JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: physics

भंगुर पदार्थ , तन्य पदार्थ व प्रत्यास्थ बहुलक पदार्थ (brittle , ductile and elastomers material in hindi)

(brittle , ductile and elastomers material in hindi) भंगुर पदार्थ , तन्य पदार्थ व प्रत्यास्थ बहुलक पदार्थ : यहाँ हम इन तीनों प्रकार के पदार्थो के बारे में अध्ययन करते है की इनकी परिभाषा क्या है , इनके उदाहरण , ग्राफ वक्र इत्यादि कैसे बनते है आदि।

भंगुर पदार्थ (Brittle material) : इस प्रकार के पदार्थों को थोडा सा मोड़ने पर भी वे टूट जाते है क्यूंकि इनको खीचने से ये किसी प्रकार की कोई ऊर्जा ग्रहण नहीं करते है या बहुत कम उर्जा ग्रहण करते है।
इन पदार्थो के लिए प्लास्टिक क्षेत्र बहुत कम होता है , इस प्रकार के पदार्थ प्रत्यास्थता सीमा को पार करते ही टूट जाते है।
ये पदार्थ हल्के से मोड़ का भी विरोध करते है यदि पदार्थ को मोड़ा जाता है तो ये आसानी से टूट जाते है जब इन पदार्थो पर बल आरोपित किया जाता है तो ये कम बल होने पर पदार्थ परिवर्तित होकर , बल हटाने पर पुनः अपनी मूल अवस्था में लौट आता है लेकिन यदि वस्तु पर बल अधिक लगाया जाता है तो वस्तु अपनी मूल अवस्था में लौट नही पाती है टूट भी सकती है क्यूंकि अधिक बल लगाने से वस्तु प्रत्यास्थता क्षेत्र को छोड़कर प्लास्टिक क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है जिससे टूट जाती है।
प्रत्येक पदार्थ के लिए इस बल का मान निश्चित होता है जिस पर वस्तु टूट जाती है।
उदाहरण : कांच और आयनिक क्रिस्टल , ढलवा लोहा आदि।
तन्य पदार्थ (Ductile material) : ये वे पदार्थ होते है जिनमे प्लास्टिक क्षेत्र अधिक होता है और इन पदार्थो को मोड़ने पर भी ये नहीं टूटते है। ये पदार्थ बल के कारण उत्पन्न विकृति को सहन करने की क्षमता रखते है।  जब इन पदार्थो को पकड़कर खीचा जाता है तो ये तार की आकृति में परिवर्तित हो जाती है और जब दबाया जाता है तो शीट के रूप भी सिकुड़ जाती है।
ये पदार्थ आसानी से एक रूप से दूसरा रूप ग्रहण कर लेते है और जब इनको अधिक खिंचा जाता है तो ये पतले तार में परिवर्तित हो जाते है।
उदाहरण : तांबे, एल्यूमीनियम, और स्टील
प्रत्यास्थ बहुलक पदार्थ (elastomers material) : वे पदार्थ जो पॉलिमर से मिलकर बने होते है तथा जिनमे रासायनिक बन्ध पाए जाते है।  इनमे आरोपित प्रतिबल की तुलना में उत्पन्न विकृति बहुत अधिक होती है अर्थात कम प्रतिबल लगाने पर भी अधिक विकृति उत्पन्न हो जाती है।  इन पदार्थो में प्लास्टिक क्षेत्र शून्य होता है तथा प्रत्यास्थता सीमा के पास भंजन बिंदु पाया जाता है।
इन पदार्थों को बहुत अधिक खींचने के बाद भी ये आसानी से अपनी मूल अवस्था में आ जाते है और चूँकि ये बहुलकों से मिलकर बने होते है यही कारण है कि इनको प्रत्यास्थ बहुलक पदार्थ कहा जाता है।
उदाहरण : रबर
Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

3 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now