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बोगेनविलिया पौधों में असंगत द्वितीयक वृद्धि bougainvillea anomalous secondary growth in hindi

bougainvillea anomalous secondary growth in hindi बोगेनविलिया पौधों में असंगत द्वितीयक वृद्धि क्या है  ? बोगनविलिया अर्थ फ्लावर इन हिंदी |

उत्तरोतर कैम्बियम का निर्माण (formation of successive cambium) : अनेक द्विबीजपत्री पौधों के तनों में (लगभग द्विबीजपत्री के 28 कुलों में) उत्तरोतर द्वितीयक कैम्बियम वलयों के द्वारा भी तने में असंगत द्वितीयक वृद्धि होती है। अधिकांश उदाहरणों में द्वितीयक वृद्धि के समय अन्त:पूलीय और अंतर पूलीय एधा के द्वारा पहले संवहन कैम्बियम की एक वलय बन जाती है। यह कैम्बियम वलय कुछ समय तक सामान्य द्वितीयक वृद्धि का कार्य करती है अर्थात बाहर की तरफ द्वितीयक फ्लोयम और अन्दर की तरफ द्वितीयक जाइलम का निर्माण करती है। यह संवहन ऊतक भी कैम्बियम वलय के द्वारा सभी तरफ निर्मित नहीं होते अपितु कुछ स्थानों पर संवहन बंडल बनते है और संवहन बंडलों के मध्य में सामान्य संयोजी ऊतकों का निर्माण होता है। कुछ समय बाद यह कैम्बियम वलय अपना कार्य करना बंद कर देती है अर्थात निष्क्रिय हो जाती है। तत्पश्चात जैसे ही द्वितीयक वृद्धि और आगे बढती है तो परिरंभ में उपस्थित मृदुतकी कोशिकाएं विभाज्योतकी हो जाती है और दूसरी केम्बियम वलय बनाती है। कभी कभी नयी अतिरिक्त कैम्बियम वलय का निर्माण वल्कुट कोशिकाओं के द्वारा भी होता है। इस प्रकार यहाँ एक के बाद एक अनेक उत्तरोतर कैम्बियम वलयों का निर्माण होता है जिनकी गतिविधि से द्वितीयक संवहन ऊतक बनते है।

अनेक द्विबीजपत्री पौधों जैसे – ऐमेरेन्थस , बोरहाविया , बोगेनविलिया , चीनोपोडियम और मिराबिलिस आदि के तनों में प्राथमिक असंगत संरचना के रूप में मज्जा संवहन बंडल तो पाए जाते है इसके अतिरिक्त उत्तरोतर कैम्बियम वलयों के निर्माण द्वारा “असंगत द्वितीयक वृद्धि” भी देखने को मिलती है। इन उदाहरणों में संवहन कैम्बियम रिंग बनती भी है तो यह बहुत थोड़े समय के लिए ही सक्रीय रहती है। कुछ समय पश्चात् यह निष्क्रिय हो जाती है , जिसकी वजह से बाहर की तरफ दूसरी कैम्बियम वलय की उत्पत्ति होती है। दूसरी वलय का विकास तने के वल्कुट अथवा परिरंभ क्षेत्र से होता है। संवहन क्षेत्र अथवा रम्भ के बाहर बनी हुई कैम्बियम रिंग को बाह्यरम्भीय कैम्बियम कहते है। और इस केम्बियम की स्थिति एक प्रकार से असामान्य मानी जा सकती है।

परिरंभ अथवा वल्कुट में निर्मित यह अतिरिक्त कैम्बियम वलय भी केवल एक वर्ष के लिए ही सक्रीय रहती है इसके बाद यह भी अपना कार्य करना बंद कर देती है। अत: आने वाले साल में द्वितीयक वृद्धि के लिए फिर से एक नयी अतिरिक्त कैम्बियम वलय पहली रिंग के बाहर वल्कुट अथवा परिरंभ से निर्मित होती है। इस प्रकार प्रतिवर्ष क्रमिक रूप से वल्कुट से उत्तरोतर कैम्बियम वलयों का निर्माण होता है।

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वल्कुट अथवा परिरंभ में कैम्बियम रिंग का बनना इसकी असामान्य स्थिति को दर्शाता है जबकि इस अतिरिक्त केम्बियम वलय का केवल थोड़े समय के लिए सक्रीय रहना इसकी असामान्य कार्यशैली को परिलक्षित करता है।

उत्तरोतर अतिरिक्त कैम्बियम वलयों के निर्माण द्वारा होने वाली असंगत द्वितीयक वृद्धि के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित प्रकार से है –

(i) बोरहेविया (boerhaavia) में प्रारंभिक द्वितीयक वृद्धि के समय सबसे पहले संवहन कैम्बियम की एक सम्पूर्ण वलय बनती है। इसका अन्त:पूलीय भाग अर्थात एधा का वह हिस्सा जो संवहन पूलों के मध्य पाया जाता है वह तो बाहर की तरफ द्वितीयक फ्लोयम और भीतर की तरफ द्वितीयक जाइलम का निर्माण करता है लेकिन इस एधा का अन्तरपूलीय भाग अर्थात वह हिस्सा जो संवहन बंडलों के मध्य कैम्बियम पट्टिका के रूप में अवस्थित होता है वह द्वितीयक संवहन ऊतक नहीं बनाता अपितु बाहर की ओर सामान्य द्वितीयक मृदुतक कोशिकाओं का निर्माण करता है और भीतर की ओर लिग्नीकृत अथवा दृढोतकी संयोजी ऊतक बनाता है। इस प्रकार संवहन कैम्बियम वलय के द्वारा द्वितीयक संवहन ऊतकों जाइलम और फ्लोएम और संयोजी – ऊतकों का एक विषम रूपी घेरा बन जाता है।

सामान्य प्रक्रिया के अनुसार संवहन कैम्बियम की सक्रियता कुछ समय के बाद समाप्त हो जाती है , अत: आगे द्वितीयक वृद्धि के लिए इस कैम्बियम वलय के बाहर की तरफ परिरंभ से एक नयी अतिरिक्त वलय विकसित होती है और पहले वाली कैम्बियम वलय के समान ही यह भी एकांतर क्रम में संवहन ऊतक और संयोजी ऊतकों का निर्माण करती है। इसके निष्क्रिय होने के बाद प्रतिवर्ष एक नयी अतिरिक्त केम्बियम वलय बनती है। इस प्रकार बोरहेविया के परिपक्व तने की आंतरिक संरचना में लगभग 5 से 7 एधा वलय पायी जाती है और संवहनी पूलों के सकेन्द्री वलय योजी ऊत्तक में धंसे हुए दिखाई देते है।

उपर्युक्त विवरण के आधार पर कहा जा सकता है कि बोरहेविया के तने में –

(1) मज्जा में दो संवहन बंडलों की उपस्थिति।

(2) द्वितीयक वृद्धि के अन्तर्गत अतिरिक्त कैम्बियम की उत्तरोतर वलयों का निर्माण , यह दोनों ही रोचक और विशेष महत्व के लक्षण है। यहाँ केम्बियम की स्थिति और सक्रियता दोनों में ही असामान्यता पायी जाती है।

(ii) बोगेनविलिया (bougainvillea) : तने की प्राथमिक आंतरिक संरचना में भी मज्जा संवहन बंडलों के रूप में विसंगति पायी जाती है। यह मज्जा संवहन बंडल प्राथमिक बंडल होते है जो कि संयुक्त , सम्पाशर्वीय , खुले हुए और अन्त:आदिदारुक और बिखरी हुई अवस्था में पाए जाते है। वनस्पतिशास्त्रियो के अनुसार वस्तुतः यह मज्जा बंडल पर्व अनुपथ होते है।

द्वितीयक वृद्धि के दौरान सामान्य संवहनी कैम्बियम वलय का निर्माण होता है और इस कैम्बियम की अन्तरपूलीय एधा द्वारा केवल मृदुतक बनता है और अन्त:पूलीय कैम्बियम कैम्बियम द्वारा ही द्वितीयक संवहन ऊतकों का निर्माण होता है।

कुछ समय बाद संवहन कैम्बियम वलय निष्क्रिय हो जाती है और अब परिरंभ से बाह्य रंभीय रूप में अतिरिक्त कैम्बियम वलय का निर्माण होता है। यह केम्बियम अन्दर की तरफ एकान्तरित रूप से कुछ स्थानों पर द्वितीयक जाइलम और योजी ऊतक एकांतर क्रम में बनाती है और बाहर की तरफ द्वितीयक फ्लोयम और इनके एकांतर क्रम में द्वितीयक मृदुतक के समूह बनाती है।

प्रथम अतिरिक्त कैम्बियम वलय कुछ समय के बाद निष्क्रिय हो जाती है अत: आगामी द्वितीयक वृद्धि के लिए इससे बाहर वल्कुट में दूसरी कैम्बियम रिंग बनती है जो पहले की वलय के समान भीतर की तरफ द्वितीयक जाइलम और संयोजी ऊतक एकान्तरित क्रम में बनाती है। केम्बियम की दूसरी वलय के बन जाने पर पहली रिंग के द्वारा बाहर की तरफ निर्मित द्वितीयक फ्लोएम दूसरी वलय के (जो कि इससे ठीक ऊपर की तरफ व्यवस्थित है) भीतर बनने वाले द्वितीयक जाइलम और संयोजी ऊतकों से घिर जाती है। अत:ल यह संरचना अन्तर्विष्ट फ्लोयम के समान दिखाई पड़ती है। कुछ वनस्पतिशास्त्रियों ने इसे अन्तर्विष्ठ फ्लोयम का नाम भी दिया है परन्तु यह सही नहीं है क्योंकि द्वितीयक फ्लोयम का निर्माण प्रथम कैम्बियम वलय से और इसे घेरने वाले द्वितीयक जाइलम और संयोजी ऊतकों का निर्माण इसके ऊपर स्थित दुसरे कैम्बियम वलय से होता अर्थात दोनों की उत्पत्ति अलग अलग केम्बियम वलय से होती है।

इस प्रकार बोगेनविलिया में निम्नलिखित असंगत संरचनाएँ उपस्थित होती है –

(1) तने के केन्द्रीय भाग अर्थात मज्जा में संयुक्त समपाशर्वीय , वर्धी और अंत:आदिदारुक मज्जा संवहन बण्डल बिखरी हुई अवस्था में पाए जाते है। यह प्राथमिक असंगत संरचना है।

(2) द्वितीयक वृद्धि में उत्तरोतर केम्बियम वलयों का निर्माण होता है। इसमें केम्बियम की स्थिति और सक्रियता दोनों ही असामान्य होती है।

(3) कैम्बियम वलय अन्दर की तरफ एकांतर क्रम में द्वितीयक जाइलम के साथ लिग्नीकृत संयोजी ऊतक बनाती है।

(4) बाहर की तरफ कैम्बियम वलय द्वितीयक फ्लोएम के साथ एकांतर क्रम में मृदुतकी संयोजी ऊतक बनाती है।

(5) दो केम्बियम वलयों के मध्य स्थित द्वितीयक फ्लोएम अंतर्निष्ठ फ्लोयम के रूप में प्रतीत होता है। जबकि वास्तव में यह पूर्ववर्ती कैम्बियम वलय द्वारा निर्मित द्वितीयक फ्लोयम है।

4. एकबीजपत्री तनों में असंगत द्वितीयक वृद्धि (abnormal secondary growth in monocot stem)

सामान्यतया आवृतबीजी पौधों में द्वितीयक वृद्धि की प्रक्रिया पर द्विबीजपत्री पौधों का ही एकाधिकार कहा जा सकता है। एकबीजपत्री पौधों में अपवाद स्वरूप केवल कुछ उदाहरणों जैसे ड्रेसीना और युक्का में असंगत द्वितीयक वृद्धि पायी जाती है।
ड्रेसिना के तने की आंतरिक संरचना में शिशु अवस्था में निरुपित संरचना प्रारूपिक एकबीजपत्री तने के समान होती है। इसमें बाह्य त्वचा के निचे दो तीन पंक्तियों में दृढोतकी अधोत्वचा पायी जाती है और मृदुतकी भरण ऊतक में अनियमित रूप से बिखरे हुए अनेक संयुक्त , समपाशर्वीय और बंद संवहन बंडल पाए जाते है।
जैसे ही द्वितीयक वृद्धि प्रारंभ होती है तो इसका क्रम निम्नलिखित प्रकार से अग्रसर होता है –
(1) तने की आंतरिक संरचना में परिधि की तरफ व्यवस्थित भरण ऊतक के क्षेत्र में मृदुतकी कोशिकाएँ विभाज्योतकी प्रवृत्ति धारण कर लेती है और एक कैम्बियम वलय का निर्माण करती है। यह द्वितीयक कैम्बियम होता है और इसकी सक्रियता के द्वारा बाहर और अन्दर दोनों तरफ नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।
(2) यह केम्बियम बाहर और भीतर दोनों तरफ मृदुतकी कोशिकाएँ बनाती है , बाहर की ओर इसकी सक्रियता कम होती है। अत: कैम्बियम वलय द्वारा बाहर की तरफ होने वाली द्वितीयक वृद्धि का अनुपात भीतर की तरफ होने वाली द्वितीयक वृद्धि की तुलना में कम होता है।
(3) केम्बियम द्वारा बाहर की ओर कम मात्रा में जो भी मृदुतकी कोशिकाएँ बनती है यह भरण ऊतक में बढ़ोतरी करती है लेकिन भीतर की तरफ इस कैम्बियम की सक्रियता के कारण एकांतर समूहों में कुछ स्थानों पर द्वितीयक जाइलम और शेष स्थानों पर मृदुतक बनता है। इस मृदुतक को संयोजी ऊतक कहते है।
(4) कुछ समय बाद कैम्बियम वलय की कार्यशैली में बदलाव आता है और जिस स्थान पर पहले अन्दर की तरफ जाइलम बन रहा था वहां अब फ्लोयम बनने लगता है तथा कुछ समय बाद वापस जाइलम बनने लगता है। इस प्रकार फ्लोयम चारों तरफ से जाइलम ऊतक के द्वारा घिर जाता है और संकेन्द्रीय फ्लोयमकेन्द्री संवहन बंडलों की एक वलय बनती है। प्रत्येक संवहन बंडल एक दृढोतक आच्छद द्वारा घिरा रहता है।
(5) कुछ समय बाद कैम्बियम की क्रियाशीलता में फिर से बदलाव आता है , जब तक जिन स्थानों पर जाइलम बन रहा था वहाँ अब मृदुतक बनना प्रारम्भ हो जाता है तथा उन स्थानों पर जहाँ पहले मृदुतक बना था वहां इनके एकान्तर क्रम में पहले जाइलम और फिर फ्लोयम बनने लगता है। इस प्रकार पूर्ववर्ती वलय के अन्दर की तरफ इसके एकांतर क्रम में पुनः फ्लोयम केंद्री संवहन बंडलों की वलय अन्दर की तरफ बनती है।
(6) इसी क्रम में कैम्बियम वलय की क्रियाशीलता अन्दर की तरफ बदलती जाती है और एक के बाद एक दुसरे के एकान्तर क्रम में संवहन बंडलों के वलय बनते चले जाते है।
(7) बाह्यरम्भीय द्वितीयक वृद्धि के द्वारा ड्रेसीना में परित्वक का निर्माण भी होता है। यहाँ अधोत्वचा के नीचे उपस्थित भरण ऊतक की मृदुतकी कोशिकाएँ विभाज्योतकी हो जाती है और कॉर्क कैम्बियम की वलय बनाती है जिससे बाहर की तरफ कॉर्क और अन्दर की तरफ द्वितीयक वल्कुट के रूप में मृदुतकी भरण ऊतक बनता जाता है।
कॉर्क कैम्बियम के बाहर कॉर्क , अधोत्वचा और अन्दर की ओर द्वितीयक भरण ऊतक यह सभी मिलकर परित्वक का निर्माण करते है। इस प्रकार असंगत द्वितीयक वृद्धि के कारण ड्रेसीना तने की मोटाई में वृद्धि होती है।

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1 : अन्त: जाइलमी फ्लोयम का निर्माण होता है –
(अ) लेप्टाडीनिया
(ब) मिराबिलिस
(स) बोरहाविया
(द) बाहिनिया में
उत्तर : (अ) लेप्टाडीनिया
प्रश्न 2 : मज्जाबंडल बनते है –
(अ) सेलवेडोरा में
(ब) बोरहाविया में
(स) फाइकस में
(द) बिगोनिया में
उत्तर : (ब) बोरहाविया में
प्रश्न 3 : फ्लोयम खांच बनती है –
(अ) एकाइरेन्थस
(ब) वाइटिस
(स) बिगनोनिया
(द) ऐमेरेन्थस
उत्तर : (स) बिगनोनिया
प्रश्न 4 : एकबीजपत्री तने में द्वितीयक वृद्धि का उदाहरण है –
(अ) खजूर
(ब) नारियल
(स) बांस
(द) ड्रेसीना
उत्तर : (द) ड्रेसीना
प्रश्न 5 : द्विबीजपत्री तनों में बिखरे हुए बंडल पाए जाते है –
(अ) एनिमोन में
(ब) सूरजमुखी में
(स) कुकुरबिटा में
(द) मेलस में
उत्तर : (अ) एनिमोन में
प्रश्न 6 : एकबीजपत्री तने में वलय में बण्डल पाए जाते है –
(अ) मक्का में
(ब) ट्रिटीकम में
(स) बांस में
(द) ड्रेसीना में
उत्तर : (ब) ट्रिटीकम में
प्रश्न 7 : वल्कुटी बंडल पाए जाते है –
(अ) बोरहाविया में
(ब) ड्रेसीना में
(स) निक्टेन्थस में
(द) आरजिरिया में
उत्तर : (स) निक्टेन्थस में
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