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जैव विविधता , नामकरण , द्विनाम पद्धति , द्विनाम पद्धति के निम्न नियम Binomial system in hindi

By   May 19, 2018

जैव विविधता : हम अपने चारों ओर अनेक प्रकार के पेड़ पौधे , जीव जन्तु , कीट पक्षी व अन्य प्राणी देखते है , सूक्ष्म जीवाणु से लेकर गाय हाथी तथा शैवाल से लेकर विशाल वृक्षों से सहित विभिन्न परिमाण , आकार व संरचना वाले लगभग 1.8 मिलियन वाले सजीव ज्ञात होते है।  जीवों की इस बड़ी संख्या व विविधता को ही जैव विविधता कहते है।

नामकरण (nomination) : एक ही जाति के जीवों को अनेक स्थानीय नाम होते है अत: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन्हें पहचाना कठिन होता है इसलिए जीव धारियों को अंतरराष्ट्रीय नाम दिया जाता है।  यह नाम जीव का एक मानक नाम होता है , जिससे वह उसी नाम से सारे विश्व में जाना जाता है , इस प्रक्रिया को नाम पद्धति या नामकरण कहते है।

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अध्ययन को सरल बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रत्येक जीव को एक वैज्ञानिक नाम देने की प्रक्रिया बनाई है।

पादपों के लिए : इंटरनेशनल कोड ऑफ़ बोटेनिकल नोमेन कलेचार (ICBN)(International Code of Botanical Nomenclature) बनाया।

किसी भी जीव का नाम रखने के लिए महत्वपूर्ण नाम पद्धतियों को ध्यान में रखा जाता है।

द्विनाम पद्धति (Binomial system) : नामकरण की इस पद्धति का प्रतिपादन केरोलस लिनियस ने किया है।  इनके अनुसार प्रत्येक जीव का वैज्ञानिक नाम दो शब्दों से मिलकर बना होता है , जिसमे पहला शब्द वंश व दूसरा शब्द जाति का होता है।

द्विनाम पद्धति के निम्न नियम होते है –

1. जीव का लेटिन भाषा में लिखा जाता है।

2. जैविक में पहला शब्द वंश का व दूसरा शब्द जाति का होता है।

3. जैविक नाम को तिरछो अक्षरों में या रेखांकित करके लिखा जाता है।

4. वंश का प्रथम अक्षर अंग्रेजी के बड़े अक्षर के रूप में तथा जाति का प्रथम अक्षर अंग्रेजी के छोटे अक्षर के रूप में लिखा जाता है।

उदाहरण : आम का वैज्ञानिक नाम : मैंगीफेरा इंडिका (Mangifera indica)

5. कई बार नाम के अंत में लेखक का नाम भी लिखा जाता है।

उदाहरण : मैजीफेरा इंडिका (Mangifera indica)