JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: BiologyBiology

जैविक विभव किसे कहते है | जैव विभव की परिभाषा क्या है ? biotic potential in hindi meaning definition

biotic potential in hindi meaning definition जैविक विभव किसे कहते है | जैव विभव की परिभाषा क्या है ? उदाहरण अर्थ ?

 समष्टि वृद्धि (Population Growth)
किसी भी जीव की समष्टि में दो प्रकार से वृद्धि होती हैरू
प) नयी व्यष्टियों का जन्म
पप) व्यष्टियों का अन्य क्षेत्रों से आप्रवास
इसी प्रकार किसी भी जीव की समष्टि में हानि भी दो कारणों से होती हैरू
प) व्यष्टियों की मृत्यु
पप) उत्प्रवर्सन (emigration) अर्थात् व्यष्टियों का अन्य क्षेत्रों में चला जाना।

इस प्रकार किसी भी जीव की समष्टि का आकार दो प्रकार के बलों का परिणाम होता है जनन बल तथा विलोपन

 वृद्धि के प्ररूप (Types of growth)
समष्टियों में दो प्रकार की वृद्धियां पायी जाती हैंरू
क) J-आकृतिक वृद्धि
ख) S-आकृतिक वृद्धि
क) J-आकार की वृद्धि
J-आकार की वृद्धि में समष्टि घनत्व में चरघातांकी (exponential) प्रकार से तेजी से वृद्धि होती है। आरम्भ में समष्टि को किसी पर्यावरण प्रतिरोध का सामना नहीं करना होता (चित्र 7.4)। उसके बाद समष्टि वृद्धि सहसा रुक जाती है और जब बीच में पर्यावरण प्रतिरोध आ जाता है तब वह एकदम गिर जाती है। पर्यावरण प्रतिरोध तीन प्रकार से आता है – (प) या तो भोजन अथवा स्थान सीमित हो जाने पर, या (पप) कोई भौतिक कारक जैसे कि पाला पड़ना या कोई अन्य कारक बीच में आ जाने पर, या (पपप) जनन ऋतु का अचानक समाप्त हो जाना। इस प्रकार की वृद्धि तब होती है जब पारितंत्रों में विविधता कम होती है जैसे कृषि-पारितंत्रों में। ऐसे मामलों में समष्टि को नियंत्रित करने वाले कारक घनत्व से अलग प्रकार के कारक होते हैं। अधिकतर पीड़क समष्टियों में इसी प्रकार की वृद्धि पायी जाती है। ऐसी प्रजातियों (स्पीशीज) को अवसरवादी प्रजातियां कहा जाता है। प्रतिस्पर्धा के अभाव में वे आवास का भरपूर लाभ उठाती हैं और उनकी संख्या में भारी वृद्धि होती है।

ख) S-आकृतिक वृद्धि
S-आकृतिक वृद्धि में, आरम्भ में समष्टि में धीरे-धीरे वृद्धि होती है, उसके बाद तेजी से होती है मगर फिर धीरे-धीरे धीमी होती जाती है (चित्र 7.4)। इस प्रकार की वृद्धि में पर्यावरण प्रतिरोध शुरू से ही आड़े आने लगता है। समष्टि की अधिकतम ऊपरी सीमा को वहन क्षमता (carrying capacity) कहते हैं । इस प्रकार की वृद्धि तब होती है जब घनत्व-निर्भर कारक समष्टि का नियंत्रण करते होते हैं। इस प्रकार की वृद्धि उच्च विविधता पारितंत्रों जैसे वनों तथा उद्यानों में होती है।

जैविक विभव (Biotic potential)
जीव की जन्मजात क्षमता होती है कि वह जनन करे, जीवित बना रहे और संख्या वृद्धि करता रहे, इसी क्षमता को जैविक विभव (biotic potential) कहते हैं। इसे प्रजाति की प्राकृतिक वृद्धि की आंतरिक दर (intrinsic rate fo natural incresae) भी कहते हैं। यह प्रजाति की असीमित पर्यावरण दशाओं में अधिकतम वृद्धि दर होती है। असीमित पर्यावरण का अर्थ है कि प्रजाति को किसी भी संसाधन की कमी महसूस नहीं होती। प्रजाति का जैविक विभव स्थिर होता है। वास्तव में प्रजातियों को हमेशा ही किसी न किसी प्रकार के संसाधन दबाव बने रहते हैं। इस प्रकार प्रकृति में जैविक विभव कभी प्राप्त नहीं हो पाता। उदाहरणतः किसी प्रजाति के अण्डों की सम्भाव्य संख्या उससे कई गुणा अधिक होती है जितनी कि वह वास्तव में अण्डे देती है। नीचे दिए गए उदाहरण में दर्शाया गया है कि यदि कोई पीड़क प्रजाति अपना जैविक विभव प्राप्त कर सकती होती तो उसकी समष्टि का आकार कितना होता।

कपास का चित्तीदार डोडाकृमि एरियस फाबिया (Earisaf abia) कपास का एक अति गंभीर पीड़क है। इसकी मादा 300 अण्डे देती है और 1 महीने में जीवन-चक्र पूरा हो जाता है। उपयुक्त दशाओं में 1 वर्ष के भीतर इसकी 12 पीढ़ियां पूरी हो सकती हैं।

अतरू स्पष्ट है कि कीट अति तीव्र गति से प्रजनन करते हैं। केवल एक ही वर्ष में एक अकेली मादा से बनने वाली संताने अरबों-खरबों की संख्या से पहुंच सकती हैं। साथ ही, कीट प्रजातियां भी लाखों की संख्या में हैं तथा प्रत्येक प्रजाति में लाखों-लाखों मादाएं हैं। यदि सभी स्पीशीज अपना जैविक विभव प्राप्त कर लें तो विश्व में मानवों के रहने के लिए रत्ती भर भी जगह न बचेगी। मगर ऐसा होता कभी नहीं क्योंकि साथ ही साथ विनाशकारी बल यानी पर्यावरण प्रतिरोध भी कार्य कर रहे होते हैं। इनसे प्रकृति का संतुलन बना रहना सुनिश्चित होता है बशर्ते कि मानव बीच में दखल न करे।
जैविक विभव को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है – (क) जनन विभव तथा (ख) उत्तरजीविता विभव

क) जनन विभव (Reproductive potential)
प्रत्येक जीव में जनन करने की क्षमता जन्मजात होती है। यह मादाओं की बहुप्रजता (fecundity) पर निर्भर होती है।

ख) उत्तरजीविता विभव (Survival potential)
यह जीव की प्रकृति में जीवित बने रहने की क्षमता होती है। उत्तरजीविता विभव को और आगे दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –
प) पोषण विभव
पप) सुरक्षाकारी विभव
प) पोषण विभव (Nutritional potential)
यह जीवों की वह क्षमता है जिसमें वे अपने जीवित बने रह सकने के लिए पर्यावरण संसाधनों को भोजन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं ।

ऽ ऐसे जीव बहुत थोड़े से ही हैं जो परपोषी पौधे की किसी एक विशेष प्रजाति पर ही भोजन करते हैं। इन्हें एकभक्षी (monophagous) कहते हैं। शहतूत का रेशम-कीट बॉम्बिक्स मोराई (Bombyx mori) तथा चावल का पीला तना छेदक सोफैगा इनसटुलस एकाहारी कीटों के उदाहरण हैं।

ऽ कुछ जीव परपोषी पौधों की कुछ थोड़ी सी ही संबंधित प्रजातियों पर आहार करते हैं। ऐसे पीड़कों को अल्पभक्षी (oligophagous) कहते हैं। पत्ता गोभी की तितली पाइरिस ब्रैसिकी (Pieris brsaicae) तथा श्कोलश् फसल को खाने वाला “डायमंड बैंक मॉथ” प्लूटेला जाइलोस्टेला (Plutella rylostella) अल्पभक्षी कीटों में आते हैं।

ऽ कुछ जीव बहुत से भिन्न प्रकार के परपोषी पौधों को खाते हैं। ऐसे जीवों को बहुभक्षी (polyphagous) कहते हैं। उदाहरणतः टिड्डियां, टिड्डे, चने का फली छेदक, कटवर्म, आर्मीवर्म आदि।

एक परपोषी पौधे की अनुपस्थिति में, अल्पभक्षी तथा बहुभक्षी जीव अन्य पौधों पर निर्वाह कर सकते हैं मगर ऐसी स्थिति में एकभक्षी पीड़क समाप्त हो जाएंगे। अत: उत्तरजीविता की दृष्टि से अल्पभक्षी जीवों की अपेक्षा बहुभक्षी ज्यादा अनुकूलित होते हैं और इसी प्रकार एकभक्षी जीवों की अपेक्षा अल्पभक्षी ज्यादा अनुकूलित होते हैं।

पप) सुरक्षाकारी विभव (Protective potential)
यह जीवों की वह क्षमता है जिसके द्वारा वे प्रकृति की अनिश्चितताओं से अपने को बचाते हैं। जीवों को एक ओर प्रतिकूल मौसम दशाओं से बचना होता है, वहीं दूसरी ओर अपने प्राकृतिक शत्रुओं से भी।

Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

8 hours ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now