते है।
फिर द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 2 से धारामापी G से होकर सर्पी कुंजी C जोड़ते है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
कार्यविधि (working )
ऊपर बताये अनुसार परिपथ पूर्ण करने के बाद कुंजी K1 में डॉट लगाते है तथा द्विमार्गी कुंजी में टर्मिनल 1 व 2 के बिच डॉट लगाते है तथा सर्पी कुंजी को A से B की तरफ सरकाते हुए धारामापी में शून्य विक्षेप या संतुलन की अवस्था ज्ञात करते है इससे मानक सेल (E0) का विद्युत वाहक बल ज्ञात करते है।
माना इस स्थिति में संतुलन की स्थिति L0 लम्बाई पर प्राप्त होती है तथा तार AB पर विभव प्रवणता x है तो
मानक सेल का विद्युत वाहक (E0) = xL0
अतः x = E0/L0
इसके बाद द्विमार्गी कुंजी के टर्मिनल 1 व 2 के बिच डॉट हटा देते है तथा टर्मिनल 2 व 3 के बिच डॉट लगाते है और कुंजी K2 पर भी डॉट लगा देते है और धारा नियंत्रक में स्वेच्छा से प्रतिरोध हटाकर वोल्ट्मीटर V पर पाठ्यांक नोट कर लेते है , वोल्ट्मीटर V पर प्राप्त यह पाठयांक त्रुटिपूर्ण पाठ्यांक कहलाता है। यह पाठ्यांक स्वेच्छा से हटाए गए प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर (V) का मान है।
सही मान ज्ञात करने के लिए सर्पी कुंजी को AB तार पर सरकाते है और धारामापी पर शून्य विक्षेप स्थिति ज्ञात करते है।
माना शून्य विक्षेप स्थिति L1 लम्बाई पर प्राप्त होती है तथा तार AB पर विभव प्रवणता x है तो
प्रतिरोध पर विभवांतर V’ = xL1
अतः वोल्ट्मीटर के पाठ्यांक में त्रुटी
∇V = V – V’
अतः वोल्ट्मीटर का सही पाठ्यांक
V’ = V – ∇V