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Biotechnology applications in medicine and human health in hindi चिकित्सा एवं मानव स्वास्थ्य में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग
चिकित्सा एवं मानव स्वास्थ्य में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग (Biotechnological applications in medicine and human health) : विगत कुछ वर्षों में रिकॉम्बीनेंट DNA प्रौद्योगिकी ने औषधि एवं स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस तकनीक का प्रयोग कर सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावी चिकित्सीय औषधियों का अधिक मात्रा में उत्पादन संभव हो सका है। ऐसा देखा गया है कि जिन औषधियों का उत्पादन मानव स्रोतों के अलावा किया गया उनका अवांछित प्रतिरक्षात्मक ( unwanted immunological) प्रभाव होता है। वर्तमान में 30 से अधिक रिकॉम्बीनेंट चिकित्सीय औषधियाँ विश्वस्तर पर स्वीकृत हो चुकी है जिनमें 12 औषधियाँ भारत में विपणित (marketing) की जा रही है। कुछ उत्पाद जहाँ जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग कर उपलब्धि हासिल की गई हैं, निम्नवत हैं।
इस प्रकार उपरोक्त वर्णित उद्योगों को लगाकर राजस्थान आर्थिक लाभ कर सकता है। इस में राजस्थानी देश से बाहर रह रहें हैं उनका सहयोग लिया जा सकता है। वर्तमान राजस्थान सरकार जैव प्रौद्योगिकी के विकास के लिये निम्नलिखित प्रयास कर रही है पर इनसे उद्योग लगाना सम्भव नहीं है।
- जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संभावित सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स हेतु विषय के विशिष्ट ज्ञान पर आधारित तकनीकी विकास पर 9 लाख रुपये की वित्तीय सहायता एम जी.आई.एस जयुपर को प्रदान की गई।
- राजस्थान के विभिन्न शहरों में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रति जागरूकता हेतु अब तक 29 कार्यशालाऐं एवं 75 बौद्धिक सम्पदा अधिकार कैम्पों का आयोजन किया जा चुका है। तथा 19 पेटेन्ट, 3 डिजाईन एवं 4 कॉपी राईट के आवेदन पेटेन्ट सुविधा केन्द्र, भारत सरकार, नई दिल्ली को अग्रेषित किये गये हैं। जिसमें से एक पेटेन्ट, तीन डिजाईन, एक कॉपी राईट के प्रस्ताव स्वीकृत हो गये हैं।
- राज्य में शुद्ध विज्ञान को प्रोत्साहित करने हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरका नई दिल्ली दिशा-निर्देशों के आधार पर ” इन्सपायर स्कीम” को राज्य में प्रथम बार लागू किया गया है।
- बिकानेर में विज्ञान पार्क एवं विज्ञान केन्द्र निर्माण हेतु (जोहड़ बीड़ बीकानेर ) भूमि आंवटन का कार्य पूर्ण।
- विज्ञान सिटी जयुपर हेतु छितरोली (सांगानेर) में जे. डी.ए द्वारा निःशुल्क भूमि आंवटित एवं कागजी कब्जा पत्र जारी। कोटा, बीकानेर में पुस्तकालय एवं अध्ययन कक्ष प्रारम्भ । 6. जोधपुर में 2.60 करोड़ रुपये की लागत से उप क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र संस्कृति मंत्रालय, भार सरका के 50 प्रतिशत वित्तीय सहयोग से विकसित करने का कार्य प्रारम्भ।
- सौर ऊर्जा आधारित E-Resouors केन्द्रों की स्थापना। राज्य के नौ जिलों में सोलर ई – रिर्सोस केन्द्रों की स्थापना ।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, के वित्तिय सहयोग से खारे पानी के उपचार हेतु ग्राम भोजडदेसर (सीकर) एवं ठीकरिया कलां (नागौर) जिलों में रिवर्स ओस्मोसिस तकनीक पर आधारित संयंत्रों की स्थापना ।
- 137 उद्यमिता जागृति शिविर आयोजित कर 7000 विद्यार्थियों को लाभान्वित किया।
- बारां जिले के ग्राम जालेडा में बायोगैस आधारित केप्टिव पावर जंक्शन एण्ड बायोगैस एनरिचमेंट पर परियोजना का क्रियान्वयन ।
- विज्ञान केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण : सितम्बर 2009 में बिकानेर में विज्ञान केन्द्र में पुस्तकालय के रख-रखाव पर 2.18 लाख रुपये एवं मॉडलों व विज्ञान उद्यान रख-रखाव पर 75063 रुपये व्यय किये गये।
- फसलों के क्षेत्र एवं उत्पादन का पूर्वानुमान : स्पेश एप्लीकेशन सेन्टर, अन्तरिक्ष विभाग, भारत सरकार, अहमदाबाद के शत प्रतिशत आर्थिक सहयोग से उपरोक्त परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 1987-88 से निरन्तर कार्य प्रगति पर है। परियोजनातर्गत राज्य के 22 जिलों में गेहूँ 16 जिलों में सरसों, 2 जिलों में कपास, 3 जिलों में धनिया एवं 2 जिलों में जिरा फसल के अन्तर्गत बोये गये क्षेत्र एवं उत्पादन का पूर्व अनुमान भू-उपग्रह चित्रों के कम्प्यूटरीकृत विश्लेषण द्वारा ज्ञात किया जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर सम्पूर्ण राज्य हेतु गेहूँ एवं सरसों के लिए भी कार्य किया जाता है।
- भूमि क्षरण मानचित्रिकरण : नेशनल रिमोट सेन्सिंग सेन्टर, अन्तरिक्ष विभाग, सरकार, हैदराबाद के शत प्रतिशत आर्थिक सहयोग से राज्य के आंवटित 11 जिलों के भूमि क्षरण मानचित्रिकरण का कार्य भू उपग्रह चित्रों के डिजिटल व्याख्याकरण का कार्य पूर्ण तथा तैयार डिजिटल डेटा बेस को प्रायोजित संस्थान को प्रस्तुत कर दिया गया है।
- नम भूमि आंकलन एवं स्थिति : स्पेश एप्लीकेशन सेन्टर, अन्तरिक्ष विभाग, सरकार,अहमदाबाद के शत प्रतिशत आर्थिक सहयोग से राज्य में उपलब्ध नम भूमि एवं उनकी स्थिति का आंकनल का कार्य मानसून पूर्व एवं पश्चात् के भू-उपग्रह चित्रों के डिजिटल एनालिसिस द्वारा पूर्ण किया जा रहा है। इससे राज्य के कृषि, मत्स्य, वन, सिंचाई एवं जनस्वास्थय अभियांत्रिकी विभाग लाभान्वित होगें ।
- जी.आई.एस. आधारित 3 कस्बों के बेस मैप को तैयार करना : राज्य के तीन कस्बे गुलाबपुरा, बाँदीकुई एवं मकराना के जी.आई.एस आधारित बैस मैप 1: 10000 पैमाने पर तैयार करने का कार्य नेशनल रिमोट सेन्सिंग सेन्टर, अन्तरिक्ष विभाग, भारत सरकार, हैदराबाद द्वारा केन्द्र को आवंटित किया गया। परियोजना के निर्धारित लक्षों के अनुसार सम्पूर्ण कार्य पूर्ण कर डेटा बैस प्रायोजित संस्थान को प्रस्तुत कर दिये गये है। इससे राज्य के स्थानीय निकाय, शहरी विकास विभाग एवं सम्बंधित नगर सुधार न्यास / नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका लाभान्वित होगें ।
- भूगर्भीय (Geological) एवं भू उपयोग / भू-वर्गीकरण अध्ययन : गैस आथरिटी ऑफ नई दिल्ली के शत प्रतिशत आर्थिक सहयोग से उनके द्वारा आयनित ब्लाक के लिए हाई रिजोन्यूशन सैटेलाईट डेटा के माध्यम से भू गर्भीय एवं भू उपयोग / भू वर्गीकरण का कार्य पूर्ण कर मानचित्र एवं प्रतिवेदन प्रायोजित संस्थान को प्रस्तुत कर दिये गये है। इससे प्रायोजित संस्थान लाभान्वित होगी ।
- जी.आई.एस. आधारित जल संसाधन विकास योजनाओं को तैयार करनाः राज्य के state water resource development planning department के शत प्रतिशत आर्थिक सहयोग से राज्य के कुल 14 रीवर बेसिन क्षेत्रों के मानचित्रिकरण का कार्य भू उपग्रह चित्रों के डिजिटल एनालिसिस के माध्यम से आवंटित किया गया। वर्ष 2008-09 में 6 रिवर बेसन का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा तैयार डेंटा बेस को चेकिंग हेतु प्रायोजित विभाग को भिजवा दिया गया है। इससे राज्य के राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट, भू-जल विभाग, कृषि, वन, जनस्वास्थय अभियांत्रिकी विभाग लाभान्वित होंगे।
- जी.आई.एस. आधारित वन संसाधन विकास योजनाओं को तैयार करना : राज्य के वन विभाग द्वारा प्रायोजित परियोजना के अन्तर्गत सम्पूर्ण राज्य स्तर पर फारेस्ट ब्लाक अनुसार वन संसाधन के लिए जी.आई.एस. आधारित डेटा बेस तैयार करने का कार्य केन्द्र पर प्रगति पर है। अब तक राज्य के 480 फारेस्ट ब्लाक का कार्य पूर्ण किया जा चुका तथा शेष कार्य प्रगति पर है।
- नवीन सीमांकन के आधार पर राज्य के सभी लोकसभा एवं विधान सभा क्षेत्रों के नवीनतम मानचित्र तैयार करना : नवीनतम गजट नोटिफिकेशन के आधार पर राज्य चुनाव विभाग के लिए नवीन सीमांकन के आधार पर राज्य के सभी 25 लोकसभा एवं 200 विधान सभी क्षेत्रों के नवीनतम मानचित्र तैयार किये गये। इन मानचित्रों का गत विधान सभी एवं लोकसभा चुनाव में राज्य चुनाव विभाग, जिलों प्रशासनिक एवं पुलिस विभाग द्वारा अत्याधिक उपयोग लिया गया।
- उपग्रह आधारित सूचना तन्त्रों की स्थापना (सैटकाम) : राज्य में उपग्रह आधारित सूचना तन्त्र के अन्तर्गत इन्दिरा गाँधी पंचायत राज सांस्थान, जयपुर में अपलिंक स्टेशन की स्थापना तथा राज्य की सभी 237 पंचायत समिति मुख्यालयों पर रिसिव आनली टर्मिनल्स (ROT’s) तथा राज्य के 32 जिला परिषद मुख्यालयों पर सेटोलाईट इन्टर एक्टिव टर्मिनल्स (SIT’s) स्थापित किये जा चुके है। स्टुडियों का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार एवं मानीय राज्य मंत्री विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा दिनांक 18 फरवरी, 2010 को किया गया । कृषि, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बन्धित सी.डी. का निरन्तर प्रसारण यहाँ से किया जा रहा है।
- राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में अल्प आय वर्ग के परिवारों के मैघावी छात्र – छात्राओं को सेटकॉम के माध्यम से इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी हेतु कोचिंग की सुविधा दिनांक 1 जून 2011 से आरम्भ कर दी गई है।
- रिसोर्स एटलस ऑफ राजस्थान के नवीन संस्करण का प्रकाशन : पूर्व में केन्द्र द्वारा तैयार एवं विभाग द्वारा प्रकाशित रिसोर्स एटलस ऑफ राजसीन के नवीन संस्करण को तैयार कर मुद्रित करवाया गया।
- राजस्थान अरबन इन्फ्रास्ट्रकचरल डललपमेन्ट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत केन्द्र को आंवटित 16 कस्बों के बेस मेप तैयार करने तथ्ज्ञा spot height की गणना कार्य केन्द्र को आंवटित किया गया । सम्पूर्ण कार्य पूर्ण कर मानचित्र एवं डेटा बैस प्रायोजित संस्थान को उपलब्ध करवाये जा चुके हैं।
- रिमोट सेन्सिंग सब सैल की स्थापना : जयपुर में इस केन्द्र के सब सैल के रूप में रिमोट सेन्सिंग सब सैल स्थापित किया गया जो कि वर्तमान में कार्यरत है।
- स्वचलित मौसम केन्द्रों की स्थापना : भारतीय अंतरिक्ष विभाग (इसरो) के सहयोग से राज्य के विभिन्न भागों में 300 स्वचालित मौसम केन्द्रों की स्थापना की जायेगी, जिन पर लगभग 5 करोड़ 50 लाख की लागत आयेगी, जिनमें से प्रथम चरण में 51 स्थानों पर आटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) स्थापित कर दिये गये हैं। इनका उपयोग फसल बीमा फसल उत्पादन पूर्वानुमान पैदावार बढ़ाने हेतु उचित उपायों हेतु किया जा सकेगा।
- भू संरक्षण एवं जल ग्रहण के रिजुलेशन से जल ग्रहण के नक्शे तैयार करना : राज्य के 162 जल ग्रहण के भूमि उपयोग रोड, रेल, नहर, नदी, नालें ढलान, कन्टूर व भूमि उपयोग के नक्शे तैयार कर मृदा संरक्षण एवं जलग्रहण विभाग को उपलब्ध करा दिये गये। जिनके उपयोग से मृदा एवं जल संरक्षण एवं ग्रामीण विकास विभाग लाभान्वित होंगे। वर्तमान में 110 जल ग्रहण योजनाओं पर कार्य प्रगति पर है।
- बैस मेप प्रिपेरेशन ऑफ भिवाड़ी : नगर सुधार न्यास भिवाड़ी, जिला अलवर द्वारा प्रायोजित परियोजना के अन्तर्गत भिवाड़ी कस्बे हेतु भू-उपग्रह के डिजिटल व्याख्याकरण द्वारा बैस मेप तैयार कर प्रायोजित संस्था को उनके उपयोग हेतु प्रस्तुत किया गया है।
- पंचायत समितिवार जी.आई.एस. आधारित भू-उर्वरा मानचित्रिकरण : कृषि विभाग द्वारा प्रायोजित इस परियोजना के अन्तर्गत सम्पूर्ण राज्य हेतु पंचायत समितिवार जी.आई.एस आधारित भू-उवर्तरा मानचित्रिकरण का कार्य पूर्ण किया गया।
- राज्य के सभी जिलों हेतु मृदा सोईल एटलस ऑफ राजस्थान तैयार किया गया। 30. आइल इण्डिया के सीतापुरा, जयपुर स्थित डिपों में लगी आग के धुएं की स्थिति, दिशा, विस्तार का अध्ययन भू-उपग्रह चित्रों के डिजीटल व्याख्याकरण द्वारा पूर्ण किया गया।
- राज्य में प्रथम बार राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम ” राष्ट्रीय बल विज्ञान कांग्रेस – 2011 का आयोजन 27-31 दिसम्बर, 2011 को आयोजित किया गया है।
पुरस्कार
- विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ठ अध्यापन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य में कार्यशील सर्वश्रेष्ठ विज्ञान शिक्षण संस्थाओं को पुरस्कार दिये जाने हेतु योजना को सर्वप्रथम लागू।
- जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्था एम एन इन्स्टीट्यूट ऑफ साईन्स एण्ड टेक्नोलोजी एण्ड साईन्स बीकानेर को पुरस्कार प्रदान किया गया।
- दिनांक 28 फरवरी, 2009 को राज्य विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा 2007 के पुरस्कार वितरित कर 24 हजार की रुपये राशि व्यय की गयी ।
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